विलक्षण: इस्लामिक देश में बीच समुद्र 600 साल से खड़ा है सनातनी मंदिर

अजब: इस्लामिक देश में समंदर के बीचों-बीच 600 साल से खड़ा है हिंदू मंदिर, जहरीले सांप करते हैं सुरक्षा!

Tanah Lot Temple: आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आपकी आंखें आश्चर्य से खुली रह जाएंगी। यह मंदिर इस्लामिक देश में समुद्र के बीचोंबीच 600 साल से अपनी जगह पर स्थापित है। मान्यता है कि इसकी सुरक्षा जहरीले सांप करते हैं।

tanahlot temple
तनाहलोत मंदिर (ट्विटर)

मुख्य बातें
1-समुद्र के बीचों-बीच बना है यह मंदिर
2-हजारों साल पहले हुआ था चट्टान का निर्माण
3-चट्टान पर बना है अनोखा हिंदू मंदिर

Tanah Lot Temple: दुनिया के कई देशों में आज भी सदियों पुराने मंदिर मौजूद हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि एक इस्लामिक देश में 600 सालों से एक हिंदू मंदिर समुद्र के बीचों-बीच खड़ा है। यह हिंदू मंदिर आज भी पूरी तरह से सुरक्षित है। कहा जाता है कि इस मंदिर की सुरक्षा में सांप लगे हुए हैं। यह मंदिर इंडोनेशिया में मौजूद है। यह समुद्र के बीचों-बीच एक ऊंची सी चट्टान पर स्थित है। मान्यता है कि हजारों साल पहले इस चट्टान का निर्माण समुद्री पानी के ज्वार से हुए एक क्षरण के कारण हुआ था।

अनोखे मंदिर के बनने की कहानी है दिलचस्प

इस अनोखे मंदिर के बनाने की कहानी बेहद अनोखी है। तनाह लोत नाम से जाना जाने वाला यह मंदिर इंडोनेशिया के बाली द्वीप पर स्थित है। ‘तनाह लोत’ का स्थानीय भाषा में मतलब समुद्री भूमि अथवा समुद्र में जमीन से होता है। तनाह लोत मंदिर बाली के सागर तट पर बने उन सात मंदिरों में शामिल है, जिन्हें एक श्रृंखला के रूप में स्थापित किया गया है। इनकी खासियत यह है कि हर मंदिर से अगला मंदिर पूरी तरह से साफ दिखाई देता है।

वो मंदिर जिसके जर्जर होने पर जापान ने करोड़ों खर्च कर बदल दी काया

तनह लोट मंदिर का निर्माण 15वीं में कराया गया. यह मंदिर अपनी खूबसूरती के कारण श्रद्धालुओं और पर्यटकों के बीच मुख्य आकर्षण का केंद्र है और बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक इसकी स्थापत्य कला को देखने आते हैं.

तनह लोट मंदिर (फोटो-तनाह लोट डॉट आईडी)तनह लोट मंदिर (फोटो-तनाह लोट डॉट आईडी)

बाली में समुद्री चट्टान पर स्थित है मंदिरमंदिर का निर्माण 15वीं में कराया गयाहिंदू धर्म प्रचारक हयांग ने कराया निर्माण
अयोध्या में बहुप्रतिक्षित राम मंदिर निर्माण को लेकर भूमिपूजन की तैयारी जोरों से चल रही है और इसके लिए राम नगरी को भव्य तरीके से सजाया जा रहा है. इस भूमिपूजन को लेकर दुनियाभर में बसे हिंदू श्रद्धालुओं में खासा उत्साह दिख रहा है. ऐसे में हम आपको उस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो भारत से काफी दूर है और वहां स्थित एक ऐतिहासिक मंदिर जब जर्जर होने लगा तो जापान ने उसके जीर्णोद्धार में आर्थिक और शारीरिक रूप से मदद भी की.
हम बात कर रहे हैं भारत से दूर इंडोनेशिया के एक ऐसे मंदिर की जिसकी प्राकृतिक खूबसूरती देखते ही बनती है और यह विशाल चट्टान पर बना हुआ खूबसूरत सा मंदिर है. इंडोनेशिया के बाली द्वीप में बना तनह लोट मंदिर भी दुनिया के बेहद चर्चित और ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है.

(फोटो-तनाह लोट डॉट आईडी)

तनह लोट का बाली भाषा में अर्थ समुद्री भूमि (समुद्र में भूमि या लैंड सी) होता है. दक्षिण पश्चिम तट पर एक बड़े चट्टान पर बना यह मंदिर बाली द्वीप के हिंदुओं की आस्था का बड़ा केंद्र हैं, और यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. यह मंदिर बाली में एक विशाल समुद्री चट्टान पर बना हुआ है.

माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 15वीं में कराया गया. यह मंदिर अपनी खूबसूरती के कारण इंडोनेशिया के मुख्य आकर्षणों में से एक माना जाता है और बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक इसकी स्थापत्य कला को देखने आते हैं.

जापान ने की मदद

1980 में मंदिर की चट्टान उखड़ने लगी था, जिससे मंदिर के आसपास और अंदर का हिस्सा खतरनाक होने लगा और ऐसा लगने लगा कि समुद्र के वेग इसको नष्ट कर देंगे. ऐसे में जापान सरकार ने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए मदद का फैसला लिया और मदद को आगे आई. जापानी सरकार ने तब बाली के आसपास के ऐतिहासिक मंदिर और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों के संरक्षण के लिए इंडोनेशियाई सरकार को करीब 130 मिलियन डॉलर का ऋण दिया.

आर्थिक मदद से तनह लोट मंदिर की स्थिति सुधरने लगी और मंदिर के पास की चट्टानों के एक तिहाई से भी ज्यादा हिस्से को कृत्रिम तरीके से तैयार किया गया. कृत्रिम चट्टान से इसे ढककर एक नया रूप दिया गया. खास बात यह रही कि जापान सरकार ने न सिर्फ इसके जीर्णोद्धार के लिए आर्थिक रूप से मदद की बल्कि पहाड़ियों के पुर्नरुद्धार और टिकाऊ बनाए रखने के लिए खुद अपनी निगरानी में काम को पूरा भी करवाया।

(फोटो-तनाह लोट डॉट आईडी)

कब बना मंदिर

ऐसा माना जाता है तनह लोट का निर्माण 15वीं शताब्दी में एक पुजारी डांग हयांग निरर्थ ने करवाया था. तनाह लोट डॉट आईडी के अनुसार, दक्षिणी तट के किनारे घूमने के दौरान डांग हयांग इस चट्टान के पास पहुंचे और इस जगह की खूबसूरती ने उनका मन मोह लिया और उन्होंने यहीं पर रहने का फैसला लिया. डांग हयांग हिंदू धर्म के प्रसार के लिए अपनी धर्म यात्रा के लिए जाने जाते हैं और वहां पर इन्हें काफी सम्मान दिया जाता है.

इस दौरान कुछ मछुआरों ने उन्हें देखा और सम्मानस्वरूप कुछ गिफ्ट उन्हें किए. निरर्थ ने इसी चट्टान पर रात गुजारी. उन्हें लगा कि बाली समुद्र के देवताओं की पूजा करने के लिए यह एक पवित्र स्थान है. बाद में उन्होंने मछुआरों से बात की और इस स्थान पर मंदिर के निर्माण का अनुरोध किया.

विषैले सर्प करते हैं रक्षा

मंदिर के मुख्य देवता देवा बरुना या भटारा सेगरा हैं, जो समुद्र देवता या समुद्री शक्ति हैं और अब यहां निरर्थ की भी पूजा होने लगी है.

तनाह लोट मंदिर में बाली के पौराणिक कथाओं की महत्ता दिखती है. यह मंदिर बाली के समुद्री तट पर बने सात समुद्र मंदिरों में से एक है और हिंदू धर्म से काफी प्रभावित है.

ऐसी मान्यता है कि बुरी आत्माओं और घुसपैठियों से इस मंदिर की सुरक्षा इस चट्टान के नीचे रहने वाले विषैले सर्प करते हैं. एक विशालकाय सांप द्वारा मंदिर की सुरक्षा की मान्यता है।

साल 1980 में शुरू हुआ शिला का पुनर्निर्माण

बता दें कि जिस शिला पर यह मंदिर टिका हुआ है, साल 1980 में यह शिला कमजोर होकर झड़ने लगा था। इसके बाद मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र को खतरनाक घोषित किया गया था। फिर जापान सरकार ने इस शिला को बचाने के लिए इंडोनेशिया की सरकार की मदद की। इसके बाद कृत्रिम चट्टान से चट्टान के लगभग एक तिहाई हिस्से को ढंककर नया रूप दिया गया। माना जाता है कि तनाह लोत मंदिर को 15वीं सदी में निरर्थ नाम के पुजारी ने बनवाया था। बताया जाता है कि वह समुद्र तट के किनारे चलते हुए इस जगह पर पहुंचे थे। इसके बाद उन्हें यहां की सुंदरता भा गई थी। फिर उन्होंने यहां पर मंदिर निर्माण के बारे में सोचा।

 

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