‘नरेंद्र सरेंडर’ वाले राहुल गांधी को भाजपा से बेहतर तो शशि थरूर ने धोया

 ‘नरेंद्र सरेंडर’ वाले बयान पर राहुल गांधी को भारतीय जनता पार्टी  से बेहतर तो शशि थरूर ने घेरा
जहां भारतीय जनता पार्टी  ने राहुल गांधी पर पाकिस्तान का एजेंट जैसे आरोप लगाए, वहीं थरूर ने तथ्यपरक कूटनीतिक जवाब देकर राहुल के बयान की कमजोरी दिखा दी. भारतीय जनता पार्टी  के हमले वोट बटोरु थे, लेकिन थरूर की प्रतिक्रिया ने बिना व्यक्तिगत हमले किए राहुल के तर्क कमजोर दिये

नई दिल्ली,05 जून 2025,कांग्रेस नेता राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी  पर ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान युद्धविराम को लेकर लगातार हमलावर हैं. पर 4 जून 2025 को राहुल गांधी ने हद ही कर दी. उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री   मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दबाव में आत्मसमर्पण कर दिया. इतना ही नहीं, ये सब कहने का अंदाज भी उनका इतना खराब था कि जैसे कोई दुश्मन देश बोल रहा हो. राहुल गांधी ने 3 जून को मध्य प्रदेश में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि, ‘मैं   बीजेपी और आरएसएस वालों को अच्छे से जान गया हूं. इनको थोड़ा सा दबाओ तो डर कर भाग जाते हैं.’राहुल ने आगे कहा, उधर से ट्रंप ने फोन किया और इशारा किया कि मोदी जी क्या कर रहे हो? नरेंदर, सरेंडर. और ‘जी हुजूर’ कर के मोदी जी ने ट्रंप के इशारे का पालन किया. राहुल गांधी ने 1971 के युद्ध के दौरान इंदिरा गांधी के मजबूत नेतृत्व के साथ तुलना करते हुए  भारतीय जनता पार्टी     और आरएसएस पर दबाव में झुकने का आरोप लगाया. जाहिर है कि इस बयान पर राजनीतिक हलकों में विवाद होना ही था.  भारतीय जनता पार्टी   ने इसे राष्ट्रद्रोह और भारतीय सेना का अपमान करार देते हुए राहुल गांधी की कड़ी आलोचना की है.

लेकिन इसी बीच खास यह रहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने राहुल गांधी के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी. थरूर ने न केवल राहुल गांधी को उनके इस बयान के लिए दर्पण  दिखाया ,इस विषय पर   भारतीय जनता पार्टी   नेताओं की तुलना में बहुत अच्छे तरीके से अपनी बात रखी. थरूर, जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का पक्ष रखने अमेरिका में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, ने स्पष्ट किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष समाप्त कराने में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं की थी.

राहुल गांधी का नरेंद्र सरेंडर बयान

राहुल गांधी ने अपने बयान में कहा कि डोनाल्ड ट्रम्प के दावों के अनुसार, जिन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में अपनी भूमिका का दावा किया था, प्रधानमंत्री  मोदी ने ट्रम्प के सामने आत्म समर्पण किया. राहुल ने इसे 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी के नेतृत्व से तुलना करते हुए कहा कि कांग्रेस ने कभी भी बाहरी दबाव के सामने झुके बिना मजबूती से देश का नेतृत्व किया. इस बयान ने  भारतीय जनता पार्टी  को हमलावर होने का मौका दिया, और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसे राष्ट्रद्रोह करार देते हुए कहा कि राहुल गांधी ने भारतीय सेना की वीरता और साहस का अपमान किया है. नड्डा ने दावा किया कि ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने 300 किमी तक पाकिस्तान में प्रवेश किया, 11 हवाई अड्डों को नष्ट किया, 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया, और 150 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया.

भारतीय जनता पार्टी  के प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें डीजीएमओ, विदेश मंत्रालय, और यहां तक कि कांग्रेस के अपने नेताओं जैसे शशि थरूर, मनीष तिवारी, और सलमान खुर्शीद पर भरोसा करना चाहिए, जिन्होंने स्पष्ट किया कि कोई मध्यस्थता नहीं हुई थी. भारतीय जनता पार्टी    ने राहुल गांधी को पाकिस्तान का एजेंट तक करार दिया, जिससे यह विवाद और गहरा गया.

