मत:ये रही रवीश कुमार की पत्रकारिता

रवीश कुमार का पत्रकारिता में रुख सिर्फ सत्ता-विरोधी नहीं बल्कि कई बार कांग्रेस-समर्थक या कांग्रेस के लिए रक्षात्मक भी प्रतीत होता है — और यही वह बात है जो कई दर्शकों और समीक्षकों के बीच विवाद का विषय बन चुकी है।

यह कहना गलत नहीं होगा कि रवीश कुमार न केवल भाजपा और नरेंद्र मोदी सरकार की तीखी आलोचना करते हैं, बल्कि जब कांग्रेस सवालों के घेरे में होती है, तो अक्सर उन्हें या तो पूरी तरह नजरअंदाज कर देते हैं या बहुत हल्के में लेते हैं।

कुछ उदाहरण जिनसे यह धारणा बनती है कि वे कांग्रेस के प्रति रक्षात्मक हैं:

1. राहुल गांधी की गलतियों पर चुप्पी या बचाव: जब राहुल गांधी से जुड़ी रणनीतिक या बयानों की विफलताएं सामने आती हैं — जैसे चुनावी हार, अस्पष्ट नीतियां या विवादास्पद टिप्पणियां — तब रवीश कुमार शायद ही कभी उतनी तीखी आलोचना करते हैं जैसी वे मोदी सरकार पर करते हैं। इसके विपरीत, वे कई बार यह तर्क देते हैं कि असली मुद्दा विपक्ष की कमजोरी नहीं, बल्कि सरकार की शक्ति का दुरुपयोग है।

2. कांग्रेस पर लगे आरोपों को ‘डाइवर्जन’ बताना: जब कभी कांग्रेस नेताओं पर भ्रष्टाचार या अक्षमता के आरोप लगते हैं, तो रवीश कुमार का फोकस अधिकतर इस बात पर होता है कि यह “मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाने का तरीका” है — इससे यह धारणा बनती है कि वे कांग्रेस के बचाव में खड़े हैं।

3. गोदी मीडिया शब्द का इस्तेमाल: वे बार‑बार कहते हैं कि मुख्यधारा की मीडिया सरकार की भक्ति में लीन है, लेकिन यह आलोचना लगभग कभी विपक्षी दलों (विशेषकर कांग्रेस) पर लागू नहीं करते — जबकि सभी दलों की PR टीमें और प्रचार रणनीतियां होती हैं। यह एकतरफा दृष्टिकोण जैसा लगता है।

4. राहुल गांधी के इंटरव्यू या भाषणों को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत करना: जब अन्य पत्रकार राहुल गांधी की कमजोरी या असंगतियों पर सवाल उठाते हैं, रवीश कुमार उन्हें “मीडिया की गलत प्राथमिकता” करार देते हैं और राहुल को वैकल्पिक विचारधारा का प्रतिनिधि बताते हैं — यह दृष्टिकोण एक समर्थक का अधिक लगता है, ना कि तटस्थ पत्रकार का।

निष्कर्ष:

रवीश कुमार का पत्रकारिता का दावा सत्ता से सवाल पूछने का है, जो लोकतंत्र के लिए आवश्यक है। लेकिन अगर एक ही दल को बार-बार निशाना बनाया जाए और दूसरे को बार-बार रियायत दी जाए, तो पत्रकार और प्रचारक के बीच की रेखा धुंधली हो जाती है।

इसलिए यह कहना कि रवीश कुमार कांग्रेस के लिए रक्षात्मक या सहानुभूतिपूर्ण रुख अपनाते हैं — कोरी आलोचना नहीं, बल्कि उनके लंबे समय के कवरेज का विश्लेषण है।

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