चौंक गए क्या? 22 साल में उत्तराखंड में मुस्लिम जनसंख्या बढ़ी 12 गुणा !!

Uttarakhand Dehradun At Time Of Formation Of Uttarakhand 1.5 Percent Of Muslim Population Has Become 18 Percent Today

उत्तराखंड गठन के समय डेढ़ प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या आज 18 प्रतिशत हो गई, तरह-तरह के आरोप, कहानी है क्या पूरी?

देहरादून के जोगीवाला में हाइवे के किनारे बनी मजार, कुछ समय पहले पुलिस ने टीन शेड वगैरह हटा दिया पर मजार नहीं हटाई गई
उत्तराखंड में तेजी से मुस्लिमों की संख्या बढ़ रही है। सरकारी जमीनों पर कब्जे और अवैध मजार बनाकर रह रहे हैं। कुछ दिन पहले सरकार ने अभियान भी चलाया था। जिसका विरोध हुआ और मुस्लिमों के समर्थन में कांग्रेस ही नहीं, कम्यूनिस्ट तथा उक्रांद नेता तक खड़े नजर आए थे।

देहरादून 21 फरवरी: उत्तराखंड में बढ़ती मुस्लिम आबादी, लव जिहाद और लैंड जिहाद ने भले ही हिन्दूवादी संगठनों के माथे पर बल डाल दिए हों, लेकिन शासन-प्रशासन तो जैसे चादर तानकर कर सो रहा है। प्रदेश के सीमांत जनपदों, नदी के किनारे, रेलवे जमीनों पर मुस्लिम समुदाय ने कब्जा कर अपनी पूरी बस्तियां बसा ली है। पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन करने वाले लोग शहरों में बस रहे हैं तो मुस्लिम समुदाय के लोग पहाड़ों में जाकर घर, खेत और बाजार कब्जा रहे हैं। कब्जे को मजार बना दी जाती  है और फिर उसके चारों तरफ सरकारी जमीन घेरने की शुरुआत हो जाती है। स्थितियां बिगड़ रही हैं, लेकिन सरकार कुछ समय जोर-शोर से अभियान चलाने का दावा कर शांत बैठ गई है, जबकि सरकारी जमीनों पर सबसे ज्यादा कब्जे हैं।

मुख्य क्षेत्र जहां सरकारी जमीन पर कब्जा

उत्तराखंड में हालत नहीं सुधर रहे हैं। विशेषकर हिमाचल प्रदेश से लगते जनपद देहरादून के विकासनगर, हरबर्टपुर (पछुवादून क्षेत्र) में मुस्लिम जनसंख्या सबसे ज्यादा बढ़  है। स्थितियां यह है कि मुस्लिम  लोगों ने सरकारी जमीनों पर भी कब्जा कर रखा है, लेकिन इन्हें इन जमीनों से हटाने की हिम्मत शासन-प्रशासन में नहीं है, क्योंकि इन लोगों को सफेदपोश नेताओं का वरदहस्त प्राप्त है। धामी सरकार ने जांच करवाई तो सच सामने आ गया, लेकिन कार्रवाई के नाम पर वही ढाक के तीन पात सिद्ध हुआ है क्योंकि तंत्र अभी भी कांग्रेसी ही है।

ये भी क्षेत्र होते हैं प्रभावित

पछुवादून में विगत 15-16 वर्षों में मुस्लिम जनसंख्या बढ़ी है। विशेषकर आसन बैराज के आसपास यह जनसंख्या अधिसंख्य है, जबकि कुछ ईसाई परिवार भी यहां पर एक एजेंडे में बसे हैं। देहरादून से पछुवादून की ओर जाते समय सहसपुर से मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र शुरू हो जाता है जो हिमाचल प्रदेश की सीमा तक फैला हुआ है। सहसपुर विधानसभा क्षेत्र के रामपुर, खुशहालपुर, ढकरानी, शंकरपुर, जमनपुर, सेलाकुई सहित अन्य क्षेत्रों में मुस्लिम समुदाय के लोग अवैध कब्जे कर बसे हुए हैं।

