11रवें मुख्यमंत्री पुष्कर के सामने तत्काल11 चुनौतियां

पुष्कर सिंंह धामी और उनके नए मंत्रिमंडल के सामने कम नहीं होंगी चुनौतियां

मुख्यमंत्री के तौर पर पुष्कर धामी का करीब 8 महीने का सफर चुनौतियों भरा होगा. प्रदेश में जल्द ही हो रहे विधानसभा चुनाव के पहले नए मुख्यमंत्री के सामने कई बड़ी चुनौतियां होंगी, जिससे उन्हें पार पाना होगा.

देहरादून04, जुलाई. उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी (Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami) ने सबसे युवा मुख्यमंत्री के तौर पर शपथपत्र ले ली है. मुख्यमंत्री के तौर पर वो और उनका मंत्रिमंडल कई तरह की चुनौतियों का सामना करेगा. खटीमा से दो बार के विधायक पुष्कर सिंह धामी के सिर पर भले ही उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में ताज सज गया हो, लेकिन फिलहाल उनके भाग्य में कड़ी चुनौतियां हैं. चुनावी साल में धामी को प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में काम करने को बामुश्किल 8 महीने का वक्त मिलेगा. इन्हीं 8 महीनों में नए मुख्यमंत्री को न केवल सरकार-संगठन को तालमेल के साथ आगे बढ़ाना है, बल्कि चुनावी तैयारी भी करनी है. उनकी चुनौती सीनियर विधायकों ओर मंत्रियों को साथ लेकर चलने की होगी.

कोविड 19 की दूसरी लहर अभी चंद दिनों से ही शांत है. विशेषज्ञ तीसरी लहर की आशंका काफी समय से जता रहे हैं. पहले त्रिवेंद्र और फिर तीरथ सरकार में कोविड 19 प्रबंधन सवालों के घेरे में रहा. अब चूंकि तीसरी लहर की आशंका तेज है, ऐसे में नए मुख्यमंत्री के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती होगी. राज्य के प्रत्येक व्यक्ति की सुरक्षा और समुचित उपचार की व्यवस्था करनी होगी. कोरोना महामारी से राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरी हुई है. राज्य के पास कोविड से लडाई, नए विकास कार्यों को धन की किल्लत है. ऐसे में विकास की गाड़ी को भी तेजी से आगे बढ़ाना है.

पारदर्शी शासन और भ्रष्टाचार पर लगाम

भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा अपनी नीति को जीरो टालरेंस की नीति बताई रही है, लेकिन एनएच मुआवजा घोटाला चावल घोटाला, कोरोना फर्जी जांच घोटाला, कर्मकार बोर्ड विवाद समेत कई मामले सामने हैं, जिनमें शुरुआती कार्रवाई के बाद सरकार के तेवर नरम पड़ते दिखाई दिए हैं. जनता को पारदर्शी शासन और भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड देना मुख्यमंत्री के लिए बड़ा टास्क रहेगा.

ये होंगी बड़ी चुनौतियां

– मुख्यमंत्री पुष्कर धामी का 8 महीने का सफर चुनौतियों भरा होगा. क्योंकि इस 8 महीने में ही प्रदेश में एक बार फिर से विधानसभा का चुनाव हो रहा है.

– कोविड 19 की संभावित तीसरी लहर से प्रदेशवासियों की सुरक्षा और प्रदेश की अर्थव्यवस्था की गति को तेज करना बड़ी चुनौती होगी.

– चारधाम यात्रा एक सबसे बड़ी चुनौती है. कोर्ट में वाद चल रहा है । किस तरह से चार धाम यात्रा पटरी पर लायी जा सकती है. सरकार को एक खाका खींचना पड़ेगा.

– 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा को 2017 की जीत दोहराने की चुनौती होगी.
– नौकरशाही पर लगाम लगाना होगा, क्योंकि चुनाव का वक्त है ऐसे में बहुत ठोस रणनीति बनानी होगी.

– पार्टी संगठन और सरकार में बेहतर तालमेल बनाना होगा. विधायक और मंत्रियों के विवादित बोलों पर भी लगाम लगाने की चुनौती होगी.

– विकास की गति कोरोना  से धीमी पड़ी है. उसमें भी तेजी लानी होगी.

– उत्तराखंड के केदारनाथ- बदरीनाथ- गंगोत्री- यमुनोत्री धाम के लिए बना देवस्थानम बोर्ड भी किसी चुनौती से कम नहीं होगा.देवस्थानम बोर्ड अब नई सरकार के पाले में है, जिसका फैसला करना होगा.

-जो मंत्री आज ऐंठे-ऐंठे दिख रहे हैं। उनकी अब तक की परफोर्मेंस ज़ीरो है। उनसे जैसे- तैसे काम कराना होगा।

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