शशि थरूर की सधी हुई प्रतिक्रिया

शशि थरूर, जो वाशिंगटन डीसी में भारत का पक्ष रखने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे, ने राहुल गांधी के बयान पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा,भारत को किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की जरूरत नहीं थी. हमने कभी किसी से कुछ मांगा नहीं. उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प के दावों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत को रुकने को किसी की सलाह की जरूरत नहीं थी, और जब पाकिस्तान ने युद्धविराम की बात शुरू की, तब भारत ने भी जवाब दिया. थरूर ने यह भी जोड़ा कि भारत भविष्य में भी, अगर पाकिस्तान से आतंकी हमले होते हैं, तो बल प्रयोग करने को तैयार है. हमें पाकिस्तानियों से उनकी आतंकवाद की भाषा में बात करने में कोई दिक्कत नहीं है. हम ताकत की भाषा का इस्तेमाल करेंगे, और इसके लिए किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है.

एक महिला पत्रकार ने शशि थरूर से सीधे पूछा कि भारत में आपकी पार्टी लगातार प्रश्न पूछ रही है. कल ही आपकी पार्टी के नेता राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री  मोदी ने ट्रंप के सामने सरेंडर कर दिया? इस सवाल के जवाब में शशि थरूर ने कहा कि हमारे मन में अमेरिका के राष्ट्रपति पद के प्रति अगाध आस्था है, हम अमेरिका के राष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, हम अपने बारे ये कह सकते हैं कि हमने विशेषकर किसी को मध्यस्थता करने के लिए कहा नहीं.

थरूर की यह प्रतिक्रिया न केवल कूटनीतिक थी, बल्कि इसमें एक सूक्ष्म तरीके से राहुल गांधी के बयान को निरस्त करने की शैली थी. जहां  भारतीय जनता पार्टी  ने राहुल गांधी पर सीधे और तीखे हमले किए, वहीं थरूर ने अपने बयान में न तो राहुल का नाम लिया और न ही सीधे तौर पर उनकी आलोचना की. इसके बजाय, उन्होंने तथ्य सामने रखते हुए भारत की स्वतंत्र नीति और मजबूत रुख को रेखांकित किया.

थरूर ने कैसे भारतीय जनता पार्टी   से बेहतर ढंग से राहुल को घेरा?

भारतीय जनता पार्टी  ने राहुल गांधी के बयान को राष्ट्रद्रोह और सेना का अपमान जैसे कठोर शब्दों से निशाना बनाया, जो उनकी सामान्य आक्रामक राजनीतिक शैली का हिस्सा है. दूसरी ओर, थरूर ने राहुल के सरेंडर वाले दावे को बिना उनका नाम लिए निरस्त कर दिया. उनकी प्रतिक्रिया में एक परिपक्व और बौद्धिक दृष्टिकोण था, जो भारतीय जनता पार्टी  की तुलना में अधिक प्रभावी साबित हुआ. क्योंकि यह न तो आक्रामक था और न ही व्यक्तिगत. थरूर ने तथ्यों और भारत की कूटनीतिक स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे उनकी बात अधिक विश्वसनीय और सम्मानजनक लगी.

थरूर ने अपने बयान में भारत के राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी और यह स्पष्ट किया कि भारत की नीति स्वतंत्र और मजबूत है. यह रुख   भारतीय जनता पार्टी के आरोपों से अलग था, जो राहुल गांधी को व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाते हुए राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे थे. थरूर ने यह दिखाया कि वह भारत के रुख का बचाव करने में सक्षम हैं, बिना पार्टी लाइन से पूरी तरह विचलित हुए. यह उनकी पहले की टिप्पणियों से भी मेल खाता है, जहां उन्होंने राष्ट्रीय हित पार्टी की राजनीति से ऊपररखे, जैसे कि 2016 में उरी सर्जिकल स्ट्राइक के समय भी उन्होंने ऐसे ही बयान दिए थे.

जहां भारतीय जनता पार्टी  ने राहुल गांधी पर पाकिस्तान का एजेंट जैसे भावनात्मक और अतिशयोक्तिपूर्ण आरोप लगाए, वहीं थरूर ने तथ्यपरक और कूटनीतिक जवाब देकर राहुल के बयान की कमजोरी दर्शा दी.  भारतीय जनता पार्टी  के हमले जनता के एक वर्ग को भड़काने को थे, लेकिन थरूर की प्रतिक्रिया ने बिना व्यक्तिगत हमले राहुल का तर्क कमजोर कर दिया, उन्होंने यह दिखाया कि भारत की नीति स्वतंत्र थी और किसी बाहरी दबाव का परिणाम नहीं थी, जिससे राहुल का सरेंडर वाला दावा कमजोर पड़ गया.

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