उत्तराखंड मंत्रीमंडल बैठक में कृषि,खनन,पर्यावरण,स्वास्थ्य,शिक्षा,महिला व बाल विकास बिंदुओं पर निर्णय

Uttarakhand Cabinet meeting: proposals related to energy, planning, revenue housing, discussed

मुख्यमंत्री धामी की अध्यक्षता में हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक, छह महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर लगी मुहर

देहरादून 11 कैबिनेट बैठक में छह प्रस्तावों पर मुहर लगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक जैव प्रौद्योगिकी परिषद से जुड़े मामले में महत्वपूर्ण स्वीकृति दी गई है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित उत्तराखंड मंत्रीमंडल बैठक में कुल छह महत्वपूर्ण मामलों पर मुहर लगी। इन प्रस्तावों में कृषि, खनन, पर्यावरण, स्वास्थ्य शिक्षा, महिला एवं बाल विकास से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

बैठक में जैव प्रौद्योगिकी परिषद से जुड़े मामले में मंत्रिमंडल ने बड़ी स्वीकृति दी। परिषद के दो केंद्रों में पहले से सृजित 46 पदों के संचालन के लिए नियमावली को मंजूरी दे दी गई। वहीं, हाईकोर्ट के निर्देशों में खनन विभाग में 18 नए पदों को सृजित करने को भी स्वीकृति प्रदान की गई है।

पर्यावरण से जुड़े छह फैसले में कैबिनेट ने आसन बैराज की दोनों ओर के क्षेत्र को ‘वेटलैंड जोन’ के रूप में घोषित करने को मंजूरी दे दी। आसन नदी के इस हिस्से की कुल लंबाई 53 किलोमीटर है। पहले इस पर आपत्तियां मांगी गई थीं, जिन्हें दूर करने के बाद यह निर्णय लिया गया ।

नदियों के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र में बनेंगे एसटीपी व एलिवेटेड रोड कारिडोर, उत्‍तराखंड कैबिनेट ने दी हरी झंडी
उत्तराखंड कैबिनेट ने अधिसूचित नदियों के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र में एसटीपी रोपवे टावर जैसे पांच निर्माण कार्यों को मंजूरी दी है। इसके साथ ही देहरादून में आसन नदी के 53 किलोमीटर लंबे बाढ़ मैदान परिक्षेत्र की अंतिम अधिसूचना को भी अनुमोदित किया गया है। यह निर्णय नदियों के किनारे विकास कार्यों को सुगम बनाने के उद्देश्य से लिया गया है क्योंकि अधिसूचित क्षेत्रों में स्थायी निर्माण प्रतिबंधित हैं।

बाढ़ मैदान में निर्माण कार्यों को मंज़ूरी
आसन नदी परिक्षेत्र की अधिसूचना जारी
विकास कार्यों को मिलेगी गति
राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। उत्तराखंड में जिन नदियों के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र अधिसूचित किए जा चुके हैं, उनमें अब एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट), रोपवे टावर, मोबाइल टावर, हाइटेंशन विद्युत लाइन के लिए टावर और एलिवेटेड रोड कारीडोर के लिए नींव निर्माण से संबंधित कार्य हो सकेंगे।
कैबिनेट ने सिंचाई विभाग की ओर से इन पांच कार्यों को बाढ़ मैदान परिक्षेत्र के अंतर्गत अनुमन्य कार्यों की सूची में रखने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी। इसके साथ ही कैबिनेट ने देहरादून में आसन नदी के 53 किलोमीटर लंबे बाढ़ मैदान परिक्षेत्र की अंतिम अधिसूचना जारी करने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया।
इसलिए पड़ रही थी आवश्यकता
प्रदेश में अभी तक गंगा, यमुना, भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, पिंडर, धौलीगंगा, टौंस, काली, शारदा, कोसी, गौला, रिस्पना समेत 15 नदियों के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र अधिसूचित किए जा चुके हैं। इनकी कुल लंबाई 691 किलोमीटर है। अब आसन नदी की अंतिम अधिसूचना जारी होने पर नदियों की संख्या 16 और लंबाई 744 किलोमीटर हो जाएगी।

नदियों के अधिसूचित बाढ़ मैदान परिक्षेत्र में स्थायी निर्माण कार्य नहीं हो सकते। ऐसे में देहरादून समेत अन्य स्थानों पर नदियों के बाढ़ मैदान क्षेत्रों में प्रस्तावित कार्यों को लेकर दिक्कतें आ रही थीं। इस सबको देखते हुए कैबिनेट ने अब नदियों के अधिसूचित बाढ़ मैदान परिक्षेत्र में पांच निर्माण कार्यों को स्वीकृति दी है।
क्या है नदी का बाढ़ मैदान परिक्षेत्र
किसी भी नदी में बाढ़ की स्थिति में उसका पानी तटों के दोनों ओर कितने क्षेत्र में फैल सकता है, उसे ही बाढ़ मैदान परिक्षेत्र कहा जाता है। इसे अधिसूचित करने के लिए 100 साल और 25 साल में अधिकतम बाढ़ के प्रभाव क्षेत्र का आकलन किया जाता है।
इसके आधार पर ही बाढ़ मैदान परिक्षेत्र अधिसूचित किए जाते हैं। इस परिक्षेत्र में स्थायी निर्माण समेत कोई ऐसा कार्य नहीं हो सकता, जिससे नदियों के पानी का प्रवाह बाधित हो। यदि ऐसे अधिसूचित क्षेत्र में कोई कार्य बेहद आवश्यक है तो उसके लिए शासन से अनुमति लेनी आवश्यक है।
आसन नदी के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र के दायरे में 63 गांव
देहरादून जिले में आसन नदी के उद्गम स्थल भट्टाफाल से लेकर आसन बैराज तक के 53 किलोमीटर क्षेत्र में बाढ़ मैदान परिक्षेत्र की अंतिम अधिसूचना अब शीघ्र ही जारी की जाएगी। सिंचाई विभाग की ओर से इस संबंध में कैबिनेट के समक्ष प्रस्ताव रखा गया था, जिसे अनुमोदित कर दिया गया।
आसन के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र के दायरे में तहसील सदर के 26 और विकासनगर तहसील के 37 गांव शामिल हैं। बाढ़ मैदान परिक्षेत्र में 25 साल के अधिकतम बाढ़ प्रवाह क्षेत्र के आकलन के आधार पर 1078.731 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल किया गया है।
यानी, इस क्षेत्र में नदी की बाढ़ का खतरा अधिक हो सकता है। इसी तरह 100 साल के आकलन के हिसाब से 589.355 हेक्टेयर क्षेत्र निर्धारित किया गया है। इसका अर्थ यह हुआ कि यह क्षेत्र कम खतरे वाला है। यद्यपि, दोनों ही क्षेत्रों में कृषि भूमि अधिक है।

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