श्रृंगार गौरी को कोर्ट ने माना सुनवाई योग्य, मुसलमानों का 1991 के एक्ट का दांव विफल

Gyanvapi Case : ज्ञानवापी केस में मुस्लिम पक्ष का सबसे बड़ा ‘हथियार’ फेल? 2024 से पहले इस फैसले से क्या बदलने वाला है।

ज्ञानवापी केस की अभी शुरुआत हुई है। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका सुनवाई योग्य मानी है। मुस्लिम पक्ष 1991 ऐक्ट का हवाला देकर इसका विरोध कर रहा था। अब मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट जाने वाला है लेकिन क्या इस फैसले से मथुरा समेत दूसरे मंदिर-मस्जिद विवाद का अध्याय खुल गया है?

हाइलाइट्स
1-ज्ञानवापी केस में वाराणसी कोर्ट अब सुनवाई शुरू करेगा
2-मुस्लिम पक्ष की सुनवाई के योग्य न मानने की अर्जी खारिज
3-1991 के ऐक्ट पर कोर्ट बोला, वह आड़े नहीं आता है

ज्ञानवापी पर फैसले से हिंदू पक्ष गदगद, कचहरी में जश्न का माहौल देखें

नई दिल्ली 13 सितंबर: वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में जब से कोर्ट ने सुनवाई के योग्य वाला फैसला दिया है, हिंदू पक्ष जश्न मना रहा है। जैसे ही हिंदू पक्ष के वकील ने बाहर आकर बताया कि कोर्ट ने हमारी सारी दलीलें मान ली है, मुस्लिम पक्ष की अर्जी खारिज हो गई है… महिला-पुरुषों ने सड़क पर ही ‘हर हर महादेव’ नारे लगाने शुरू कर दिए। खुशी में महिलाओं ने गाना भी गाया, ‘बम-बम बोल रहा है काशी’। टीवी चैनलों के कैमरे पल-पल की घटना का लाइव कवरेज दिखा रहे थे, उनके सामने ही याचिकाकर्ता महिलाएं जश्न मनाते हुए झूमने लगीं। कुछ लोगों ने पटाखे जलाए। नगाड़े बजे। अभी तो झांकी है, दर्शन अभी बाकी है… ऐसे नारे देर शाम तक काशी की गलियों में गूंजते रहे। हालांकि असदुद्दीन ओवैसी समेत मुस्लिम पक्ष ने 1991 के एक्ट का हवाला देते हुए कोर्ट फैसले पर नाराजगी जताई है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या वाराणसी कोर्ट के फैसले का असर मथुरा समेत दूसरे मामलों पर भी पड़ेगा?

ओवैसी और 1991 का ऐक्ट

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के फैसले पर कहा है कि 1991 के प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का तो मकसद ही फेल हो गया। उधर, हिंदू संतों का कहना है कि मथुरा और काशी के साथ-साथ 20 हजार मंदिर ऐसे हैं, जहां हम विजय हासिल करेंगे। वाराणसी कोर्ट के फैसले से साफ है कि 1991 का पूजा स्थल कानून श्रृंगार गौरी केस के आड़े नहीं आएगा,यानी ज्ञानवापी परिसर में पूजा के अधिकार वाली पांच महिलाओं की याचिका अब सुनी जा सकती है।

हिंदू पक्ष के लिए शुभ संकेत क्या है?

इस फैसले का मतलब यह भी निकलता है कि काशी मामले में मुस्लिम पक्ष का सबसे बड़ा हथियार यानी 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप ऐक्ट अपना प्रभाव खो सकता है। इससे सभी विवादित पूजास्थलों की कानूनी लड़ाई में हिंदुओं के लिए नई उम्मीद पैदा होगी। सिर्फ काशी ही क्यों, इस बात की पूरी संभावना है कि वाराणसी कोर्ट के फैसले को मथुरा समेत अन्य विवादित स्थलों के मामलों में हिंदू पक्ष अपनी दलीलों में शामिल कर सकता है।

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इतना ही नहीं, ओवैसी काफी पहले से आशंका जता चुके हैं, अयोध्या में मंदिर बनना शुरू होने के बाद शांत हो चुका मंदिर-मस्जिद विवाद फिर से जोर पकड़ सकता है। ऐसे में सवाल है कि क्या अब मंदिर पॉलिटिक्स का नया अध्याय शुरू हो सकता है। ज्यादा कुछ नहीं, यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के एक ट्वीट पर नजर मार लीजिए। एक लाइन में उन्होंने लिखा, ‘करवट लेती मथुरा, काशी!’

