मत: ‘चौकीदार’ की तरह ‘मोदी का परिवार’ भी तो बैकफायर नहीं कर जायेगा इंडी गठबंधन पर?

क्या ‘मोदी का परिवार’ अभियान के परिणाम भी BJP के लिए ‘चौकीदार’ जैसे ही होंगे?
परिवार को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लालू यादव की टिप्पणी बैकफायर होने लगी है. 2019 की ही तरह बीजेपी नेताओं ने सोशल मीडिया पर बॉयो में नाम के साथ ‘मोदी का परिवार’ जोड़ना शुरू कर दिया है – और लोक सभा चुनाव से पहले ये अभियान एक बार फिर विपक्ष के खिलाफ जाता हुई लग रही है।
मोदी पर निजी हमले के मामले में क्या लालू यादव ने भी राहुल गांधी वाली गलती दोहरा दी है?
नई दिल्ली,04 मार्च 2024। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में परिवारवाद की राजनीति को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं पर शुरू से ही हमलावर रहे हैं – और समय समय पर विपक्षी दलों की तरफ से इसे अलग अलग तरीके से काउंटर किया जाता रहा है.
महागठबंधन छोड़ने से कुछ ही दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी परिवारवाद की राजनीति का जिक्र कर राजनीतिक दलों को निशाना बनाया था. नीतीश कुमार जेडीयू के अध्यक्ष हैं, लेकिन पार्टी में उनके परिवार से कोई भी नहीं है, जैसे बिहार में ही आरजेडी और लोक जनशक्ति पार्टी जैसे राजनीतिक दलों में देखने को मिलता है.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बहाने नीतीश कुमार का कहना था कि कर्पूरी ठाकुर ने कभी अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ाया. नीतीश कुमार ने कहा था, आज कल लोग अपने परिवार को बढ़ाते हैं… कर्पूरी ठाकुर के नहीं रहने के बाद उनके बेटे रामनाथ ठाकुर को हमने बनाया… हमने भी कर्पूरीजी से सीखकर ही परिवार में किसी को नहीं बढ़ाया.
अव्वल तो नीतीश कुमार की तरह से तब ये समझाने की कोशिश की थी, जेडीयू नेता के निशाने पर राहुल गांधी थे, लेकिन मुद्दा ऐसा था कि नीतीश कुमार के हमले के दायरे में लालू यादव और चिराग पासवान स्वाभाविक रूप से आ गये.

खीझ तो लालू यादव के मन में नीतीश कुमार को लेकर भी रही होगी, लेकिन उनके खिलाफ परहेज से आरजेडी नेता ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही टारगेट कर लिया-और बोलते-बोलते मोदी के खिलाफ बहुत कुछ कह गये. सुनने को तो बिहार चुनाव में पहले भी बड़ी ही घटिया बातें हुई हैं, लेकिन लोक सभा चुनाव से पहले आये इस बयान पर भाजपा की तरफ ले जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई है.

ये ठीक है कि आरजेडी नेता लालू यादव ने मोदी को परिवारवाद की राजनीति के मुद्दे पर अपने तरीके से काउंटर करने की कोशिश की है, लेकिन लगता है दांव उलटा पड़ गया है – लालू यादव के बयान के विरोध में अमित शाह और जेपी नड्डा सहित तमाम भाजपा नेता अपने X हैंडल पर नाम के आगे ‘मोदी का परिवार’ लिख लिया है.

भाजपा ये अभियान भी 2019 की तरह चला रही है जब प्रधानमंत्री मोदी ने अपने नाम के पहले ‘चौकीदार’ लिख कर राहुल गांधी के स्लोगन ‘चौकीदार चोर है’ की न सिर्फ हवा निकाल दी थी, बल्कि चुनाव में मुद्दा बनने ही नहीं दिया. नतीजे भी भाजपा के पक्ष में आये.
मोदी को लेकर ऐसे विवादित बयान पहले भी दिये जाते रहे हैं जिनमें सोनिया गांधी का ‘मौत का सौदागर’ और मणिशंकर अय्यर का ‘चायवाला’ कहना भी शामिल है – और हमेशा ही ऐसे दांव उलटे पड़े हैं.

