एक रहस्यमय चिट्ठी से जेल पहुंच गए थे सुब्रत रॉय

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Subrata Roy Sahara Death: आसमान में उड़ रहे सुब्रत रॉय का कैसे शुरू हुआ डाउनफॉल? अर्श से फर्श पर आने की कहानी
सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 75 साल के थे। लंबे समय से वह हाई बीपी, डायबिटीज सहित अलग-अलग बीमारियों से जूझ रहे थे। रात साढ़े 10 बजे उनका निधन हो गया। तबीयत बिगड़ने के बाद रविवार को उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

नई दिल्ली 14 नवंबर: सहारा समूह के मुखिया सुब्रत रॉय का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। मुंबई के कोकिला बेन अस्‍पताल में मंगलवार को उन्‍होंने अंतिम सांस ली। वह 75 साल के थे। सुब्रत रॉय की जिंदगी उतार-चढ़ाव से भरी थी। वह जितनी जल्‍दी फर्श से अर्श पर पहुंचे, उतनी ही तेजी से अर्श से फर्श पर आ गए। कभी सहारा ग्रुप की चार हजार से ज्‍यादा कंपनियां खड़ी हो गई थीं। इनमें से 4 शेयर बाजार में सूचीबद्ध थीं। सहारा ग्रुप सालों तक इंडियन क्रिकेट टीम और इंडियन हॉकी टीम का स्‍पॉन्‍सर रहा। यही नहीं, उसने लखनऊ में सहारा शहर भी बसाया। सभी तरह की लक्‍जरी से लैस। इसमें हेलीपैड, क्रिकेट स्‍टेडियम, गोल्‍फ कोर्ट, थियेटर से लेकर कई पेट्रोल पंप तक थे। सुब्रत रॉय ने मुंबई में टाउनशिप भी बनाई। देखते ही देखते सुब्रत रॉय ने इतना बड़ा साम्राज्‍य खड़ा कर दिया जिसके कई पीढ़‍ियों तक ढहने का सपना भी नहीं देखा जा सकता था। लेकिन, ऐसा उनके सामने ही हो गया।
बात 1996 की है। सहारा की नाव ने पहली बार हिचकोले तब लिए जब प्रसनजीत सिंह नाम के इनकम टैक्‍स अफसर की नजर उनके कारोबार पर पड़ गई। उस समय तक सुब्रत रॉय हवा में उड़ रहे थे। उनके काफी ज्‍यादा पॉलिटिकल कनेक्‍शन थे। इस अफसर ने जब सुब्रत रॉय से बेशुमार दौलत को लेकर जवाब मांगा तो उन्‍होंने कुछ नेताओं के नाम आगे रख दिए।

मामले में नेताओं को भी अपनी पोल खुलने का डर था। लिहाजा, इन्‍क्‍वायरी करने वाले इनकम टैक्‍स अफसर का ही सुब्रत रॉय ने ट्रांसफर करा दिया। तब उन्‍हें लगा कि शायद बला टल गई है। लेकिन, उनके राहत के दिन लंबे नहीं रहे। 2008 में दोबारा सहारा के बुरे दिन शुरू हो गए। फिर इस सिलसिले ने थमने का नाम नहीं लिया। उस साल शेयर बाजार नियामक सेबी ने उन पर किसी भी और कंपनी के नाम पर निवेश लेने पर रोक लगा दी थी। यहीं से सहारा के खराब दिन शुरू हो गए। वह जेल तक गए। निवेशकों का पैसा लौटाने की तलवार ग्रुप पर आज तक लटकी हुई है।

One Note Had Sent Sahara Group Chief Subrata Roy To Jail
एक रहस्यपूर्ण चिट्ठी ने सहारा के चीफ सुब्रत रॉय को पहुंचा दिया था जेल, जानिए क्या था मामला

सहारा ग्रुप की कभी देश की राजनीति से लेकर खेल और बॉलीवुड में तूती बोलती थी। ग्रुप के पास आईपीएल और फॉर्मूला वन टीम भी थी। लेकिन एक चिट्ठी ने सहारा ग्रुप की ईंट से ईंट बजाकर रख दी थी।

