दून आठ माह में बन जायेगा स्मार्ट सिटी?

Dehradun how become smart city? Seven CEOs changed in four years, now IAS Sonika will take over responsibility
आखिर कैसे देहरादून बनेगी स्मार्ट सिटी? साढ़े चार साल में बदल गए सात सीईओ, अब IAS सोनिका संभालेंगी जिम्मेदारी
जानकारी के मुताबिक स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (, Doon Smart City) को पूरा करने के लिए उत्तराखंड सरकार को अगले साल जून के आखिर तक का समय दिया गया है और अभी तक महज 50 प्रतिशत ही काम पूरा हुआ है.

उत्तराखंड (Uttarakhand) की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने शनिवार देर शाम को राज्य की नौकरशाही में बड़े स्तर पर बदलाव किया. राज्य सरकार ने आईएएस अफसरों के साथ ही पीसीएस अफसरों का भी ट्रांसफर किया है. राज्य सरकार ने दून स्मार्ट सिटी (Doon Smart City) लिमिटेड में सीईओ के पद पर एक बार फिर फेरबदल किया है और ये जिम्मेदारी आईएएस सोनिका (IAS Sonika) को सौंपी है. अब वह स्मार्ट सिटी लिमिटेड की सातवीं सीईओ होंगी. खास बात ये है कि स्मार्ट सिटी के लिए देहरादून का चयन होने के बाद सीईओ के पद पर अभी तक सात सीईओ नियुक्त किए जा चुके हैं. लिहाजा इस बात को समझा जा सकता है कि कार्य किस स्तर पर चल रहा है. केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को अगले साल जून तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का समय दिया है.

जानकारी के मुताबिक करीब साढ़े चार साल में सरकार ने स्मार्ट सिटी लिमिटेड में सातवें सीईओ की नियुक्ति की गई है. जबकि अभी तक दून स्मार्ट सिटी का 50 फीसदी काम भी पूरा नहीं हो सका है. इस प्रोजेक्ट के लिए अभी तक कई परियोजनाएं शुरू भी नहीं पायी है. इसके कारण साफ है कि प्रोजेक्ट में कोई भी सीईओ छह महीने से ज्यादा के समय के लिए नियुक्त नहीं हुआ है. जबकि राज्य सरकार का दावा है कि प्रोजेक्ट का काम तेजी से चल रहा है.

सोनिका से पहले ये रहे सीईओ

राज्य सरकार ने शनिवार को नए सीईओ के तौर पर सोनिया की नियुक्ति की है. जबकि उनसे पहले आईएएस अधिकारी दिलीप जावलकर, शैलेश बघौली, आशीष श्रीवास्तव, रणवीर सिंह चौहान, डॉ आशीष श्रीवास्तव और डॉ आर राजेश कुमार सीईओ को इस पर पर नियुक्त किया जा चुका है. अब आईएएस सोनिका सातवें सीईओ के रूप में पदभार संभालेंगी.

असल साल जून तक दी गई है डेडलाइन

जानकारी के मुताबिक स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए उत्तराखंड सरकार को अगले साल जून के आखिर तक का समय दिया गया है और अभी तक महज 50 फीसदी ही काम पूरा हुआ है. ऐसे में एक साल में पचास फीसदी प्रोजेक्ट को पूरा करना आसान नहीं हैं. इस प्रोजेक्ट में ग्रीन बिल्डिंग जैसी योजना पर अभी काम शुरू होना बाकी है और अभी तक स्मार्ट रोड के लिए चयनित चकराता रोड पर काम शुरू नहीं हुआ।

 

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