घबरा कर लाइनें ना लगायें,भारत में पैट्रोल, डीज़ल,गैस के विपुल भंडार,सप्लाई लाइन भी intact
इंडियन ऑयल ने कहा- देशभर में पेट्रोल-डीजल और LPG की कोई कमी नहीं, पैनिक बायिंग न करें
Indian Oil Corp Ltd: -भारत-पाक सीमा पर तनाव और नागरिकों की बढ़ती चिंताओं को देखते हुए इंडियन ऑयल ने सार्वजनिक बयान जारी कर स्पष्ट किया है
भारत-पाक तनाव और सीमावर्ती राज्यों में ब्लैकआउट के बीच इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) ने जनता से अपील की है कि ईंधन और एलपीजी की कोई कमी नहीं है. देशभर में सभी आउटलेट्स पर सप्लाई सामान्य है और पैनिक बायिंग से बचें.
भारत-पाक सीमा पर तनाव और नागरिकों की बढ़ती चिंताओं को देखते हुए इंडियन ऑयल ने सार्वजनिक बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि देश में ईंधन (पेट्रोल, डीज़ल) और रसोई गैस (LPG) की कोई कमी नहीं है.
सप्लाई लाइन पूरी तरह चालू-इंडियन ऑयल के अनुसार, उनके सभी टर्मिनल्स, डिपो और आउटलेट्स पर सप्लाई सामान्य रूप से जारी है.ट्रकिंग और पाइपलाइन नेटवर्क भी सुचारू रूप से काम कर रहा है, जिससे देश के किसी हिस्से में कोई रुकावट नहीं है.
क्यों जारी हुआ ये बयान? सीमावर्ती क्षेत्रों — जैसे पंजाब, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर — में ब्लैकआउट और सेना की गतिविधियों के चलते अफवाहें फैलीं कि ईंधन की कमी हो सकती है.कुछ शहरों में पेट्रोल पंपों पर लंबी लाइनें देखी गईं.इसी के बाद इंडियन ऑयल ने स्थिति स्पष्ट करते हुए जनता से पैनिक बायिंग से बचने की अपील की.
इंडियन ऑयल ने कहा- बहुत स्टॉक है हमारे पास
इंडियन ऑयल ने कहा है कि शांत रहकर और अनावश्यक भीड़ से बचकर हमें आपकी बेहतर सेवा करने में मदद करें। इससे हमारी सप्लाई लाइनें निर्बाध रूप से चलती रहेंगी।
इंडियन ऑयल की सप्लाई लाइनें सुचारू रूप से चल रही हैं।
पाकिस्तान के साथ जारी भारी तनाव को देखते हुए देश की सबसे बड़ी ऑयल मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल ने देशवासियों को पेट्रोल, डीजल और गैस को लेकर स्पष्ट तौर पर कहा है कि इसके लिए आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। हमारे पास पर्याप्त स्टॉक है। कंपनी ने कहा कि जैसे आप सामान्यतौर पर हमारी सेवाओं का लाभ ले रहे हैं, वैसे ही लेते रहें। घबराने की कोई जरूरत नहीं है। इंडियन ऑयल की तरफ से जारी इस संदेश के बाद लोगों के मन में कोई भी कन्फ्यूजन अब नहीं रहेगा।
शांत रहकर और अनावश्यक भीड़ से बचें
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दिए अपने संदेश में इंडियन ऑयल ने कहा कि उसके पास पूरे देश में ईंधन का पर्याप्त स्टॉक है और हमारी सप्लाई लाइनें सुचारू रूप से चल रही हैं। घबराकर खरीदारी करने की कोई जरूरत नहीं है। हमारे सभी आउटलेट पर ईंधन और एलपीजी आसानी से उपलब्ध है। शांत रहकर और अनावश्यक भीड़ से बचकर हमें आपकी बेहतर सेवा करने में मदद करें। इससे हमारी सप्लाई लाइनें निर्बाध रूप से चलती रहेंगी और सभी के लिए निर्बाध ईंधन पहुंच सुनिश्चित होगी।
कंपनी को तब आना पड़ा सामने
इंडियन ऑयल को देशवासियों के लिए यह संदेश तब देना पड़ा जब सोशल मीडिया पर पोस्ट और वीडियो की बाढ़ आ गई जिनमें लोगों को ईंधन खरीदने के लिए पेट्रोल पंपों के बाहर कतारों में खड़े दिखाया गया है। भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया है। फिलहाल दोनों तरफ से हमले हो रहे हैं और जवाबी कार्रवाई भी चल रही है।
इंडियन ऑयल की विशालता और क्षमता का आकलन आप ऐसे कर सकते हैं कि कंपनी को सरकार ने महारत्न का दर्जा दिया है। भारत में इसका पेट्रोलियम उत्पादों की मार्केटिंग में कुल हिस्सा 47% और तेल शोधन में 40% है। भारत की कुल 19 ऑयल रिफाइनरीज में से 10 इंडियन ऑयल के स्वामित्व के अधीन हैं.
