चीन की खतरनाक PL-15 मिसाइल का होगा पोस्टमार्टम, पाक की गलती से भारत को मौका, अमेरिका-ताइवान भी होंगें खुश

 

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चीन की खतरनाक PL-15 मिसाइल के अब खुलेंगे राज, पाकिस्तान की एक गलती ने भारत को दिया मौका, अमेरिका-ताइवान भी होंगे खुश
भारत और पाकिस्तान के बीच बृहस्पतिवार और गुरुवार की रात जंग जैसे हालात बने रहे। पाकिस्तानी सेना के मिसाइल और ड्रोन हमले को नाकाम करते हुए भारत ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर कार्रवाई की है। इस बीच भारत के हाथ चीन में बनी मिसाइल लग गई है।
इस्लामाबाद/बीजिंग: पाकिस्तान और पीओके में घुसकर आतंकी कैंपों को मिसाइल से तबाह करने की भारत की सैन्य कार्रवाई के बाद पाकिस्तान के साथ तनाव चरम पर है। बृहस्पतिवार और गुरुवार को दोनों के बीच जंग जैसे हालात बन गए। एक दूसरे के खिलाफ ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ, बस अंतर ये रहा कि भारत ने एस-400 मिसाइल डिफेंस से पाकिस्तानी हमले को नाकाम कर दिया, वहीं भारतीय हथियार पाकिस्तान में अपने लक्ष्य पर गिरे। इस बीच भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान से दागी गई मिसाइलों के मलबे बरामद किये हैं। इसमें सबसे अहम मलबा चीन में बनी PL-15E बियांड विजुअल रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM) का है।
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भारत को पाकिस्तान से दागी चीनी मिसाइल सुरक्षित हालत में मिली है

चीनी मिसाइल के खुलेंगे राज
चीनी मिसाइल के मलबे की यह बरामदगी इसलिए और खास हो जाती है क्योंकि यह लगभग पूर्ण अवस्था में मिला है। इसका मतलब है कि अब भारत को इस चीनी मिसाइल के राज पता लग सकते हैं। पंजाब के होशियारपुर से बरामद किए गए मलबे में अधिकारियों को महत्वपूर्ण चीजें बरामद हुई हैं, जिसमें प्रपल्शन सिस्टम, डेटालिंक और इनर्शियल रेफेरेंस यूनिट शामिल है। हाल ही में मिला यह मिसाइल की तीसरा मलबा है।

माना जाता है कि पाकिस्तान ने इस चीनी मिसाइल को भारतीय लड़ाकू विमानों को निशाना बनाने के नाकाम प्रयास के तहत दागा था। सबसे ताजा मलबे को होशियार के एक ग्रामीण क्षेत्र में पाया गया है। पहले दो मिले मलबों की तुलना में इस बार मिसाइल काफी पूर्ण अवस्था में है। इसके मिसाइल के डिजाइन और इसकी प्रदर्शन क्षमता के बारे में महत्वपू्ण जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी। जानकारी के अनुसार, मलबे को भारतीय रक्षा अनुसंधान संस्थान (DRDO) के पास भेजा गया है।

चीनी मिसाइल की खासियत
पीएल-15ई चीन की PL-15 मिसाइल का एक्सपोर्ट वर्जन है। इस मिसाइल में डुअल पल्स प्रोपेलेंट रॉकेट मोटर और एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रेडार लगा हुआ है। यह मिसाइल मैक 5 की स्पीड से 145 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद लक्ष्य को निशाना बना सकती है। डेटा लिंक और इनर्शियल रेफरेंस यूनिट मिसाइल निशाना लगाने की सटीक क्षमता को सुनिश्चित करते है।

मिसाइल का लगभग पूर्ण अवस्था में मिलना बताता है कि यह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में विफल रही या फिर इसका ईंधन समाप्त हो गया, जिससे यह विस्फोट किए बिना जमीन पर गिर गई। इसके पहले 7 और 8 मई को होशियार में ही इस मिसाइल के दो मलबे बरामद किए गए थे। ये मलबे भारतीय और पाकिस्तानी सेना के विमानों में डॉगफाइट की तरफ इशारा करते हैं।

 

 

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