राजनीति से लेकर खेल और बॉलीवुड तक था सहारा का जलवा
सुब्रत राय के बेटों की शादी में बड़े-बड़े नेता-अभिनेता शामिल हुए
लेकिन एक चिट्ठी ने सुब्रत रॉय को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया
सहारा ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय का निधन हो गया है। उन्होंने 75 साल के थे और उन्होंने मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में अंतिम सांस ली। सहारा ग्रुप कभी देश के सबसे ताकतवर कारोबारी घरानों में से एक था। इसका बिजनस रियल एस्टेट, मीडिया, हॉस्पिटैलिटी, फाइनेंशियल सर्विसेज और एयरलाइन तक फैला था। इसके पास आईपीएल में एक टीम भी थी। फॉर्मूला वन टीम फोर्स इंडिया में भी इस ग्रुप का निवेश था। कई साल तक सहारा ग्रुप भारतीय क्रिकेट टीम का भी स्पॉन्सर रहा। सहारा के प्रमुख सुब्रत रॉय की सत्ता के गलियारों में भी उनकी तूती बोलती थी। उनके बेटों की शादी में कई बड़े-बड़े नेता और अभिनेता शामिल हुए थे। फिर आखिर फिर ऐसा क्या हुआ कि इतने रसूखदार आदमी को जेल की हवा खानी पड़ी?

कहते हैं कि एक चिट्ठी ने सहारा में चल रही कथित गड़बड़ियों का सारा कच्चा चिट्ठा खोल दिया था। आखिर उस चिट्ठी में क्या था और किसने लिखी थी वह चिट्ठी? दरअसल 4 जनवरी, 2010 को रोशन लाल नाम के एक व्यक्ति ने नेशनल हाउसिंग बैंक को हिंदी में लिखा एक नोट भेजा। रोशन लाल का दावा था कि वह इंदौर में रहते हैं और पेशे से सीए हैं। इस चिट्ठी में उन्होंने लखनऊ के सहारा ग्रुप की दो कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन द्वारा जारी बॉन्ड्स की जांच करने का अनुरोध एनएचबी से किया था। उनका कहना था कि बड़ी संख्या में लोगों ने सहारा ग्रुप की कंपनियों के बॉन्ड खरीदे हैं लेकिन ये नियमों के मुताबिक जारी नहीं किए गए हैं।

सेबी को फॉरवर्ड हुई चिट्ठी

नेशनल हाउसिंग बैंक के पास इस तरह के आरोपों की जांच करने का अधिकार नहीं था, इसलिए उसने यह चिट्ठी कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी को फॉरवर्ड कर दी। एक महीने बाद सेबी को अहमदाबाद की के एक एडवोकेसी ग्रुप प्रोफेशनल ग्रुप फॉर इनवेस्ट प्रोटेक्शन की तरफ से भी इसी तरह का एक नोट मिला। सेबी ने 24 नवंबर, 2010 को सहारा ग्रुप के किसी भी रूप में पब्लिक से पैसा जुटाने पर पाबंदी लगा दी। आखिरकार यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और कोर्ट ने सहारा ग्रुप को निवेशकों के पैसे 15 फीसदी सालाना ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया। यह रकम 24,029 करोड़ रुपये थी।

साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सहारा समूह की कंपनियों ने सेबी कानूनों का उल्लंघन किया। कंपनियों ने कहा कि उन लाखों भारतीयों से पैसे जुटाए गए जो बैंकिंग सुविधाओं का लाभ नहीं उठा सकते थे। सहारा ग्रुप की कंपनियां निवेशकों को भुगतान करने में विफल रहीं, तो अदालत ने रॉय को जेल भेज दिया। वह लगभग दो साल से अधिक का समय जेल में काट चुके हैं। छह मई 2017 से वह पेरोल पर हैं। पहली बार उन्हें परोल मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के नाम पर मिला था, जिसे बाद में तब बढ़ा दिया गया था।