सोमवार शाम उप मुख्यमंत्री ने अपने इस ट्वीट को पिन भी कर रखा था। धड़ाधड़ लोगों के कॉमेंट्स आने लगे। कोई जय श्री राधे, हर हर महादेव लिख रहा था तो विकास ठाकुर ने लिखा, ‘क्या बात है सर, आज तो आप फुल फॉर्म में हैं।’ ट्विटर रिएक्शंस देखकर लगता है जैसे एक अलग ही माहौल बन गया हो। ऐसे में इसे 2024 के चुनावी लाभ- हानि के ऐंगल से भी देखा जाने लगा है।

ज्ञानवापी पर कोर्ट ने खोल दिया दरवाजा, अब आगे क्या होगा, समझिए, देश अस्थिर होगा, क्यों कह रहे ओवैसी

उधर, ओवैसी ने वाराणसी कोर्ट के आदेश पर चिंता जताते हुए कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद का केस बाबरी मस्जिद के रास्ते पर जाता दिख रहा है और ऐसे तो देश 80-90 के दशक में वापस चला जाएगा। इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील हो। उन्होंने वक्फ बोर्ड के 1942 के गजट में इसे मस्जिद और वक्फ की संपत्ति बताते हुए कहा कि इस तरह के अदालती फैसलों से देश अस्थिर होगा। उन्होंने एक बार फिर कहा कि बाबरी मस्जिद पर फैसला आया था तभी मैंने कहा था कि आगे और दिक्कत होगी।

 मुस्लिम पक्ष की याचिका क्‍यों हुई खारिज? सुब्रमण्‍यम स्‍वामी से समझिए पूरी बात स्वामी से भी समझ लीजिए


1991 के ‘द प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट’ के खिलाफ सुब्रमण्यम स्वामी का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में दायर है। इस पर भी सुनवाई होगी। उन्होंने कहा कि सोमवार को आए फैसले में वाराणसी कोर्ट ने बिल्कुल सही किया है। फैसले का मतलब समझाते हुए उन्होंने कहा कि अब कोर्ट को फैसला देगा कि महिलाओं को ज्ञानवापी में पूजा की इजाजत दें या नहीं। इस फैसले से तो कोर्ट ने एक रोड़ा हटाया है। मुस्लिम पक्ष चाहता था कि ऐसी किसी याचिका पर सुनवाई होनी ही नहीं चाहिए।

जम्‍मू में बैंड, बाजा,त्रिशूल

जम्‍मू में भी ज्ञानवापी मामले पर लोगों ने खुशी जताई। शिव सेना डोगरा फ्रंट का यह कार्यकर्ता बैंड, बाजे और त्रिशूल के साथ ऐसे नजर आया।

​मुस्लिम महिलाओं ने उतारी शिव की आरती


ज्ञानवापी पर फैसले के बाद आरएसएस के सहयोगी संगठन मुस्लिम मंच की महिलाओं ने वाराणसी में शिवलिंग की आरती उतारी। उनका माथे पर त्रिपुंड लगाकर आरती करते महिलाओं का वीडियो सामने आया है।

​कोर्ट परिसर में लगा जयकारा


फैसले के बाद हिंदू पक्ष की महिलाओं ने कोर्ट परिसर में ही हर हर महादेव का जयकारा लगाया।

​हर हर महादेव के बीच बटी मिठाई


कोर्ट के हिंदू पक्ष के फेवर में फैसला आने के बाद कोर्ट परिसर के बाहर लोगों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई और नारे लगाए।

​अस्‍सी घाट पर स्‍पेशल गंगा आरती


कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए वाराणसी के अस्‍सी घाट पर गंगा आरती का आयोजन हुआ। आयोजकों का कहना था आज 1991 एक्ट पर हमारी विजय हुई है।

