मत: मोदी विरोध करते-करते चले जाते हैं देश विरोध तक

क्या मोदी विरोध करते-करते देश विरोध में उतर आई हैं पार्टियां, सीमा लांघी तो नहीं जा रही?

Authored byVineet Tripathi |
यहां पर हम समझते हैं कि दुनिया का हर इंसान अपने मुल्क से मोहब्बत करता होगा। अपने देश के लिए हर इंसान के दिल में इज्जत और प्यार हमेशा रहता है। मगर कोई अपने देश के नक्शे के टुकड़े-टुकड़े करने वाली तस्वीर कैसे पोस्ट कर सकता है। तस्वीर पोस्ट करते वक्त क्या उनका जमीर गंवारा कर जाता है। हम वो तस्वीर आपको यहां पर दिखा भी नहीं सकते। ( हरिनायक दिखा रहा है-)

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हाइलाइट्स
सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ ऐसी तस्वीरे हो रही हैं पोस्ट
क्या मोदी विरोध करते-करते देश विरोध में उतर गईं हैं पार्टियां और लोग
कई पार्टियों के नेता और लोग भारत के नक्शे के साथ छेड़छाड़ कर कर रहे हैं पोस्ट

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली 17 जूूून : लोकतंत्र में सरकारों के विरोध का इतिहास बहुत पुराना है। दरअसल, रचनात्मक आलोचनाओं से तो लोकतंत्र की जड़ें मजबूत ही होती हैं। इसीलिए कहा जाता है असली लोकतंत्र वहीं है जहां पर मजबूत विपक्ष है। दशकों तक लंबी लड़ाई के बाद 1947 में जब भारत को आजादी मिली तो एक तरफ उम्मीदें थीं और दूसरी तरफ कई आशंकाएं थीं। पश्चिमी देशों को लगता था कि भले ही हिंदुस्तान आजाद हो जाए मगर यहां पर लोकतंत्र ज्यादा दिन नहीं टिक पाएगा। उनकी इस सोच के पीछे का कारण था यहां की विभिन्नता, यहां पर तमाम जाति, धर्म, पंथ पर बंटे हुए लोग। मगर इसके बाद यही भारत की ताकत बनी और भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भी बना। आज ये सब लिखने के पीछे कारण है कि क्या मोदी विरोध करते-करते देश विरोध में उतर गईं हैं पार्टियां और लोग।

सोशल मीडिया पर मोदी के इस्तीफे की मांग

सुबह तकरीबन 10 बजा होगा। ट्विटर खंगालना ऐसा हो गया है जैसे कि ऑक्सिजन का आवागमन। दैनिक दिनचर्या के हिसाब से ट्विटर पर #ModiMustResign का ट्रेंड देखा। देश में ऐसे कई मुद्दे चल रहे हैं तो हमने सोचा या तो नुपूर शर्मा का विवादित मामला होगा या फिर नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी की ईडी के सामने पेशी हो रही है उसके चलते कांग्रेस देशभर में प्रदर्शन कर रही है शायद इसी वजह से ट्रेंड कर रहा होगा। ये कोई खराब बात नहीं है अक्सर विपक्ष इस्तीफे की मांग करता है तो इस बात से कोई पीड़ा नहीं हुई। देर शाम को जब फिर ट्विटर खंगाला तो देखा कि इस हैशटैग से 85 हजार के आसपास ट्वीट हो चुके हैं। टॉप में ट्रेंड कर रहा है तो अंदर जाकर इसको खंगालने की जिज्ञासा हुई। जिस वक्त इस ट्रेंड को भीतर जाकर खंगाला तो देखा कि आज मोदी विरोध का स्वर देश विरोध तक जा पहुंचा है।

