बलिदान दिवस: पांच जेलों में रखे गए अमूल्य चरण चौधरी ने अमानवीय यातनाओं से कर ली थी आत्महत्या

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चरित्र-निर्माण, समाज-सुधार तथा राष्ट्रवादी जन-चेतना के लिए समर्पित *मातृभूमि सेवा संस्था* (राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत) आज देश के ज्ञात व अज्ञात राष्ट्रभक्तों को उनके अवतरण, स्वर्गारोहण व बलिदान दिवस पर कोटि कोटि नमन करती है।🙏🙏🌹🌹🌹🌹

🌷🌷🙏 *अमूल्य चरण चौधरी जी* 🙏🌷🌷

📝राष्ट्रभक्त साथियों, मातृभूमि को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने के प्रयास में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाली क्रांतिकारी संस्थाओं में युगांतर/जुगांतर दल की भूमिका को सदैव याद रखा जाएगा, जिसने 20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में अरबिंदो घोष, सूर्य सेन, बरिंद्र घोष, बाघा जतिन, खुदीराम बोस, प्रफुल्ल चंद चाकी, प्रितिलता वद्देदर, कनाईलाल दत्त, सत्येंद्रनाथ बोस, बसंत कुमार बिस्वास, भूपेंद्र कुमार दत्त, उल्लासकर दत्त, दिनेश चंद्र मजूमदार आदि के समर्पण एवम त्याग से ब्रिटिश सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। साथियों आज उसी क्रांतिकारी संस्था युगांतर अथवा जुगांतर दल के एक महान देशभक्त अमूल्य चरण चौधरी जी के 83वें बलिदान दिवस पर उनके संक्षिप्त परिचय को मातृभूमि सेवा संस्था आप तक पहुँचाने का प्रयास कर रही है।

📝 अविभाजित भारत एवम वर्तमान बांग्लादेश के ‎चटगाँव के साकपुरा (बोआखली) में पिता पूर्ण चन्द्र चौधरी जी के घर सन् 1913 में जन्मे अमूल्य चरण चौधरी जी क्रांतिकारी संगठन युगांतर दल के सक्रिय सदस्य थे, जिन्हें 21 जुलाई सन् 1934 में क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण गिरफ्तार कर ‎चटगाँव जेल में कैद कर लिया गया। उन्हें जेल में बुरी तरह अमानवीय तरीकों प्रताड़ित किया जाता। उन्हें बार- बार एक जेल से दूसरे जेल में कैद किया जाता। इसी क्रम में अमूल्य चरण चौधरी जी को 04.09.1934 को ढाका जेल, 24.11.1934 को बरहामपुर कैंप, 23.04.1936 को प्रेसीडेंसी जेल कलकत्ता, 03.11.1936 को इन्हे नदिया जिले के करीमपुर गाँव में नजरबंद रखा। अंत में इन्हे इनके गाँव साकपुरा, बोआखली, ‎चटगाँव में नजरबंद रखा गया, जहाँ इन्होंने अपने ऊपर जरूरत से बहुत ज्यादा होती अमानवीय यातनाओं के कारण आत्म हत्या कर प्राण त्याग दिए।

*नोट:-* लेख में कोई त्रुटि हो तो अवश्य मार्गदर्शन करें।

✍️ राकेश कुमार
*🇮🇳 मातृभूमि सेवा संस्था 9891960477 🇮🇳*

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