न्यूज़ क्लिक केस: सिब्बल ने खूब लगाया जोर पर नहीं हुई जमानत, सुनवाई टली सोमवार तक

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न्यूज़क्लिक केस: कपिल सिब्बल ने खूब जोर लगाया पर तुषार मेहता के आगे एक न चली, सुनवाई टली
न्यूज़क्लिक के बचाव में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दिल्‍ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। अगली सुनवाई सोमवार को होगी।

नई दिल्‍ली 06 अक्टूबर: दिल्‍ली हाई कोर्ट में न्यूज़क्लिक मामले पर सुनवाई हुई। न्यूज़क्लिक के संस्थापक-संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और HR हेड अमित चक्रवर्ती ने गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका लगाई है। जस्टिस तुषार राव गेडेला की अदालत में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश कीं। आतंकवाद विरोधी कानून UAPA में दर्ज मामले में गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सिब्बल ने रिमांड ऑर्डर पर सवाल उठाए। सिब्बल ने कहा कि ‘गिरफ्तारी अवैध तरीके से और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन करते हुए की गई ।’

सिब्बल के तर्कों पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में काफी कुछ अभी सामने नहीं आया है। एसजी ने सोमवार की तारीख मांगी जिस पर अदालत राजी हो गई। कोर्ट ने दिल्‍ली पुलिस से भी जवाब मांगा है। न्यूज़क्लिक मामले में दिल्‍ली हाई कोर्ट में सुनवाई और कपिल सिब्बल की दलीलों से जुड़ा हर अपडेट —

दिल्‍ली हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्‍बल ने कहा कि 3 अक्टूबर सुबह लगभग 6:30 बजे वे मेरे घर आए,सभी उपकरण ले गए और मुझे हिरासत में ले लिया। अगली सुबह लगभग 6 बजे वे मुझे मजिस्ट्रेट के पास ले गए। उनके वकील वहां मौजूद हैं। उन्होंने हमारे वकील को कभी सूचित नहीं किया।’
सिब्बल ने आगे कहा कि उन्होंने मुझे सुबह 7 बजे रिमांड ऑर्डर भेजा। आदेश सुबह 6 बजे पारित किया गया। कृपया आदेश देखें,इसमें स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर का नाम है। फिर यह कहता है कि आरोपित व्यक्ति मौजूद है। फिर वे टेलीफोन के माध्यम से अर्शदीप खुराना कहते हैं।’
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल: हमारी अदालतों को क्या हो रहा है? मुझे गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं दिया गया है। HC के नियम कहते हैं कि मैं वकील का हकदार हूं। अगर 24 घंटे खत्म हो रहे हैं तो अस्थायी रिमांड जारी किया जाए ताकि वकील पेश हो सकें। ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया गया है और उसे रिमांड पर लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अब पीएमएलए आदेश में कहा है कि गिरफ्तारी का आधार लिखित में दिया जाना चाहिए।’
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने UAPA की धारा 43 और PMLA की धारा 19 का संदर्भ दिया। उन्‍होंने कहा, कि रिमांड ऑर्डर में गिरफ्तारी के आधार बताए जाने का कोई उल्लेख नहीं है। वे जानते हैं कि मैं वकील हूं फिर भी उन्होंने मुझे सूचित नहीं किया लेकिन उन्होंने अपने वकील को सूचित कर दिया। मेरी प्रतिक्रिया के बिना ही आदेश पारित कर दिया गया। ये कैसे हो रहा है?’
रिमांड एप्‍लीकेशन की बात करते हुए सिब्‍बल ने कहा कि उसमें मुझसे कम्‍युनिकेशन के बारे में या अतीत में क्या हुआ, इसका कोई जिक्र नहीं है।

सीनियर एडवोकेट ने आगे कहा, ‘बहुत पहले 2020 में, ईओडब्ल्यू से एक एफआईआर लिखी गई थी। कहा गया कि मुझे विदेश से धन मिलता है। 26 प्रतिशत एफडीआई पर मुहर लगी। मुझे विदेश से फंड मिला। मैंने प्रीमियम पर धनराशि बेची और इसलिए, यह वह धोखाधड़ी थी जो मैं कर रहा था और इस तरह मैंने धन की हेराफेरी की, अपने कर्मचारियों और पत्रकारों को वेतन दिया और इसलिए मुझ पर इसके लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए। HC ने मुझे सुरक्षा दी। इसे अंतिम सुनवाई को सूचीबद्ध किया गया है। वह सुनवाई हो पाती, उससे पहले यह FIR हो गई।’
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सिब्बल ने कई ऐसे तथ्‍य रखे हैं जो मैं नहीं जानता।

सिब्बल ने कहा कि वह रिहाई के हकदार हैं। गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं दिया गया। मुझे अंतरिम जमानत मिलनी चाहिए। अदालत ने एसजी से पूछा, ‘रिमांड ऑर्डर में कुछ मिसिंग है। वकील को सुना ही नहीं गया।’

एसजी मेहता ने कहा कि वह गुहार लगा सकते हैं, तलवार नहीं लटका सकते।

सिब्बल ने कहा, ‘आप हमेशा ऐसा ही करते हैं। ऑर्डर पारित होने लायक नहीं है। मैं जेल में क्यों रहूं? प्रथमद्रष्टया आदेश गलत है।’

अदालत ने कहा कि आरोप उस प्रकृति के नहीं हैं कि आपको फौरन रिहा किया जाए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जांच में जो हुआ उसे तर्क नहीं बनाया  जा सकता। हाई कोर्ट ने कहा कि वह मामले पर कल सुनवाई कर सकता है। HC ने कहा ,ऐसा लगता है कि रिमांड एप्लिकेशन में आप गिरफ्तारी की वजह नहीं बताते। सुप्रीम कोर्ट का ऐसा कोई फैसला है?
एसजी मेहता ने कहा क‍ि मामले में काफी कुछ है जो दिख नहीं रहा है। सोमवार को सुनवाई कीजिए। वे तीन या चार दिन बाद यहां आए हैं।
प्रबीर ने अपनी याचिका में पोर्टल पर चीन समर्थक प्रचार को धन प्राप्त करने के आरोपों के बाद दर्ज यूएपीए मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है। जस्टिस तुषार राव गेडेला ने न्यूज पोर्टल के एचआर हेड अमित चक्रवर्ती की ओर से दायर इसी तरह की याचिका पर दिल्ली पुलिस से भी जवाब मांगा और याचिकाएं सोमवार को सुनवाई को सूचीबद्ध की। पुरकायस्थ और चक्रवर्ती ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की दर्ज यूएपीए एफआईआर के साथ-साथ ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को भी चुनौती दी है,जिसमें उन्हें 10 अक्टूबर तक सात दिन को पुलिस हिरासत में भेजा गया था। आज सुनवाई में पुरकायस्थ की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि गिरफ्तारी अवैध है और उन्हें गिरफ्तारी का कोई आधार नहीं दिया गया और यह दिल्ली हाईकोर्ट के नियमों का उल्लंघन है, जो कहता है कि एक आरोपित वकील का हकदार है।
दिल्ली पुलिस की ओर से एसजीआई तुषार मेहता ने मामले की सुनवाई सोमवार को करने का अनुरोध किया और जवाब दाखिल करने को समय मांगा। जस्टिस गेडेला ने मेहता से पूछा, “श्री मेहता, हमें बताएं… रिमांड आदेश, ऐसा प्रतीत होता है कि इसमें कुछ गायब है क्योंकि सुबह के 6 बजे हैं और वकील को नहीं सुना गया।” अदालत ने मेहता से यह भी कहा कि रिमांड आवेदन में गिरफ्तारी के आधार का खुलासा नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा, “जाहिरा तौर पर रिमांड आवेदन में,आप गिरफ्तारी के आधार का खुलासा नहीं करते हैं। आज सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया है जो प्रासंगिक है।”
मेहता ने कहा कि केस डायरी अदालत के समक्ष रखी जाएगी। अमित चक्रवर्ती के वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल शारीरिक रूप से अक्षम है,अदालत ने जांच अधिकारी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उनकी चिकित्सा स्थिति का ध्यान रखा जाए ।
सप्ताह की शुरुआत में, दोनों को पुलिस हिरासत में भेजते समय, ट्रायल कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के दायर रिमांड आवेदन की प्रति उनके वकील को सौंपने पर सहमति व्यक्त की थी। कल, न्यायाधीश ने आदेश दिया कि उन्हें एफआईआर की प्रति दी जाए। ये आरोप तब सामने आए जब 5 अगस्त को प्रकाशित न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि ऑनलाइन मीडिया आउटलेट न्यूज़क्लिक को “भारत विरोधी” वातावरण बनाने को चीन से धन मिला था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने न्यूज़क्लिक से जुड़े पूर्व और वर्तमान पत्रकारों और लेखकों के आवासों पर सिलसिलेवार छापे मारे ।
समाचार पोर्टल ने बयान जारी आरोप लगाया था कि उसे एफआईआर की प्रति नहीं दी गई थी,या उन अपराधों के सटीक विवरण नहीं बताया गया था जिनके लिए उस पर आरोप लगा था। बयान में कहा गया है कि न्यूज़क्लिक ऐसी सरकार के कार्यों की कड़ी निंदा करता है जो “पत्रकारिता की स्वतंत्रता का सम्मान करने से इनकार करती है, और आलोचना को देशद्रोह या राष्ट्र-विरोधी प्रचार मानती है।” बयान में कहा गया है, “न्यूज़क्लिक को 2021 से भारत सरकार की विभिन्न एजेंसियों की ओर से टार्गेट किया गया। उसके कार्यालयों और अधिकारियों के आवासों पर प्रवर्तन निदेशालय,दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और आयकर विभाग ने छापे मारे हैं। पिछले दिनों सभी उपकरण, लैपटॉप, गैजेट, फोन आदि जब्त कर लिए हैं। सभी ईमेल और संचार का सूक्ष्म विश्लेषण किया गया है। पिछले कई वर्षों में न्यूज़क्लिक के सभी बैंक विवरण, चालान, खर्च और प्राप्त धन के स्रोतों की समय-समय पर सरकार की विभिन्न एजेंसियों ने जांच की है। एनवाईटी रिपोर्ट से पहले, न्यूज़क्लिक मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक और जांच का सामना कर रहा था। संपादकों के परिसरों में ईडी ने कई छापे मारे थे और मामला लंबित है। प्रबीर ने अपनी याचिका में पोर्टल पर चीन समर्थक प्रचार के लिए 115 करोड़ रुपए प्राप्त करने के आरोपों के बाद दर्ज यूएपीए मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है।

