बृजभूषण शरण की जनचेतना रैली कैसे हुई स्थगित?

Brij Bhushan: अयोध्या में बृजभूषण शरण की जनचेतना रैली स्थगित होने के पीछे भाजपा के दो सांसदों की अंदरूनी रार
अयोध्‍या में पांच जून को घोष‍ित रैली स्थगन के पीछे भाजपा के दो सांसदों की रार सामने आई है। इससे पहले राज ठाकरे प्रकरण में भी तनातनी सामने आ चुकी थी। इलाकाई सांसद ने यह अच्छा मौका समझा और बृजभूषण की रैली निरस्त कराने के लिए पूरी ताकत झोंकी।

अयोध्या, [रमाशरण अवस्थी]। महिला पहलवानो के यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की पांच जून को अयोध्या में घोषित जनचेतना रैली स्थगित होने के पीछे सत्तारूढ़ भाजपा के दो सांसदों की अंदरूनी रार है। यह रार नई नहीं है।

उत्तर भारतीयों की मुखालफत के पर्याय मनसे प्रमुख राज ठाकरे की अयोध्या यात्रा के विरोध को लेकर गत वर्ष ही इन सांसदों की रार मुखर होने लगी थी। कैसरगंज से सांसद बृजभूषणशरण सिंह ने यह घोषणा कर रखी थी कि जब तक राज ठाकरे उत्तर भारतीयों से क्षमा नहीं मांग लेते, तब तक उन्हें अयोध्या में नहीं घुसने दिया जाएगा।

बृजभूषण इस अभियान में सफल भी रहे, किंतु इस दौरान उन्हें भाजपा के ही इलाकाई सांसद लल्लू सिंह के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। यह प्रतिरोध ढका-छिपा नहीं था, बल्कि तब लल्लू सिंह का एक आडियो वायरल हुआ था, जिसमें किसी मनसे कार्यकर्ता से फोन पर बात करते हुए वह जहां राज के आगमन का स्वागत करते हुए सुने जा सकते हैं, वहीं राज ठाकरे के विरोध को यह कह कर हल्का करने का प्रयास करते सुने जा सकते हैं कि वह तो दूसरी जगह के हैं।

यद्यपि लल्लू सिंह की यह टिप्पणी सिक्के के एक पहलू जैसी ही थी। सच यह है कि बृजभूषण की जड़ें रामनगरी में बहुत गहरी हैं और वर्तमान की प्रतिस्पर्धी राजनीति में इलाकाई सांसद के लिए यह बर्दाश्त करना कठिन माना जाता है कि बृजभूषण सिंह रामनगरी से अपने संबंधों-सरोकारों को नए सिरे से रोशन करें।

सरयू पार करते ही गोंडा जिला के ग्राम विश्नोहरपुर निवासी बृजभूषण का छात्र जीवन से ही रामनगरी से गहरा नाता रहा है। वह साढ़े चार दशक पूर्व रामनगरी में ही स्थित साकेत महाविद्यालय में उच्च शिक्षा ग्रहण करने आए। इसी महाविद्यालय से यदि उन्होंने छात्र राजनीति का ककहरा सीखा, तो हनुमानगढ़ी के दिग्गज पहलवानों की शागिर्दी में कुश्ती में निपुणता हासिल करने के साथ अध्यात्म-संस्कृति के प्रतिनिधि संतों से संस्कार हासिल किया।

वह 1977 में साकेत महाविद्यालय छात्रसंघ महामंत्री भी चुने गए। यद्यपि मुख्यधारा की राजनीति के संदर्भ में उन्हें अपने गृह जनपद गोंडा औेर उससे लगे क्षेत्रों तक केंद्रित रहना पड़ा, किंतु जब भी मौका मिला वह अयोध्या से रिश्तों को धार देते रहे। अयोध्या में उनकी सक्रियता को क्षेत्रीय सांसद लल्लू सिंह आरंभ से ही राजनीतिक चश्मे से देखते रहे और यदाकदा उनकी नाराजगी भी सामने आती रही।

बृजभूषण ने गत वर्ष राज ठाकरे के विरोध से लेकर इस वर्ष यौन उत्पीड़न के आरोप की चुनौती से घिरे हाेने के बीच रामनगरी को ही केंद्र बनाया। समीक्षकों का मानना है कि इसके मूल में जहां बृजभूषण को अयोध्या से आमतौर पर मिलने वाला समर्थन था, वहीं चुनौती से घिरे बृजभूषण को रोकने के लिए इलाकाई सांसद ने यह अच्छा मौका समझा और उनकी रैली निरस्त कराने के लिए पूरी ताकत झोंकी।

 

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