कौन थे रोशन लाल
सरकार ने संसद में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया था कि सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने 232.85 लाख निवेशकों से 19,400.87 करोड़ रुपये और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 75.14 लाख निवेशकों से 6380.50 करोड़ रुपये कलेक्ट किए थे। सहारा का कहना है कि वह निवेशकों के पैसे वापस करना चाहता है लेकिन यह रकम सेबी का पास फंसी है। दूसरी ओर सेबी का कहना है कि वह सहारा के न‍िवेशकों को ब्याज समेत कुल 138.07 करोड़ रुपये ही वापस कर पाया। इसकी वजह यह है कि उसे इतने ही दावे मिले।

सहारा ग्रुप ने रोशन लाल को खोजने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मिले। सहारा ग्रुप के वकीलों ने ऑन रेकॉर्ड बताया था कि सहारा प्राइम सिटी इश्यू के मर्चेंट बैंकर Enam Securities ने इंदौर की जनता कॉलोनी में रोशन लाल के पते पर एक लेटर भेजा था लेकिन यह वापस आ गया। इसमें लिखा गया था कि एड्रेस मिला ही नहीं। इतना ही नहीं इस मामले में रुचि रखने वाले कई लोगों ने भी रोशन लाल को खोजने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मिले। जानकारों का कहना है कि रोशन लाल नाम का कोई व्यक्ति है ही नहीं। यह काम किसी कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्वी का हो सकता है।

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सहारा श्री सुब्रत रॉय के निधन से चर्चा में पत्नी और बच्चे, भारत को छोड मेसेडोनिया की ले रखी है नागरिकता

बहुत कम लोगों को मालूम है कि सहारा श्री सुब्रत रॉय की पत्नी स्वप्ना रॉय और बेटे सुशांतो रॉय ने भारत की नागरिकता को छोड़कर बॉल्कन देश मैसेडोनिया की नागरिकता ले ली थी। उन्होंने यह नागरिकता भारतीय कानून से बचने को ली थी। सहारा श्री के खिलाफ निवेशकों का पैसा न लौटाने को लेकर कई मामले चल रहे थे। ऐसे में उनके परिवार के सदस्यों ने दूसरे देश की नागरिकता लेकर खुद को भारतीय कानून से दूर करने की कोशिश की थी।

निवेश के लिए नागरिकता देता है मैसेडोनिया

मैसेडोनिया दक्षिण पूर्वी यूरोप में स्थित देश है। यह एक नया देश है, जो निवेश के लिए लोगों को नागरिकता देता है। रिपोर्ट के अनुसार, कोई भी नागरिक जो मैसेडोनिया की नागरिकता लेना चाहता है, उसे बस 4 लाख यूरो के निवेश करने की घोषणा करनी होती है और 10 स्थानीय लोगों को नौकरी देनी होती है। ऐसा करने से उसे मैसेडोनिया की नागरिकता आसानी से मिल सकती है। इसके अलावा जो विदेशी मैसेडोनिया के रियल एस्टेट में 40 हजार यूरो से अधिक निवेश करता है, उसे सालभर रहने का अधिकार मिलता है। मैसेडोनिया ऐसा अपने देश में बेरोजगारी की दर को कम करने के लिए कर रहा है। मैसेडोनिया में बरोजगारों का संख्या काफी अधिक है।

सहारा श्री के मैसेडोनिया के साथ अच्छे थे रिश्ते

रिपोर्ट्स से अनुसार, सुब्रत रॉय सहारा के मैसेडोनिया के साथ काफी अच्छे रिश्ते थे। वह कई बार मैसेडोनिया के राजकीय अतिथि भी रह चुके थे। उन्होंने मैसेडोनिया में मदर टेरेसा की एक बड़ी प्रतिमा स्थापित करने का प्रस्ताव भी किया था। वहां एक कसीनो भी खोलना चाहते थे । मैसेडोनिया पहले युगोस्लाविया का हिस्सा था। बाद में वह 1991 में आजाद हो गया और 1993 में संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बना।

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