सजा के बाद आज़म की गई विधायकी, रामपुर सीट रिक्त घोषित

हेट स्पीच केस: आजम खान की विधायकी गई, स्पीकर सतीश महाना ने रद्द की सदस्यता

तीन साल की सजा के ऐलान के बाद रामपुर विधायक आजम खान की विधानसभा की सदस्यता को रद्द कर दिया गया है। सजा के ऐलान के बाद आजम के लिए यह सबसे बड़ा झटका है।

लखनऊ 28 अक्टूबर। हेट स्पीच मामले में तीन साल की सजा के ऐलान के बाद रामपुर से सपा विधायक आजम खान को एक और बड़ा झटका लगा है। आजम खान की विधानसभा की सदस्यता को रद्द कर दिया गया है। सजा के ऐलान के बाद आजम के लिए यह सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। शिकायतकर्ता आकाशदास सक्सेना की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने यह कार्रवाई की है। आकाश सक्सेना ने विधानसभा अध्यक्ष के अलावा केन्द्रीय चुनाव आयोग को भी सदस्यता रद्द करने की शिकायत भेजी थी। कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने शुक्रवार को उनकी सदस्यता निरस्त कर दी तो उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने उनकी विधानसभा सीट रामपुर को रिक्त घोषित कर दिया। सचिवालय ने इसकी जानकारी चुनाव आयोग को भी भेज दी है। यह संयोग है कि पिछली विधानसभा के कार्यकाल के दौरान आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आज़म की सदस्यता खत्म कर दी गई थी। इस बार उनकी सदस्यता खत्म हुई है।

पिछली विधानसभा में इन चार विधायकों की गई थी सदस्यता

1-भाजपा विधायक अशोक चंदेल हमीरपुर सदर सामूहिक हत्याकांड में सजा
2-कुलदीप सेंगर को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई
3-सपा विधायक स्वार (रामपुर) अब्दुल्ला आजम की सदस्यता रद्द हो चुकी है
4-खब्बू तिवारी भाजपा विधायक गोसाईंगंज फैजाबाद फर्जी मार्कशीट मामले में सजा

अब रामपुर में होगा उपचुनाव

रामपुर सीट मुस्लिम बाहुल्य सीट है। यह सीट आजम खां का पुराना गढ़ मानी जाती है। अब इस सीट पर होने वाला उपचुनाव काफी दिलचस्प होगा। सवाल यह है कि आजम के परिवार के किसी सदस्य को सपा प्रत्याशी बनाएगी या उनके परिवार के बाहर के व्यक्ति को टिकट मिलेगा। आजम खां का बेटा अब्दुल्ला आजम बगल की स्वार सीट से विधायक है। संभव है कि सपा उनकी पत्नी व पूर्व सांसद तंजीन फातिम को उपचुनाव लड़ाए। वह पहले भी विधायक रह चुकी हैं।

तीन धाराओं में दर्ज हुआ था केस

आजम के खिलाफ तीन धाराओं में केस दर्ज हुआ था। तीनों ही मामलों में उन्हें दोषी माना गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आजम पर भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि भाषण के दौरान आजम खां ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी पर भी आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था।

आजम पर चुनाव के दौरान कई मामले हुए थे दर्ज

भड़काऊ भाषण का यह मामला वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का है। आजम खां लोकसभा का चुनाव लड़़ रहे थे। तब सपा और बसपा का गठबंधन था। आजम खां चुनाव जीत गए थे। चुनाव प्रचार के दौरान उनके खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन के कई मामले विभिन्न थानों में दर्ज हुए थे। इसमें एक मामला मिलक कोतवाली में हुआ था। इसमें उन पर आरोप है कि उन्होंने संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और तत्कालीन जिलाधिकारी के लिए अपशब्द कहे। धमकी दी और दंगा भड़काने का प्रयास किया। उनके द्वारा वर्ग विशेष से धर्म के नाम पर वोट की अपील की गई। इन आरोपों के साथ वीडियो अवलोकन टीम के प्रभारी अनिल कुमार चौहान की ओर से आजम खां के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।

Azam Khan: अब आजम के राजनीतिक किले पर BJP की नजर, विधायकी गई तो क्‍या रामपुर सदर सीट पर कर पाएगी कब्‍जा?