यह हार जीत का मुद्दा नहीं: VHP

विहिप के नेता आलोक कुमार ने ज्ञानवापी मामले पर वाराणसी जिला अदालत के फैसले पर संतोष जता कहा कि पहली बाधा पार हो गई है। उन्होंने कहा कि उन्हें पहले ही विश्वास था कि वाराणसी का मामला पूजा स्थल अधिनियम से बाधित नहीं होता है। कुमार ने कहा, ‘इसे (अदालत के निर्णय को) हार-जीत का मुद्दा न मानें क्योंकि यह एक धार्मिक और आध्यात्मिक मामला है।’

अब फैसला जान लीजिए

वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले को सुनवाई योग्य माना, यानी विचारणीयता पर सवाल उठाने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि वह पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई जारी रखेगी। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि जिला न्यायाधीश ए.के. विश्वेश ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 22 सितंबर तय कर दी है। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद को वक्फ संपत्ति बता कहा था कि मामला सुनवाई योग्य नहीं है। इस मामले में पांच महिलाओं ने याचिका दायर कर हिंदू देवी-देवताओं की दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी, जिनके विग्रह ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं।

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ज्ञानवापी केस में मुस्लिम पक्ष का सबसे बड़ा ‘हथियार’ फेल? 2024 से पहले इस फैसले से क्या बदलने वाला है

ज्ञानवापी केस की अभी शुरुआत हुई है।  अब मुस्लिम पक्ष हाई कोर्ट जायेगा लेकिन क्या इस फैसले से मथुरा समेत दूसरे मंदिर-मस्जिद विवाद के अध्याय की शुरुआत हो गई है?

वाराणसी कोर्ट के फैसले से साफ है कि 1991 का पूजा स्थल कानून श्रृंगार गौरी केस के आड़े नहीं आएगा, यानी ज्ञानवापी परिसर में पूजा के अधिकार वाली पांच महिलाओं की याचिका अब सुनी जा सकती है।

देश अस्थिर होगा, क्यों कह रहे ओवैसी

उधर, ओवैसी ने वाराणसी कोर्ट के आदेश पर चिंता जताते हुए कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद का केस बाबरी मस्जिद के रास्ते पर जाता दिख रहा है और ऐसे तो देश 80-90 के दशक में वापस चला जाएगा। इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील होनी चाहिए। उन्होंने वक्फ बोर्ड के 1942 के गजट में इसे मस्जिद और वक्फ की संपत्ति बताते हुए कह दिया कि इस तरह के अदालती फैसलों से देश अस्थिर होगा। उन्होंने एक बार फिर कहा कि बाबरी मस्जिद पर जब फैसला आया था तभी मैंने कहा था कि आगे और दिक्कत होगी।

1991 के ‘द प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट’ के खिलाफ सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर कर रखा है। इस पर भी सुनवाई होने वाली है। उन्होंने कहा कि सोमवार को आए फैसले में वाराणसी कोर्ट ने बिल्कुल सही किया है। फैसले का मतलब समझाते हुए उन्होंने कहा कि अब कोर्ट को फैसला देना है कि महिलाओं को ज्ञानवापी में पूजा की इजाजत दें या नहीं। इस फैसले से तो कोर्ट ने एक रोड़ा हटाया है। मुस्लिम पक्ष चाहता था कि ऐसी किसी याचिका पर सुनवाई होनी ही नहीं चाहिए।

मुस्लिम पक्ष की याचिका क्‍यों हुई खारिज? सुब्रमण्‍यम स्‍वामी से समझिए पूरी बात

पूर्व कैबिनेट मंत्री और कानून के पहलुओं को बारीकी से समझने वाले सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने ज्ञानवापी मामले में प्रतिक्रिया दी है। उन्‍होंने समझाया है सोमवार को कोर्ट के दिए गए फैसले का क्‍या मतलब है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज की तो इसका कारण क्‍या था। मुस्लिम पक्ष क्‍या चाहता था।

