सावधान: जहरीली कुल्फी से तीन बच्चों की मौत

जरूरत की खबर: कुल्फी बनी बच्चों की मौत की वजह:एक्सपायरी डेट वाले फ्लेवर से बनी थी, नकली आइसक्रीम की पहचान कैसे करें

नागौर 24 मई ।गर्मी में आइसक्रीम खाना सभी को पसंद होता है। इसी आइसक्रीम की वजह से 13 साल की सरिता, 7 साल का रूपाराम और 4 साल की लक्ष्मी की जान चली गई।

यह राजस्थान के नागौर की घटना है। शुरुआत में मौत की वजह लू बताई गई, बाद में पता चला कि बच्चों की जान नकली-जहरीली आइसक्रीम खाने से हुई थी।

आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि आइसक्रीम खाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, असली आइसक्रीम की पहचान क्या है…

सवाल: आइसक्रीम खाने से बच्चों की मौत कैसे हुई?

जवाब: बच्चों ने जो कुल्फी और आइसक्रीम खाई, वो लोकल फैक्ट्रियों की बनी हुई थी। भास्कर टीम ने इस फैक्ट्रियों का पता लगाया। तब सच सामने आया।

इन फैक्ट्रियों में जिस दूध से आइसक्रीम बनाई जाती है, उसमें से कीचड़ जैसी बदबू आ रही थी और उस पर मक्खियां भिनभिना रही थीं।

आइसक्रीम-कुल्फी बनाने के लिए एक्सपायरी डेट वाला सालों पुराना रंग और फ्लेवर डाल रहे थे। जिस बाल्टी में मिक्सचर डाल रहे थे, वो कचरे की बाल्टी लग रही थी।

सवाल: हम सब गर्मी के दिनों में कुल्फी- आइसक्रीम खाते हैं, ऐसे में असली और नकली की पहचान कैसे करें?

जवाब: हर साल लाखों लोग सिर्फ मिलावटी चीजें खाने से बीमार पड़ते हैं।

भारत सरकार ने फूड सेफ्टी और क्वालिटी से जुड़े कई मानक तय किए गए हैं। सरकार ने सामान की क्वालिटी तय करने के लिए उन पर कुछ स्पेशल चिह्न या मुहर लगाई हैं।

आइसक्रीम या किसी भी प्रकार के सामान को खरीदते समय इन फूड प्रॉडक्ट्स की पैकिंग पर FSSAI और IS के टैग्स होते हैं जो इसके शुद्ध होने की पहचान बताते हैं।

आइसक्रीम खरीदते समय यह जरूर देखें कि उसके डिब्बे या पैकेट पर IS 2802 मार्क हो। यह कोड आइसक्रीम कंपनियों को ब्यूरो ऑफ सर्टिफिकेशन देता है। जोकि आइसक्रीम के शुद्ध होने का प्रमाण देता है।

आइसक्रीम खरीदते समय ये बातें याद रखिए

आइसक्रीम खरीदते समय ध्यान से लेबल पढ़ें। लेबल में लिखे गए आइसक्रीम की क्वालिटी से जुड़ी डिटेल में उसके रंग और फ्लेवर का कंटेंट आइसक्रीम के कुल वजन के 5% हिस्से से कम होना चाहिए।
वनीला फ्लेवर वाली सफेद आइसक्रीम या बेसिक आइसक्रीम, कॉफी, मैपल और कैरेमल आइसक्रीम की वैराइटीज को प्लेन आइसक्रीम में गिना जाता है। प्लेन आइसक्रीम खरीदते समय जहां 5% का यह फॉर्मूला ध्यान में रखा जाता चाहिए वहीं, फ्लेवर्ड आइसक्रीम में शक्कर और कलर आदि की मात्रा कम ज्यादा हो सकती है।
चॉकलेट आइसक्रीम खरीदते समय देखें कि उसमें चॉकलेट या कोको पाउडर की मात्रा 3-4% है या नहीं। इससे, कम मात्रा में कोको पाउडर होने पर वह खराब क्वालिटी की आइसक्रीम मानी जाती है। स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें आर्टिफिशियल फ्लेवर्स का प्रयोग किया जा सकता है।