हाई कोर्ट ने दिल्‍ली पुलिस से भी जवाब मांगा।
न्यूजक्लिक का ऑफिस सील, पैसा लेकर चीनी प्रॉपेगैंडा फैलाने का आरोप

दिल्ली पुलिस की स्‍पेशल सेल ने पुरकायस्थ और चक्रवर्ती को मंगलवार को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने ‘न्यूजक्लिक’ के दिल्ली ऑफिस सील कर दिया है। पोर्टल पर चीन के समर्थन में प्रचार करने को धन लेने का आरोप है।

दिल्ली की एक निचली अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के 2016 के आदेश और दिल्ली उच्च न्यायालय के 2010 के आदेश का जिक्र करते हुए पुरकायस्थ और चक्रवर्ती की वें याचिकायें गुरुवार को मंजूर कर ली थी जिसमें FIR की एक कॉपी उपलब्ध कराए जाने का अनुरोध किया गया है।

न्यूजक्लिक केस: दिल्‍ली पुलिस की FIR में क्‍या है?

न्यूजक्लिक के खिलाफ दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की FIR में कहा गया है, ‘भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने, भारत के खिलाफ असंतोष पैदा करने और एकता, अखंडता, सुरक्षा खतरे में डालने के इरादे से षड्यंत्र में भारत के लिए शत्रुतापूर्ण भारतीय और विदेशी संस्थाओं के भारत में अवैध रूप से करोड़ों की विदेशी धनराशि का निवेश किया गया है।’

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