शाहनवाज़ होंगे बिहार मंत्रीमंडल में भाजपा का मुस्लिम चेहरा

अब BJP ले आई मुस्लिम चेहरा:शाहनवाज हुसैन को बिहार में MLC कैंडिडेट बनाया, नीतीश कैबिनेट में इंट्री पक्की
मोदी लहर में भी 2014 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद शाहनवाज हुसैन मुख्यधारा की राजनीति से अलग थे।
मोदी लहर में भी 2014 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद शाहनवाज हुसैन मुख्यधारा की राजनीति से अलग थे।
बिहार में विधान परिषद की दो सीटों के लिए उपचुनाव होना है
इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया 11 से ही शुरू हो चुकी है

पटना 16 जनवरी। शुक्रवार 8 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिल उन्हें फूलों का गुलदस्ता सौंपनेवाले शाहनवाज हुसैन का अब बिहार की राजनीति में प्रवेश चुका है। बिहार विधान परिषद् की एक सीट के लिए भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है। सुशील कुमार मोदी के राज्यसभा जाने और विनोद नारायण झा के विधायक बनने के बाद खाली हुई इन दो सीटों पर 28 जनवरी को चुनाव होने हैं। इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया 11 जनवरी से ही शुरू हो चुकी है। 18 जनवरी नामांकन की आखिरी तारीख है।

हमने पहले कहा था – ये मुलाकात है ख़ास

भास्कर ने उस दिन ही बताया था कि नीतीश-शाहनवाज के इस मुलाकात के ख़ास मायने हैं। शाहनवाज हुसैन को बिहार भाजपा में नीतीश विरोधी सुर का अगुआ माना जाता रहा है। इन दोनों की मुलाकात दो धुर विरोधियों के एक जगह आने के समान है। विधान परिषद् के रास्ते शाहनवाज की अब नीतीश कैबिनेट में इंट्री पक्की है। वजह कि बिहार कैबिनेट में कोई बड़ा मुस्लिम चेहरा नहीं है। जदयू के पास भी मंत्री बनाने लायक मुस्लिम चेहरे की कमी है। शाहनवाज की इस इंट्री के बाद बड़ा सवाल अब यह है कि नीतीश सरकार में मंत्री मुकेश सहनी का क्या होगा।

अब क्या करेंगे मंत्री मुकेश सहनी?

भाजपा ने अभी एक सीट के लिए ही नाम फाइनल किया है। ऐसे में दूसरी सीट पर मुकेश सहनी के लिए विधान परिषद् जाने की संभावनाएं खुली हैं। लेकिन शनिवार को ही यह जानकारी थी कि मुकेश सहनी फिलहाल इसके लिए लिए तैयार नहीं हैं। उन्हें 72 महीने यानि 6 साल कार्यकाल वाली सीट चाहिए। सहनी द्वारा इसके लिए राज्यपाल कोटे की सीट की मांग की जा रही है। इससे यह साफ़ है कि इस दूसरी सीट पर भी किसी भाजपाई को ही परिषद् में भेजा जाएगा।

सबसे युवा केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं शाहनवाज़

भाजपा के बड़े मुस्लिम चेहरे रहे शाहनवाज हुसैन देश में सबसे युवा कैबिनेट मिनिस्टर बनने का रिकॉर्ड भी बना चुके हैं। 1999 में शाहनवाज सांसद बने और एनडीए की सरकार में राज्यमंत्री भी बने। उन्हें फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज, यूथ अफेयर और स्पोर्ट्स जैसे विभाग दिए गए। 2001 में उन्हें कोयला मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया। सितंबर 2001 में नागरिक उड्डयन पोर्टफोलियो के साथ एक कैबिनेट मंत्री के पद पर पदोन्नत किया गया। शाहनवाज भारत के सबसे कम उम्र के कैबिनेट मिनिस्टर बने। 2003 से 2004 तक उन्होंने कैबिनेट मिनिस्टर के रूप में कपड़ा मंत्रालय संभाला।

भागलपुर से जीत दोबारा लोकसभा पहुंचे शाहनवाज

2004 के आम चुनाव में हार के बाद शाहनवाज 2006 के उपचुनाव में भागलपुर सीट से जीतकर दोबारा लोकसभा पहुंचे। 2009 में भागलपुर से शाहनवाज को दोबारा जीत मिली और एक बार फिर लोकसभा पहुंचे। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में जब पूरे देश में मोदी की लहर थी, ऐसे वक्त पर शाहनवाज हुसैन को हार का सामना करना पड़ा। वे मात्र 4000 वोटों से चुनाव हार गए थे। उसके बाद से ही मुख्यधारा की राजनीति से अलग थे। बिहार विधानसभा चुनाव में भी उन्हें पहले स्टार प्रचारक की लिस्ट से बाहर रखा गया था। बाद में उन्हें अगले चरण के चुनाव में स्टार प्रचारक बनाया गया था।

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