किसान आंदोलन: भीड़ उनकी,पर जिम्मेदारी नहीं,18 लड़कियां गायब हैं सिंधू-कुंडली बोर्डर से

अपराध का अड्डा बना हुआ है सिंधू-कुंडली बोर्डर (प्रतीकात्मक चित्र)

सिंधू-कुंडली बॉर्डर से डेढ़ दर्जन लड़कियाँ भी गायब, प्रदर्शनकारी कहते हैं- यहाँ हमारा कानून चलता है: रिपोर्ट

एक दलित की बर्बर हत्या के बाद से सिंघु-कुंडली बॉर्डर का किसान प्रदर्शन स्थल चर्चा में है। दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर सोनीपत जिले में हत्या के बाद शव को किसान प्रदर्शनकारियों के मुख्य मंत्र के पास टाँग दिया गया था। रिपोर्टों के अनुसार कथित किसानों का यह प्रदर्शन स्थल अपराध के अड्डे में बदल चुका है। महिलाओं का इधर निकलना दूभर हो गया। स्थानीय दुकानदारों पर हमले हो चुके हैं। प्रदर्शनकारी कहते हैं कि यहाँ उनका कानून चलता है।

आंदोलन स्थल वाले क्षेत्र के आसपास की कॉलोनियों से लगातार लड़कियाें के लापता होने की शिकायत पुलिस को मिल रही है। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक तकरीबन डेढ़ दर्जन लड़कियाँ गायब हैं। मगर पुलिस कार्रवाई करने से कतरा रही है। प्रदर्शनकारियों का क्षेत्र में दबदबा इस कदर है कि नामजद रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी पुलिस सिर्फ उन्हीं लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा पाती है, जिसके लिए प्रदर्शनकारी कहते हैं।

इसके अलावा क्षेत्र के 10 से ज्यादा दुकानदारों पर भी तलवारों और भालों से जानलेवा हमला हो चुुका है। पिछले दिनों एक वाहन पर खालिस्तानी झंडा लगाने का भी वीडियो वायरल हुआ था।

इससे पहले भी सिंघु बॉर्डर पर किसान आंदोलन के धरनास्थल से इस तरह की आपराधिक वारदात की खबर सामने आ चुकी है। इसी साल अप्रैल में यहाँ आंदोलन में हिस्सा लेने आई पश्चिम बंगाल की युवती का रेप हुआ था। पीड़ित लड़की की 30 अप्रैल को मौत हो गई थी। मार्च महीने में ही धरनास्थल पर गोली चलने की वारदात हुई थी।

शुक्रवार (15 अक्टूबर 2021) को यहाँ जिसकी टँगी लाश मिली थी उसकी पहचान 35 साल के लखबीर सिंह को तौर पर हुई है। वह तीन बेटियों का पिता था। बताया जा रहा है कि मृतक पंजाब के तरनतारन के गाँव चीमा खुर्द का निवासी था। लखबीर सिंह की पत्नी जसप्रीत उसके नशे की आदत के चलते पाँच साल पहले मायके चली गई थी। जसप्रीत के साथ ही तीनों बेटियाँ भी रहती हैं। तीनों बेटियों में कुलदीप 8 साल, सोनिया 10 साल और तानिया 12 साल की है।

पुलिस के मुताबिक लखबीर का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है, ना ही किसी राजनीतिक दल से वह जुड़ा हुआ है। उसके खिलाफ गाँव में किसी ने लड़ाई-झगड़े तक करने की शिकायत नहीं की। दलित लखबीर सिंह मजदूरी कर गुजारा करता था। मृतक की बहन राज कौर का कहना है कि चीमा में आने के बाद वह निहंगों के साथ उठता-बैठता था। वह 13 अक्टूबर को मंडी जाने की बात कह कर घर से निकला था। उसे शक है कि कोई उसे पैसों का लालच देकर या बहकावे से दिल्ली साथ ले गया होगा।

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