बेटियों से अनहोनी की आशंका से छोड़कर जा रहे हिंदू

ये लोग एक के बाद एक अपने संबंधियों को बुलाकर आसपास कब्जा कर लेते हैं और वहां ऐसे हालत पैदा कर देते हैं कि हिन्दू परिवारों को अपना घर-बार छोड़कर जाना पड़ता है। जमीन, जायदाद घर छोड़ कर जाने वाले हिन्दू परिवारों के बच्चों का भविष्य अंधकारमय है तो लड़कियों के साथ अनहोनी का डर इन क्षेत्रों में बसे हिन्दू परिवारों के मन में हमेशा ही रहता है। हालत यह है कि कांग्रेस के एक मुख्यमंत्री ने मुस्लिम जनसंख्या को खुश करने को मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने तक की घोषणा कर दी थी।

तय होता है क्या करना है

सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के दो मुख्यमंत्रियों विजय बहुगुणा और हरीश रावत के कार्यकाल में इन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा मुस्लिम परिवार बसाए गए। मजार और मस्जिदों की भरमार हो गई और इस जनसमुदाय के युवाओं को मस्जिदों से लक्ष्य तय कर बताया जाता है कि उन्हें किस प्रकार से काम करना है। मस्जिदों में गजवा ए हिंद जमात से जुड़े युवाओं को वरीयता दी जाती है और उनकी रिपोर्ट देवबंद, दिल्ली, लखनऊ भेजी जाती है। हिंदू परिवारों को डराने, धमकाने के एजेंडे में इन क्षेत्रों से जोरशोर से काम हो रहा है।

मुस्लिमों के पक्ष में खड़े दिखे कांग्रेस और कम्यूनिस्ट नेता

कांग्रेस द्वारा मुस्लिम समुदाय को अवैध कब्जों के लिए बढ़ावा देने का सबसे बढ़ा उदाहरण उत्तराखंड के हल्द्वानी बनभूलपुरा, गफूर बस्ती का है। जहां अतिक्रमण हटाने का समय आया तो कांग्रेस के विधायक से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री तक उनके पक्ष में खड़े हो गए और सुप्रीम कोर्ट चले गए। यहां तक कि रेलवे की जमीन को भी मुस्लिम समुदाय की जमीन बताने में कसर नहीं छोड़ी।

फिर से बन गईं मजारें

वहीं, जंगलों, सड़क के किनारों पर मजार बनाकर कब्जे करने का खेल भी जोरशोर से चल रहा है। इसके खिलाफ हिंदू संगठनों ने खुद ही कार्रवाई की घोषणा की । हिन्दू संगठनों के तेवर देख सरकार ने उन्हें शांत करा कर जांच करवाने की बात कही। जांच हुई तो सच सामने आ गया। सरकार ने अवैध कब्जे कर बनाई गई मजारें हटवाई, लेकिन अब भी कई स्थानों पर मजारें यथावत हैं या फिर जहां तोड़ी गईं, वहां फिर से बना दी गई।

दून अस्पताल के बाहर बनी मजार

दून अस्पताल के सामने बना दी मजार, बना लव जिहाद का अड्डा

देहरादून में ही सबसे बड़े दून अस्पताल के गेट के साथ ही बड़ी जगह घेर कर मजार बनाई गई है। जहां तीमारदार अपने मरीजों की जल्द स्वस्थ होने की दुआ मांगते हैं और चादर चढ़ाते हैं तो यहां समीप ही स्थित गर्ल्स इंटर और पीजी कॉलेज की छात्राओं का जमावड़ा भी लगा रहता है जो फर्स्ट डिवीजन और गोल्ड मैडल को चादर चढ़ती  है। इस तरह से यहां से लव जिहाद, काले धागे बांधने के नाम पर टोने-टोटके करने का सिलसिला जोरदार तरीके से चल रहा है, लेकिन अपनी नाक के नीचे चल रहे इस खेल को खत्म करने की हिम्मत प्रशासन नहीं जुटा रहा है, जबकि यहां से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर एसएसपी ऑफिस, आईजी ऑफिस, कचहरी परिसर, जिलाधिकारी कार्यालय है, लेकिन धर्म की आड़ में चल रहे लव जिहाद और लैंड जिहाद को रोकने की कोशिश तक नहीं की जा रही है। एक समय यहां से गायब एम एससी की छात्रा हरियाणा में मिली थी।