क्या है पैनिक बायिंग का खतरा-अनावश्यक खरीद से अस्थायी डिस्ट्रीब्यूशन बाधित हो सकता है. जिन क्षेत्रों में वाकई जरूरत है, वहां सप्लाई पहुंचने में देर हो सकती है.सरकार और कंपनियों के लिए लॉजिस्टिक्स प्लानिंग में दिक्कत होती है
कुल मिलाकर- भारत में फिलहाल पेट्रोल, डीज़ल और एलपीजी की सप्लाई पूरी तरह सुरक्षित और नियंत्रण में है.इंडियन ऑयल जैसे सार्वजनिक उपक्रम हालात पर नजर रखे हुए हैं. जनता को घबराने की जरूरत नहीं, बल्कि संयम और ज़िम्मेदारी दिखाने का वक्त है.
तीन साल पहले था 10 दिन की जरूरत का स्ट्रैटजिक रिजर्व, भारत चट्टानों के बीच रखता है तेल,स्ट्रैटजिक रिजर्व क्या होता है?
आसान भाषा में समझें तो ये आपातकालीन स्थिति में देश की ऊर्जा जरूरतें पूरा करने को कच्चे तेल का स्टॉक है। युद्ध या किसी और वजह से कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित होने पर इन रिजर्व में से देश की ऊर्जा जरूरतें पूरी की जाती हैं। आपातकालीन स्थिति के अलावा इन रिजर्व्स का इस्तेमाल तेल की कीमतें कंट्रोल करने को भी किया जाता है।
भारत अपनी जरूरत का 83% कच्चा तेल दूसरे देशों से इम्पोर्ट करता है इसलिए किसी भी आपात स्थिति से निपटने को भारत ने भी कच्चे तेल को रिजर्व कर रखा है। इस रिजर्व का इस्तेमाल केवल इमरजेंसी सिचुएशन में ही होता है।
भारत में स्ट्रैटजिक रिजर्व कहां-कहां पर है?
भारत ने फर्स्ट फेज में विशाखापट्टनम, मंगलौर और उडुपी के पास पादुर में स्ट्रैटजिक रिजर्व बनाए थे। इन तीनों रिजर्व में 50 लाख मीट्रिक टन कच्चा तेल स्टोर किया जा सकता है। इन रिजर्व को ऑपरेट करने का जिम्मा इंडियन स्ट्रैटजिक पेट्रोलियम रिजर्व्स लिमिटेड (ISPR) को दिया गया है, जो कि पेट्रोलियम मिनिस्ट्री के अंडर ही काम करता है।
वित्त वर्ष 2017-18 में सेकेंड फेज के तहत भारत ने ओडिशा के चंडीखोल और राजस्थान के बीकानेर में दो और स्ट्रैटजिक रिजर्व बनाने का फैसला लिया था। भारत के स्ट्रैटजिक रिजर्व्स के स्टॉक से करीब 10 दिन तक देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।
भारत ने अपने स्ट्रैटजिक रिजर्व को इन्हीं जगहों पर क्यों बनाया?