सवाल है कि क्या मोदी पर निजी हमले के मामले में लालू यादव ने भी राहुल गांधी वाली गलती दोहरा दी है?

मोदी का परिवार’ विवाद और भाजपा का अभियान

राजनीतिक विरोधी हमले के लिए कोई न कोई मौका ढूंढ ही लेते हैं, और कभी कभी नेता खुद भी मौका दे देते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक विरोधी के लिए हमले का ऐसा मौका 2014 में लिए तब मिला जब भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी वडोदरा सीट से चुनाव लड़ते वक्त खुद को शादीशुदा बता दिया. उससे पहले नरेंद्र मोदी वो कॉलम खाली छोड़ दिया करते थे, लेकिन तब मोदी ने न सिर्फ खुद को विवाहित बता दिया, बल्कि पत्नी का नाम भी लिख दिया.

कुछ दिनों तक ये मामला थोड़ा तूल भी पकड़ा था, लेकिन बाद में सिर्फ सोशल मीडिया पर या जहां तहां दबी जबान ऐसी बातें हुआ करती रहीं. हां,संपत सरल जैसे हास्य व्यंग्य के कवि ऐसी बातें सुना कर खूब ताली जरूर बटोर लेते हैं – ‘जब आदमी शादीशुदा नहीं होता तो रेडियो से मन की बात करनी पड़ती है’
हंसी-मजाक तो चल जाता है,लेकिन पटना के गांधी मैदान में आयोजित रैली में लालू यादव का मोदी पर हमला अभी से ही पॉलिटिकल ब्लंडर जैसा लगने लगा है.परिवार और संतान को लेकर रैली में लालू यादव ने कहा था,‘अगर नरेंद्र मोदी के पास अपना परिवार नहीं है तो हम क्या कर सकते हैं… वो राम मंदिर के बारे में डींगें हांकते रहते हैं.वो सच्चे हिंदू भी नहीं हैं.’

INDIA ब्लॉक की रैली के अगले ही दिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तेलंगाना पहुंचते हैं और कहते हैं, मेरे परिवार को लेकर मुझ पर निशाना साधा गया… अब पूरा देश बोल रहा है… मैं हूं मोदी का परिवार.

दरअसल बिहार की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में रविवार (03 मार्च 2024) को आयोजित ‘जनविश्वास महारैली’ में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने प्रधानमंत्री मोदी पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘अगर नरेंद्र मोदी के पास अपना परिवार नहीं है तो हम क्या कर सकते हैं। वह राम मंदिर के बारे में डींगें हाँकते रहते हैं। वह एक सच्चे हिंदू भी नहीं हैं। हिंदू परंपरा में बेटे को अपने माता-पिता के निधन पर अपना सिर और दाढ़ी मुँडवानी चाहिए। मोदी ने तब ऐसा नहीं किया जब उनकी माँ की मृत्यु हो गई।’

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (04 मार्च 2024) को तेलंगाना के अदिलाबाद में एक जनसभा संबोधित करते हुए आरजेडी सुप्रीमो पर पलटवार किया कि ‘मेरे परिवार को लेकर मुझ पर निशाना साधा गया। लेकिन, अब पूरा देश बोल रहा है कि मैं हूँ मोदी का परिवार।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘परिवारवादी पार्टी के चेहरे अलग हो सकते हैं लेकिन चरित्र एक ही होता है। दो पक्की चीजें हैं इनके चरित्र में एक झूठ और दूसरा लूट। भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण में आकंठ डूबे इंडी गठबंधन के नेता बौखलाते जा रहे हैं।’ प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, ‘मैं इन पर सवाल उठाता हूँ तो कहते हैं मोदी का परिवार नहीं… अब कह देंगे तुम कभी जेल नहीं गए इसलिए नेता नहीं बन सकते। मेरा जीवन खुली किताब जैसा, मेरी पल-पल की खबर देश रखता है। पूरा देश ही मेरा परिवार है।’
प्रधानमंत्री मोदी के बाद केंद्रीय मंत्रियों से लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों तक ने एक्स पर अपनी प्रोफाइल में ‘मोदी का परिवार’ जोड़ लिया। गृहमंत्री अमित शाह से लेकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा तक, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक। सभी ने अपनी प्रोफाइल में मोदी का परिवार जोड़ लिया।