फेरी लगाने वाले हिंदू लड़कियों के साथ कर रहे लव जिहाद

इसी तरह से लालतप्पड़, पौड़ी गढ़वाल, यमकेश्वर ब्लॉक में भी मुस्लिम जनसंख्या बढ़ती जा रही है। पर्वतीय क्षेत्रों से लोग शिक्षा और रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। गांव के गांव खाली हो रहे हैं तो मुस्लिम समुदाय के लोग वहां जाकर मजार, मस्जिद बना जमीनें कब्जा रहे हैं। जहां जनसंख्या है, वहां फेरीवाले  लड़कियों को लव जिहाद के जाल में फंसा रहे हैं। कुछ दिन पहले भी  किशोरी भगाने को दो मुस्लिम युवक गांव पहुंच गए थे, लेकिन गांववालों की सतर्कता से बच्ची बचा ली गई।

अचानक से बढ़ गई मुस्लिम जनसंख्या

हिन्दू रक्षा कार्यकर्ता स्वामी दर्शन भारती के अनुसार विकासनगर में अभी लगभग 32 हजार मुस्लिम वोटर हैं। ये तेजी से बढ़ी संख्या दूसरे प्रदेशों से आई है। इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल के साथ रोहिंग्या मुस्लिम तक भी शामिल हैं। हालात ये हैं कि उत्तराखंड के कुछ शहरों में तो बंगाली कॉलोनियां बस चुकी हैं जहां कम से कम 50 हजार बंगाली मुस्लिम रहते हैं। उत्तरकाशी में भी लगभग 5 हजार मुस्लिम वोटर हैं, जबकि कभी वहां 150 वोटर भी नहीं थे।

कहीं बदरीनाथ संकट में न आ जाए

उन्होंने बताया कि बदरीनाथ में बड़ी संख्या में मुस्लिम बस गए थे। बड़ी मुश्किल से उन्हें वहां से हटाया गया । वहां भी हालात यह हो गए थे कि मुस्लिम समाज ने बद्रीनाथ मंदिर पर अपना दावा कर दिया था और मंदिर कमेटी से अपने लिए जगह मांगी थी। बदरीनाथ को लेकर मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने दावा किया था कि यह सैंकड़ों साल पहले बदरीनाथ को बदरुद्दीन शाह के नाम से जाना जाता था। मुसलमानों ने पवित्र ताल में हाथ पांव और बर्तन धोने शुरू किये तो भी हंगामा हुआ था। अब वहां एक बार फिर से मुस्लिमों ने पैठ बनानी शुरू कर दी है, क्योंकि वहां पर देखने वाला कोई नहीं  है।

तेजी से बढ़ रही मुस्लिम जनसंख्या

स्वामी दर्शन भारती का कहना है कि नवंबर 2000 में जब उत्तराखंड राज्य गठन के समय मुस्लिम आबादी केवल डेढ़ प्रतिशत थी। 2011 की जनगणना में यह बढ़कर  14 प्रतिशत हो गई और अब यह 18 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यही स्थिति रही तो पांच-10  वर्षों में उत्तराखंड मुस्लिम बाहुल्य होगा।  इस कारण आज मानव तस्करी में उत्तराखंड सबसे आगे है। हम यहां मुस्लिम तुष्टिकरण नहीं होने देंगे। यह धर्म का उद्गम स्थल है और हम इसके चौकीदार, लेकिन अभी चौकीदार थोड़ा कमजोर पड़ गए हैं, जिसका फायदा मुस्लिम उठा रहे हैं। हम अपना अभियान एक बार फिर जोरशोर से शुरू करेंगे।

देहरादून में भारतीय वन सर्वेक्षण (एफआरआई) के परिसर में बनी मजार। यहां पर बाउंड्री के कुछ हिस्से को भी हरे रंग में रंग दिया गया है।

हिन्दू युवा वाहिनी से जुड़ी राधा सेमवाल धोनी ने मजारों के खिलाफ जोरदार अभियान छेड़ा हुआ है। वे जगह-जगह जंगल की जमीनों पर मजार बनाकर अवैध कब्जे उजागर रही हैं। जिससे उनको कई बार धमकियां भी मिल चुकी हैं। राधा सेमवाल लव जिहाद और लैंड जिहाद के खिलाफ सक्रिय हैं। वे कहती हैं कि किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहती हैं, लेकिन अवैध कब्जे कर मजार बनाना हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। उत्तराखंड को मजार मुक्त करना ही उनका लक्ष्य है।

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