पहले मामला समझिए पूरा

आपको हम पहले पूरा मामला समझाते है उसके बाद ये समझाते हैं विपक्ष की आड़ में कैसे नेता अपने ही देश का विरोध करने में उतारू हैं। ट्विटर पर पूरे विश्व के लोग भारत की ऐसी तस्वीर देखकर क्या सोचते होंगे अब ये सोचकर कोई हैरत नहीं होती। भारत के नक्शे के साथ भी छेड़छाड़ की जा रही है। ये तो समझना चाहिए कि ये देश बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी का थोड़ा ही है। ये देश बना है 130 करोड़ देशवासियों से। मामला पड़ोसी मुल्क श्रीलंका से जुड़ा हुआ है। तीन दिन पहले श्रीलंका के सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) के अध्यक्ष ने संसदीय समिति के सामने ये बयान दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पड़ोसी देश में एक बिजली परियोजना अडानी समूह को दिलवाने के लिए राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर ‘दबाव’ बनाया था।

राष्ट्रपति ने दी थी सफाई

हालांकि, इसके एक दिन बाद ही विवाद बढ़ता देख सीईबी अध्यक्ष ने रविवार को ये बयान वापस ले लिया। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने भी इन आरोपों को खारिज किया है। इस मामले पर अब अडानी कंपनी के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा है, ‘श्रीलंका में निवेश का हमारा इरादा पड़ोसी मुल्क की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश है। एक जिम्मेदार कंपनी की तरह इसे हम दोनों मुल्कों के बीच साझेदारी के अहम हिस्से के तौर पर देखते हैं। कंपनी ने कहा कि इस मुद्दे की जिस तरह चर्चा की गई है उससे हमें निराशा हुई है। सच ये है कि इस मुद्दे को श्रीलंकाई सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है।

खुद देखिए कैसी-कैसी तस्वीरें हो रही हैं पोस्ट

ये है वो मसला जिसको आधार मानकर प्रधानमंत्री मोदी के इस्तीफे वाला ट्रेंड चलाया जा रहा है। यहां न हमको मतलब श्रीलंका से है, न गौतम अडानी से है, न ही किसी भी सरकार से है। मगर यहां पर हमको मतलब है हिंदुस्तान से। लोकतंत्र में विपक्ष का बहुत अहम रोल है। मगर यहां बीते कुछ समय से देखा जा रहा है मोदी विरोध कब देश विरोध हो जाता है पता ही नहीं चलता। पहले तक विपक्ष ये कहता था कि मोदी विरोध को देश विरोध बताया जा रहा है मगर आप खुद देखिए सोशल मीडिया पर जाकर और तय करिए क्या ये वाकई मोदी विरोध है या फिर देश विरोध।

हर देशवासी अपने मुल्क से मोहब्बत करता है

यहां पर हम समझते कि दुनिया का हर इंसान अपने मुल्क से मोहब्बत करता होगा। अपने देश के लिए हर इंसान के दिल में इज्जत और प्यार हमेशा रहता है। मगर कोई अपने देश के नक्शे के टुकड़े-टुकड़े करने वाली तस्वीर कैसे पोस्ट कर सकता है। तस्वीर पोस्ट करते वक्त क्या उनका जमीर गंवारा कर जाता है कि आप भी नक्शे के टुकड़े करने वाले किसी राज्य के लोग होंगे। और जैसे ही देश का टुकड़ा हुआ वैसे आप भी टूट गए। ये कोई एक मामला नहीं है। देश के अंदर सैकड़ों मामले है। जहां पर सरकार का विरोध देश विरोध बन जाता है। हम ज्यादा दूर नहीं जाते हैं, नुपूर शर्मा का मामला ही देख लीजिए।