भारत के सभी स्ट्रैटजिक रिजर्व को एक रणनीति में पूर्वी और पश्चिमी समुद्री किनारों पर बनाया गया है।
पड़ोसी देशों से युद्ध की स्थिति में पूर्वी और पश्चिमी इलाके, उत्तरी इलाकों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित हैं।
ज्यादातर ऑयल रिफाइनरी भी पूर्वी और पश्चिमी इलाकों में समुद्री किनारे पर हैं, क्योंकि ऑयल रिफाइनरी और स्ट्रैटजिक रिजर्व को एक-दूसरे से कनेक्ट रखा जाता है इसलिए भी रिजर्व को इन इलाकों में बनाया गया है।
कच्चे तेल को स्टोर करने के लिए समुद्री इलाके ज्यादा अनुकूल हैं, क्योंकि वहां पानी की वजह से जमीन के भीतर तापमान कम होता है।
आखिर इतने ज्यादा कच्चे तेल को स्टोर कैसे किया जाता है?
आपके मन में ख्याल आ रहा होगा कि इतने ज्यादा कच्चे तेल को किस तरह स्टोर किया जाता है। आइए जानते हैं, भारत और दुनियाभर के देश कैसे अपने स्ट्रैटजिक रिजर्व्स को स्टोर करते हैं…
भारत अपने स्ट्रैटजिक रिजर्व्स को रॉक कैवर्न्स में स्टोर करता है। रॉक कैवर्न्स यानी चट्टानों के भीतर गुफानुमा स्टोरेज। इसमें चट्टानों को तोड़कर गुफानुमा स्टोरेज बनाया जाता है, जिसमें कच्चा तेल स्टोर होता है। कच्चे तेल को स्टोर करने का ये तरीका दुनियाभर में सबसे सुरक्षित माना जाता है।
अमेरिका अपने स्ट्रैटजिक रिजर्व्स का कच्चा तेल सॉल्ट डोम में स्टोर करता है। सॉल्ट डोम यानी जमीन के 2-4 हजार फीट नीचे चट्टानों के बीच के नमक को निकालकर खाली जगह में कच्चा तेल स्टोर करना। चट्टानों के बीच में से ‘सॉल्यूशन माइनिंग’ नामक प्रोसेस के जरिए पहले नमक को बाहर निकाला जाता है। फिर खाली जगह को फ्रेश वाटर से पूरी तरह साफ कर लिया जाता है। कच्चा तेल मजबूत चट्टानों के बीच स्टोर रहता है। जमीन के नीचे होने से वहां का तापमान भी कम होता है। अमेरिका के ज्यादातर स्ट्रैटजिक रिजर्व्स मैक्सिको की खाड़ी के आसपास हैं।
लायोनिंग, शेंडोंग और जेझियांग में चीन के स्ट्रैटजिक रिजर्व है। ये सभी समुद्री किनारों में हैं। चीन अपना रिजर्व कच्चे ऑयल समुद्र से जुड़े इलाकों में जमीन के नीचे स्टोर करता है। कच्चे तेल को चट्टानों के बीच भरकर रखा जाता है।
स्ट्रैटजिक रिजर्व से निकालकर कच्चा तेल कहां जाएगा?
भारत के पास फिलहाल करीब 3.8 करोड़ बैरल कच्चे तेल का स्टॉक है। इसी स्टॉक में से 50 लाख बैरल रिलीज किया जाएगा। इस स्टॉक को मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (MRPL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्प लिमिटेड (HPCL) को बेचा जाएगा। ये दोनों रिफाइनरी पाइपलाइन के जरिए स्ट्रैटजिक रिजर्व से जुड़ी हैं। ये रिफाइनरी कच्चे तेल को रिफाइन कर मार्केट में लेकर आएंगी।
भारत में पैट्रोल डीजल और गैस का कितना सुरक्षित भंडार है?