लखनऊ में फातिमा अस्पताल के पीडियाट्रिशियन डॉक्टर मृत्युंजय पांडेय कहते हैं– सड़क पर मिलने वाली हर लोकल आइसक्रीम-कुल्फी को खाने से बचें। यह आइसक्रीम सस्ती होती है और गंदगी में बनाई जाती है।

राजस्थान के मामले में यह बात बच्चों की मौत की वजह से सामने आ गई। अगर आज आप देश के दूसरे हिस्से में चेक करें तो ऐसे कई मामले सामने आएंगे।

याद रखें कि आइसक्रीम हो या कोई भी खाने की चीज, बनाते समय अगर हाइजीन का ध्यान नहीं रखा जाएगा तो इससे फूड पॉइजनिंग हो सकती है। जिसमें जान जाने का भी खतरा रहता है।

कुछ भी खाने के बाद अगर पेट में दर्द होने लगे, उल्टी-दस्त और कमजोरी लगने लगे, तो तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाएं। जरा सी लापरवाही जान पर भारी पड़ सकती है।

अब जो लोग ज्यादा आइसक्रीम खाते हैं उनके बारे बात करते हैं…

कुल्फी-आइसक्रीम से होने वाले नुकसान

आइसक्रीम में फैट होता है। आधा कप आइसक्रीम में कम से कम 9 ग्राम फैट होता है। वैसे तो शरीर को जरूरत होती है कुछ मात्रा में फैट की।
आइसक्रीम में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी ज्यादा होती है। एक कप आइसक्रीम में 25 एमजी कोलेस्ट्रॉल होता है।
आइसक्रीम में फैट के साथ-साथ शुगर भी अच्छा खासा होता है। शुगर की ज्यादा मात्रा लेने से खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है, इससे डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।
रोज और ज्यादा आइसक्रीम खाने से कई बीमारियां हो सकती हैं। नीचे लगे ग्राफिक्स से समझते हैं…

ग्राफिक्स को पढ़ें और दूसरों को शेयर करें।

ऊपर लगे क्रिएटिव को डिटेल में समझते हैं कि सिर्फ आइसक्रीम खाने से इतनी दिक्कतें कैसे और क्यों होती हैं…

बेली फैट यानी पेट की चर्बी: आइसक्रीम में शुगर, कैलोरी, फैट होता है, जो हेल्थ के लिए फायदेमंद नहीं होता है। इसमें कार्ब बहुत ज्यादा होता है। ऐसे में हद से ज्यादा रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स खाने से पेट में फैट जमा होने लगता है।

अगर आप एक दिन में 3-4 आइसक्रीम हर रोज खाते हैं, तो शरीर में 1000 कैलोरी से भी अधिक जाती है। जो वेट बढ़ाने के लिए काफी है।

इनडाइजेशन यानी पाचन की दिक्कत: आइसक्रीम में फैट होने की वजह से पचने में ज्यादा समय लगता है। आमतौर पर इससे ब्लोटिंग, इनडाइजेशन की परेशानी हो जाती है। जल्दी नहीं पचने की वजह से रात में आइसक्रीम खाकर सोने से अच्छी नींद नहीं आती है।

हार्ट डिजीज यानी दिल की बीमारी: आइसक्रीम में सैचुरेटेड फैट होता है। एक आइसक्रीम खाने से ट्राइग्लिसराइड्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल में बढ़ोत्तरी होती है।

अगर आप ओवर वेट हैं और हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी है तो हर रोज बहुत ज्यादा आइसक्रीम खाने से हार्ट डिजीज का रिस्क बढ़ सकता है।

एक कप वेनिला आइसक्रीम में 10 ग्राम तक आर्टरी-क्लॉगिंग सैचुरेटेड फैट और 28 ग्राम चीनी होती है।