भड़काऊ भाषण मामले में सपा के बड़े नेता आजम खान को रामपुर की अदालत ने तीन साल जेल की सजा सुनाई है। अगर आजम खान की विधायकी गई तो उनकी रामपुर सदर सीट से उपचुनाव होगा। भाजपा की नजर आजम की इस सीट पर है पर खान के किले को ध्‍वस्‍त कर पाना इतना आसान नहीं है।

हाइलाइट्स
1-भड़काऊ भाषण मामले में आजम खान को तीन साल की मिली सजा
2-दो साल से ज्‍यादा हुई है सजा इसलिए विधायकी पर मंडरा रहा खतरा
3-भाजपा अब आजम की रामपुर सदर सीट पर कब्‍जा जमाने की सोच रही

रामपुर में भारतीय जनता पार्टी अब पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान (Azam Khan) का ‘राजनीतिक किला’ ढहाने में जुटेगी। अगर हेट स्पीच मामले में आजम की विधायकी जाने के बाद भाजपा का पूरा ‌फोकस रामपुर केंद्रीय (Rampur central Vidhansabha Seat) उपचुनाव को जीतने पर होगा। फिलहाल रामपुर जिले में सपा के पास तीन और भाजपा के पास दो विधानसभा सीटें हैं।

राजनीति के साथ परसेप्शन बदलने की लड़ाई

इस साल जून में रामपुर में हुए लोकसभा उपचुनाव की जीत से लबरेज भाजपा अब सपा का बड़ा गढ़ ध्वस्त करने की रणनीति पर काम कर रही है। रामपुर में सपा के पास मौजूद तीन सीटों में रामपुर सदर से आजम, स्वार से आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम और चमरौआ से आजम के दोस्त नसीर अहमद खां विधायक हैं। बची दो सीटों में बिलासपुर से भाजपा के बलदेव औलख और मिलक से राजबाला सिंह विधायक हैं। रामपुर में फिलहाल सपा आजम के साये तले ही बढ़ती रही है, इसलिए भाजपा की पहली कोशिश आजम के खिलाफ ‘परसेप्शन’ की लड़ाई जीतने की रही है। इसी वजह से भाजपा ने आजम पर भैंस चोरी, किताब चोरी के भी मामले दर्ज करवाए। आजम को भाजपा इससे पहले उनके बेटे के फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट के मामले में भी घेर चुकी है।

रामपुर केंद्रीय सीट पर 50 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम मतदाता

मंचों से भी भाजपा नेताओं ने यह साबित करने की कोशिश की कि आजम पर भ्रष्टाचार के कई मामले हैं और उन्होंने सपा सरकार के वक्त गरीब मुसलमानों के साथ काफी जुल्म किया। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम मतदाताओं वाली रामपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव में पार्टी को मिली जीत में मुस्लिम मतदाताओं का मन भी बदला। भाजपा इसी वजह से उत्साहित है कि अगर अपने रणनीतिक कौशल से आजम के गढ़ में सेंध लगा दी तो रामपुर में सपा ध्वस्त हो जाएगी।

आजम का मजबूत गढ़ है रामपुर विधानसभा सीट

भाजपा उत्साहित जरूर है, पर रामपुर विधानसभा सीट पर आजम को हराना आसान नहीं है। 1980 में आजम पहली बार जनता दल (सेक्युलर) के टिकट पर रामपुर सदर सीट से विधायक बने थे। तब से वह दस बार इसी सीट से विधायक चुने जा चुके हैं। इससे पहले यह सीट कांग्रेस की हुआ करती थी। 1996 में एक बार कांग्रेस ने आजम को हराया था। भाजपा लगातार कोशिश के बावजूद इस सीट पर एक बार भी जीत नहीं हासिल कर सकी है। 2017 में जब भाजपा सहयोगी दलों के साथ उत्तर प्रदेश में 325 सीटें जीती थी, तब भी रामपुर से आजम खां ही विधायक बने। 2022 में भी आजम ने 55 हजार वोटों से जीत हासिल की। दरअसल, रामपुर सीट में 55 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम हैं। हालांकि, भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि वह मुस्लिम मतदाताओं के बीच लगातार काम कर रही है। सरकार ने उन्हें सबसे ज्यादा लाभार्थी योजनाओं का फायदा भी दिया है। इससे वातावरण बदला है।

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