अपशिष्ट पॉलीथिन पुनर्चक्रण से बनाये पेवर ब्लॉक और वॉल टाइल्स

आईआईटी रुड़की (IIT) और Y. B.(वाय. बी) वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास (R&D) समाधान संयुक्त रूप से अपशिष्ट पॉलीथीन के पुनर्चक्रण के लिए ‘PRAYASPR’ विकसित किया

रुड़की, 09, 04, 2022: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (IIT रुड़की) और Y. B.(वाय. बी) वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास समाधान, रुड़की, ने संयुक्त रूप से ‘PRAYASPR’ विकसित किया। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पर्यावरण के अनुकूल पद्धति से अपशिष्ट पॉलीथीन पैकेट / दूध के पैकेट और तेल के पैकेट द्वारा सीमेंट मुक्त पेवर ब्लॉक और वॉल टाइल्स का उत्पादन किया जाता है। विकास के लिए अपशिष्ट प्लास्टिक का इस्तेमाल एक बाइंडर के रूप में और अपशिष्ट पत्थर की धूल को कुछ विषैले ( Dying) रसायनों के साथ एडिटिव्स (योजक) के रूप में इस्तेमाल किया गया है। ‘PRAYASPR’ तकनीक कंक्रीट पेवर ब्लॉकों से संबंधित CO2 पदचिह्न को लगभग एक तिहाई कम कर देती है। इन उत्पादों में बेहतर इंटरलॉकिंग होने के साथ ये आकर्षक रूप वाले तथा लम्बे चलने वाले होते हैं। ये नॉन-ब्रेकेबल हैं और इनका उचित पुनर्विक्रय मूल्य है।

एक पेवर ब्लॉक तैयार करने के लिए लगभग 250 ग्राम अपशिष्ट प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है और 1 वर्ग फुट सतह क्षेत्र को कवर करने के लिए लगभग 1.5 किलोग्राम अपशिष्ट प्लास्टिक की आवश्यकता होती है। पेवर ब्लैक की उत्पादन लागत लगभग 45 रुपये प्रति वर्ग फुट है जो बाजार में उपलब्ध पारंपरिक पेवर ब्लॉक की तुलना में अत्यधिक प्रतिस्पर्धी है। प्रति पीस, उत्पादन मूल्य लगभग 7-8 रुपये है। पेवर ब्लॉकों की तुलना में टाइलें अधिक किफायती होंगी, प्रति वर्ग फुट उत्पादन लागत लगभग 14 रुपये ही होगी। छोटे और बड़े दोनों पैमाने पर उत्पादन मॉड्यूल क्रमशः 25 लाख रुपये और 40 लाख रुपये के प्रारंभिक पूंजी निवेश के साथ उपलब्ध है। छोटे पैमाने के संयंत्रों के लिए पेबैक अवधि क्रमश: 3.5 वर्ष और बड़े पैमाने के संयंत्रों के लिए 2.5 वर्ष है।

टीम के सदस्यों में प्रोफेसर प्रसेनजीत मंडल, श्री हेमंत गोयल, नवनीता लाल, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रुड़की और श्री यश दुआ, वाई.बी. वैज्ञानिक अनुसंधान एवं विकास समाधान रुड़की, रामनगर शामिल थे।

प्रक्रिया के बारे में बताते हुए, प्रोफेसर, अजीत के चतुर्वेदी, निदेशक, आईआईटी रुड़की, ने बताया, ‘PRAYASPR’ तकनीक आईआईटी (IIT) रुड़की की एक स्वामित्व वाली तकनीक है। प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम 2021 के अनुसार अपशिष्ट उत्पादकों द्वारा प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए यह एक आकर्षक विकल्प हो सकता है।

‘PRAYASPR’ की आवश्यकता बताते हुए, यश दुआ, वाई.बी. वैज्ञानिक आर एंड डी सॉल्यूशन रुड़की, रामनगर ने कहा, “भारत में उत्पन्न प्लास्टिक अपशिष्ट वर्ष 2019-20 में 21% से अधिक की वार्षिक वृद्धि के साथ 34 लाख टन के करीब था, साथ ही इस प्लास्टिक कचरे में कम घनत्व वाली पॉलीथीन (एलडीपीई) होती है जो सीवर लाइनों को चोक करके समस्या पैदा करती है। इसके अलावा, भारत में अपशिष्ट प्लास्टिक हानिकारक पर्यावरणीय परिणाम उत्पन्न करने वाली उचित प्रबंधन तकनीकों की कमी के कारण परिदृश्य पर व्यापक रूप से कूड़े का निर्माण करता है। इस प्रकार, अपशिष्ट प्लास्टिक प्रबंधन के लिए एक स्थायी मार्ग की आवश्यकता थी जिसे आईआईटी रुड़की के तत्वावधान में PRAYASPR के साथ समझने का प्रयास किया गया है।”

टीम के सदस्य, प्रोफेसर प्रसेनजीत मंडल, केमिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रुड़की, ने बताया कि, “तकनीक में टिकाऊपन देने वाले सीमेंट रहित पेवर ब्लॉक के विकास के लिए अपशिष्ट पॉलीथीन पैकेटों का पुनर्चक्रण आवश्यक है। प्लास्टिक के पैकेटों को पहले ग्रेन्यूल्स के रूप में काटा जाता है फिर उन्हें एडिटिव्स के साथ मिश्रित करके नरम करके एक घोल बनाया जाता है, जिसे बाद में ब्लॉक बनाने के लिए हाइड्रोलिक प्रेस में ढाला जाता है। उत्पादों का उपयोग पर्यावरण के अनुकूल तरीके से परिसर, स्मारक परिसर, परिदृश्य, सार्वजनिक उद्यान और पार्क, घरेलू ड्राइव, रास्ते और फर्श की टाइलों के निर्माण में किया जा सकता है”।

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