तो क्या ISI ही निबटा रही है पुराने खालिस्तानी?

 

Why Khalistani Militants Are Dying Suddenly Patron Isi Getting Rid Of Secessionists?
हरदीप, परमजीत, रिपुदमन मलिक… तो क्या खुद खालिस्तानी आतंकियों को मौत की नींद सुला रही ISI?

Khalistani militant deaths reason: मई 2023 से अब तक विदेश में बैठे तीन बड़े खालिस्तानी आतंकवादियों की मौत हो चुकी है। भारतीय एजेंसियों को शक है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI पुराने दहशतगर्दों से निजात पाकर नए खून की भर्ती करने में लगी है।

हाइलाइट्स
ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या
पिछले साल वहीं पर ऐसे ही रिपुदमन मलिक को मौत के घाट उतारा गया
विदेश में छिपे प्रमुख खालिस्तानी आतंकियों को खुद निपटा रही है ISI?

भारती जैन, युधवीर राणा (नई दिल्ली/अमृतसर): ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में खालिस्तान टाइगर फोर्स के चीफ हरदीप सिंह निज्जर की टारगेटेड हत्या की गई। ठीक इसी तरह पिछले साल यहीं पर, 1985 कनिष्क आतंकी बम मामले में दोषी रिपुदमन मलिक, जिसे बाद में बरी कर दिया गया था, की गोलीबारी में हत्या की गई थी। इस साल मई से अब तक, विदेश में बैठे तीन बड़े खालिस्तानी आतंकियों की मौत हुई है। 6 मई को खालिस्तान कमांडो फोर्स (KCF) के मुखिया परमजीत सिंह पंजवार की कथित रूप से पाकिस्तान में हत्या कर दी गई। इससे खुफिया हलकों में यह शक बढ़ा कि कहीं पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI इन सबके पीछे तो नहीं। ISI इन खालिस्तानी आतंकियों की लंबे समय से मदद करती आई है। संभव है कि अब पुराने खिलाड़ियों को ठिकाने लगाकर उनकी जगह नए खून को लाने का प्लान है।

कौन था हरदीप सिंह निज्‍जर

मूल रूप से जालंधर के भार सिंह पुरा गांव का रहने वाला निज्जर पिछले कई सालों से कनाडा का स्थायी नागरिक था। उनके खिलाफ कई आतंकी मुकदमे दर्ज हैं। पंजाब में सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के 2020 सिख रेफरेंडम अभियान से जुड़े मामले हों या टारगेटेड किलिंग के। इनमें RSS सभाओं पर फायरिंग, पंजाब में एक हिंदू पुजारी और मंदिर स्‍टाफ की हत्या शामिल है। भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सिख युवाओं को हथियार मुहैया कराने का आरोप भी उसपर है।

निज्जर तब चर्चा में आया जब उसने वैंकूवर में भारतीय कांसुलेट पर 80 फुट ऊंचा खालिस्तानी झंडा लहराया। पंजाब, हरियाणा, दिल्‍ली और राजस्‍थान में KTF ऑपरेटिव्‍स के ऑर्गनाइज्‍ड क्राइम वाले सिंडिकेट के NIA वाले मामलों में भी निज्‍जर का नाम आया। 2022 में NIA ने निज्जर की गिरफ्तारी से जुड़ी सूचना पर 10 लाख रुपये का इनाम रखा। 2020 में NIA ने जालंधर में उसकी संपत्तियां अटैच कीं।

कई कट्टरपंथी कनाडाई सिखों ने निज्जर की हत्या की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि खालिस्‍तान की आवाज उठाने वाले सिख नेताओं को चुप कराया जा रहा है। इस आरोप में यह डर भी छिपा है कि वे खालिस्तान कट्टरपंथी जो विदेश में लोकेशन का फायदा उठाकर भारत-विरोधी साजिश रचते हैं, अब सेफ नहीं रह गए हैं।

निज्जर ने खुद को मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में पेश कर रहा था। कनाडा के स्‍वतंत्र पत्रकार गुरप्रीत सिंह ने पाकिस्तान में पंजवार की हत्या के बाद सोमवार को निज्जर के साथ इंटरव्‍यू पब्लिक किया था। इस दौरान उसने दावा किया था कि उसे भारतीय खुफिया एजेंसियों से खतरा है। सरकार के उसे नौ अन्‍य खालिस्तानी एक्टिविस्‍ट्स संग ‘इंडिविजुअल टेररिस्ट’ घोषित करने के कदम का जिक्र करते हुए निज्जर ने कहा था, ‘देखते हैं और कौन हिट लिस्ट में है। यहां की एजेंसियां हमें अलर्ट करती आई हैं और हम एजेंसियों को बताते आए हैं कि मानवाधिकार उल्लंघन की बात करने वालों को कॉन्‍ट्रैक्‍ट किलर्स मार सकते हैं।’

कोई लूज एंड नहीं छोड़ना चाह रही ISI

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को एक के बाद एक दो बड़े खालिस्तानी आतंकियों का यूं मारा जाना गले नहीं उतर रहा। कुछ आपस में मची भितरघात की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने पहले अंदेशा जताया था कि ISI के हाथों की कठपुतली रहे निज्जर ने SFJ की UK इकाई के प्रमुख अवतार सिंह खांडा को पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी के इशारे पर मरवाया। ऐसा कहते हैं कि भारतीय पासपोर्ट रखने वाला खांडा ISI के लिए परेशानी का सबब बन गया था। मार्च में लंदन स्थित भारतीय दूतावास पर हमला करने वाली भीड़ के लीडर के रूप में उसकी पहचान सामने आ चुकी थी। ISI को डर था कि खांडा को भारत डिपोर्ट किया जा सकता है और वह सारा भांडा फोड़ सकता है।

 

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