फर्जीवाड़ा:अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान खा गये सरकार के 144 करोड़ रुपए

फर्जी नाम से सरकार के ₹144 करोड़ डकार गए अल्पसंख्यक संस्थान, CBI ने 830 कॉलेजों के अधिकारियों, बैंक कर्मचारियों पर दर्ज पुलिस प्राथमिकी

नई दिल्ली 31 अगस्त। अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में 144 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। इस मामले में अल्पसंख्यक मंत्रालय ने मामले को CBI के हवाले कर दिया। CBI ने मामला दर्ज करके जाँच शुरू कर दी है। जाँच में 830 संस्थान ‘फर्जी’ पाए गए थे। सीबीआई ने 18 राज्यों के इन 830 कॉलेज/मदरसों के अधिकारियों और PSU बैंक कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज की है।

केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI)  की अंकित FIR के अनुसार, अल्पसंख्यक मंत्रालय ने अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति के मामले में 144.33 करोड़ रुपए के घोटाले का खुलासा किया है। अब मदरसों और बैंकों के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ यह एफआईआर आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी, जालसाजी, फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल और आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में दर्ज की गई है।

संदिग्ध आरोपितों में अज्ञात सरकारी अधिकारी, कई पीएसयू बैंक के अधिकारी और 18 राज्यों में स्थित 830 संस्थानों के नोडल अधिकारी शामिल हैं। अल्पसंख्यक मंत्रालय की शिकायत में कहा गया है कि 2017 से लेकर 2022 के बीच करीब 65 लाख अल्पसंख्यक छात्रों को केंद्र सरकार से 3 अलग-अलग योजनाओं में हर साल छात्रवृत्ति दी गई है।

यह छात्रवृत्ति प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति, पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति और छह अल्पसंख्यक समुदायों यानी मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी के छात्रों को जाती है। छात्रवृत्ति डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) यानी कि छात्रों के खाते में ही भेजी गई है।

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की आंतरिक जाँच में ऐसे 830 संस्थानों में गहरे भ्रष्टाचार का पता चला। इन फर्जी संस्थानों के जरिए पिछले 5 वर्षों में 144.83 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर 10 जुलाई 2023 को इस मामले में अपनी पहली शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद मामले गंभीरता को देखते हुए आगे की जाँच के लिए इसे केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) के पास भेजा गया।

अल्पसंख्यक मंत्रालय की जाँच में 34 राज्यों के 100 जिलों में पूछताछ की गई। जाँच में 1572 संस्थानों में से 830 को धोखाधड़ी में शामिल पाया गया। ये संस्थान 34 में से 21 राज्यों के हैं, जबकि बाकी राज्यों में संस्थानों की जाँच अभी भी चल रही है।

फिलहाल, अधिकारियों ने इन 830 संस्थानों से जुड़े खातों को फ्रीज करने का आदेश दिया है। मंत्रालय का कहना है कि यह घोटाला 2007-08 से ही चल रहा है। अब तक करीब 22,000 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। बीते चार साल से सालाना 2,239 करोड़ रुपए की छात्रवृत्तियाँ दी गई हैं।

सीबीआई इन फर्जी संस्थानों के उन जिला नोडल अधिकारियों की भी जाँच करेगी, जिन्होंने फर्जी संस्थानों का सत्यापन किया और अपनी अनुमोदन रिपोर्ट दी। इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मंत्रालय ने यह भी सवाल उठाया है कि बैंकों ने फर्जी आधार कार्ड और केवाईसी दस्तावेजों के साथ लाभार्थियों के लिए फर्जी खाते खोलने की अनुमति कैसे दी।

इतना ही नहीं, जिन संस्थानों का अस्तित्व ही नहीं था या जिनका परिचालन नहीं हो रहा था, ऐसे फर्जी संस्थान जाँच के बाद राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल और शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई) दोनों पर पंजीकृत होने में कामयाब रहे। इसमें भी संलिप्त अधिकारी जाँच के दायरे में रहेंगे।

राज्य के अनुसार विवरण
छत्तीसगढ़: जाँच में सभी 62 संस्थान फर्जी या निष्क्रिय पाए गए।
राजस्थान: जाँच के दौरान 128 संस्थानों में से 99 फर्जी या गैर-परिचालन वाले थे। यानी 77 प्रतिशत संस्थान फर्जी हैं।
असम: यहाँ के 68 प्रतिशत यानी 225 संस्थान फर्जी पाए गए।
कर्नाटक: 64 फीसदी यानी 162 संस्थान फर्जी पाए गए।
उत्तर प्रदेश: 44 फीसदी यानी 154 संस्थान फर्जी पाए गए।
पश्चिम बंगाल: 39 फीसदी संस्थान फर्जी पाए गए।
जाँच के दौरान कई खामियाँ मिलीं
केरल के मलप्पुरम में एक बैंक की शाखा ने 66,000 छात्रवृत्तियाँ वितरित कीं। यह छात्रवृत्ति के लिए पंजीकृत संख्या से अधिक है।
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में 5,000 पंजीकृत छात्रों वाले एक कॉलेज ने 7,000 छात्रवृत्ति दी गई।
एक अभिभावक का मोबाइल नंबर 22 विद्यार्थी से जुड़ा था। ये सभी छात्र नौवीं कक्षा में थे।
एक अन्य संस्थान में छात्रावास नहीं था, लेकिन प्रत्येक छात्र ने छात्रावास छात्रवृत्ति लिया।
पंजाब में अल्पसंख्यक छात्रों को स्कूल में नामांकित नहीं होने के बावजूद छात्रवृत्ति मिलती थी।
असम में एक बैंक शाखा में कथित तौर पर 66,000 लाभार्थी सूचीबद्ध थे। जब इन लाभार्थियों का सत्यापन करने के लिए पहुँची तो एक मदरसे में टीम को धमकी दी गई।
बात दें कि मंत्रालय का छात्रवृत्ति कार्यक्रम से लगभग 1,80,000 संस्थान जुड़े हुए हैं। इनमें 1.75 लाख मदरसे हैं, जिनमें सिर्फ 27,000 मदरसे ही पंजीकृत हैं और छात्रवृत्ति के पात्र हैं। इसमें कक्षा 1 से लेकर उच्च शिक्षा तक के छात्र शामिल हैं। यह शैक्षणिक वर्ष 2007-2008 में शुरू की गई थी।

अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति भले ही केंद्र सरकार देती है, लेकिन उसका सत्यापन और अन्य प्रक्रिया राज्य सरकार करती है। संस्थानाें का पंजीकरण जिला स्तर पर अल्पसंख्यक विभाग में होता है। छात्रवृत्ति के खाते स्थानीय बैंकों में खोले जाते हैं। विद्यार्थियों और संस्थानाें का सत्यापन भी राज्य सरकार का अल्पसंख्यक विभाग करता है।

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