कोरोना: 40+ देश जुटे भारत की मदद को

कोरोना महामारी: भारत की मदद में कैसे जुटी है दुनिया
30 अप्रैल को अमेरिका से भारत पहुंची मदद की खेप

भारत में तेज़ी से बढ़ते कोरोना संक्रमण और हर दिन बढ़ती मौतों से फैली घबराहट के बीच दुनिया के कई देश मदद के लिए आगे आए हैं.

भारत में इस समय कोरोना संक्रमण के लगभग पौने 32 लाख ज्ञात मामले हैं और दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. पिछले 24 घंटों में तक़रीबन साढ़े तीन हज़ार लोगों की इस संक्रमण की वजह से मृत्यु हुई है.

भारत, जो कुछ महीने पहले तक ‘वैक्सीन मैत्री’ के ज़रिए कई देशों को कोरोना का टीका भेज रहा था, वही आज कोरोना की दूसरी लहर की मार झेल रहा है.

भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के अनुसार 40 से अधिक देश भारत को सहायता देने के लिए आगे आए हैं.
श्रृंगला के अनुसार दो हज़ार ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स और 500 ऑक्सीजन सिलेंडर सहित ऑक्सीजन बनाने वाले उपकरणों की एक बहुत बड़ी खेप अमेरिका से आ रही है जिसकी दो करोड़ 80 लाख लीटर ऑक्सीजन बनाने की क्षमता है.

वो कहते हैं कि सिर्फ़ विकसित देश ही नहीं बल्कि मॉरिशस, बांग्लादेश और भूटान जैसे पड़ोसी भी जो भी संभव हो सकता था, वो सहायता देने के लिए आगे आए हैं.

उनके अनुसार भारत को खाड़ी के देश, यूएई, बहरीन, कतर, सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और भौगोलिक रूप से दूर गुयाना जैसे देशों से सहायता आ रही है, इसके अलावा यूरोप के देशों ने भी मदद भेजने का वादा किया है
विदेश सचिव के अनुसार दुनिया भर से विभिन्न स्रोतों से 550 ऑक्सीजन पैदा करने वाले संयंत्र भारत में आने वाले हैं.

उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ संयंत्र ख़रीदे जा रहे हैं जबकि कुछ कॉर्पोरेट्स, सरकारों, निजी व्यक्तियों और सामुदायिक संगठनों की ओर से दिए जा रहे हैं.

उन्होंने कहा है कि भारत को चार हज़ार ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स, 10 हज़ार ऑक्सीजन सिलेंडर और 17 ऑक्सीजन क्रायोजेनिक टैंकर मिल रहे हैं, जिनमें से कुछ पहले ही थाईलैंड और सिंगापुर जैसे देशों से भारतीय वायु सेना ला चुकी है.

भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, अमेरिकी दवा बनाने वाली कंपनी गिलियड साइंसेज़ ने भारत को रेमडेसिविर दवा की साढ़े चार लाख खुराक देने की पेशकश की है. भारत में इस समय रेमडेसिविर की काफ़ी माँग है और किल्लत महसूस की जा रही है.

इसके अलावा, रूस, यूएई और कुछ अन्य देशों ने फैवीपिराविर दवा की तीन लाख खुराक की पेशकश की है. जर्मनी और स्विटजरलैंड भारत को टोसीलिज़ुमाब दवा भेज रहे हैं.

कहाँ से क्या आ रहा है?

1100 ऑक्सीजन सिलेंडरों की शुरुआती डिलीवरी आ रही है और स्थानीय सप्लाई केंद्रों पर बार-बार रिफिल की जा सकती है. अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों ने भी स्थानीय रूप से ऑक्सीजन सिलेंडर ख़रीदे हैं जिन्हें भारत भेजा जा रहा है.
1700 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स जो वातावरण से ऑक्सीजन लेकर उपचार के लिए मुहैया कराते हैं.
ऑक्सीजन जेनरेशन यूनिट्स
डेढ़ करोड़ एन-95 मास्क
एस्ट्राज़ेनेका वैक्सीन बनाने के लिए कच्चा माल भारत को भेजने का निर्णय लिया है.
रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी): दस लाख रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्टिंग किट भारत को भेजे जा रहे हैं. यह टेस्ट 15 मिनट से कम समय में विश्वसनीय परिणाम देते हैं.
एंटीवायरल ड्रग रेमेडेसिविर की 20 हज़ार खुराकों की पहली किश्त में भेजी जा रही है.