नुपूर शर्मा का मामला

नुपूर शर्मा ने गलत बयान दिया। उनको कोई हक नहीं है किसी भी धर्म के बारे में टिप्पणी करने का। मगर नुपूर शर्मा भारत से बड़ी नहीं हैं। इस्लामिक देश कतर ने जब उनके बयान का विरोध किया तो कतर के बयान पर हिंदुस्तान के लोग खुश होने लगे। एक वर्ग को ऐसा लगा पता नहीं उन्होंने क्या जीत लिया हो। जबकि जब बात अपने मुल्क की होती है तो लाख गलत होने पर ही अपने मुल्क का सहारा बनना चाहिए। उस परिस्थिति में तो जरूर जहां पर गलत करने वाले व्यक्ति को सजा मिल गई हो। नुपूर शर्मा को पार्टी को निकाल दिया गया मगर लोगों का विरोध थमा नहीं। कतर के साथ-साथ बहरीन, पाकिस्तान, यूएई, ओमान और तालिबान जैसे देश भारत को कट्टरपंथ पर ज्ञान बांटने लगे। लेकिन विरोध करने वाले लोग ये भूल गए कि ये केवल मोदी सरकार की बदनामी नहीं बल्कि भारत की बदनामी हुई और उसी भारत में वो लोग भी रहते हैं जो विरोध करते हैं।

गलवान वैली चीन से झड़प का मामला

हम आपको थोड़ा और पहले लिए चलते हैं। आज 15 जून की तारीख है। 15 जून 2020 को गलवान घाटी के पेट्रोल पॉइंट 14 पर भारत और चीनी सेना के बीच झड़प हुई थी। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इसमें कर्नल संतोष बाबू भी शामिल थे। इसके बाद से दोनों देशों के बीच टेंशन काफी बढ़ गई थी। इस झड़प में चीन को भी काफी नुकसान पहुंचा था। हालांकि, चीन की ओर से आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए गए। लेकिन देश के विपक्ष ने माना ही नहीं कि चीन का भी नुकसान हुआ है। विपक्ष ने कहा कि चीन ने हमारे सीमा पर कब्जा किया हुआ है। राहुल गांधी कई बार इस बात को बोले हैं। मगर ये भूल गए कि सरकार का विरोध ठीक है मगर सेना का नहीं।

एयर स्ट्राइक के बाद मांगे गए सबूत

जब बात यहां तक आ गई है तो पूरा ही सुन लीजिए। 26 फरवरी 2019 की तारीख आपको याद हो न हो देश की सीमा में डटे हर जवान को याद होगी। ये वो तारीख थी जब पुलवामा के हमले का बदला लेने के लिए भारतीय वायुसेना ने जब एयर स्ट्राइक की थी। भारतीय सेना ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकी कैंप तबाह कर दिए थे। मगर अफसोस पाकिस्तान इससे घबरा गया था और आतंकियों की लाशें छिपाई जा रहीं थीं मगर भारत के अंदर सबूत मांगे जा रहे थे। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम सहित कई विपक्षी दलों ने एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाते हुए सबूत मांगे थे। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांग रहे थे। जरा सोचिए वो जवान जो अपनी जान हथेली पर रखकर पाकिस्तान घुसे और मारकर चले भी आए उनके लिए ये सवाल कैसा होगा। क्या लग रहा होगा उस वक्त जब उन्होंने सुना होगा कि लोग उनकी बहादुरी का प्रमाण मांग रहे हैं।

राजनीति में विपक्ष की भूमिका

आखिरी बात सिर्फ इतनी है कि जब भी राजनीति में विपक्ष की चर्चा की जाती है तो हमेशा राम मनोहर लोहिया का जिक्र होता है। जेपी तो 1953 से ही सक्रिय राजनीति से संन्यास लेकर दलविहीन लोकतंत्र और ‘सर्वोदय’ का प्रयोग कर रहे थे। ऐसे में वे लोहिया ही थे जिन्होंने विपक्ष क्या होता है और उसे क्या करना चाहिए, का पाठ भारतीय लोकतंत्र को सिखाया था। अपने प्रयासों से उन्होंने आजादी के बाद एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस को अपनी मौत से ठीक पहले यानी 1967 तक पानी पीने पर मजबूर कर दिया। मगर उनका विरोध कांग्रेस का विरोध होता था न कि भारत का। उन्होंने कभी अपने मूल्यों और सिद्धांतों को नहीं छोड़ा। विरोध करना बहुत आवश्यक है वरना ये सरकारें निरंकुश हो जाएंगी। देश में तानाशाही ले आएंगी मगर ये याद रखें कि कहीं ये विरोध देश विरोध तो नहीं…

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