ज्ञानवापी वीडियोग्राफी: मलबे के कारण पूरा नहीं हो पाया सर्वे दूसरे दिन, सोमवार को रहेगा जारी

ज्ञानवापी का दूसरे दिन का सर्वे पूरा:छत, ऊपर के 4 कमरों, बाहर की दीवारों और तालाब की वीडियोग्राफी हुई, कल फिर होगा सर्वे

वाराणसी15 मई।वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का दूसरे दिन का सर्वे का काम पूरा हो गया है। ऐसी खबर आ रही है कि अंदर मलबा ज्यादा होने से सर्वे 100% पूरा नहीं हो सका। इसलिए, अब कल भी वीडियोग्राफी होगी। थोड़ी देर पहले ही अंदर करीब 10 सफाईकर्मी गए हैं। 52 लोगों की टीम ने सुबह 8 बजे से 11:40 बजे तक सर्वे किया। आज का सर्वे पूरा होने के बाद वीडियोग्राफी की चिप कोर्ट कमिश्नर को सौंप दी गई है।

आज बताया जा रहा कि ज्ञानवापी के नक्काशीदार गुंबद की ड्रोन से वीडियोग्राफी हुई। हालांकि, अभी इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। दूसरे दिन छत, चार कमरों, बाहर की दीवारों, बरामदे, तालाब के आसपास की वीडियोग्राफी-सर्वे हुआ। उधर, मिश्रित आबादी वाले इलाकों में पुलिस फोर्स अलर्ट रही। गलियों में मार्च कर शांति की अपील की गई। पुलिस कमिश्नर ए.सतीश गणेश ने कहा कि आज सुरक्षा थोड़ी और बढ़ा दी गई थी।

10 लेयर की सिक्योरिटी को बढ़ाकर 12 किया गया

सर्वे के पहले दिन परिसर के बाहर 10 लेयर की सिक्योरिटी थी, जिसे आज 12 लेयर का कर दिया गया है। इन बातों का विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि दर्शन-पूजन करने वाले श्रद्धालुओं को असुविधा न हो। कोर्ट के आदेश के बाद शनिवार को पहले दिन 50% एरिया में वीडियोग्राफी और सर्वे हुआ।

500 मीटर के दायरे में पब्लिक की एंट्री बैन रही

सुरक्षा और सर्वे को लेकर 500 मीटर के दायरे में पब्लिक की एंट्री बैन रही। चारों तरफ से आने वाले रास्तों पर पुलिस और पीएसी का पहरा रहा। बैरिकेडिंग करके रास्ते बंद कर दिए गए। गोदौलिया से गेट नंबर-4 यानी ज्ञानवापी तक पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने पैदल मार्च किया। शांति की अपील की। काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करने वालों के लिए गेट नंबर एक खोला गया था।

ज्ञानवापी के पास वाले गेट से मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा था। एक किलोमीटर के दायरे में करीब 1500 पुलिस और पीएसी के जवान तैनात रहे। 500 मीटर के दायरे में छतों पर सुरक्षा में जवान लगे हैं। आसपास की दुकानों को सर्वे होने तक बंद रखा गया।

आइए सर्वे से जुड़ी तस्वीरें दिखाते हैं…

दूसरे दिन का सर्वे पूरा होने के बाद सफाईकर्मियों की टीम ज्ञानवापी परिसर में गई। यह फोटो चौक थाने के पास खड़े सफाईकर्मियों समेत अन्य लोग खड़े हैं।

ज्ञानवापी से 500 मीटर दूर तक कोई भी दुकान खोलने की अनुमति नहीं है। यह फोटो इस दायरे से बाहर की है। जहां दुकानें खुली हैं।

काशी विश्वनाथ में दर्शन-पूजन के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं को सिर्फ गेट नंबर-1 से एंट्री दी जा रही है। ज्ञानवापी के पास का गेट नंबर-4 बंद कर दिया गया है।

एक तरफ ज्ञानवापी में सर्वे होता रहा तो दूसरी तरफ काशी विश्वनाथ धाम परिसर में देश भक्ति धुन, ‘ये भारत देश है मेरा…’ बजा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर PAC बैंड टीम ने प्रस्तुति दी।

यह फोटो ज्ञानवापी के गुंबद की है जो 1990 की बताई जा रही है। नक्काशीदार इसी गुंबद की आज टीम ने वीडियोग्राफी की।

थाना चौक से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सर्वे से जुड़ी टीम सुबह करीब 8 बजे निकली। इसके बाद टीम ने ज्ञानवापी में वीडियोग्राफी-सर्वे किया।

हिंदू पक्ष का दावा- हमारी सोच से भी हजार गुना ज्यादा रहस्य

उधर, ज्ञानवापी परिसर मामले में हिंदू पक्ष ने शनिवार को कहा कि उन्होंने जो भी दावे किए हैं, वे सभी सच होंगे। इस मस्जिद के तहखानों में हमारी सोच से भी हजार गुना ज्यादा रहस्य छिपे हैं। 17 मई को वाराणसी के सीनियर सिविल डिवीजन कोर्ट में रिपोर्ट सबमिट करने के बाद असलियत दुनिया के सामने आएगी। हिंदू पक्ष का दावा है कि नंदी महाराज के सामने जो तहखाना है, उसी में अंदर मस्जिद के बीचों-बीच आज भी शिवलिंग दबा हुआ है। पन्ना पत्थर से बने इस विशालकाय शिवलिंग का रंग हरा है। वहीं अरघा भी काफी बड़ा है।

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का यह चित्र 1890 का है। यहां ज्ञानवापी कूप दिख रहा है।

तहखाने के टूटे शिखर और किताब में है अनगिनत मंदिर तोड़ने की बात

मस्जिद के तहखाने में शनिवार को मंदिर शिखर के खूब सारे अवशेष देखे गए हैं। वहीं, मोतीचंद लिखित काशी का इतिहास किताब में बताया गया था कि मंडपम में छोटे-छोटे अनगिनत मंदिर बने हुए थे। इन्हें औरंगजेब ने तोड़ दिया था। यह भी कहा जाता है कि आदि विश्वेश्वर मंदिर के महंत औरंगजेब के हमले के डर से शिवलिंग लेकर ज्ञानवापी कूप में कूद पड़े थे।

वादी पक्ष और विश्व वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जीतेंद्र सिंह विसेन ने अपने पहले के बयानों में माना है कि यह घटना मिथ्या है। वह शिवलिंग इतना भारी था कि कोई अकेला व्यक्ति उसे उठाकर कूप में कूद ही नहीं सकता। अगर तहखाने के भीतर जाएं, तो शिवलिंग मिलेगा। वहीं, यहां की दीवारों पर अभी भी संस्कृत में खुदे अभिलेख बचे हुए हैं। उन्हें पढ़कर काफी कुछ समझा जा सकता है। जीतेंद्र सिंह विसेन ने बताया कि हमने जितना सोचा था, सर्वे के बाद मालूम चला कि यह उससे हजार गुना ज्यादा है। दूसरे दिन के सर्वे के बाद अभी बहुत से रहस्यों के बारे में हमें जानकारी होने वाली है।

ज्ञानवापी में सर्वे आज दूसरे दिन सुबह 8 बजे से 11:30 बजे तक हुआ। छत पर जाने के लिए सीढ़ियां मंगाई गई थी।

ऐसा था मंदिर का आकार

मोती चंद्र की किताब ‘काशी का इतिहास’ के अनुसार, विश्वेश्वर मंदिर का आकार 125 फीट ऊंचा था। इसमें 5 मंडप थे। पूरब की ओर स्थित 5वें मंडप की माप 135 फीट लंबी और 35 फीट चौड़ी थी। इसे रंग मंडप भी कहा जाता है। यहां पर धर्म संदेश और उपदेश दिए जाते थे। मंदिर का चबूतरा 7 फीट ऊंचा था, जिसे आज भी देखा जा सकता है। अब यह मस्जिद का हिस्सा है। मंदिर चौकोर था। इसका हर साइड 124 फीट लंबा था।

मंदिर के पूरब और पश्चिम में दंडपाणि और द्वारपाल के मंदिर थे। वहीं पश्चिम में शृंगार गौरी का मंदिर है। चारों कोनों पर 12-12 फीट के चार उप-मंदिर थे। नंदी महाराज और ज्ञानवापी कूप मंदिर के बाहर हैं। मंदिर और मंडपों के शिखर की ऊंचाई 64 और 48 फीट थी। वहीं, प्रदक्षिणा पथ और मंडपम में कई छोटे मंदिर बने हुए थे।

अयोध्या से मिलता-जुलता है ज्ञानवापी का मामला

ज्ञानवापी और काशी विश्वनाथ मंदिर का विवाद काफी कुछ अयोध्या मामले की तरह ही है। फर्क सिर्फ इतना है कि अयोध्या में केवल मस्जिद बनी थी, जबकि वाराणसी में मंदिर-मस्जिद दोनों बने हुए हैं। काशी विवाद में हिंदू पक्ष का कहना है कि 1669 में औरंगजेब ने यहां मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी। उधर, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यहां मंदिर कभी था ही नहीं, बल्कि शुरुआत से ही मस्जिद थी।

नंदी के पास बैठे लोगों की यह फोटो 1890 के आसपास की बताई जाती है। बगल में कूप भी दिखाई दे रहा है।

2021 में 5 महिलाओं ने ज्ञानवापी पर दाखिल की याचिका

दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह और बनारस की रहने वाली लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर ने वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में 18 अगस्त 2021 में एक याचिका दाखिल की।
इसमें कहा गया कि ज्ञानवापी परिसर में हिंदू देवी-देवताओं का स्थान है। ऐसे में ज्ञानवापी परिसर में मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति दी जाए। इसके साथ ही परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं की सुरक्षा के लिए सर्वे कराकर स्थिति स्पष्ट करने की बात भी याचिका में कही गई।
मां शृंगार गौरी का मंदिर ज्ञानवापी के पिछले हिस्से में है। 1992 से पहले यहां नियमित दर्शन-पूजन होता था। लेकिन, बाद में सुरक्षा व अन्य कारणों के बंद होता चला गया। अभी साल में एक दिन चैत्र नवरात्र पर शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन की अनुमित होती है।
मुस्लिम पक्ष को शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन में आपत्ति नहीं है। उनका विरोध पूरे परिसर का सर्वे और वीडियोग्राफी कराए जाने पर हैं। इसी बात का विरोध वाराणसी कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक कर रहे हैं।

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