अब गाजियाबाद के नाम परिवर्तन की उठी मांग,नगर निगम प्रस्ताव शासन को

PROPOSAL TO GHAZIABAD NAME CHANGE PASSED IN CORPORATION BOARD MEETING
निगम की बोर्ड बैठक में गाजियाबाद के नाम परिवर्तन का प्रस्ताव पास, अब शासन को भेजा जाएगा प्रस्ताव

गाजियाबाद के नाम परिवर्तन का प्रस्ताव पास
गाजियाबाद निगम की बोर्ड बैठक में दो पार्षदों के विरोध के बाद बहुमत से गाजियाबाद के नाम परिवर्तन का प्रस्ताव पास हो गया है. अब यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री और शासन को भेजा जाएगा.
गाजियाबाद नौ जनवरी 2024: नगर निगम की बोर्ड बैठक में बहुमत से गाजियाबाद के नाम परिवर्तन का प्रस्ताव पास हो गया. नाम परिवर्तित करने को अब यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तर प्रदेश शासन को भेजा जा रहा है. इसके बाद शासन गाजियाबाद के परिवर्तित नाम की घोषणा करेगा. महापौर सुनीता दयाल के मुताबिक, लंबे समय से गाजियाबाद के नागरिकों की इच्छा थी कि गाजियाबाद का नाम परिवर्तित किया जाए. पार्षद भी लंबे समय से नाम परिवर्तित करने की मांग कर रहे थे.दरअसल, उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के सत्ता संभालने के बाद कई जिलों का नाम परिवर्तित किया गया है. लंबे समय से गाजियाबाद का नाम बदलने की भी मांग उठ रही है. बीते पांच सालों में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने गाजियाबाद का नाम बदलने को लेकर राष्ट्रपति और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपे हैं. 8 जनवरी 2023 को सामाजिक संस्था रसम ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी के नाम एक ज्ञापन सौंपा था.रसम के संस्थापक संदीप त्यागी के मुताबिक, बीते 5 वर्षों से संस्था ने गाजियाबाद का नाम परिवर्तित करने को जिले में 100 स्थान पर हवन किया था. साथ ही मिस कॉल के माध्यम से लोगों का समर्थन जुटाया गया. संदीप का कहना है कि गाजियाबाद नाम हमारे पूर्वजों का अपमान है. वहीं,पार्षद संजय सिंह ने गाजियाबाद का नाम हरनंदी नगर रखने के लिए निगम की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव रखा है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर के महंत भी गाजियाबाद का नाम परिवर्तित करने की मांग उठा चुके हैं. नाम परिवर्तित करने को लेकर महंत नारायण गिरी ने मुख्यमंत्री योगी से लखनऊ में जुलाई 2022 में मुलाकात भी की थी. तब उन्होंने मुख्यमंत्री से गाज़ियाबाद का नाम गजप्रस्थ करने के लिए पत्र सौंपा था.

निर्वाचित जनप्रतिनिधी भी उठा चुके है नाम बदलने की मांग
नवंबर 2018 को गाजियाबाद से भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉक्टर अनिल अग्रवाल ने CM को पत्र भेजकर गाजियाबाद का नाम ‘महाराज अग्रसेन नगर’ करने की मांग की थी.मार्च 2021 को साहिबाबाद से भाजपा विधायक सुनील शर्मा ने विधानसभा में गाजियाबाद का नाम बदलकर गजप्रस्थ करने की मांग उठाई थी.
तीन नाम सबसे आगे
उत्तर प्रदेश में जिलों के नाम बदलने का सिलसिला अभी जारी है। अब गाजियाबाद जिले का भी नाम इस सूची में जुड़ गया है। नगर निगम की बोर्ड बैठक में जिले का नाम बदलने के लिए सदन की मंजूरी मिल गई है। इस दौरान सदन में प्रस्ताव पास होने पर भारत माता की जय के नारे लगाए गए।
उत्तर प्रदेश में जिलों के नाम बदलने का सिलसिला अभी जारी है। अब गाजियाबाद जिले का भी नाम इस सूची में जुड़ गया है। नगर निगम की बोर्ड बैठक में जिले का नाम बदलने को सदन की स्वीकृति मिल गई है। सदन में प्रस्ताव पास होने पर भारत माता की जय के नारे लगाए गए।

नाम बदलने का प्रस्ताव पास हो गया है, लेकिन अभी नाम क्या रखा जाएगा इस पर चर्चा जारी है। नाम बदलने के लिए गजनगर, हरनंदीनगर और दूधेश्वर नगर के नाम सामने आए हैं, जिनमें से एक नाम पर फैसला लेना बाकी है। नाम पर निर्णय उत्तर प्रदेश सरकार लेगी।
सदन में एक प्रस्ताव भी पास हो गया है, जहां जनकपुरी इलाके में राम के नाम पर राम पार्क पर मुहर लगी है। वहीं, सद्दीक नगर में स्पोर्ट्स सेंटर बनाने का प्रस्ताव भी पास हो गया है।

पहले भी बदले गए नाम
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद पहले भी शहरों के नाम बदले जा चुके हैं। जिनमें इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया और फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या किया गया। अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ रखने की भी चर्चा जारी है।

इसके अलावा मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन किया गया। साथ ही झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन रखा गया।

गाजियाबाद के बारे में
14 नवंबर 1976 से पहले गाजियाबाद जिला मेरठ की तहसील थी।
गाजियाबाद की सरकारी वेबसाइट के अनुसार 1740 में इस जगह की स्थापना गाज़ी-उद-दीन ने की थी, जिन्होंने इसे गाजीउद्दीननगर कहा था।
रेलवे लाइन खुलने के बाद जगह का छोटा नाम गाजियाबाद हो गया
मुगल सम्राट मुहम्मद शाह के वजीर गाजी-उद-दीन ने कोलकाता से पेशावर तक जाने वाली ग्रैंड ट्रंक रोड पर की थी. उनके नाम पर इसे तब गाजीउद्दीननगर कहा जाता था. मुगलकाल में गाजियाबाद और इसके आसपास के क्षेत्र विशेषकर हिंडन के तट मुगल शाही परिवार के लिए पिकनिक स्थल थे. 1864 में गाजियाबाद में रेल आईं. इसके बाद नगर का नाम गाजीउद्दीननगर से छोटा कर गाजियाबाद कर दिया गया।

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