केजरीवाल को चुनाव प्रचार को मिली 21 दिन की जमानत

Arvind Kejriwal को 1 जून तक मिली अंतरिम जमानत, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
Supreme Court on Arvind Kejriwal Bail: शराब घोटाले के आरोप में जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एक दिन पहले गुरुवार को ED ने उनकी जमानत का विरोध किया था.

दिल्ली शराब घोटाला मामले (Delhi Liquor scam) में जेल में बंद अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत (Arvind Kejriwal Interim Bail) मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को 1 जून तक अंतरिम जमानत दे दी है. दिल्ली में वोटिंग के पहले अपनी जमानत की राह देख रहे मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी के लिए ये एक राहत भरी खुशखबरी है.सर्वोच्च अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर आदेश सुनाते हुए उन्हें एक जून तक को अंतरिम जमानत दे दी है. केजरीवाल को 2 जून को सरेंडर करना होगा. हालांकि केंद्रीय जांच एजेंसी ED ने केजरीवाल की जमानत याचिका का विरोध किया था.

भाषण पर रोक नहीं, आखिरी चरण तक प्रचार कर सकेंगे केजरीवाल

केजरीवाल के चुनाव प्रचार को लेकर कोई शर्त नहीं रखी गई है. अब वो आखिरी चरण के चुनाव तक देशभर में घूम-घूम कर कहीं भी प्रचार कर सकेंगे. इस बीच केजरीवाल के वकीलों का कहना है कि उनकी कोशिश रहेगी कि केजरीवाल आज ही तिहाड़ से रिहा हो जाएं.

AAP को आरोपित बनाने की तैयारी

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को हुई सुनवाई के दौरान कहा था कि अगर केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया जाता है, तो भी वह  मुख्यमंत्री के रूप में अपने आधिकारिक कर्तव्य नहीं निभा सकेंगे. वो मुख्‍यमंत्री के रूप में ऑफिशियल ड्यूटी करेंगे तो ये कनफ्लिक्ट होगा. सुप्रीम कोर्ट ने ये साफ किया है कि अगर अरविंद केजरीवाल को अंतरिम ज़मानत मिलती है, तो वो सिर्फ चुनाव प्रचार को मिलेंगी.

इस बीच इसके अलावा अब शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी को आरोपित बनाने की तैयारी है. ऐसा पहली बार होगा,जब किसी राजनीतिक पार्टी को किसी आपराधिक केस में आरोपित बनाया जाएगा.

ये गलत उदाहरण बनेगा: ED

सुनवाई में सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने चुनाव के दृष्टिगत केजरीवाल को ज़मानत देने का पुरजोर विरोध किया. उन्होंने कि अगर केजरीवाल को अंतरिम ज़मानत मिलती है तो ये ग़लत उदाहरण बनेगा. ये सामान्य जन को हतोत्साहित करने वाला होगा कि सिर्फ प्रभाव के चलते किसी को चुनाव प्रचार को ही ज़मानत मिल गई. किसी आपराधिक केस में जितने अधिकार किसी सामान्य नागरिक को हासिल है, उतने ही किसी राजनेता को.

सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला

जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले में कह चुकी है कि वो केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने के सवाल पर 10 मई को अपना फैसला सुनाएगी. वहीं इससे पहले, बेंच में शामिल जस्टिस दीपांकर दत्ता ने संकेत दिए थे कि लोकसभा चुनावों के दृष्टिगत आप नेता को अंतरिम जमानत देने पर विचार हो सकता है।

2 जून को ही करना होगा सरेंडर

सुप्रीम कोर्ट ने वह दिल्ली शराब नीति मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 1 जून तक जमानत दी।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने उक्त आदेश पारित किया।

खंडपीठ ने कहा कि शराब नीति मुकदमा अगस्त 2022 में अंकित हुआ और केजरीवाल की गिरफ्तारी डेढ़ साल बाद मार्च 2024 में हुई। केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और तब से वह हिरासत में हैं।

3 मई को सुनवाई के दौरान बेंच ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केजरीवाल की अंतरिम जमानत के सवाल पर विचार करने की इच्छा जताई थी। बाद की तारीखों में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू द्वारा अंतरिम जमानत देने का कड़ा विरोध किया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि ED के पास केजरीवाल के खिलाफ “सबूत” है और चुनाव प्रचार अंतरिम जमानत देने पर विचार करने का मानदंड नहीं होना चाहिए।

हालांकि, खंडपीठ ने कहा था कि वह निर्वाचित मुख्यमंत्री का मामला देख रही है,न कि कोई आदतन अपराधी और आम चुनाव 5 साल में केवल एक बार होते हैं। 7 मई को सुनवाई में, पीठ ने मौखिक रूप से सुझाव दिया कि यदि वास्तव में अंतरिम रिहाई का निर्देश दिया गया तो केजरीवाल को मुख्यमंत्री के आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी,क्योंकि इसका व्यापक प्रभाव होगा।

ED ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र दे केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने का विरोध किया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि खालिस्तानी गतिविधियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम में हिरासत में लिए गए अमृत पाल सिंह ने भी चुनाव लड़ने के लिए जमानत को अदालत का दरवाजा खटखटाया। एसजी ने कहा कि चुनाव के आधार पर केजरीवाल को जमानत देने से व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

जस्टिस खन्ना ने कहा,”वह (अमृतपाल सिंह मामला) कुछ अलग है।”

एसजी ने कहा कि जब कोई व्यक्ति खुद उम्मीदवार नहीं हो तो उसे प्रचार को छोड़ने का कोई उदाहरण नहीं है।

जस्टिस खन्ना ने कहा,”आइए हम इस तरह की सीधी बात न करें। हम उन्हें 1 जून, 2024 तक अंतरिम राहत देने का आदेश पारित कर रहे हैं। शाम तक आदेश अपलोड करेंगे।”

जस्टिस खन्ना ने कहा कि ED की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर अंतिम बहस अगले सप्ताह पूरी होगी।

जस्टिस खन्ना ने कहा,”अगस्त 2022, ED ने ईसीआईआर दर्ज की। उन्हें मार्च 2024 में गिरफ्तार किया गया। डेढ़ साल तक वह वहां थे। गिरफ्तारी बाद या पहले भी हो सकती थी। फिर, 21 दिन इधर या उधर से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए।”

गौरतलब है कि इससे पहले खंडपीठ ने ED से केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय के बारे में सवाल किया था,जो लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के तुरंत बाद की गई।

सॉलिसिटर जनरल ने आग्रह किया कि खंडपीठ को जमानत को शर्तें लगानी चाहिए जैसे कि उन्हें प्रेस से बात नहीं करनी चाहिए और आखिरी तारीख पर आत्मसमर्पण करना चाहिए। केजरीवाल की ओर से पेश सीनियर वकील डॉक्टर अभिषेक मनु सिंघवी ने अनुरोध किया कि उन्हें परिणाम घोषित होने की तारीख 4 जून तक जमानत दी जाए। हालांकि,खंडपीठ ने कहा कि उन्हें 2 जून को आत्मसमर्पण करना होगा।

केस टाइटल: अरविंद केजरीवाल बनाम प्रवर्तन निदेशालय, एसएलपी (सीआरएल) 5154/2024

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