सोनिया जब टकराने चली वाजपेयी से,रात 11 बजे दिया था अटल ने जवाब

…जब सोनिया पर भड़के थे वाजपेयी, अविश्वास प्रस्ताव पर रात 11 बजे सदन में दिया था जवाब

2003 में सोनिया गांधी ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव की बहस से मिले मौके से अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को ऐसे-ऐसे शब्दों से कोसा, जिसे सुनकर वाजपेयी को गुस्सा आ गया

अटल बिहारी वाजपेयी और सोनिया गांधी

2019 से पहले विपक्ष ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का दांव चला है. देश में इससे पहले 26 बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जा चुका है. आज से 15 साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के वक्त कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाई थी. उस दौरान सदन में अपने भाषण में वाजपेयी सोनिया गांधी पर बहुत ज्यादा गुस्सा हो गए थे. उनका गुस्सा देख पूरा सदन चौंक गया था.

9 प्वाइंट में लगाए थे आरोप

वाजपेयी सिर्फ अविश्वास प्रस्ताव से नाखुश नहीं थे. वे उस समय सोनिया गांधी के भाषण से भी बेहद गुस्से में थे. दरअसल तब सोनिया ने वाजपेयी सरकार को नाकाबिल और भ्रष्ट कहा था. सोनिया ने वाजपेयी सरकार पर 9 प्वाइंट में आरोप लगाए थे. इनका वाजपेयी ने बेहद तीखे अंदाज में जवाब दिया. उस अविश्वास प्रस्ताव पर दो दिन तक सदन में बहस चली. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रात को 11 बजे संसद में इस पर जवाब दिया था.

एक ही पैरे में इकट्ठे कर दिए सारे शब्द

सोनिया गांधी ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव की बहस से मिले मौके से अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को ऐसे-ऐसे शब्दों से कोसा, जिसे सुनकर वाजपेयी को गुस्सा आ गया. अविश्वास प्रस्ताव पेश करते समय सोनिया गांधी के भाषण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब मैंने श्रीमती सोनिया जी का भाषण पढ़ा, तो दंग रह गया. उन्होंने एक ही पैरा में सारे शब्द इकट्ठे कर दिए. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार ने खुद दिखा दिया कि कैसे वो नाकाबिल है, संवेदनहीन है, गैर जिम्मेदार है, और बड़ी ढिठाई से भ्रष्ट है. उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि राजनीति में जो कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं, उनके बारे में आपका ये मूल्यांकन है. मतभेदों को प्रकट करने का ये कैसा तरीका है.

असेंबली में हो जाएंगे दो-दो हाथ

वाजपेयी ने सोनिया के आरोप को दोहराते हुए कहा- ये वो सरकार है, जिसने जनादेश को धोखा दिया है. उन्होंने पूछा कि किसने आपको जज बनाया है? आप यहां तो शक्ति परीक्षण के लिए तैयार नहीं है. जब असेंबली के चुनाव होंगे, तब हो जाएंगे दो दो हाथ. उन्होंने कहा कि सभ्य तरीके से लड़िए, इस देश की मर्यादाओं का ध्यान रखिए. गाली से देश की समस्या का समाधान नहीं होगा.

अविश्वास प्रस्ताव पर वाजपेयी ने उठाए थे सवाल

सदन में भाषण देते वक्त वाजपेयी ने कहा कि इस वक्त अविश्वास प्रस्ताव लाने का मुझे कोई कारण ही नहीं दिखाई देता. सदन को संबोधित करते हुए वाजपेयी ने कहा कि कभी सरकार के पतन की स्थिति होती है तो अविश्वास प्रस्ताव आता है. कभी सत्तारूढ़ दल के टूटने की स्थिति होती है तो अविश्वास प्रस्ताव आता है. सामान्य स्थिति में भी सरकार को जागरूक रखने के लिए या अपने दृष्टिकोण की विशेष बात प्रकट करने के लिए हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि इस समय कौन सा उद्देश्य है. सरकार के टूटने का तो कोई सवाल ही नहीं. वाजपेयी की बात सही भी हुई. अविश्वास प्रस्ताव गिर गया. उस समय NDA को 312 वोट मिले थे, जबकि विपक्ष सिर्फ 186 का नंबर जुटा सका था

सोनिया ने कहा था झूठा, वाजपेयी ने शालीनता से दिया था ये जवाब

1999 में एक सभा के दौरान सोनिया गांधी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने झूठ बोला है. जिसके बाद वाजपेयी ने ग्वालियर की एक सभा में अपनी ही शैली जवाब दिया था.

अटल बिहारी वाजपेयी और सोनिया गांधी

अटल बिहारी वाजपेयी हमेशा से अपनी वाकपटुता के लिए जाने जाते रहे. उनकी इस शैली को चरितार्थ करता एक वाक्या याद आता है, जब उन्होंने सोनिया गांधी द्वारा उनकी बात को झूठा कहने पर बड़े ही विनम्रता के साथ पलटवार किया था.

1999 में एक वोट से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार गिर गई थी. इसके बाद सोनिया गांधी ने एक चुनावी भाषण में कहा था कि अटल बिहारी वाजपेयी ने झूठ कहा है।

जिसके जवाब में ग्वालियर के फूलबाग मैदान पर सभा के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने ही अंदाज में सोनिया गांधी पर पलटवार किया था. उन्होंने कहा, ‘मुझे सोनिया गांधी ने झूठा कहा है, मैं भी जवाब दे सकता हूं लेकिन ग्वालियर के लोगों ने मुझे ऐसे संस्कार नहीं दिए हैं.’ उनकी इस बात के बाद फूलबाग मैदान तालियों की गड़गड़ाहट के साथ-साथ अटल बिहारी वाजपेयी के नाम के नारों से गूंज उठा था.

इस सभा में अटल जी ने दुख भी जताया था कि एक वोट के खिलाफ जाने के कारण सदन में वो बहुमत साबित नहीं कर पाए और 13 महीने बाद उनकी सरकार गिर गई.

दरअसल, 1998 के लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में अन्नाद्रमुक के साथ मिलकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने केंद्र में सरकार बनाई.
लेकिन सरकार बनने के 13 महीने बाद अन्नाद्रमुक ने राजग से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद सदन में हुए फ्लोर टेस्ट में वाजपेयी बहुमत साबित नहीं कर पाए और एक वोट से सरकार गिर गई. बता दें कि ओडिशा के मुख्यमंत्री गिरधर गमांग ने सरकार के खिलाफ वोट डाला था. इसके लिए वो खासतौर पर दिल्ली आए थे.इसे तब सबने अनैतिक माना था।

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