सभी नेताओं के एक्स हैंडल का स्क्रीनशॉट
तेलंगाना के कॉन्ग्रेसी मुख्यमंत्री ने मोदी को कहा भाई, गुजरात मॉडल पर आगे बढ़ने की कही बात
प्रधानमंत्री मोदी जब तेलंगाना में बोल रहे थे, मंच पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी थे। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से पहले ही जनता को संबोधित किया और प्रधानमंत्री मोदी को बड़ा भाई कहा। इस दौरान उन्होंने कहा कि तेलंगाना भी गुजरात मॉडल की तरह काम कर रहा है। रेड्डी ने कहा कि वो केंद्र सरकार से झगड़े की जगह, केंद्र सरकार का समर्थन चाहते हैं। रेवंत रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना प्रधानमंत्री मोदी के भारत को पाँच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने का सपना पूरा करने को कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ेगा। इस दौरान उन्होंने कहा कि हैदराबाद मेट्रो परियोजना के लिए तेलंगाना सरकार अपनी तरफ से पूरा फंड देगी।

जेल जाने की बात मोदी ने लालू के लिए कही. लालू यादव असल में चारा घोटाले में सजायाफ्ता हैं, और जेल से जमानत पर रिहा होकर राजनीतिक गतिविधियों में काफी दिनों से खासे एक्टिव हैं. मोदी कहते हैं, देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए मैंने घर छोड़ा था… 140 करोड़ देशवासी मेरा परिवार हैं… मेरा भारत, मेरा परिवार है… आपके लिए जी रहा हूं, आपके लिए जूझ रहा हूं… जूझता रहूंगा… भारत ही मेरा परिवार है.

और मोदी के भाषण के दौरान ही सामने बैठी भीड़ जोर जोर से नारेबाजी शुरू कर देती है, ‘मैं हूं मोदी का परिवार.’

बिलकुल वैसे ही जैसे 2019 में भाजपा का अभियान चल रहा था और लोग कह रहे थे, मैं हूं चौकीदार.

मोदी पर कई बार हुए हैं ऐसे निजी हमले

ऐसे में जबकि देश लोक सभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है, सबसे जीती जागती मिसाल तो 2019 के आम चुनाव से ही है. तब राफेल डील को लेकर राहुल गांधी पूरे चुनाव के दौरान अपनी रैलियों में नारे लगवाते रहे, चौकीदार चोर है।
इस बार तो भाजपा नेताओं ने अपने नाम के साथ ‘मोदी का परिवार’ लिखना शुरू किया है, पिछली बार तो राहुल गांधी के कैंपेन का काउंटर मोदी ने खुद अपने नाम के पहले ‘चौकीदार’ लिख कर किया था, और देखते ही देखते सारे भाजपा नेता और समर्थक अपने नाम में चौकीदार शब्द जोड़ चुके थे. हालांकि, कुछ भाजपा नेताओं ने थोड़ा सोचने समझने के बाद ये काम किया था.

अब भी मामला ऐसा ही नजर आ रहा है. मोदी के विरोधी खेमे के नेता माने जाने वाले नितिन गडकरी ने भी नाम के साथ ‘मोदी का परिवार’ लिख लिया है, लेकिन वरुण गांधी और मेनका गांधी लगता है, अभी (ये पीस लिखे जाने तक) इस मसले पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. हालांकि, मां और बेटे दोनों ही ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वो बयान रिपोस्ट किया है, जिसमें वो ‘मोदी का परिवार’ की बात कर रहे हैं.

