सीबीआई-ईडी बाद नितीश के’झटके’ से आरजेडी के बयानवीर हुए सीधे

एक पल में RJD के बयानवीर लाइन पर, सीबीआई-ईडी के बाद नीतीश का ‘झटका स्पेशल’

हाइलाइट्स
1-नीतीश कुमार के एक झटके में सीधे हो गए RJD के बयानवीर
2-सीबीआई-ईडी के बाद नीतीश का ‘झटका स्पेशल’
3-चंद्रशेखर यूं ही नीतीश को नहीं करने लगे प्रणाम
4-क्या सुधाकर की तरह चंद्रशेखर को गद्दी जाने का भय

ओमप्रकाश अश्क

पटना 30 मार्च : ऐसा लग रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक झटके में आरजेडी को आसमान से जमीन पर ला दिया। आरजेडी के बड़बोले नेताओं के कारण नीतीश असहज महसूस करने लगे थे। सबसे अधिक टेंशन आरजेडी कोटे से शिक्षा मंत्री बने चंद्रशेखर नीतीश को दे रहे थे। रामचरित मानस को नफरती ग्रंथ बताने में चंद्रशेखर को अपनी पार्टी की शह मिली हुई थी। नीतीश ने इस तरह के बयान को चंद्रशेखर को टोका भी था। आश्चर्य यह कि नीतीश की नाराजगी के बावजूद आरजेडी का चंद्रशेखर को समर्थन मिलता रहा । मना करने पर भी वे लगातार अपना बयान जहां-तहां दोहराते रहे। बुधवार को तब आश्चर्य हुआ, जब राजभवन में पटना हाईकोर्ट के नये न्यायाधीश के शपथ ग्रहण समारोह में चंद्रशेखर को नीतीश कुमार का पांव छूते देखा गया। ये वही चंद्रशेखर हैं, जिन्हें नीतीश कुमार ने कैबिनेट बैठक के दौरान रामचरित मानस पर बयान देने पर टोका तो उन्होंने पलट कर जवाब दिया था कि वे अपने स्टैंड पर कायम हैं और आगे भी यही कहेंगें।

क्यों आया है आरजेडी के रुख में परिवर्तन?

आरजेडी के रुख में अचानक परिवर्तन क्यों और कैसे आया है, इसका अनुमान सबको है। दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चैती छठ के अवसर पर खरना का प्रसाद ग्रहण करने भाजपा एमएलसी राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय मयूख के घर अपने कई मंत्रियों के साथ गये थे। तभी से नीतीश के मिजाज में बदलाव की अटकलें लगने लगी थीं। माना जा रहा था कि आरजेडी के बड़बोले नेताओं-मंत्रियों से नीतीश कुमार तंग आ चुके हैं। अपने स्वभाव के मुताबिक फिर पाला बदल की तैयारी में हैं। वैसे भी अब तक नीतीश के बारे में लोगों का यही आकलन है कि वे सहयोगी दलों के दबाव में कभी नहीं रहते। जब भी सरकार में सहयोगी दल उन पर दबाव बनाते हैं तो वे साथी बदल लेते हैं।

किसी का दबाव सहन नहीं करते नीतीश

नीतीश कुमार सरकार में किसी दल का सहयोग भले लेने में संकोच नहीं करते हों, लेकिन वे उस दल के दबाव में रहना भी नहीं चाहते। मर्जी के खिलाफ कोई भी काम उन्हें पसंद नहीं। इसका संकेत आरजेडी के साथ सरकार बनाते वक्त ही उन्होंने दे दिया था, लेकिन आरजेडी इसे समझ नहीं पाया। सुधाकर सिंह और कार्तिकेय सिंह पर दागी होने के आरोप लगे तो उन्हें नीतीश के दबाव में ही  इस्तीफा भी देना पड़ा था। इससे खफा सुधाकर सिंह नीतीश को अपना शत्रु ही समझ लगातार उन पर हमलावर रहे हैं। आरजेडी ने अपने ऐसे नेताओं-मंत्रियों को रोका-टोका तक नहीं, उल्टे उन्हें घोषित-अघोषित तौर पर शह ही दी। नीतीश इससे नाराज़ थे।

तेजस्वी भी अब नीतीश के सामने पस्त?

दरअसल सीबीआई-ईडी का तेजस्वी यादव और उनके परिवार पर कसता शिकंजा पीछे हटने का कारण बना है। रेलवे में नौकरी के लिए जमीन मामले में लालू यादव के परिवार के चार सदस्य उलझे हैं। लालू की जमानत के खिलाफ सीबीआई सुप्रीम कोर्ट गयी है। ऐसे में तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नीतीश को नाराज करना नहीं चाहते। अगर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने नीतीश कुमार के अचानक और पहली बार पांव छुए तो इसका सीधा अर्थ यही निकलता है कि आरजेडी ने अपने लोगों को नीतीश की मर्जी के खिलाफ कुछ भी बोलने या करने से मना किया है। चंद्रशेखर के मन में भी संभवतः भय बैठ गया है कि नीतीश को नाराज कर उनकी कुर्सी बचनी मुश्किल है। नीतीश की नाराजगी के कारण पहले दो मंत्रियों की छुट्टी हो चुकी है।

चंद्रशेखर से नाराज होते रहे हैं नीतीश

शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से नीतीश की नाराजगी सबसे पहले रामचरित मानस पर दिये बयान से हुई थी। दूसरी वजह बनी शिक्षक नियुक्ति नियमावली प्रस्ताव कैबिनेट में पास होने के पहले ही चंद्रशेखर ने लीक कर दिया था। नीतीश इतने नाराज़ हुए कि प्रस्ताव कैबिनेट में विचार को रखा ही नहीं गया। बाद में नीतीश ने विधानसभा में उन्हें समझाया भी था कि कैबिनेट से पास हुए बगैर किसी प्रस्ताव के बारे में सार्वजनिक तौर पर बयान नहीं दिया जाता।

अब सुधाकर सिंह की बारी आ सकती है

आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह ने नीतीश के बारे में अशालीन शब्दों के साथ पहली बार बयान दिया था तो नीतीश ने इसे आरजेडी के पाले में डाल कहा था कि उनके खिलाफ उनकी ही पार्टी एक्शन लेगी। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी सुधाकर का बयान पार्टी और महागठबंधन के खिलाफ माना था। तेजस्वी ने तो यहां तक कह दिया था कि इस तरह के बयान से सुधाकर भाजपा की मदद कर रहे हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। आला कमान लालू यादव के संज्ञान में सारी बाते हैं। उन दिनों लालू किडनी के इलाज को सिंगापुर में थे। बाद में सुधाकर को पार्टी ने शो कॉज तो जारी किया, लेकिन उसके आगे कार्रवाई नहीं हुई। सुधाकर का भी नीतीश के विरोध में बोलना जारी रहा। इस बीच दो और मंत्रियों के विवादास्पद बयानों ने नीतीश की टेंशन बढ़ा दी। मंत्री सुरेंद्र यादव ने सेना पर विवादित बयान दिया तो सवर्णो को लेकर आलोक मेहता भी टेढ़ा बोल गये। नीतीश की पार्टी जेडीयू ने दोनों पर आपत्ति जतायी, लेकिन आरजेडी नेतृत्व खामोश रहा। इधर नीतीश पर गद्दी छोड़ने और तेजस्वी को उस पर बिठाने का दबाव भी बढ़ने लगा।

नीतीश ने दिया जोर का झटका

नीतीश कुमार ने भाजपा नेता के घर जाकर दरअसल आरजेडी को झटका दिया। तब से आरजेडी नेताओं के होश ठिकाने आते दिखने लगे हैं। तेजस्वी यादव ने तो विधानसभा में नीतीश की तारीफ के पुल ही बांध दिये थे। उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनना है। नीतीश के नेतृत्व में उपमुख्यमंत्री बन कर ही वह काम करना चाहते हैं। उसके बाद अब चंद्रशेखर का नीतीश का पांव छूकर आशीर्वाद लेना साबित करता है कि आरजेडी फिलहाल नीतीश से पंगा नहीं लेगा।

Tags:Bihar Patna Nitish Kumar And Chandrashekhar Pranam Meaning In Bihar Politics

Bjp Leader Nikhil Anand Targets Bihar Education Minister Chandrashekhar
गजब बेइज्जती है! शिक्षा मंत्री के ‘चरण वंदना’पर चरम पर राजनीति, भाजपा बोली- चापलूसी चेहरे से दिखती है

भाजपा  नेता निखिल आनंद ने बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के ‘चरण वंदना’ को लेकर हमला बोला है कि कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश से बहस करने वाला दांतनिपोर शिक्षा मंत्री चरण वंदना में झुक गया।
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की ‘चरण वंदना’ पर राजनीति तेज है। भाजपा इसे लेकर तेजस्वी यादव के साथ-साथ शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को भी घेर रही है। बिहार भाजपा नेता निखिल आनंद ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर पर जोरदार हमला बोला है। भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री निखिल आनंद ने कहा कि कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री  को जवाब देने वाला दांतनिपोर शिक्षामंत्री बिलबिलाता-पिलपिलाता, चरण वंदना में झुक गया।

बुधवार को राजभवन में पटना हाईकोर्ट के नव नियुक्त चीफ जस्टिस का शपथ ग्रहण समारोह था। समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई मंत्री मौजूद थे। समारोह में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पैर छुए। इसके बाद बिहार भाजपा  नेता निखिल आनंद ने ट्वीट कर कहा कि बिहार के शिक्षामंत्री को ‘भाट-चारण’ नहीं कहूंगा। ये जातियों के नाम हैं, पूरा समाज अपमानित होगा। कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री को जवाब देने वाला दांतनिपोर शिक्षामंत्री बिलबिलाता-पिलपिलाता, चरण वंदना में झुक गया। शिक्षामंत्री जी! हिम्मत है तो रामचरितमानस के बयान को मुख्यमंत्री समक्ष दोहराएं।

 

 

दूसरे ट्वीट में निखिल आनंद ने कहा कि बिहार का शिक्षा मंत्री मुख्यमंत्री का सम्मान से पैर छुए या चरण वंदना में दंडवत करें, किसी को क्या फर्क पड़ता है! भय, प्रीत, चालाकी, चापलूसी चेहरे से दिखती है! दबाव में सरेंडर करके संस्कार का ज्ञान मत दीजिए। रामचरितमानस और श्रीराम के अपमान में भी संस्कार दिखता है क्या?

 

एक अन्य में ट्वीट में निखिल आनंद ने कहा कि थोथी दलील मत दो भाई कि 61 साल के शिक्षामंत्री की 72 साल के मुख्यमंत्री के लिए सम्मान है! निखिल आनंद ने सवाल किया कि जिस दिन मंत्री पद की शपथ ली थी उस दिन मुख्यमंत्री का पैर छूकर आशीर्वाद लिया था? कैबिनेट की पहली बैठक में गए थे, मुख्यमंत्री का पैर छूकर आशीर्वाद लिया था? कैबिनेट में अभद्रता के लिए मुख्यमंत्री का पैर छूकर माफी मांगी थी?

 

शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस पर दिया था विवादित बयान

दरअसल, पिछले कुछ दिनों से सरकारी कार्यक्रम हो या निजी, बिहार के शिक्षा मंत्री हिन्दू धर्म और धर्म ग्रंथों को लगातार कोस विवादित बयान दे रहे है। ऐसे में बुधवार को जब चंद्रशेखर सार्वजनिक तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश के पैर छुए तो  लोग हैरान रह गए। इससे पहले कभी भी शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर को नीतीश कुमार को सार्वजनिक तौर पर पैर छूते नहीं देखा गया था। हालांकि ये खबर जरूर आयी थी कि रामचरित मानस विवाद को लेकर कैबिनेट की बैठक में वे नीतीश कुमार से बहस करने लगे थे।

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