पुण्य स्मरण:बार-बार की जेलयात्रा से पुत्री समेत खुद भी अल्पायु जीवन जिया सत्यवती ने

………………………………………..चरित्र-निर्माण,समाज-सुधार तथा राष्ट्रवादी जन-चेतना के लिए समर्पित *मातृभूमि सेवा संस्था* (राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत) आज देश के ज्ञात व अज्ञात राष्ट्रभक्तों को उनके अवतरण, स्वर्गारोहण व बलिदान दिवस पर कोटि कोटि नमन करती है। 🙏🙏🌹🌹🌹🌹
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*यह दीप अकेला स्नेह भरा है गर्व भरा मदमाता पर इसको भी पंक्ति को दे दो**अज्ञेय जी की यह पंक्तियां आजादी की लड़ाई लड़ने वाली उस वीरांगना पर सटीक बैठती हैं जिनकी पुण्यतिथि के अवसर पर आज मातृभूमि सेवा संस्था उनका परिचय करवाने जा रही है। वह वीर महिला जो न केवल स्वयं अपनें पारिवारिक संस्कारों से मातृभूमि की सेवार्थ प्रेरित थीं बल्कि जिन्होंने दिल्ली की गली – गली घूम असंख्य महिलाओं को आजादी की लड़ाई में सक्रिय योगदान देने के लिए प्रेरित किया।
*ऐसी क्रांतिकारी महिला का नाम था सत्यवती देवी*
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आर्य समाज और कांग्रेस के प्रसिद्ध नेता स्वामी श्रद्धानंद की नातिन (दोहित्री) सत्यवती देवी का जन्म 26 जनवरी, 1906 को पंजाब के जालंधर जिले में हुआ था। उनकी माँ वेद कुमारी समाजसेवी और गांधी जी की अनुयाई थीं। परिवार के इस वातावरण का सत्यवती पर प्रभाव पड़ा।
वह साम्यवादी महिला एवं स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्होंने किसान मजदूरों के हित में दिन-रात संघर्ष किया। *उन्होने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए दिल्ली की महिलाओं को उनके घरों से बाहर लाने के नेक काम के लिए लड़ाई लड़ी।* सत्यदेवी देवी ने रूढ़िवाद और रूढ़िवाद के गढ़ को हिला दिया और महिलाओं को उनके घरों से बाहर निकाल दिया और पुरुषों को दिखाया कि महिलाओं को अब केवल सामान नहीं माना जा सकता है।
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1922 में उनका विवाह हो गया और वे दिल्ली आ गईं। साम्यवादी सत्यवती ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं करती थीं। *उनकी विद्युत सी चपलता,व तीव्र जल प्रवाह सी नेतृत्व क्षमता की वजह से ही लोग उन्हें “तूफानी बहन” के नाम से पुकारते थे*
सत्यवती देवी का दिल्ली में प्रमुख कांग्रेसी नेताओं से संपर्क हुआ और साथ ही वे मार्क्सवादी विचारों से प्रभावित हुईं। अब उन्होंने अन्य साम्यवादी विचारों की महिलाओं यथा दुर्गा देवी, कौशल्या देवी आदि के साथ घूम-घूमकर लोगों को संगठित करने का काम हाथ में लिया। वे किसान मजदूरों के शासन की कल्पना में दिन – रात मेहनत करती थीं।
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सत्यवती देवी अपने समय की दिल्ली की अग्रणी महिला नेता थीं। संगठन के लिए उनके ज्वलंत कथन और उल्लेखनीय क्षमता ने महिलाओं को सत्याग्रह अभियानों में शामिल होने के लिए आकर्षित किया। *सत्यवती देवी ने अपने कुशलता पूर्ण भाषणों से वातावरण को विद्युतीकृत कर दिया* उन्होंने ‘कांग्रेस महिला समाज’ और ‘कांग्रेस देश सेवा दल’ की स्थापना की। जीवन के सभी क्षेत्रों और दिल्ली के सभी कोनों से महिलाओं को उसकी ईमानदारी और भावुक देशभक्ति से आकर्षित किया गया था। बाद में सत्यवती देवी ‘कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी’ के संस्थापक सदस्यों में से एक बन गई। वह दिल्ली के कपड़ा श्रमिकों को प्रबुद्ध करना और उन्हें राजनीतिक रूप से जागरूक करना चाहती थीं। उनके चुंबकीय व्यक्तित्व ने छात्रों, विशेष रूप से हिंदू कॉलेज और इंद्रप्रस्थ गर्ल्स हाई स्कूल दोनों को आकर्षित किया। इन छात्रों ने गृहिणियों के समूह का आयोजन किया, जिन्होंने सार्वजनिक प्रदर्शनों और इस तरह से पहले कभी भाग नहीं लिया था। नमक सत्याग्रह के दौरान, सत्यवती देवी और उनके सहयोगियों ने दिल्ली में शाहदरा उपनगर में एक दलदली खाली भूखंड पर इकट्ठा होने का फैसला किया, जहां उप-मिट्टी के पानी की मात्रा अधिक थी। उनमें से पचासों ने नमक कानून की अवहेलना की। ऐसा करीब दस दिनों तक चला। नमक के पैकेट तैयार किए गए और उन्हें स्वतंत्र रूप से वितरित किया गया। दिल्ली पुलिस ने उन स्वयंसेवकों को खदेड़ दिया, जिन्होंने नमक सत्याग्रह का आयोजन किया था। यह दिल्ली में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत थी।
*जब महिलाएं जो सिर्फ गृहिणियां थीं, अपने घरों से बाहर निकल गईं और लाठीचार्ज और मार-पीट का सामना किया, तो लोग आश्चर्य और प्रशंसा से भर गए।* दिल्ली के पुरुष विशेष रूप से उन महिलाओं के दिखाए गए साहस पर आश्चर्यचकित थे, जो अपनी विनम्रता और निष्क्रियता के लिए जाने जाते थे। जैसे-जैसे स्वतंत्रता का संघर्ष आगे बढ़ा, भारतीय महिलाओं ने पूरे देश में संघर्ष किया और इस तरह पुरुषों के साथ स्वतंत्र और समान होने का अधिकार अर्जित किया.

उनका विवाह दिल्ली क्लॉथ मिल में कार्यरत एक अधिकारी से हुआ, जिससे उन्हें एक पुत्र एवं पुत्री की प्राप्ति हुई। अपने पति से उन्हें दिल्ली के उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों की दुर्दशा की जानकारी मिली। इससे उनका मातृत्व जाग उठा। वे श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए मैदान में कूद पड़ीं। इस प्रकार उन्होंने 1936-37 में दिल्ली में श्रमिक आंदोलन को एक नयी दिशा दी।

उनके उग्र भाषणों से घबराकर शासन ने उन पर कई प्रतिबंध लगाये; पर वे पुलिस को चकमा देकर निर्धारित स्थान पर पहुंच जाती थीं। इससे दिल्ली की महिलाओं तथा युवाओं में उनकी विशेष पहचान बन गयी। हिन्दू क१लिज एवं इन्द्रप्रस्थ कन्या विद्यालय के छात्र-छात्राएं तो उनके एक आह्नान पर सड़क पर आ जाते थे। उन्होंने ‘कांग्रेस महिला समाज’ एवं ‘कांग्रेस देश सेविका दल’ की स्थापना की। वे ‘कांग्रेस समाजवादी दल’ की भी संस्थापक सदस्य थीं।

नमक सत्याग्रह के समय उन्होंने शाहदरा के एक खाली मैदान में कई दिन तक नमक बनाकर लोगों को निःशुल्क बांटा। कश्मीरी गेट रजिस्ट्रार कार्यालय पर उन्होंने महिलाओं के साथ विशाल जुलूस निकाला। इस पर शासन ने उन्हें गिरफ्तार कर अच्छे आचरण का लिखित आश्वासन एवं 5,000 रु0 का मुचलका मांगा; पर बहिन सत्यवती ने ऐसा करने से मना कर दिया। परिणाम यह हुआ कि उन्हें छह महीने के लिए कारावास में भेज दिया गया।

उनके नेतृत्व में ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ का भी दिल्ली में बहुत प्रभाव हुआ; पर बार-बार की जेल यात्राओं से जहां एक ओर वे तपेदिक से ग्रस्त हो गयीं, वहां दूसरी ओर वे अपने परिवार और बच्चों की देखभाल भी ठीक से नहीं कर सकीं। उनकी बेटी ने दस वर्ष की अल्पायु में ही प्राण त्याग दिये। शासन ने पुत्री के अंतिम संस्कार के लिए भी उन्हें जेल से नहीं छोड़ा।

1942 के आंदोलन के समय बीमार होते हुए भी उन्होंने चांदनी चौक की गलियों में घूम-घूमकर महिलाओं के जत्थे तैयार किये और उन्हें स्वाधीनता के संघर्ष में कूदने को प्रेरित किया। शासन ने उन्हें गिरफ्तार कर अम्बाला जेल में बंद कर दिया। वहां उनकी देखभाल न होने से उनका रोग बहुत बढ़ गया। इस पर शासन ने उन्हें टी.बी चिकित्सालय में भर्ती करा दिया।

जब वे जेल से छूटीं, तब तक आंदोलन ठंडा पड़ चुका था। लोगों की निराशा दूर करने के लिए उन्होंने महिलाओं एवं सत्याग्रहियों से संपर्क जारी रखा। यह देखकर शासन ने उन्हें घर पर ही नजरबंद कर दिया। रोग बढ़ जाने पर उन्हें दिल्ली के ही एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 21 अक्तूबर, 1945 को उनका देहांत हो गया। उनकी स्मृति को चिरस्थायी रखने के लिए दिल्ली में “सत्यवती कॉलेज” की स्थापना की गयी है।

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मातृभूमि सेवा संस्था ऐसी महान नारीशक्ति का उनकी 75वीं पुण्यतिथि पर उन्हें शत शत नमन करती है।🙏🌹

✍️ प्रशांत टेहल्यानी, राष्ट्रीय सह-संयोजक/ हरिओम शर्मा
🇮🇳 *मातृभूमि सेवा संस्था 9351595785* 🇮🇳

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