सरकारी कार्मिकों से आरएसएस बैन हटाने वाला हरियाणा बना पांचवां राज्य

विवेेेचन :54 साल बाद हरियाणा के सरकारी कर्मचारी RSS की शाखाओं में शामिल हो सकेंगे, जानिए किन राज्यों में अभी जारी है ये बैन?

नई दिल्ली 14 अक्तूबर। हरियाणा सरकार ने सरकारी कर्मचारियों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में शामिल होने पर लगा बैन हटा लिया है। हरियाणा सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने एक सर्कुलर जारी कर इसकी जानकारी दी है।

सर्कुलर में बैन से जुड़े पिछले आदेशों को वापस ले लिया गया है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों के RSS की गतिविधियों में भाग लेने पर रोक लगी थी। यानी अब हरियाणा सरकार के कर्मचारी RSS की गतिविधियों में खुलकर भाग ले सकेंगे।

आइए समझते हैं, हरियाणा सरकार का ये आदेश क्या है? RSS की शाखाओं में जाने पर बैन कब लगाया गया था? बैन लगाने के पीछे की वजह क्या थी? और अभी किन-किन राज्यों में सरकारी कर्मचारियों पर इस तरह की पाबंदी है?

सबसे पहले हरियाणा सरकार का फैसला समझ लीजिए

हरियाणा के सरकारी कर्मचारी अब RSS की गतिविधियों में हिस्सा ले सकेंगे। सरकार ने 1967 और 1980 में लगाए गए प्रतिबंध वाले आदेशों को वापस ले लिया है। हालांकि राजनीति में कर्मचारियों के हिस्सा लेने, प्रचार करने व वोट मांगने पर अब भी रोक जारी रहेगी। 1967 और 1980 में प्रतिबंध लगाने वाली सरकारों ने RSS को राजनीतिक संगठन माना था। जबकि RSS खुद को सांस्कृतिक संगठन कहता है।

केंद्र ने सरकारी कर्मचारियों पर इस तरह का बैन कब लगाया गया था?

30 नवंबर 1966 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया था। इसके मुताबिक मंत्रालय ने केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 का हवाला देते हुए कहा था कि कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी राजनीतिक पार्टी से बतौर सदस्य या किसी भी तरह से जुड़ा नहीं होगा। इस नियम में उन संगठनों का भी जिक्र था, जो राजनीतिक नहीं थे, लेकिन किसी न किसी तौर पर राजनीति से जुड़े हुए थे।


इस आदेश में RSS और जमात-ए-इस्लामी का भी जिक्र था। कहा गया था कि केंद्र सरकार ने इन दोनों संगठनों की गतिविधियों को इस तरह से माना है कि इनमें सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम 1964 का उल्लंघन करेगी। इसलिए कोई भी सरकारी कर्मचारी जो इन संगठनों का सदस्य है या इनसे जुड़ा है अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगा।
इसी विषय पर 1975 में दोबारा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी किया था। इस नोटिफिकेशन में कहा गया था कि 1966 के आदेशों का उल्लंघन करने पर 7 साल की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
बैन लगाने की वजह भी जान लीजिएकेंद्र सरकार ने आदेश में सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 का हवाला देते हुए बैन लगाया था। कहा गया था कि सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी इन नियमों का उल्लंघन करती है। जानते हैं सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 क्या है…

सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 के रूल 6 के मुताबिक,

कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी ऐसे संगठन में शामिल नहीं होगा या उसका सदस्य नहीं होगा, जिसका उद्देश्य या गतिविधियां भारत की संप्रभुता और अखंडता, या सार्वजनिक व्यवस्था या नैतिकता के खिलाफ हो।

केंद्र की जनता पार्टी सरकार ने हटाया था बैन

देश में इमरजेंसी हटने के बाद आम चुनाव हुए। फिर जनता पार्टी की सरकार बनी। केंद्र की नई सरकार ने सरकारी कर्मचारियों पर लगी इस पाबंदी को हटा दिया था, लेकिन 1980 में कांग्रेस सरकार ने फिर से पाबंदी लागू कर दी थी।

हरियाणा सरकार ने किस आधार पर बैन हटाया है?

हरियाणा सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने पत्र में कहा है कि 1967, 1970 और 1980 में पहले जारी किए गए आदेशों को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाता है क्योंकि वे अब प्रासंगिक नहीं हैं।

जनवरी 1967 में तत्कालीन हरियाणा सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को RSS की गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। पंजाब सरकारी कर्मचारी (आचार) नियमावली, 1966 के नियम 5(1) में RSS को राजनीतिक संगठन माना गया था। इसकी गतिविधियों में भाग लेने पर सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। ये आदेश हरियाणा के मुख्य सचिव की ओर से जारी किया गया था।
अप्रैल 1980 में एक दूसरे सर्कुलर में कहा गया था कि हरियाणा में RSS की गतिविधियों में भाग लेने पर सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।

किन-किन राज्यों में कर्मचारियों पर इस तरह का बैन अभी लागू है?

राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग ने 1981 में एक सर्कुलर जारी कर RSS सहित 17 से ज्यादा संगठनों की सूची जारी की थी। सरकारी कर्मचारी उस सूची में दिए गए किसी भी संगठन से किसी तरह का जुड़ाव नहीं रख सकता।
जम्मू-कश्मीर में अगर कोई सरकारी कर्मचारी ऐसे संगठनों से जुड़ा पाया जाता है, तो उसे सेवा से बर्खास्त भी किया जा सकता है। 2019 में गृह मंत्रालय के सर्कुलर के अनुसार जमात-ए-इस्लामी को 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है।

कौन से राज्य इस बैन को हटा चुके हैं?

2006 में मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने सरकारी कर्मचारियों पर लगी इस पाबंदी को हटा दिया था। सर्कुलर में कहा गया था कि मध्य प्रदेश नागरिक सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 5(1) RSS पर लागू नहीं होता है।
2015 में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने भी एक सर्कुलर जारी कर राज्य सरकार के कर्मचारियों पर से RSS की गतिविधियों में शामिल होने पर लगी रोक हटा ली थी।
हिमाचल प्रदेश में भी 2008 में सरकारी कर्मचारियों को RSS की गतिविधियों में शामिल होने की छूट दी गई थी।
साल 2000 में गुजरात सरकार ने भी राज्य सरकार के कर्मचारियों पर RSS की गतिविधियों में हिस्सा लेने पर लगा बैन हटाया था।

कांग्रेस ने इस फैसले पर क्या कहा है?

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा कि अब हरियाणा के कर्मचारीयों को “संघ” की शाखाओं में भाग लेने की छूट। सरकार चला रहे हैं या भाजपा-RSS की पाठशाला।

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