भारत में पेट्रोल, डीजल और गैस के सुरक्षित भंडार को रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (Strategic Petroleum Reserves – SPR) और अन्य आपूर्ति भंडार के रूप में मापा जाता है। निम्नलिखित जानकारी उपलब्ध स्रोतों पर आधारित है:
रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (SPR):
क्षमता: भारत के पास तीन स्थानों पर 5.33 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) कच्चे तेल के भंडारण की क्षमता है:
विशाखापट्टनम: 1.33 MMT
मंगलौर: 1.5 MMT
पदूर (केरल): 2.5 MMT
उद्देश्य: ये भंडार आपातकालीन परिस्थितियों जैसे युद्ध, वैश्विक आपूर्ति संकट या प्राकृतिक आपदा में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं। ये भूमिगत चट्टानी गुफाओं में संग्रहित हैं, जो हाइड्रोकार्बन भंडारण के लिए सबसे सुरक्षित माने जाते हैं।
विस्तार योजनाएँ: सरकार ने चंदीखोल (ओडिशा) और राजकोट (गुजरात) में अतिरिक्त भंडारण सुविधाओं की योजना बनाई है, जिससे भविष्य में क्षमता बढ़ सकती है।
पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के व्यावसायिक भंडार:
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) के अनुसार, देशभर में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की पर्याप्त उपलब्धता है। हाल के बयानों में, IOC ने कहा कि उनकी आपूर्ति श्रृंखलाएँ सुचारू रूप से काम कर रही हैं, और सभी रिटेल आउटलेट्स पर ईंधन और एलपीजी आसानी से उपलब्ध हैं।
अवधि: भारत की रिफाइनिंग क्षमता 258 MMT प्रति वर्ष से अधिक है, और वैश्विक मानकों के अनुसार, आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त भंडार मौजूद हैं। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दावा किया कि सात दिनों के भंडार की बात “असत्य और निराधार” है, जिससे संकेत मिलता है कि भंडार इससे कहीं अधिक हैं।
आयात निर्भरता: भारत अपनी तेल आवश्यकता का लगभग 85% आयात करता है। इस कारण रणनीतिक और व्यावसायिक भंडार ऊर्जा सुरक्षा को महत्वपूर्ण हैं।
प्राकृतिक गैस भंडार:
अनुमानित भंडार: 1 अप्रैल 2021 तक, भारत के पास 1,372.62 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) प्राकृतिक गैस भंडार थे, जिसमें पूर्वी अपतट (40.6%) और पश्चिमी अपतट (23.7%) प्रमुख क्षेत्र हैं।
उपयोग: प्राकृतिक गैस का उपयोग एलपीजी, बिजली उत्पादन और औद्योगिक कार्यों में होता है। हालांकि, भारत अपनी गैस आवश्यकता का भी एक बड़ा हिस्सा आयात करता है (2020-21 में 32.86 BCM आयात)।
वर्तमान स्थिति (मई 2025):
हाल के एक्स पोस्ट्स (9 मई 2025) में, इंडियन ऑयल ने भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि देश में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी का पर्याप्त स्टॉक है। उन्होंने लोगों से घबराहट में खरीदारी (panic buying) न करने की अपील की।
यह दर्शाता है कि वर्तमान में भारत के पास न केवल रणनीतिक भंडार हैं, बल्कि नियमित आपूर्ति के लिए भी पर्याप्त व्यावसायिक स्टॉक मौजूद है।
निष्कर्ष:
भारत के पास 5.33 MMT कच्चे तेल का रणनीतिक भंडार है, जो आपातकाल के लिए सुरक्षित है। इसके अलावा, पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के व्यावसायिक भंडार पर्याप्त हैं, जैसा कि इंडियन ऑयल और सरकार ने पुष्टि की है। हालांकि, सटीक अवधि (जैसे कितने दिनों का स्टॉक) सार्वजनिक रूप से स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह वैश्विक मानकों के अनुरूप है। आयात पर निर्भरता के कारण, सरकार भंडारण क्षमता बढ़ाने और स्वदेशी उत्पादन (जैसे कृष्णा-गोदावरी बेसिन) पर ध्यान दे रही है।