राहुल गांधी से पहले सोनिया गांधी ने 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान 2002 के गुजरात दंगों को लेकर मोदी को ‘मौत का सौदागर’ बता दिया था, कांग्रेस को कोई फायदा नहीं हुआ, और नरेंद्र मोदी बड़े आराम से चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बन गये थे – ये उनके प्रधानमंत्री बनने के ठीक पहले वाला विधानसभा चुनाव था. तब वो तीसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने ।
ऐसे ही 2014 के आम चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने मोदी पर ‘जहर की खेती’ करने का आरोप लगाया था. बाद में उरी आतंकवादी हमले के बाद भारत के सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर राहुल गांधी ने मोदी पर बिलकुल वैसे ही ‘खून की दलाली’ करने का इल्जाम लगाया था. ये 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले की बात है.

लेकिन 2014 में मोदी के खिलाफ जिस बात ने सबसे ज्यादा तूल पकड़ा, वो कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर का बयान था, जिसमें कांग्रेस नेता ने मोदी को ‘चायवाला’ बोल कर मजाक उड़ाया था. तब प्रशांत किशोर मोदी का कैंपेन चला रहे थे, और ‘चायवाला’ को ऐसा ट्विस्ट दिया गया कि पूरा माहौल ही मोदी के पक्ष में चला जाये – और ये अभियान भी सफल रहा.

कांग्रेस में नेताओं का एक ऐसा ग्रुप रहा है, जो हमेशा ही मोदी के खिलाफ निजी हमलों का विरोधी रहा है. ऐसे नेताओं की सलाह रही है कि मोदी की नीतियों को लेकर चाहे कितना भी आक्रामक रुख क्यों न अपनाया जाये, लेकिन निजी हमलों से बचना चाहिये, जिसका मोदी फायदा उठा सकते हैं – लेकिन इस बार तो ये गलती कांग्रेस के भीतर नहीं बल्कि बाहर से हुई है.

क्या लालू यादव को भी राहुल गांधी जैसा नुकसान हो सकता है?

देखा जाये तो लालू यादव और राहुल गांधी की राजनीति में मौलिक अंतर है, भले ही परिवारवाद की राजनीति के मुद्दे पर दोनों ही तराजू के एक ही पलड़े में सवार हो जाते हों।

मामला एक जैसा जरूर है, लेकिन जरूरी नहीं कि नतीजे भी बिलकुल एक जैसे ही हों. संभव है, भाजपा का अभियान का देश के अलग अलग हिस्सों में अलग तरीके का असर हो – उदाहरण को, उत्तर भारत में और दक्षिण भारत में भी प्रभाव में अंतर दिख सकता है, और बिहार में भी उत्तर भारत के राज्यों से अलग असर हो सकता है.

एक बात तो है. मोदी बनाम राहुल गांधी, और मोदी बनाम लालू यादव में काफी फर्क है. मोदी और राहुल गांधी की लोकप्रियता में भारी अंतर है. राष्ट्रीय स्तर पर तो ऐसा है ही. कुछ सर्वे में तो राहुल गांधी भी मोदी के मुकाबले लोकप्रियता में आगे पाये गये हैं.

जहां तक मोदी बनाम लालू की बात है, तो देश के बाकी हिस्सों और बिहार में काफी अंतर हो सकता है – और जिस तरह की उत्तर बनाम दक्षिण की राजनीतिक बहस चल रही है, एक जैसे नतीजे तो नहीं ही आने वाले हैं.

जहां तक राजनीतिक परिपक्वता की बात है, राहुल गांधी और लालू यादव की तुलना भी बेमानी ही होगी, फिर भी सवाल तो ये उठता ही है कि क्या लालू यादव ने भी राहुल गांधी वाली ही गलती दोहरा दी है?

सवाल का जवाब सीधे सीधे ‘हां’ में नहीं हो सकता. हां, अगर सवाल ये है कि भाजपा को लालू यादव की टिप्पणी के खिलाफ कैंपेन से कोई फायदा होगा या नहीं? और लालू यादव को अपने बयान की वजह से फायदा होगा या नुकसान?

पूरे देश, खासकर उत्तर भारत में तो भाजपा को फायदा मिलना तय है, लेकिन बिहार में भी हो ही, निश्चित नहीं है. लालू यादव के वोटर पर भाजपा के कैंपेन का कोई फर्क पड़ेगा, ऐसा नहीं लगता – राहुल गांधी और लालू यादव होने का सबसे बड़ा फर्क यही है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *