भारत को दबाव में रखने का टूल है पाक, भूराजनीतिक खेल में
भारत पर दबाव को बना था पाक; पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने चीन भी किया नंगा
सिब्बल ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के पाकिस्तान को तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष और आतंकवाद-रोधी समिति का उपाध्यक्ष बनाने के फैसले पर भी सवाल उठाया है।

भारत के पूर्व विदेश सचिव और रूस में भारत के पूर्व राजदूत कंवल सिब्बल ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि पाकिस्तान का निर्माण 1947 में भारत को सतत दबाव में रखने को हुआ था । इस रणनीतिक खेल में चीन भी एक प्रमुख खिलाडी है, जिससे भारत को वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर चौकस रहना होगा।सिब्बल ने एक्स पर लिखा, “पाकिस्तान को भारत पर दबाव बनाए रखने को बनाया गया था और यह भू-राजनीतिक खेल अब भी जारी है, जिसमें चीन प्रमुख खिलाड़ी बन चुका। यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के फैसलों में भी दिखता है, खासकर आतंकवाद-रोधी और तालिबान प्रतिबंध समितियों में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर।”
UNSC में पाकिस्तान की भूमिका और चीन का समर्थन
सिब्बल ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के पाकिस्तान को तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष और आतंकवाद-रोधी समिति का उपाध्यक्ष बनाये जाने पर भी सवाल उठाया। यह चीन के पाक को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समर्थन देने का स्पष्ट संकेत है।
सिब्बल ने पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख जनरल असीम मुनीर को कट्टर हिंदू विरोधी बताते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में भारत-पाक संबंधों में सुधार की उम्मीद शून्य है। “हमने पाकिस्तान से वर्षों बातचीत की है, लेकिन वहां कुछ नहीं बदला। अब हिंदू विरोधी फील्ड मार्शल वहां सेना का नेतृत्व कर रहा है। स्थिति और खराब हो सकती है। पाकिस्तान भारत से एजेंडे में कश्मीर के रहते गंभीर संवाद नहीं करेगा”
पाक को बार-बार मिली है राहत
सिब्बल ने पाकिस्तान की आर्थिक हालत पर टिप्पणी की कि भले पाकिस्तान दिवालिया हो, उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों से बार-बार राहत पैकेज मिलते हैं। पाकिस्तान अभी अपने 22वें IMF बेलआउट पैकेज पर है, जबकि भारत ने 1993 के बाद से IMF से कोई वित्तीय सहायता नहीं ली।
पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को लेकर भारत की रणनीति पर सवाल का जवाब देते हुए सिब्बल ने कहा, “यह कहना सही नही कि भारत के नीति निर्माता पाकिस्तान की सैन्य शक्ति अनदेखा करते हैं। बालाकोट स्ट्राइक से लेकर पहलगाम हमले के बाद तक भारत ने साफ किया कि वह पाकिस्तानी सेना को निशाना नहीं बना रहा। यह संघर्ष की सीमा नियंत्रित करने की नीति का हिस्सा है।”
उन्होंने कहा कि भारत लगातार पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं की निगरानी करता है, लेकिन देश की नीति सोशल मीडिया की राय पर नहीं बल्कि धरातलीय यथार्थ और राष्ट्रीय जरूरतों के आधार पर तय होती है.
पाक कर्ज का पहाड़, 76,000 अरब रुपये का बोझ; आर्थिक सर्वे में बड़ा अनावरण 
समीक्षा वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार के आर्थिक प्रदर्शन पर प्रमुख दस्तावेज है. पाक वित्त वर्ष एक जुलाई से शुरू होता है.
पाकिस्तान का कर्ज चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में बढ़कर 76,000 अरब पाकिस्तानी रुपया हो गया है. वित्त वर्ष 2024-25 की आर्थिक समीक्षा में यह कहा गया है. समीक्षा के अनुसार, नकदी की कमी से जूझ रहे देश की अर्थव्यवस्था इस साल 2.7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है.
पाक वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने कहा कि अर्थव्यवस्था दो वर्षों से सुधार की राह पर है और चालू वित्त वर्ष में यह प्रक्रिया और मजबूत हुई है. चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में सरकारी कर्ज बढ़कर 76,000 अरब पाकिस्तानी रुपये हो गया, जिसमें स्थानीय बैंकों से 51,500 अरब पाकिस्तानी रुपये और बाह्य स्रोतों से 24,500 अरब पाकिस्तानी रुपये कर्ज था।
Pakistan Receiving Funds From Imf World Bank Adb Us Despite India Friendship Narendra Modi Diplomacy Failed
पाक पर बरसते पैसे, भारत का दोस्त भी कर रहा दगाबाजी, क्या फेल हो गई मोदी डिप्लोमेसी?
भारत से तनाव बीच पाक को इन दिनों भर-भरकर पैसे मिल रहे हैं। दुश्मन और दोस्त सभी उसे पैसे दे रहे हैं।
पहलगाम आतंकी हमले बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान में पलते आतंकी ठिकाने नष्ट कर दिये। दो दिन बाद ही पाकिस्तान और भारत में युद्धविराम हो गया। भारतीय सैन्य हमले में पाकिस्तान को बड़ा नुकसान हुआ है। वो भी तब जब पाकिस्तान पहले से ही कर्ज के दलदल में धंसा है। सवाल उठता है कि रोटी और रोजगार को तरसते पाकिस्तान को जंग और कश्मीर में आतंक फैलाने को इतने पैसे कहां से मिलते हैं। दरअसल, इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), एशियाई विकास बैंक (ADB) और वर्ल्ड बैंक (WORLD BANK) हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत सरकार की कूटनीति पाकिस्तान को फंड जारी करने के मामले में फेल हो गई है। जानते हैं पूरी बात।
IMF ने भारत-पाक के तनाव के बीच दिए पैसे
भारत-पाकिस्तान के बीच चलते तनाव के बीच इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड (IMF) ने हाल ही में पाकिस्तान को एक अरब अमरीकी डॉलर तत्काल जारी करने को मंजूरी दे दी। भारत ने विरोध किया और आईएमएफ की महत्वपूर्ण बैठक में मतदान से अलग रहा। भारत ने कहा कि पाकिस्तान इस फंड का यूज सीमा पार आतंकवाद को करता है। सितंबर 2024 में, पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर कर्ज स्वीकार हुआ। 1958 से अब तक पाकिस्तान IMF के सामने 24 बार हाथ फैला चुका ।
एक हफ्ते में IMF ने पाकिस्तान को दूसरी किस्त दे दी
IMF ने पाकिस्तान को 1.02 अरब डॉलर (करीब 8400 करोड़ रुपये) की दूसरी किस्त जारी कर दी । IMF ने इससे पहले 9 मई को पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर कर्ज दिया था। पाकिस्तान को यह फंड एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) प्रोग्राम में मिली।
वर्ल्ड बैंक और एडीबी भी भर-भरकर दे रहे हैं पैसे
पाकिस्तान की फाइनेंशियल हेल्प को वर्ल्ड बैंक (World Bank) से लेकर एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) तक आगे आए हैं। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने राजकोषीय स्थिरता मजबूत करने और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन में सुधार को पाकिस्तान को 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मंजूरी दी। वित्त मंत्री के सलाहकार खुर्रम शहजाद ने सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पैकेज में 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नीति-आधारित ऋण (पीबीएल) और 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कार्यक्रम-आधारित गारंटी (पीबीजी) शामिल है।
आतंक फैलाने को हर साल खर्च करता है 42 करोड़
अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सटी के टैररिस्ट फाइनेंस एंड सपोर्ट स्ट्रक्चर इन जम्मू एंड कश्मीर रिसर्च जर्नल में रिसर्च स्कॉलर एनएस जामवाल ने बताया है कि सीमा पार से आतंक के खात्मे को भारत सरकार हर साल 730 करोड़ रुपए खर्च करती है।
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों पर खर्च करता है 700 करोड़ रुपए
पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने को आतंकियों पर 79 से 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी 683 करोड़ रुपए वार्षिक खर्च करता है। खर्च आतंकियों को रिक्रूट करने, हमलों और आतंकियों की सैलरी पर होता है।
इतने पैसे कि आंखें फटी-फटी की रह जाएं
पाकिस्तान की तरफ से बार-बार आंतकी हमलों के बाद भारत इसकी विश्वसनीयता और निगरानी पर सवाल उठाता रहा है कि पाकिस्तान इस फंडिंग का इस्तेमाल आतंकियों को पनाह देने, हथियार खरीदने और LOC पर घुसपैठ करने को कर रहा है। रिपोर्टों के मुताबिक,एशियन डेवलपमेंट बैंक ने पाकिस्तान को 43.4 बिलियन डॉलर वित्तीय सहायता दी है। वर्ल्ड बैंक ने भी पाकिस्तान में चलते 365 प्रोजेक्ट्स को 49.7 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें जनवरी 2025 में 20 बिलियन डॉलर का एक बड़ी डील भी है।
वित्तीय संकट में सबसे ज्यादा देता है पैसा
IMF का खजाना इसके सदस्य देशों के कोटे से भरता है। हर देश अपनी अर्थव्यवस्था के आकार के हिसाब से इसमें पैसा डालता है। ये कोटा ही IMF का मुख्य फंड है, जिससे वो गरीब देशों को कर्ज देता है। दिसंबर 2023 तक IMF के पास करीब 982 बिलियन SDR (Special Drawing Rights, IMF की खास मुद्रा) थे, जिनमें से 695 बिलियन SDR कर्ज को उपलब्ध थे।
IMF में सबसे ज्यादा पैसे देता है अमेरिका
IMF में सबसे बड़ा कोटा देने वाला देश अमेरिका है,जो करीब 83 बिलियन डॉलर (17% कोटा) देता है। इसके बाद जापान, चीन, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम आते है। IMF का रूल है, जो देश जितना ज्यादा कोट देगा उसके पास वोटिंग की पावर भी उतनी अधिक होगी। अमेरिका के पास 16-17% वोटिंग अधिकार हैं, जिससे वो IMF के फैसलों में बड़ा रोल निभाता है। अमेरिका चाहे तो आईएमएफ को पाकिस्तान को पैसे देने पर रोक लगा दे, मगर पाकिस्तान उसका परंपरागत दोस्त है। ऐसे में वह कभी इसमें अड़ंगा नहीं लगाता ।
35 साल में 28 बार कर्ज ले चुका है पाकिस्तान
पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान को न केवल आईएमएफ से हजारों करोड़ रुपये उधार लेने को मजबूर होना पड़ा। उसे 35 वर्षों में 28 बार ऋण मिला। उसे कई अन्य देशों और समूहों चीन, यूएई, सऊदी अरब, पेरिस क्लब, इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक, एशियाई विकास बैंक आदि से भी कर्ज लेना पड़ा है।
यूएस सेंट्रल कमांड प्रमुख की पाकिस्तान पर टिप्पणी बताती है अमरीकी गेम
अमेरिका की सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिला
अमेरिका के सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिला ने कहा है कि पाकिस्तान आंतकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में अमेरिका का अभूतपूर्व सहयोगी रहा है.
जनरल कुरिला ने ये भी कहा है कि अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध को भारत से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.
जनरल कुरिला ने ये बात मंगलवार को यूएस हाउस आर्म्ड सर्विसेज कमिटी की बैठक से पहले एक टेस्टमोनी में कही है.
उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के संबंधों के बीच तनाव की क़ीमत अमेरिका को पाकिस्तान के साथ संबंधों से नहीं चुकानी चाहिए.
माइकल कुरिला का ये बयान ऐसे वक़्त में आया है, जब मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर अमेरिका की यात्रा करने वाले हैं।
गत माह भारत और पाकिस्तान संबंधों में तनाव चरम पर पहुँच गया था.
डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार दोहराया है कि ट्रेड रोकने की धमकी की वजह से दोनों देश संघर्ष विराम के लिए राजी हुए.
पाकिस्तान ने कई मौक़ों पर संघर्ष विराम के लिए अमेरिका का शुक्रिया अदा किया है. लेकिन भारत संघर्ष विराम में अमेरिका की भूमिका से इनकार करता रहा है.
माइकल कुरिला ने आतंकवाद को रोकने पाकिस्तान को अमेरिका का सहयोगी बताया है
कल माइकल कुरिला ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता है कि हम सिर्फ़ भारत के साथ संबंध रखें और पाकिस्तान के साथ नहीं. उन्होंने कहा, “हमें भारत और पाकिस्तान दोनों से रिश्ते रखने होंगे. मैं ये नहीं मानता हूं कि ये कोई बाइनरी स्विच है कि हम भारत से संबंध रखें और पाकिस्तान से नहीं.”
कुरिला ने कहा है कि हमें संबंधों के सकारात्मक पक्ष देखने चाहिए. कुरिला ने दावा किया कि पाकिस्तान आतंकवाद को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
माइकल कुरिला ने इस्लामिक स्टेट ख़ुरासान को अमेरिका के लिए खतरा बताया है. उन्होंने कहा है कि इस्लामिक स्टेट ख़ुरासान को रोकने में पाकिस्तान की भूमिका महत्वपूर्ण है.
कुरिला ने कहा, “पाकिस्तान से साझेदारी से अमेरिका ने इस्लामिक स्टेट ख़ुरासान के दर्जनों लोग मारे हैं.”
कुरिला ने कहा है कि पाकिस्तान से अमेरिका को जो ख़ुफ़िया जानकारी मिली है, उसकी मदद से वो इस्लामिक स्टेट खुरासान के पांच महत्वपूर्ण लोगों को पकड़ने में कामयाब रहे हैं.
कुरिला के बयान की आलोचना
अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी राजदूत रहे ज़लमय खलीलज़ाद माइकल कुरिला के बयान से असहमत है. उन्होंने कहा है कि कुरिला ने आतंकवाद रोकने में पाकिस्तानी सहयोग बढ़ा चढ़ाकर बताया है.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “जनरल कुरिला का पाकिस्तान को आतंकवाद के ख़िलाफ़ एक ‘अभूतपूर्व भागीदार’ कहना थोड़ा ज़्यादा है. पाकिस्तान के सहयोग के उदाहरण हैं. लेकिन वो हमारे आतंकवाद विरोधी अभियानों को सीमित कर रहे हैं. उनके देश में सैकड़ों आईएसआईएस आतंकवादी सक्रिय हैं.”
“अतीत की तरह पाकिस्तानी सेना दुश्मन और दोस्त दोनों बनी हुई है. याद कीजिए कि हमें ओसामा बिन लादेन कहां मिले.”
एक्स पर एक और पोस्ट में ज़लमय खलीलज़ाद ने लिखा, “पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर जल्द ही वॉशिंगटन आयेंगे. इन बैठकों में आतंकवाद, भारत और पाकिस्तान में शांति चर्चा की संभावना है.”
उन्होंने कहा, “जनरल आसिम मुनीर अमेरिका और चीन के संबंध बेहतर बनाने में पाकिस्तानी मदद की पेशकश करेंगे. ऐसा राष्ट्रपति निक्सन ने चीन से बातचीत में किया था. वो अपने देश (पाकिस्तान) के खनिजों में अमेरिकी रुचि और निवेश लाने की कोशिश भी करेंगें. अगर वो अच्छा प्रभाव डालना चाहते हैं तो डॉक्टर अफ़रीदी को रिहा कर देना चाहिए, जो एक दशक से अधिक समय से जेल में हैं क्योंकि उन्होंने अमेरिका को ओसामा बिन लादेन खोजने में मदद की थी.”
क्या भारत क झटका है?
पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर
इंडो पैसिफिक एनालिस्ट डेरेक जे ग्रॉसमैन ने कुरिला के बयान को भारत के अमेरिका पर भरोसा नहीं करने की वजह बताया है.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “इसी से भारत अमेरिका पर भरोसा नहीं करता. सेंटकॉम कमांडर ने हाल ही में पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी प्रयासों में ‘अभूतपूर्व साझेदार’ बताया.”
भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “जनरल कुरिला ने अमेरिकी कांग्रेस के सामने अपनी गवाही में फील्ड मार्शल मुनीर की पॉजिटिव अप्रोच सराही है. कुरिला ने कहा है कि सेना प्रमुख ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें जाफर के पकड़े जाने की सूचना दे उसे अमेरिका को प्रत्यर्पित करने की इच्छा व्यक्त की थी.”
कंवल सिब्बल ने कहा, “प्रत्यर्पण एक क़ानूनी प्रक्रिया है, जिसे सरका संभालती है. ये काम पाकिस्तानी सेना प्रमुख का नहीं है।इससे मालूम चलता है कि कैसे पाकिस्तान अमेरिका को झांसा देता है.”
दक्षिण एशिया मामलों के जानकार माइकल कुगलमैन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “जनरल मुनीर की अमेरिकी यात्रा पर अभी बहुत कुछ स्पष्ट नहीं हैं. लेकिन अगर वो आते हैं तो सेंटकॉम का दौरा कर सकते हैं.”
“जनरल मुनीर और जनरल कुरिला दो साल से भी कम समय में तीन बार मिल चुके. कुरिला ने उनकी तारीफ़ की है. आमतौर पर अमेरिका के सैन्य अधिकारियों के पाकिस्तानी अधिकारियों से संबंध मज़बूत ही होते हैं.”
वहीं सामरिक मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि”कारगिल संघर्ष में राष्ट्रपति क्लिंटन के हस्तक्षेप ने पाकिस्तान को सैन्य और कूटनीतिक संकट से बचाया. इसने जनरल मुशर्रफ को तख्तापलट को प्रोत्साहित किया.अब भारत के ऑपरेशन सिंदूर में ट्रंप के पाकिस्तान को बचाने से पाकिस्तान के सैन्य खर्च में 20% की भारी वृद्धि हुई है.”
उन्होंने कहा, “भारत पाकिस्तान तनाव में हर अमेरिकी हस्तक्षेप ने सिविलियन अथॉरिटी की क़ीमत पर पाकिस्तान सेना मज़बूत की है. ताजा हस्तक्षेप बाद व्यापक रूप से अलोकप्रिय जनरल आसिम मुनीर ने न केवल अपनी छवि दोबारा स्थापित की बल्कि खुद को फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट भी किया. पाकिस्तान के इतिहास में केवल दूसरी बार ऐसा हुआ है.”
ट्रंप पर एस जयशंकर क्या बोले?
यूरोपीय संघ की नीतियों पर केंद्रित एक समाचार वेबसाइट ‘यूरेक्टिव’ ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर का हाल में इंटरव्यू किया.इंटरव्यू में जयशंकर से यूरोप, चीन और ‘ट्रंप की विश्वसनीयता’ को लेकर सवाल पूछे गए.
वेबसाइट ने पूछा , “क्या आप डोनाल्ड ट्रंप पर भरोसा करते हैं?” एस जयशंकर ने पूछा, “इससे क्या मतलब है?”
पत्रकार ने कहा, “क्या वो जो कहते हैं, उस पर डटे रहते हैं? क्या वह ऐसे पार्टनर हैं जिनसे भारत अपने रिश्ते और गहरा करना चाहेगा.”
इस पर जयशंकर ने कहा, “कही गई बात को मैं उसी तरह लेता हूं. हर उस रिश्ते को आगे बढ़ाना हमारा लक्ष्य है, जो हमारे हितों के अनुरूप हो और अमेरिका से रिश्ता बहुत महत्वपूर्ण है. यह किसी व्यक्ति एक्स या राष्ट्रपति वाई के बारे में नहीं है.”
दरअसल, ट्रंप ने इसी साल जनवरी से जबसे दोबारा राष्ट्रपति पद संभाला है, तब से उन्होंने टैरिफ़ को लेकर लगातार भारत पर निशाना साधा और कई बार भारत को वो ‘टैरिफ़ किंग’ कह चुके हैं.
भारतीय आप्रवासी अमेरिका से डिपोर्ट करने से लेकर प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा में ट्रंप के बयानों पर विवाद हुए हैं.