मस्जिद मामले (Gyanvapi Mosque Case) में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज हो गई है। पूर्व कैबिनेट मंत्री और जाने-माने वकील डॉ सुब्रमण्‍यम स्‍वामी (Subramanian Swamy) ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है।  चैनल टाइम्‍स नाउ से उन्‍होंने खास बातचीत की। इसमें बताया कि मुस्लिम पक्ष की याचिका क्‍या थी और उसे क्‍यों जिला अदालत ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा है कि हिंदू पक्ष की याचिका मानने योग्‍य है। वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की मेनटेनबिल‍िटी पर सवाल उठाने वाली याचिका खारिज कर दी। सुब्रमण्‍यम स्‍वामी मानते हैं क‍ि कोर्ट का फैसला ब‍िल्‍कुल सही है।

सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने बताया कि मुस्लिम पक्ष ने याचिका दाखिल की थी। यह सिविल प्रोसीजर कोड के तहत दर्ज की गई थी। ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत इसे दाखिल किया गया था। इसमें ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा करने की इच्‍छा रखने वाली महिलाओं की याचिका को खारिज करने के लिए कहा गया था। मुस्लिम पक्ष चाहता था कि महिलाओं की याचिका पर कोई सुनवाई नहीं हो। इसी याचिका को खारिज कर दिया गया है। सुब्रमण्‍यम के अनुसार, लेकिन अभी मुख्‍य मामले को लेकर सुनवाई होनी है। वह यह है कि ज्ञानवापी मस्जिद में जिस जगह शिवलिंग पाया गया था वहां लोगों को पूजा करने की अनुमति दी जाए या नहीं। इस पर अब सुनवाई होगी।

मुस्लिम पक्ष को याचिका नहीं दाखिल करनी चाहिए थी

सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को यह याचिका दाखिल ही नहीं करनी चाहिए थी। उन्‍हें लगता है कि कोर्ट ने बिल्‍कुल सही किया है। जब सुब्रमण्‍यम स्‍वामी से पूछा गया कि इस फैसले का क्‍या मतलब है तो उन्‍होंने कहा कि इसका मतलब है कि अब कोर्ट को फैसला देना है कि महिलाओं को ज्ञानवापी में पूजा की इजाजत दी जाए या नहीं। इसमें से एक रोड़ा कोर्ट ने हटा दिया है। इसमें मुस्लिम पक्ष चाहता था कि ऐसी किसी याचिका पर सुनवाई होनी ही नहीं चाहिए।
1991 के ‘द प्लेसेज ऑफ वरशिप ऐक्ट’ के खिलाफ सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर कर रखा है। इस पर भी सुनवाई होने वाली है। सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने हिंदू पक्ष की ओर से तमाम याचिकाकर्ता में से एक सीता साहू से कहा कि उन्‍हें डंटे रहना चाहिए वह उनके साथ हैं।
सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने कहा कि जब मुस्लिम आक्रांता देश में आए तो उन्‍होंने कई मंदिरों को तोड़कर मस्जिदों का निर्माण कराया। इसके उलट इस्‍लाम धर्म इसके लिए मना करता है। यानी मंदिरों को तोड़कर मस्जिदों का निर्माण कराना गलत था।

‘द प्लेसेज ऑफ वरशिप ऐक्ट’ में सुब्रमण्‍यम स्‍वामी की भूमिका बेहद अहम रहने वाली है। उन्‍होंने कहा कि लड़ाई सिर्फ पूजा करने की नहीं है। हम तो मंदिर बनाना चाहते हैं। ज्ञानवापी मामले में एक अन्‍य याचिकाकर्ता जीतेंद्रानंद सरस्‍वती ने कहा कि यह जीत तो शुरुआती है। आगे भी सत्‍य ही जीतेगा। अभी तो श्रृंगार गौरी की पूजा के बहाने यह मुकदमा खुला है।

सोमवार को कोर्ट में क्‍या हुआ?

वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की मेनटेनबिल‍िटी पर सवाल उठाने वाली याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि वह पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई जारी रखेगा। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने मामले की मेनटेनब‍िल‍िटी पर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज करते हुए सुनवाई जारी रखने का निर्णय किया। इस मामले में पांच महिलाओं ने याचिका दायर कर हिंदू देवी-देवताओं की दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी। इनकी आकृतियां ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर बनी हैं। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद को वक्फ संपत्ति बताते हुए कहा था कि मामला सुनवाई योग्य नहीं है। जिला न्यायाधीश ने पिछले महीने इस मामले में आदेश 12 सितंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया था। मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।

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