ब्रिटेन

शुरुआत में कुल 495 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स, 120 नॉन-इनवेसिव वेंटिलेटर और 20 मैनुअल वेंटिलेटर सहित आपूर्ति के नौ एयरलाइन कंटेनर लोड भेजे जा रहे हैं.
आने वाले दिनों में ऑक्सीजन बनाने की तीन इकाइयां उत्तरी आयरलैंड से भारत भेजी जाएँगी. ये ऑक्सीजन इकाइयाँ प्रति मिनट 500 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन करने में सक्षम हैं और एक समय पर 50 लोगों के उपयोग के लिए पर्याप्त हैं.
ब्रितानी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि, “हम एक मित्र और भागीदार के रूप में भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं. सैकड़ों ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स और वेंटिलेटर सहित महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरण अब ब्रिटेन से भारत भेजा जा रहा है जिससे इस भयानक वायरस से लोगों का जीवन बचाया जा सके.”

फ्रांस

फ्रांस ने भारत की ओर मदद का हाथ बढ़ाया है. एक फेसबुक पोस्ट में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि फ्रांस भारत को मेडिकल उपकरण, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन और आठ ऑक्सीजन जेनरेटर भेजेगा.

उन्होंने कहा कि हर जेनरेटर वातावरण की हवा से ऑक्सीजन का उत्पादन करके एक अस्पताल को 10 साल तक के लिए आत्मनिर्भर बना सकता है.

मैक्रों ने यह भी कहा कि, “हम जिस महामारी से गुज़र रहे हैं, कोई इससे अछूता नहीं है. हम जानते हैं कि भारत एक मुश्किल दौर से गुज़र रहा है. फ्रांस और भारत हमेशा एकजुट रहे हैं.”

उन्होंने यह भी कहा कि उनके मंत्रालयों के विभाग कड़ी मेहनत कर रहे हैं और फ्रांसीसी कंपनियां भी मदद पहुँचाने के लिए लामबंद हो रही हैं.

रूस

भारत में रूस के राजदूत निकोले कुदाशेव के अनुसार, रूस से दो तत्काल उड़ानें भारत में 20 टन के भार का मेडिकल कार्गो लेकर आ चुकी हैं.

इस सामान में ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर, वेंटिलेशन उपकरण, बेडसाइड मॉनिटर, कोरोनाविर सहित अन्य दवाएं और अन्य ज़रूरी मेडिकल सामान है.

ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया 509 वेंटिलेटर, दस लाख सर्जिकल मास्क, पाँच लाख पी-2 और एन-95 मास्क, एक लाख सर्जिकल गाउन, एक लाख गॉगल्स, एक लाख जोड़े दस्ताने और 20 हज़ार फेस शील्ड भारत भेज रहा है.

ऑस्ट्रेलिया 100 ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर्स भी जुटाकर भारत भेजेगा.

मदद के जवाब में मदद?

विदेश मंत्रालय का कहना है कि इनमें से कई देशों ने अपने दम पर सहायता की पेशकश की है, जबकि कई अन्य देशों ने कोविड संकट की पहली लहर के दौरान भारत से मिली सहायता के मद्देनज़र अपनी ओर से मदद भेज रहे हैं.

विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा है, “मुझे लगता है कि इस संबंध में हमारे अपने प्रयासों के लिए एक निश्चित सराहना है. और मुझे लगता है कि अगर आज कई देश हमारे प्रयासों का समर्थन करने के लिए इतने सहज रूप से आगे आ रहे हैं, तो यह हमारे अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोग और वैश्विक सद्भावना का हिस्सा भी है.”

उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर जो सद्भावना भारत ने बनाई है, उस वजह से आज भारत एक अच्छी स्थिति में है. उन्होंने कहा कि 40 से अधिक देश भारत को मदद कर रहे हैं यह एक बहुत बड़ा संदेश है।

मदद के लिए दिल बड़ा होना चाहिए जनाब,देश नहीं.. .भारत के ‘दोस्त’मारिशस ने भेजे 200 ऑक्सिजन कंसंट्रेटर्स

कोरोना संकट से जूझ रहे भारत की मदद करने के लिए दुनियाभर के कई देशों ने हाथ बढ़ाया है। लेकिन, इन सबके बीच एक देश ऐसा भी है, जिसने अपनी दरियादिली से कई महाशक्तिशाली देशों को आईना दिखाने का काम किया है।
कोरोना संकट से जूझ रहे भारत की मदद करने के लिए दुनियाभर के कई देशों ने हाथ बढ़ाया है। लेकिन, इन सबके बीच एक देश ऐसा भी है, जिसने अपनी दरियादिली से कई महाशक्तिशाली देशों को आईना दिखाने का काम किया है। भारत ने भी कई बार इस देश को आर्थिक और सामान देकर मदद की है। हाल में ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस देश में भारत की मदद से बने मेट्रो सर्विस का उद्धाटन किया था।

भारत को छोटे से दोस्त देश ने भेजा गिफ्ट,भारत को गिफ्ट किए 200 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स

जी हां, इस देश का नाम मॉरीशस है, जिसने संकट के समय भारत को 200 ऑक्सिजन कंसंट्रेटर्स उपहार स्वरूप भेजे हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी इस बहुमूल्य उपहार के लिए मॉरीशस की सरकार को धन्यवाद भेजा है। मॉरीशस के साथ भारत की दोस्ती इसलिए भी खास है, क्योंकि इस देश पर चीन ने भी काफी दबाव बनाया हुआ है। उसके बावजूद इस देश ने भारत के साथ अपने संबंधों को पहली प्राथमिकता दी है।

रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है मॉरीशस

मॉरीशस हिंद महासागर के रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र में स्थित है। इस इलाके से होकर हर साल खरबों डॉलर का व्यापार होता है। अफ्रीकी महाद्वीप के नजदीक होने से इस देश से हिंद महासागर के बड़े इलाके पर नजर रखी जा सकती है। इस देश के पास ही रेयूनियों द्वीप है, जिसपर फ्रांस का कब्जा है। फ्रांस ने इस द्वीप पर बड़ा मिलिट्री बेस बनाकर रखा हुआ है। मॉरीशस के उत्तर-पूर्व में डिएगो गार्सिया है, जहां अमेरिकी और ब्रिटिश मिलिट्री का बेस है।

मॉरीशस और भारत में करीबी रिश्ता

भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों की मजबूती को इसी बात से समझा जा सकता है कि यह देश अपना राष्ट्रीय दिवस गांधीजी की नमक सत्याग्रह के वर्षगांठ के दिन यानी 12 मार्च को मनाता है। मॉरीशस का मानना है कि इसी की प्रेरणा से उसे 1968 में अंग्रेजों से आजादी मिली। भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता, ब्लू ओशन इकनॉमी, समुद्री सुरक्षा, एंटी पायरेसी ऑपरेशन जैसे कई महत्वपूर्ण अभियानों में मॉरीशस हमेशा भारत के साथ रहा है।

भारत ने मॉरीशस में बनाए मेट्रो और अस्पताल

भारत ने वर्ष 2016 में मॉरीशस को दिए गए 353 मिलियन अमेरिकी डॉलर का विशेष आर्थिक पैकेज के जरिए न्यू मॉरीशस सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग प्रोजेक्ट को शुरू किया था। इस बिल्डिंग का उद्धाटन साल 2020 में किया गया। इसके अलावा भारत की मदद से मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुईस में मेट्रो एक्सप्रेस सर्विस को शुरू किया गया। इसके अलावा 100-बेड वाले अत्याधुनिक ईएनटी अस्पताल का भी निर्माण भारत के सहयोग से किया गया है।

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