महाराष्ट्र विधानसभाध्यक्ष का निर्णय: कोई विधायक अयोग्य नहीं,असली शिवसेना शिंदे की

Shiv Sena Mla Disqualification Case Maharashtra Assembly Speaker Rahul Narvekar Gives Big Relife To Eknath Shinde Led Fraction In Verdict
शिंदे गुट ही असली शिवसेना… किन संदर्भों में महाराष्ट्र के स्पीकर ने दिया उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका
महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता प्रकरण में आखिरकार अपना फैसला सुना दिया। उन्होंने अयोग्यता पर 1200 पृष्ठों के फैसले के पहले उन बिंदुओं का उल्लेख किया जिनको उन्होंने आधार बनाया। स्पीकर नार्वेकर के फैसले से एकनाथ शिंदे को  बड़ी राहत मिली है।
मुख्य बिंदु
महाराष्ट्र में शिवसेना विधायकों की अयोग्यता के मामले में उद्धव को झटका
स्पीकर ने शिंदे गुट को माना असली शिवसेना,आयोग का रेकॉर्ड रहा आधार
स्पीकर नार्वेकर ने उद्धव ठाकरे के फैसलों को अवैध बताया
पार्टी संविधान, नेतृत्व और बहुमत के आधार पर दिया अयोग्यता का फैसला
मुंबई 10 जनवरी 2024 : शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता प्रकरण में उद्धव ठाकरे को करारा झटका लगा है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने पिछले काफी महीनों से चर्चा का विषय बने इस मामले में  फैसला सुना दिया। सवा घंटे तक कानूनी पहलुओं और फैसलों का उल्लेख कर उन्होंने उद्धव गुट की उस मांग को निरस्त कर दिया जिसमें मुख्यमंत्री शिंदे समेत 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी। नार्वेकर के फैसले के बाद शिंदे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बनी रहेगी तो वहीं उद्धव ठाकरे को बड़ी हार मिली है। महाराष्ट्र विधान सभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने न सिर्फ उद्धव गुट की अपील निरस्त की बल्कि पार्टी प्रमुख के तौर उनके फैसलों पर भी सवाल किए। नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना (एकीकृत) के संविधान के मुताबिक शिवसेना अध्यक्ष (उद्धव ठाकरे) को शिंदे को नेता पद से हटाने का अधिकार नहीं था।

आयोग के रेकॉर्ड को बनाया आधार
नार्वेकर ने अपने फैसले में पार्टी का संविधान क्या कहता है?, नेतृत्व किसके पास था?, विधानमंडल में बहुमत किसके पास था? को मुख्य आधार बनाया। इन सवालों का जवाब खोजने को उन्होंने चुनाव आयोग के रेकॉर्ड को सही माना। उन्होंने शिंदे के साथ अलग हुए शिवसेना के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने से मना करते हुए उद्धव ठाकरे की अपील अस्वीकार कर दी। शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले में फैसला लेने को सुप्रीम कोर्ट ने नार्वेकर को 10 जनवरी अंतिम तिथि दी थी। राहुल नार्वेकर ने अपने फैसले में कहा कि मैंने अयोग्यता के मामले में निर्णय लेने में चुनाव आयोग का फैसला ध्यान में रखा।

उद्धव को नहीं था अधिकार
नार्वेकर ने कहा कि मैं चुनाव आयोग के फैसले से बाहर नहीं जा सकता था। चुनाव आयोग के रेकॉर्ड में शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। नार्वेकर के अनुसार शिवसेना का 2018 का संविधान मान्य नहीं है, क्योंकि इसके बाद शिवसेना में कोई चुनाव नहीं हुआ। इसलिए पार्टी का आखिरी संविधान 1999 का ही है। संविधान में हुआ संशोधन रेकॉर्ड में नहीं है। 21 जून, 2022 को जो हुआ उसे समझना होगा। नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना में फैसले लेने को सबसे बड़ी संस्था राष्ट्रीय कार्यकारिणी है। उद्धव अकेले फैसले नहीं ले सकते थे। उन्होंने उनके फैसलों को भी गलत बताया।

क्या बोले महाराष्ट्र विधानसा स्पीकर?
1. महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी के 2018 के संशोधित संविधान अनुसार शिवसेना के नेतृत्व ढांचे पर भरोसा नहीं किया जा सकता। 2013 और 2019 में नेतृत्व चुनने को शिवसेना में कोई चुनाव नहीं हुआ। इसका कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं।

2. शिवसेना (यूबीटी) को पहला बड़ा झटका। महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना के संशोधित संविधान को नही माना, पुराने और असंशोधित संविधान के आधार पर ही फैसला किया।

3. महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि ईसीआई में पार्टी के रूप में प्रस्तुत और स्वीकार संविधान पर विचार किया जाएगा,न कि हाल ही में 2018 में किए गए संशोधित संविधान पर। उन्होंने  संशोधित संविधान पर विचार करने की शिवसेना (यूबीटी) की मांग निरस्त कर दी।

4. महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि दोनों पक्ष सुनने से स्पष्ट है कि संविधान और अन्य विषयों पर दोनों पक्षों में कोई सहमति नहीं है। निर्विवाद संविधान माना जाएगा न कि 2018 में किया गया संशोधित संविधान। यह संविधान 1999 का है।

5. महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित 16 शिवसेना विधायकों को उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों के संदर्भ से अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। समाचार पत्रों की रिपोर्ट इन विधायकों के निष्कासन का आधार नहीं हो सकती और उन्हें संविधान की 10वीं अनुसूची में अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।
6. महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत 16 शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें अयोग्य ठहराने का कोई वैध आधार नहीं है। एकनाथ शिंदे ही शिवसेना और पार्टी के असली नेता हैं। शिंदे को व्हिप नियुक्त करने का भी अधिकार है।

7. शिंदे गुट के पास 37 विधायकों का समर्थन है यानी बहुमत,तो शिंदे गुट ही असली शिव सेना और असली राजनीतिक दल है। इसलिए सचेतक के रूप में सुनील प्रभु की नियुक्ति शून्य है, इसलिए मुख्य सचेतक के रूप में भरत गोगावले की नियुक्ति वैध है।

8. महाराष्ट्र राज्य विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि एक पार्टी के रूप में नेतृत्व तय करने को शिवसेना में सामग्री (मैटेरियल) का अभाव है और उनका नेतृत्व राजनीतिक दल के रूप में होगा और उनकी और पार्टी की इच्छा के अनुसार उनका नियुक्त व्हिप होगा।

स्पीकर शायद उद्धव गुट के दवाब में थे…’, अयोग्यता पर फैसले के बाद CM एकनाथ शिंदे का बयान
स्पीकर के इस फैसले पर जहां उद्धव ठाकरे ने सवाल उठाए हैं तो वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि इसे पार्टी के भीतर लोकतंत्र को बढ़ावा मिला है.

महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट के सदस्यों की अयोग्यता की अर्जी पर अपना फैसला सुना दिया.एकनाथ शिंदे के पास 55 में से 37 विधायक हैं.इसके साथ ही स्पीकर ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि शिंदे गुट के सभी 16 विधायकों की सदस्यता बरकरार रहेगी.यानी एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के CM बने रहेंगे.

स्पीकर के इस फैसले पर जहां उद्धव ठाकरे ने सवाल उठाए हैं तो वहीं मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि इससे पार्टी के भीतर लोकतंत्र को बढ़ावा मिला है. शिंदे ने कहा कि उद्धव पार्टी बेच रहे थे. लोकतंत्र में बहुमत मायने रखता है लेकिन ऐसा लगता है कि स्पीकर दबाव में थे क्योंकि उन्होंने विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया.क्योंकि उद्धव ठाकरे गुट उन पर आरोप लगाकर उन पर दबाव बना रहा था.

हमें अयोग्य क्यों नहीं ठहाराया: उद्धव ठाकरे

उद्धव ठाकरे ने स्पीकर के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया.यह अवमानना हो सकती है,हम जांच करेंगे. वे सोचते हैं कि कोई भी उनसे ऊपर नहीं है,यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय भी.उन्होंने किसी को अयोग्य नहीं ठहराया.उन्होंने हमें अयोग्य क्यों नहीं ठहराया?” सुप्रीम कोर्ट को मामले में स्वत: संज्ञान लेना चाहिए.शिवसेना खत्म नहीं होगी.शिंदे की शिवसेना असली शिवसेना नहीं हो सकती.मैं बस सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करता हूं कि वह तथ्य सामने लाकानूनी फैसला ले.यह स्पष्ट मामला है जहां लोकतंत्र की हत्या हुई है.स्पीकर ने साफ कर दिया है कि किसी को पार्टी कैसे बदलनी चाहिए.

डेढ साल पहले शिंदे ने किया था विद्रोह

उल्लेखनीय है कि करीब डेढ़ साल पहले 20 जून 2022 को एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 39 विधायकों ने शिवसेना से विद्रोह कर भाजपा से गठबंधन कर सरकार बनाई थी. शिंदे मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने थे.उद्धव पक्ष ने दल-बदल कानून में पहले स्पीकर को नोटिस दिया.फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और दोनों गुटों ने एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की याचिकाएं दायर की.इस बीच असली शिवसेना को लेकर भी दोनों गुटों में विवाद रहा .
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