उमेश पाल के हत्यारों में एक चढ़ा पुलिस के हत्थे

प्रयागराज : उमेश पाल के हत्यारों में से एक हत्यारे अरबाज खान का एनकाउंटर

प्रयागराज में दिन दहाड़े हुई उमेश पाल की ह्त्या में उत्तर प्रदेश पुलिस ने कार्यवाही करते हुए एक हत्यारे का एनकाउंटरा कर दिया है। विधायक राजू पाल की हत्या के गवाह की दिन दहाड़े हुई इस ह्त्या को लेकर विधानसभा में भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि एक भी माफिया को नहीं छोड़ा जाएगा।

दरअसल यह सारी घटना जुडी हुई है सत्रह वर्ष पूर्व हुए बसपा विधायक राजूपाल की हत्या से। राजूपाल की हत्या माफिया अतीक अहमद ने कराई थी। राजू पाल की हत्या भी इसीलिए कराई गई थी क्योंकि माफिया अतीक अहमद के सामने उसके ही पुराने सहयोगी राजूपाल खड़े हुए थे और राजूपाल ने अतीक अहमद के भाई अशरफ को चुनावों में पराजित कर दिया था।

विधायक बनने के तीन महीने बाद ही अर्थात 25 जनवरी 2005 को राजूपाल की हत्या कर दी गयी थी। 25 जनवरी 2005 को विधायक राजूपाल एसआरएन अस्पताल से बाहर निकले। उनके साथ दो गाड़ियां चल रही थीं। जब उनका काफिला जीटी रोड पर था, उसी समय उनके बगल से तेजी से एक स्कार्पियो निकली और जब तक राजू कुछ समझ पाते तब तक उन पर गोलियां बरसाई जाने लगीं।

राजूपाल और उनके साथ बैठे संदीप यादव और देवीलाल की भी मृत्यु हो गयी थी।

राजूपाल की ह्त्या के मामले में तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद, भाई अशरफ, फरहान, आबिद, गुफरान के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हुए।

एक समय में आतंक का पर्याय रहे और उत्तर प्रदेश को कुख्यात करने वाले अतीक अहमद के बुरे दिन राजूपाल की हत्या के बाद से आरम्भ हो गए। जैसे ही वर्ष 2007 में सत्ता बदली और मायावती मुख्यमंत्री बनीं, वैसे ही अतीक अहमद के विरुद्ध अभियान आरम्भ हो गया।

मायावती सरकार में अतीक पर एक ही दिन में 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज कराए गए। उसके पूरे गैंग का चार्टर तैयार हुआ। पुलिस ने अपने रिकॉर्ड में गैंग का नाम आईएस (इंटर स्टेट) 227 लिखा। उस वक्त अतीक की गैंग में 120 से ज्यादा सदस्य थे।

उसके बाद जब वर्ष 2012 में चुनाव हुए तो सपा वापस सत्ता में आ गयी। हालांकि अतीक अहमद अपनी सीट हार गया था, परन्तु हनक कम नहीं हुई थी। वर्ष 2016 में मुलायम सिंह यादव ने अतीक को कानपुर कैंट से टिकट दिया था। 22 दिसंबर को अतीक और उसके समर्थकों का वह जुलूस लोगों को अभी तक याद है जब वह हमर गाड़ी पर सवार था और उससे पहले वह प्रयागराज में शियाट्स कॉलेज में तोड़फोड़ कर चुका था।

इसी बीच समाजवादी पार्टी में आतंरिक सत्ता परिवर्तन हुआ और पार्टी की कमान अखिलेश यादव के हाथों में आ गयी और अतीक अहमद को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। उसी के बाद अतीक अहमद के और दुर्दिन शुरू हुए। शियाट्स मामले में उच्च न्यायालय ने अतीक अहमद को हिरासत में लेने के आदेश दिए और फरवरी 2017 को अतीक अहमद को गिरफ्तार कर लिया गया।

तब से लेकर अब तक वह कारागार में ही है। वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद से ही अतीक अहमद के आतंक पर लगातार प्रहार हो रहे हैं और अब तक अतीक की 1600 करोड़ रुपए से ज्यादा की गैर कानूनी संपत्तियों पर बुलडोजर चल चुका है।

उमेश पाल राजूपाल हत्याकांड के गवाह थे। 24 फरवरी 2023 को प्रयागराज में दिन दहाड़े उनकी ह्त्या कर दी गयी थे और इस हमले में अतीक अहमद का बेटा असद, अतीक का करीबी बमबाज गुड्‌डू मुस्लिम, अरमान और मोहम्मद गुलाम सहित सात लोग सम्मिलित थे।

इसे लेकर सरकार की उस छवि पर लगातार प्रश्न उठ रहे थे, जो योगी सरकार का सबसे सकारात्मक पक्ष है, अर्थात क़ानून एवं व्यवस्था की स्थिति। उत्तर प्रदेश में अतीक अहमद और उसके आतंक की कहानियाँ अभी तक लोगों के संज्ञान में है और हर किसी को यह प्रतीत हो भी रहा था कि इस हत्याकांड के दोषियों को शीघ्र ही पकड़ा जाएगा।

स्वयं मुख्यमंत्री योगी ने विधानसभा में जब कहा था कि एक भी माफिया नहीं छोड़ा जाएगा, मिट्टी में मिला दिया जाएगा, उसी दिन से लोगों की दृष्टि उत्तर प्रदेश पुलिस के क़दमों पर थी और आज एक दोषी को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया है।

मृतक अरबाज उमेश पाल की ह्त्या के समय क्रेटा गाड़ी चला रहा था। नेहरू पार्क के जंगल में यह मुठभेड़ हुई

इस हत्याकांड को लेकर पुलिस का कहना है कि माफियाओं और अपराधियों के प्रति जीरो टोलरेंस की नीति के अंतर्गत सख्त कार्यवाही करेगी

उमेश पाल की हत्या साधारण घटना नहीं है क्योंकि यह आतंक के उस दौर की याद दिलाती है जिससे यह प्रदेश उबरने का लगातार प्रयास कर रहा है एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बार-बार माफियाओं के विरुद्ध जिस प्रकार कदम उठा रहे हैं, यह उन तमाम प्रयासों को चुनौती देती हुई घटना थी। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को स्वयं विधानसभा में यह घोषणा करनी पड़ी कि हर माफिया को मिट्टी में मिला देंगें।

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