मेमोरी पावर वीक यानी याददाश्त: आइसक्रीम में मिलने वाला सैचुरेटेड फैट और शुगरी फूड का ज्यादा कंजेप्शन करने से सोच-समझने की क्षमता कमजोर होती है। साथ ही मेमोरी पावर भी वीक हो सकती है। ऐसा सिर्फ एक कप आइसक्रीम खाने से भी हो सकता है। ये आपकी हेल्थ पर डिपेंड करता है।

हाई शुगर लेवल: आइसक्रीम में बहुत ज्यादा चीनी होती है। इसे खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। डायबिटीज पेशेंट को आइसक्रीम खाने से परहेज करना चाहिए।

आइसक्रीम से जुड़े कुछ कॉमन सवालों का जवाब जानते हैं…

सवाल: एक दिन में कितनी आइसक्रीम खानी चाहिए?
जवाब: दिन में एक बार स्वाद के लिए खा सकते हैं। इसे पेट भरकर और डेली खाने की आदत न बनाएं।

सवाल: किन लोगों को आइसक्रीम खाने से परहेज करना चाहिए?

जवाब: इन्हें हर रोज आइसक्रीम खाने से बचना चाहिए-

डायबिटीज के पेशेंट
ब्लड प्रेशर पेशेंट
हार्ट पेशेंट
एलर्जिक पेशेंट
सवाल: बहुत से लोग खाना खाने के बाद आइसक्रीम खाते हैं, क्या इससे खाना जल्दी पचता है?
जवाब: चाहे लंच या डिनर दोनों करने के बाद आइसक्रीम नहीं खानी चाहिए। असल में आइसक्रीम में फैट ज्यादा होता है। जिससे ये डाइजेशन सिस्टम को धीमा कर देता है। खाना पचने में देर लगती है और पेट भारी-भारी लगने लगता है।

सवाल: आइसक्रीम खाने के बाद प्यास क्यों लगती है?
जवाब: आइसक्रीम खाने में तो ठंडी लगती है पर इसकी तासीर गर्म होती है। आइसक्रीम में फैट कंटेंट ज्यादा होने से शरीर के अंदर गर्मी होने लगती है।

यही वजह है कि आइसक्रीम खाने के बाद बहुत तेज प्यास लगती है। ऐसे में गर्मी में आप एक लिमिट में ही आइसक्रीम खाएं।

सवाल: आइसक्रीम खाने के बाद प्यास लगती है, तो क्या तुंरत पानी पी सकते हैं?
जवाब: नहीं, आइसक्रीम खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए। अगर आप आइसक्रीम खाने के कुछ मिनट में ही पानी पी लेते हैं तो इससे गले में परेशानी होना शुरू हो जाती है।

गला खराब होने के साथ ही गले में खराश भी हो सकती है। इससे दांतों में भी प्रॉब्लम हो जाती है। इसलिए जब कभी भी आइसक्रीम खाएं तो कोशिश करें कि 15 मिनट बाद ही पानी पिएं।

सवाल: एक तरफ कहा जाता है आइसक्रीम से दांतों को नुकसान होता है, दूसरी ओर दांत के दर्द या दांत के इलाज के बाद आइसक्रीम खाने की सलाह क्यों दी जाती है?
जवाब: आइसक्रीम खाने में ठंडी होती है। यह दांत दर्द के दौरान मुंह में होने वाली सूजन को कम करती है। साथ ही दांत निकलवाने के केस में ये खून रोकने के काम आती है। इसलिए डॉक्टर इसे खाने की सलाह देते हैं।

सवाल: बाजार में मिलने वाली शुगर फ्री आइसक्रीम और कुल्फी क्या वाकई में डायबिटीज पेशेंट के लिए हेल्दी हैं?
जवाब: यह हेल्दी तो नहीं है। लेकिन शुगर फ्री आइसक्रीम डायबिटीज पेशेंट के खाने के लिए एक ऑप्शन है।

एक्सपर्ट पैनल:

डॉ. मृत्युंजय पांडेय, पीडियाट्रिशियन, ​​​लखनऊ
डॉ. अंजू विश्वकर्मा, डायटीशियन, भोपाल

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