आगरा जामा मस्जिद में तिरंगा फहराने, राष्ट्रगान पर रार

आगरा की जामा मस्जिद में झंडा फहराने और राष्ट्रगान पर विवाद, शहर मुफ्ती ने किया विरोध, धमकी का आरोप

आगरा।16 अगस्त।स्वतंत्रता दिवस पर आगरा की शाही जामा मस्जिद में तिरंगा फहराये जाने पर राजनीतिक हलचल  पैदा हो गई है। शहर मुफ्ती और लोकल इस्लामियां कमेटी आमने-सामने आ गए हैं। सोशल मीडिया पर शहर मुफ्ती अब्दुल खूबेब रूमी का एक ऑडियो वायरल हो रहा है। जिसमें वह कह रहे हैं कि ये गुनाह ए कबीरा है। जामा मस्जिद पर जन-गण-मन हुआ है, वो गलत है। जामा मस्जिद धार्मिक स्थल है। इसमें गैर मजहबी काम नहीं होने चाहिए। वहीं, मसजिद में झंडारोहण करने वाले उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी ने मुफ्ती के बयान को गैर जिम्मेदाराना बताया है।

15 अगस्त को शाही जामा मस्जिद स्थित मदरसा-ए-औलिया पर झंडारोहण और राष्ट्रगान का कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम में राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी मुख्य अतिथि थे। झंडारोहण और राष्ट्रगान के बाद जामा मस्जिद में हिन्दुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए। कार्यक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसके बाद सोशल मीडिया पर शहर मुफ्ती अब्दुल खूबेब रूमी का ऑडियो वायरल हुआ।

उनकी लोकल इंतजामियां कमेटी के अध्यक्ष हाजी असलम कुरैशी से बातचीत हो रही थी। असलम का कहना है कि मस्जिद में मदरसा है। वहां तैनात शिक्षकों और कर्मचारियों को सरकार से वेतन मिलता है। झंडारोहण के कार्यक्रम का वीडियो अपलोड करना पड़ता है। हर साल कार्यक्रम होता है। इस बार कार्यक्रम में राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी आए थे। शहर मुफ्ती कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं। उन्हें फोन पर धमका रहे हैं। उनका बेटा भी भला बुरा बोल रहा है। वह कभी वैक्सीन का विरोध करते हैं तो अब तिरंगा फहराने का भी विरोध करने लगे। मुफ्ती का बेटा अब्दुल मदरसे में मुलाजिम है, उसने ही विवाद खड़ा करवाया। मगर वह किसी धमकी से डरने वाले नहीं है। जामा मस्जिद में हिन्दुस्तान का झंडा नहीं फहराया जाएगा तो क्या पाकिस्तान का झंडा फहराया जाएगा। उन्होंने शहर मुफ्ती को पदमुक्त करके उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

ऑडियो में यह बोला गया

सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो में मस्जिद इंतजामिया कमेटी के चेयरमैन असलम कुरैशी से शहर मुफ्ती कह रहे हैं कि जामा मस्जिद को खराब मत कीजिए। वहां जो जन-मन गण का गायन हुआ है, वह हराम है। आप इस तरह अल्लाह ताला के कहर को दावत न दीजिए। डरिये अल्लाह से, अल्लाह की पकड़ बहुत मजबूत है।

शहर मुफ्ती अब्दुल खुबैब रूमी का कहना है कि मस्जिद परिसर में संचालित मदरसे के मैदान में हर बार आयोजन होता था। इस बार कार्यक्रम मस्जिद परिसर में किया गया। जबकि इसके लिए एक दिन पहले ही असलम कुरैशी को आगाह किया था कि कोई गैर मजहबी काम मस्जिद में नहीं होना चाहिए। असलम कुरैशी ने मस्जिद को सियासत का मैदान बना दिया। पूर्व में एक व्यक्ति ने जामा मस्जिद में दहेज के खिलाफ जलसे की अनुमति मांगी थी। असलम कुरैशी ने यह कहकर अनुमति नहीं दी थी कि यह खुदा का घर है। यहां ऐसे कार्यक्रम नहीं हो सकते। मैंने राष्ट्रगान और झंडे का कोई अपमान नहीं किया है।

राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी का कहना है कि देश को आजादी हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों के लोगों के बलिदान के बाद मिली थी। स्वतंत्रता दिवस कोई धार्मिक पर्व नहीं है। यह राष्ट्रीय पर्व है। शहर मुफ्ती के सोशल मीडिया पर वायरल बयान की निंदा करते हैं। मुफ्ती को बयान वापस लेना चाहिए। देश से माफी मांगनी चाहिए। उन्हें लगता है कि धर्म की गद्दी पर बैठकर शहर मुफ्ती सियासत की बात कर रहे हैं। यह बयान किसी राजनीतिक पार्टी के नेता के कहने पर उन्होंने दिया है। शहर मुफ्ती से पूछना चाहते हैं कि हिन्दुस्तान का झंडा फहराना कब से अपराध हो गया।

हर साल होता है कार्यक्रम

जामा मस्जिद के चेयरमैन हाजी असलम कुरैशी का कहना है कि जामा मस्जिद स्थित मदरसे में पहली बार ध्वजारोहण और राष्ट्रगान का आयोजन नहीं हुआ। यह आयोजन हर साल होता है। इस बार इस कार्यक्रम को बेवजह कुछ लोग विवादित बनाने का प्रयास कर रहे हैं। वह किसी से डरते नहीं हैं। जामा मस्जिद में जो कार्यक्रम पहले से होता आया है उसे लगातार जारी रखेंगे। किसी की धमकी से वह डरने वाले नहीं हैं।न्स्ब्क्न्स्न्स्ज्ञा्

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