तीरथ ने दिये बडासी पुल एप्रोच रोड ढहने के उच्च स्तरीय जांच के आदेश

बड़ासी पुल मामला: मुख्यमंत्री तीरथ ने दिए उच्च स्तरीय जांच के आदेश

बड़ासी पुल टूटने का मामला
देहरादून में रायपुर-थानो रोड पर बीते दिनों बड़ासी पुल के एक कोना का पुश्ता टूट गया था. जबकि इस पुल को बने हुए मात्र तीन साल ही हुए थे. वहीं सोमवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस मामले में जांच के आदेश दिए है.

देहरादून21 जून : डोईवाला विधानसभा क्षेत्र में बीते दिनों क्षतिग्रस्त हुए बड़ासी पुल को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विभागिय अधिकारियों के साथ बैठक की. उन्होंने जल्द से लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिये हैं.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बड़ासी पुल के टूटने का बड़ा कारण डिजाइन में ही खामियां बताई गई है. इसके अलावा कई और ऐसा खामियां भी हैं, जो विस्तृत जांच में सामने आ सकती है. सोमवार को इस जांच रिपोर्ट को लेकर शासन स्तर पर मंथन किया गया और सोमवार देर शाम मुख्यमंत्री ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिये हैं.
बता दें कि इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल में डोईवाला में एक अन्य फ्लाईओवर की अप्रोच भी क्षतिग्रस्त हो गई थी. उस समय मुख्यमंत्री रहते हुए त्रिवेंद्र रावत ने चार अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया था. उसी तरह की खामिया बड़ासी पुल में भी सामने आई हैं।

3 साल में ही ‘मिट्टी’ में मिला बडासी पुल का हिस्सा


राजधानी देहरादून में रायपुर-थानो रोड पर बुधवार रात को बडासी पुल के एक कोने का पुस्ता टूट गया था. ताज्जूब की बात ये है कि इन पुल को बने हुए मात्र तीन साल ही हुए थे. ऐसे में एक बार फिर लोक निर्माण विभाग और पूर्व की त्रिवेंद्र सरकार सवालों के घेरे में है.
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में करोड़ों रुपए की लागत से बना बडासी का पुल तीन साल में ही मिट्टी में मिल गया. मुख्यमंत्री रहते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जिस जीरो टॉलरेंस और विकास कार्यों में गुणवत्ता को लेकर कोई कंप्रोमाइज नहीं करने का जो दावा किया था, उस पर बडासी पुल ने पानी फेर दिया. करोड़ों की लागत से बना पुल तीन में जमीन पर आ गया.
देहरादून के रायपुर क्षेत्र में बुधवार रात को बडासी पुल का टूटना कोई सामान्य बात नहीं है. ऐसा इसीलिए कहा जा रहा है क्योंकि यह पुल 2018 में ही बना था और किसी पुल का तीन के अंदर बीच में टूट जाना अपने आप में सवाल खड़े करते थे. गुरुवार को ईटीवी भारत ने मौके पर पहुंचकर पुल के टूटे हिस्से को देखा तो पता चला कि पुल से जो पुस्त बनाए गए थे, उसमें सरिये का बहुत कम इस्तेमाल किए गया था. हालांकि इसका खुलासा तो जांच के बाद ही हो पाएगा.
जानकारी के अनुसार 2018 में इस पुल को बनाया था और इसका शुभारंभ तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था. खास बात यह है कि इस पुल से ठीक पहले बनाए गए भोपाल पानी के पुल में भी खराब गुणवत्ता की ऐसी ही शिकायतें मिली थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री रहते त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुछ इंजीनियरों को सस्पेंड भी किया था.

ऐसे में सवाल उठता है कि इस दौरान बनाए गए पुलों में एक के बाद एक गड़बड़ी क्यों सामने आ रही है? इस पर स्थानीय लोगों से जब हमने बात की तो पता चला कि लोग भी इसकी गुणवत्ता को लेकर शिकायत करते रहे हैं और अब जब यह पुल टूट चुका है तो इसके बाकी हिस्से के भी टूटने का खतरा बना हुआ है.

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