पैगासस जासूसी मामला कोर्ट जाता है तो क्या होगा?

Pegasus  News: पेगासस का जासूसी जाल, इस तरह लगाता है सेंध

इजरायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नोलाजीज ने इसे तैयार किया है। पहली बार 2016 में संयुक्त अरब अमीरात के मानवाधिकार कार्यकर्ता पर इस्तेमाल के बाद यह सामने आया था। इसने आइफोन की सुरक्षाामें भी सेंध लगा दी।

सस जासूसी मामले के कानूनी पहलू जानिए, पड़ सकती है हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाने की ज़रूरत

सरकार पेगासस स्पाईवेयर के जरिए कथित जासूसी की बात को सिरे से नकार रही है. वहीं विपक्ष के तेवर इस मुद्दे पर गर्म हैं. सरकार की तरफ से कोई कार्रवाई न होने की स्थिति में कानूनी विकल्प की बात हो रही हैप्त्स्वी्ी

Pegasus Spy Case: पेगासस स्पाईवेयर के ज़रिए से पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, जजों की कथित जासूसी की बात को सरकार सिरे से खारिज कर रही है. लेकिन इस मुद्दे पर विपक्ष के तेवर गर्म हैं. सरकार की तरफ से कार्रवाई न होने की स्थिति में कानूनी विकल्प तलाशने की बात कही जा रही है. इस लेख में हम मामले से जुड़े कानूनी पहलुओं पर बात करेंगे.

फोन टैपिंग पर बना है कानून

स्मार्ट फोन के इस दौर में निजी बातचीत या जानकारी की रक्षा को लेकर कानून काफी पीछे चल रहा है. इंडियन टेलीग्राफ एक्ट, 1885 में 2007 में हुए संशोधन के बाद फोन टैपिंग को लेकर नियम बने थे. इसके तहत देश की रक्षा या गंभीर अपराध की निगरानी के मामलों में उच्चस्तरीय अनुमति पर फोन टैपिंग हो सकती है. किसी राज्य में गृह सचिव स्तर से मिलने वाली अनुमति के बाद 60 दिन तक किसी फोन की टैपिंग हो सकती है. इसे अधिकतम 180 दिन तक जारी रह सकता है. स्मार्ट फोन में उपलब्ध तमाम तरह के ऐप में डाली गई जानकारी की चोरी, कॉल या मैसेज के ज़रिए की गई बातचीत के लीक होने को लेकर यह कानून अलग से कुछ नहीं कहता है.

डेटा सुरक्षा से जुड़ी व्यवस्था तैयार नहीं

इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 और उससे जुड़े नियमों में इंटरनेट डेटा की सुरक्षा की बात कही गई है. लेकिन ऐसे मामलों को देखने के लिए के लिए डेटा प्रोटेक्शन ऑथोरिटी ऑफ इंडिया का गठन अभी तक नहीं हुआ है. 2018 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बी एन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता वाले आयोग ने डेटा सुरक्षा पर सिफारिश सरकार को सौंपी थी. इसके आधार पर सरकार ने निजी डेटा की रक्षा के लिए पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 संसद में रखा. इसी के तहत डेटा प्रोटेक्शन ऑथोरिटी का गठन होना है. लेकिन अभी यह बिल संयुक्त संसदीय कमिटी के पास लंबित है.

 

कानूनी विकल्प की कमी

वैसे तो डेटा सुरक्षा पर स्पष्ट कानून का अभाव है. लेकिन अगर किसी व्यक्ति को पुख्ता तौर पर पता है कि स्पाईवेयर के ज़रिए उसकी जासूसी हुई है. निजी जानकारी के लीक होने से उसका कोई नुकसान हुआ है तो वह पुलिस को शिकायत दे सकता है. पुलिस का सायबर सेल मामले की पड़ताल कर सकता है. ज़रूरत पड़े तो पुलिस पेगासस को बनाने वाली कंपनी NSO को भी पूछताछ के लिए नोटिस भेज सकती है. हालांकि, यह सब होने से पहले पुलिस को यह देखना होगा कि वर्तमान में उपलब्ध कानूनों के आधार पर कोई मामला बन भी रहा है या नहीं.

हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का रास्ता

इस मामले में यह स्पष्ट नहीं है कि वाकई लोगों की जासूसी हुई है या नहीं. अगर हुई है तो क्या सरकार ने करवाई या किसी अधिकारी ने अपनी तरफ से करवाई? या फिर किसी निजी व्यक्ति ने अपने पैसों से सपाईवेयर खरीदा और इस्तेमाल किया? चूंकि इस विषय पर कानून का अभाव है. ऐसे में कोई भी प्रभावित व्यक्ति हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकता है. यह मांग की जा सकती है कि कोर्ट सरकार से रिपोर्ट मांगे. साथ ही, कोर्ट अपनी तरफ से मामले की निष्पक्ष जांच का आदेश दे. 2017 में जस्टिस पुत्तास्वामी मामले में दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट निजता को मौलिक अधिकार घोषित कर चुका है. चूंकि यह मामला मौलिक अधिकार की रक्षा से जुड़ा है, इसलिए इसमें कोई भी नागरिक सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है.

पेगासस का मतलब ग्रीक मायथोलाजी में पंखों वाला घोड़ा होता है। इजरायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नोलाजीज ने भी इसी पर अपने स्पाई साफ्टवेयर का नाम रखा है। देश में कई पत्रकारों, नेताओं और प्रसिद्ध लोगों के मोबाइल से डाटा चोरी के आरोपों को लेकर पेगासस स्पाईवेयर एक बार फिर चर्चा में है। यह साफ्टवेयर पहली बार 2019 में उस समय चर्चा में आया था जब कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के वाट्सएप से डाटा चोरी होने की रिपोर्ट सामने आई थी।

कई जासूसों को मात देता है एक साफ्टवेयर : इजरायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप टेक्नोलाजीज ने इसे तैयार किया है। पहली बार 2016 में संयुक्त अरब अमीरात के मानवाधिकार कार्यकर्ता पर इस्तेमाल के बाद यह सामने आया था। इसने आइफोन की सुरक्षा को भी तोड़ दिया था। बाद में आइफोन इससे निपटने के लिए अपडेट लाया था। 2017 में सामने आया कि यह साफ्टवेयर एंड्रायड की सुरक्षा को भी भेद सकता है। यह इकलौता साफ्टवेयर कई जासूसों को मात देने में सक्षम है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि सामने वाले को अपने फोन में इसके होने की भनक भी नहीं लगती।

इस तरह लगाता है सेंध

मोबाइल में एक बग के रूप में खुद को इंस्टाल कर लेता है
यह मोबाइल की काल और हिस्ट्री को भी डिलीट कर सकता है
डाटा चोरी की खबर ना लगे इसके लिए सभी साक्ष्य मिटा देता है
केवल वाईफाई पर ही काम करता है, जिससे किसी को पता न लग सके
वायस काल और वाट्सएप के जरिये भी मोबाइल पर इंस्टाल हो सकता है
एक बार इंस्टाल होने पर मोबाइल पर मौजूद सभी डाटा एक्सेस कर सकता है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *