AtoZ:क्या होगा राजनीतिक असर?बंगाल में ममता के ओबीसी सर्टिफिकेट हाईकोर्ट ने किये निरस्त

ममता ने मनमाने ढंग से 97 मुस्लिम जातियों को आरक्षण दे दिया था जिससे कुल 17% आरक्षण का 97% हिस्सा मुस्लिमों की झोली में डाल दिया था

Calcutta Hc Order To Scrapping 5 Lakh Obc Certificates What Are The Political Implications Of Decision Amid Lok Sabha Election
बंगाल में 5 लाख ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द होंगे, कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश का राजनीति पर क्या होगा असर
कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल में 2010 में कई वर्गों को दिया गया अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का दर्जा रद्द करने का फैसला सुनाया है। कोर्ट ने राज्य में सेवाओं व पदों पर रिक्तियों में इस तरह के आरक्षण को अवैध करार दिया। सवाल है कि लोकसभा चुनाव के बीच हाई कोर्ट के इस आदेश का किस तरह असर होगा।

मुख्य बिंदु 

बंगाल में 2010 के बाद करीब 5 लाख ओबीसी में हैं लिस्टेड
राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा- कोर्ट का आदेश मंजूर नहीं
प्रधानमंत्री मोदी बोले-कोर्ट का आदेश विपक्ष के गाल पर ‘करारा तमाचा’

नई दिल्ली 22 मई 2024 : कलकत्ता हाई कोर्ट ने 22 मई को एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए, बंगाल में 2010 से राज्य सरकार की तरफ से जारी किए गए 5 लाख ओबीसी सर्टिफिकेट निरस्त कर दिये। हाई कोर्ट ने राज्य में नौकरियों और सेवाओं में इस आरक्षण को अवैध बताया। अदालत के अनुसार इन समुदायों को ओबीसी घोषित करने को वास्तव में धर्म ही एकमात्र मानदंड प्रतीत होता है। उसका मानना है कि मुसलमानों के 77 वर्गों को पिछड़ा चुना जाना पूरे मुस्लिम समुदाय का अपमान है। हाई कोर्ट ने कहा कि यह अदालत इस संदेह को अनदेखा नहीं कर सकती कि मुसलमानों को राजनीतिक उद्देश्यों का एक साधन माना गया।

राज्य के आरक्षण अधिनियम को चुनौती
राज्य के आरक्षण अधिनियम 2012 के प्रावधानों को चुनौती  याचिकाओं पर हाई कोर्ट ने यह निर्णय दिया। कोर्ट ने साफ किया कि जिन वर्गों का ओबीसी दर्जा हटाया गया है, उसके सदस्य यदि पहले से ही सेवा में हैं या आरक्षण का लाभ ले चुके हैं या राज्य की किसी चयन प्रक्रिया में सफल हो चुके हैं, तो उनकी सेवाएं  फैसले से अप्रभावित रहेंगी। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा) (सेवाओं और पदों में रिक्तियों का आरक्षण) कानून, 2012 में ओबीसी आरक्षण का लाभ प्राप्तकर्ता 37 वर्गों को संबंधित सूची से हटा दिया। कोर्ट ने कमीशन से सलाह नहीं लेने के आधार पर सितंबर 2010 का एक कार्यकारी आदेश भी निरस्त कर दिया। इस आदेश से ओबीसी रिजर्वेशन 7 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत कर दिया गया था। इसमें ए श्रेणी को 10 प्रतिशत और बी श्रेणी को 7 प्रतिशत रिजर्वेशन का प्रावधान था।

फैसले का क्या होगा असर?
आदेश का तत्काल प्रभाव बंगाल लोकसभा चुनाव के छठे चरण में 25 मई को तामलुक, कांथी, घाटल, पुरुलिया, बांकुरा, बिष्णुपुर, झारग्राम और मेदिनीपुर निर्वाचन क्षेत्रों अनुभव हो सकता है। इसके साथ ही इस फैसले ने भाजपा को विपक्ष पर हमला करने का एक और मौका दे दिया है। एनडीए पहले ही विपक्ष पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगाता रहा है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद उसके हाथ बैठे बिठाए हथियार मिल गया है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह राज्य में कुछ वर्गों का ओबीसी दर्जा खत्म करने के कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को स्वीकार नहीं करेंगी।  सरकार इस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी। एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि राज्य में ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा क्योंकि इससे संबंधित विधेयक संविधान की परिधि में पारित किया गया। तृणमूल प्रमुख ने भाजपा पर केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर ओबीसी आरक्षण रोकने के षड्यंत्र का आरोप लगाया। ममता ने कहा कि संदेशखाली में अपना षड्यंत्र विफल होने के बाद भाजपा अब नये षड्यंत्र रच रही है। मई 2011 तक पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) नेतृत्व वाला वाम मोर्चा सत्ता में था। उसके बाद तृणमूल कांग्रेस सरकार आई।  2010 के बाद पश्चिम बंगाल में ओबीसी श्रेणी में सूचीबद्ध व्यक्तियों की संख्या 5 लाख से ऊपर होने की संभावना है

प्रधानमंत्री मोदी ने साधा निशाना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोर्ट का फैसला विपक्ष के लिए ‘एक करारा तमाचा’ है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी इंडिया गठबंधन का ‘तुष्टीकरण का जुनून’ हर सीमा को पार कर गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब भी वह ‘मुस्लिम’ शब्द बोलते हैं, तब उन पर सांप्रदायिक बयान देने का आरोप लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि वह तो बस ‘तथ्यों को सामने लाकर’ विपक्ष को बेनकाब कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हाई कोर्ट ने यह फैसला इसलिए सुनाया क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार ने महज वोट बैंक की खातिर मुसलमानों को अवांछित ओबीसी प्रमाण पत्र जारी किए।

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पश्चिम बंगाल में ओबीसी आरक्षण के मसले पर हाईकोर्ट के फैसले से बवाल मच गया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुलेआम ऐलान कर दिया है कि वह कोर्ट के फैसले को नहीं मानेंगी. क्या है यह पूरा मसला और इसके पीछे की क्या थी मंशा…

पश्चिम बंगाल में ओबीसी आरक्षण मसला अब नेशनल इश्यू बना है. कोलकाता हाईकोर्ट ने फैसले में 2010 के बाद जारी पांच लाख से अधिक ओबीसी सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया. इससे राज्य ही नहीं पूरे देश की राजनीति में आरक्षण पर एक फिर बहस छिड़ गई है. हाईकोर्ट ने 2012 में राज्य की ममता बनर्जी सरकार के 77 जातियों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने संबंधी कानून को ही अवैध करार दिया है.

 क्या है पूरा मामला
दरअसल, पश्चिम बंगाल में ओबीसी आरक्षण की पूरी कहानी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल की सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पर आधारित है.उस रिपोर्ट में देश में मुस्लिम समुदाय की स्थिति के बारे में विस्तृत दावे थे. रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारियों में केवल 3.5% ही मुस्लिम थे. इसी को आधार बनाकर 2010 में पश्चिम बंगाल की वाम मोर्चा सरकार ने 53 जातियों को ओबीसी की श्रेणी में डाला और ओबीसी आरक्षण सात % से बढ़ाकर 17 % कर दिया. इस तरह 87.1% मुस्लिम आबादी आरक्षण में आ गई. लेकिन, 2011 में वाम मोर्चा की सरकार सत्ता से बाहर हो गई और उसका यह फैसला कानून नहीं बन सका.

तृणमूल सरकार
फिर राज्य में तृणमूल कांग्रेस की सरकार आई और ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनीं. ममता की सरकार ने इस सूची को बढ़ाकर 77 कर दिया. 35 नई जातियां इस सूची में जोडी गई, जिसमें से 33 मुस्लिम जातियां थीं. साथ ही तृणमूल सरकार ने भी राज्य में ओबीसी आरक्षण 7 % से बढ़ाकर 17 % कर दिया. ममता सरकार के इस कानून से राज्य की 92 % मुस्लिम आबादी को आरक्षण का लाभ मिलने लगा.

ओबीसी आरक्षण में भी बंटवारा
दूसरी तरह, ओबीसी आरक्षण को भी दो वर्गों में बांट दिया गया. 10 % आरक्षण एक वर्ग को दिया गया, जिसमें से अधिकतर जातियां मुस्लिम समुदाय की थीं. दूसरे वर्ग को 7% आरक्षण मिला जिसमें हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय की जातियां थीं.

कई राज्यों में लागू है ये फॉर्मूला
ओबीसी आरक्षण को दो वर्गों में बांटने का फॉर्मूला कई राज्यों में लागू है. बिहार में पिछड़ा वर्ग और अत्यंत पिछड़ा वर्ग दो कैटगरी है. यहां ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 37% कर दिया गया है. केंद्र सरकार और कई अन्या राज्यों में ओबीसी आरक्षण क्रीम लेयर और नॉन क्रीमी लेयर श्रेणी में बंटा है. इस आधार पर ओबीसी आरक्षण को ज्यादा तार्किक बनाने की कोशिश की गई. क्रीम और नॉन क्रीमी लेयर का आधार परिवार की आय होती है.ओबीसी समुदाय से होने के बावजूद एक दंपति की आय अगर एक निश्चिच लेवल से अधिक हो तो उनके बच्चों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है.

मनमानी के आरोप
ममता बनर्जी पर आरोप लगता है कि उन्होंने राज्य में ओबीसी की सूची में 77 जातियां शामिल करने का कानून वोट बैंक की राजनीति में किया. इसमें राष्ट्रीय स्तर पर ओबीसी सूची में जातियों को शामिल करने के मानक की उपेक्षा की गई.

मुस्लिमों की स्थिति में सुधार
हालांकि, इस पिक्चर का एक अन्य पहलू भी है. सच्चर कमेटी के मुताबिक राज्य सरकार की नौकरियों में 2010 से पहले केवल 3.5 % मुस्लिम थे. बंगाल सरकार के अल्पसंख्यक विभाग की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2011 से 2015 के बीच पश्चिम बंगाल सर्विस कमिशन की भर्तियों में 9.01 % अल्पसंख्यकों का चयन हुआ. इस अवधि में पश्चिम बंगाल कर्मचारी चयन आयोग की भर्तियों में 15 % मुसलमान चयनित हुए. ठीक इसी तरह पश्चिम बंगाल म्यूनिशिपल सर्विस कमिशन की भर्तियों में 12.5 % मुस्लिम चयनित हुए. राज्य में मुस्लिम आबादी 2.47 करोड़ यानी 27 % है.

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मुख्य बिंदु
लोकसभा चुनावों बीच ममता बनर्जी के सामने नई चुनौती
पश्चिम बंगाल में अभी बाकी है 17 लोकसभा सीटों पर वोटिंग
12 सीटें तृणमूल कांग्रेस,पांच सीटों पर भाजपा के कब्जे में
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पांच लाख सर्टिफिकेट को किया है रद्द

लोकसभा चुनावों बीच कलकत्ता हाईकोर्ट के पश्चिम बंगाल में 14 सालों में जारी ओबीसी सर्टिफिकेट निरस्त करने पर जहां राजनीति गरमाई है तो वहीं दूसरी तरफ कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले से राजनीतिक लाभ-हानि आकलन शुरू हो गया। सत्तासीन तृणमूल कांग्रेस को कलकत्ता हाईकोर्ट से नुकसान हो सकता है। राज्य में अभी छठवें और सातवें चरण में 17 सीटों पर वोटिंग होगी। इनमें 12 सीटें तृणमूल और पांच सीटें भाजपा की हैं। पश्चिम बंगाल में तृणमूल के वोट बैंक में बड़ा हिस्सा मुस्लिमों का है। कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का असर लोकसभा चुनावों की बची सीटों की वोटिंग में दिख सकता है। कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश बाद पांच लाख ओबीसी सर्टिफिकेट प्रमाणपत्र निरस्त हो गए हैं। हाईकोर्ट ने नए सर्टिफिकेट जारी करने पर भी तुंरत प्रभाव से रोक लगाई है, हालांकि कोर्ट के फैसले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मानने से मना कर दिया है। पश्चिम बंगाल सरकार हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।

बंगाल में 17 प्रतिशत है OBC आरक्षण
हाईकोर्ट ने राज्य में 2010 के बाद जारी ओबीसी सर्टिफिकेट निरस्त किये हैं। कोर्ट ने बिना पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट बिना ही मुस्लिमों को ओबीसी में शामिल करने को असंवैधानिक माना है। राज्य में जिन सीटों पर वोटिंग बाकी हैं,उनमें काफी सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक हैं। हाईकोर्ट फैसले पर लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि वह ओबीसी सर्टिफिकेट निरस्तीकरण के कारण देखकर प्रतिक्रिया देंगें। पश्चिम बंगाल में ओबीसी का कुल 17 % आरक्षण है। यह दो कैटेगरी में है। इनमें पहली कैटेगरी ओबीसी-ए है। इसमें तय 10 प्रतिशत आरक्षण में कुल 81 कम्युनिटी हैं। इनमें 56 मुस्लिम समाज से हैं। ओबीसी-बी कैटेगरी में कुल सात प्रतिशत आरक्षण है । इसमें 99 कम्युनिटी रखी गई हैं। इनमें 41 मुस्लिम हैं।

किन सीटों पर बाकी हैं वोटिंग:
छठवां चरण (कुछ 8 सीटें): तामलुक, कांठी, घातल, झारग्राम, मेदिनीपुर, पुरुलिया, बांकुरा, बिष्णुपुर
सातवां चरण (कुछ 9 सीटें): दमदम, बारासात, बशीरहाट, जयानगर, मथुरापुर, डायमंड हार्बर, जाधवपुर, काेलकाता दक्षिण, कोलकात उत्तर

TMC पर हमलावर भाजपा
कलकत्ता हाईकोर्ट के ओबीसी सर्टिफिकेट को रद्द किए जाने पर भाजपा ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल सरकार पर निशाना साधा है। कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के कुछ घंटे बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में पार्टी की एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने इंडी अलायंस को बड़ा थप्पड़ मारा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने गैरजरूरी और गलत तरीके से मुस्लिमों को ओबीसी में आरक्षण दे दिया। प्रधानमंत्री   मोदी ने कहा कि यह सिर्फ वोट बैंक की पॉलिटिक्स को किया गया। प्रधानमंत्री  मोदी ने मुस्लिमों से अपील की कि वे चुनावों में ऐसे दलों को पहचाने जो उनके साथ वोट बैंक पॉलिटिक्स खेल रहे हैं। प्रधानमंत्री   मोदी के हमले के बाद साफ है कि भाजपा आगे इस विषय पर और आक्रामक हो सकती है। ऐसे में देखना है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी सरकार के फैसलों का कैसे बचाव करती है?

Bengal Kolkata Calcutta High Court Canceled All Obc Certificates Issued By The State From 2011 To 2024 In West Bengal
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 सालों में जारी OBC सर्टिफिकेट किए निरस्त, पश्चिम बंगाल में ममता सरकार को बड़ा झटका
High Court On OBC Certificate: पश्चिम बंगाल में कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में साल 2010 के बाद जारी ओबीसी प्रमाणपत्र निरस्त करने का निर्णय सुनाया है। कोर्ट के निर्णय से तृणमूल सरकार को बड़ा झटका लगा है। अब राज्य में 1993 के आधार पर नई ओबीसी सूची बनाई जाएगी।
पश्चिम बंगाल में कलकत्ता हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
हाईकोर्ट ने 2010 के बाद जारी OBC सर्टिफिकेट निरस्त किए
कोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य में कोई ओबीसी सूची नहीं
ओबीसी आरक्षण सूची 1993 अधिनियम के बनेगी नई सूची

पश्चिम बंगाल के कलकत्ता हाईकोर्ट ने ओबीसी सर्टिफिकेट को लेकर बड़ा फैसला लिया है। हाईकोर्ट ने बंगाल में 2010 के बाद बनी ओबीसी सूची को रद्द कर दिया है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि अब कोई भी नए प्रमाणपत्र जारी नहीं किए जाएंगे, हालांकि कोर्ट ने यह साफ किया है कि इस सूची के आधार पर जिन लोगों को नौकरी मिली है,उन पर इसका असर नहीं है। मतलब उनकी नौकरी बनी रहेगी। न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथर की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी प्रतिक्रिया दी है।

13 साल के प्रमाण पत्र हुए निरस्त 
खंडपीठ ने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट 2011 से 2024 तक राज्य से जारी सभी ओबीसी प्रमाणपत्र निरस्त कर रहा हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले से राज्य में नए सिरे से राजनीति गरमा गई है। हाईकोर्ट ने कहा कि 2010 के बाद की सभी ओबीसी आरक्षण सूचियां निरस्त की जाती हैं। 2010 से पहले पंजीकृत ओबीसी की सूची बनीं रहेगी। इस फैसले से राज्य की ममता बनर्जी सरकार को बड़ा झटका लगा है।
नए सिरे से बनेगी ओबीसी सूची
हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब पश्चिम बंगाल में नई ओबीसी आरक्षण सूची 1993 अधिनियम के अनुसार तैयार होने के बाद राज्य में लागू होगी। कोर्ट ने यह आश्वासन दिया  है कि जिन लोगों को ओबीसी आरक्षण सूची में पहले ही नौकरी मिल चुकी है,उनकी नौकरियां बनीं रहेंगी। जो लोग भर्ती प्रक्रिया में हैं उन्हें भी नौकरी मिलेगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर कहा है कि वह राज्य में कई वर्गों का ओबीसी दर्जा खत्म करने का आदेश स्वीकार नहीं करेंगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खरदाह  चुनावी रैली में कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला नहीं मानेंगे

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