राजनीति:कानपुर सिख दंगों में 70 हत्यारोपितों की 37 साल बाद होगी गिरफ्तारी

सिख दंगे की जांच में BJP की सियासत:गिरफ्तारी करके सिख मतों को प्रभावित करने की होगी कोशिश, जांच एजेंसियों का सत्ता कर रही अपने हिसाब से इस्तेमाल
कानपुर में सिख दंगा। (फाइल फोटो)

कानपुर 18 जनवरी। देश में 1984 के सिख विरोधी दंगा में भले ही कोर्ट ने जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार को दोषी मान जेल भेज दिया मगर, कानपुर सिख दंगे की जांच कर रही SIT अब 12 मामलों की जांच पूरी होने के बाद भी आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं कर रही है। वजह शासन की अनुमति का इंतजार। शासन की हरी झंडी मिलने के बाद आरोपितों की ताबड़तोड़ गिरफ्तारी करके चुनाव से ठीक पहले अनुकूल वातावरण बनाए जाने की संभावनाएं बन रही हैं। इसकी पूरी स्क्रिप्ट तैयार कर ली गई है। बस एक्शन बाकी है।

1984 में सिख दंगा के दौरान कानपुर के हालात।

37 साल बाद खोज निकाले 33 जघन्य हत्याकांड के 67 आरोपित

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में कानपुर में हुए दंगों में 127 सिखों की हत्या हुई थी। उस दौरान कानपुर नगर में हत्या, लूट, डकैती और आगजनी समेत अन्य धाराओं में 40 मुकदमे दर्ज हुए थे। पुलिस ने इनमें से 29 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। 27 मई, 2019 को इस मामले में प्रदेश सरकार ने SIT गठित की थी।

SIT के मुखिया बालेंदु भूषण ने बताया कि बंद किए गए (फाइनल रिपोर्ट) 20 मुकदमों की कोर्ट से अनुमति लेकर दोबारा जांच शुरू की गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। इसमें से 12 मामलों की जांच में प्रत्यक्षदर्शी गवाह, फोरेंसिक टीम की जांच में खून के धब्बे समेत कई महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले और 67 आरोपित चिह्नित किए गए।

इसमें 18-20 आरोपितों की उम्र 75 से 80 साल के करीब है और ज्यादातर गंभीर रोगों से पीड़ित हैं। जांच पूरी होने की एक रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज दी गई है। अब शासन से हरी झंडी मिलते ही आरोपितों की गिरफ्तारी की जाएगी।

कागजों में चल रहा दबिश और फरारी का खेल

सिख दंगे की ग्राउंड रिपोर्टिंग में इस बात के भी साक्ष्य मिलते हैं कि SIT जांच पूरी होने के बाद अब छापों और आरोपितों के बच निकलने का खेल कागजों में चल रहा है। पुलिस कागजों में दिखा रही है कि आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए ताबड़तोड़ छापे मारे जा रहे हैं, लेकिन आरोपित मौके पर मिल नहीं रहे हैं।

हकीकत यह है कि पुलिस को शासन की हरी झंडी का इंतजार है। सूत्रों की मानें तो आरोपितों की गिरफ्तारी चुनाव से ठीक पहले करके BJP के पक्ष में वातावरण बनाने की कोशिश की जाएगी।

जांच एजेंसियां सत्ता के दबाव में कर रही हैं काम

सीनियर आईपीएस असीम अरुण और राजेश्वर सिंह का अचानक बीजेपी में शामिल हो जाना कई सवाल खड़े करता है। इसी तरह अब कानपुर सिख विरोधी दंगा – 1984 की जांच कर रही SIT आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए चुनाव का इंतजार कर रही है।

सूत्रों की मानें तो प्रथम चरण चुनाव के ठीक पहले आरोपितों की गिरफ्तारी करके सरकार बताएगी कि उसी के शासन में सिखों को 37 साल बाद इंसाफ मिल सका है। इससे कानपुर ही नहीं पूरे प्रदेश में सिखों का वोट भाजपा की तरफ प्रभावित होगा।

छह महीने के लिए गठित हुई थी SIT, तीन साल पूरे

शासन ने छह महीने के लिए सिख दंगों की जांच के लिए SIT का गठन किया था। लेकिन 5 फरवरी 2022 को तीन साल पूरे हो जाएंगे। इसके बाद भी अभी तक सिख दंगे के सभी मामलों की जांच पूरी नहीं हो सकी है। छह-छह महीने करके छह बार समय बढ़ा और अब तीन साल पूरे हो गए हैं। लेकिन अब चुनाव के बाद तेजी से जांच पूरी करके सभी मामलों के आरोपितों को जेल भेजा जाएगा।

साक्ष्य मिलने पर 13वें केस की भी शुरू की जांच

SIT DIG बालेंदु भूषण सिंह ने बताया कि अब तक 12 केसों की विवेचना पूरी की जा चुकी है। अब एक अन्य केस यानी 13वें केस से संबंधित भी तमाम दस्तावेज, गवाह, वादी और आरोपितों के नाम आदि मिल गए हैं। यह केस नौबस्ता थाने का है। केस नंबर है 498/84। केस विजेंदर कौर ने दर्ज कराया था। इसमें उनके पति गुरुमेंद्र सिंह, ससुर नगीना सिंह व देवर की हत्या कर दी गई थी। पुलिस स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के उपमहानिरीक्षक बालेंदु भूषण सिंह ने बताया कि केस की विवेचना अब शुरू की गई है। इस हिसाब से अब 13वें केस में SIT चार्जशीट की तरफ बढ़ रही है।

89 पहुंची आरोपितों की संख्या,70 जिंदा हैं

SIT ने 12 केसों के 67 आरोपितों को चिन्हित किया था। वहीं अब नौबस्ता थाने के 351/84 केस व अब जो नया 13वां केस खुला है , इन दोनों को मिलाकर 22 आरोपितों के नाम सामने आए हैं। इनके नाम व पते आदि SIT को मिल गए हैं। इस हिसाब से सभी 13 केसों के 89 आरोपितों की पहचान की जा चुकी है। इनमें से 70 आरोपित जीवित हैं। इन सभी पर अब गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है। नजीराबाद वाले केस में गुरुचरण सिंह व अमोलक सिंह की हत्या की गई है। इसमें SIT को पांच महत्वपूर्ण गवाह भी मिले। अकेले इसी केस में 15 आरोपित हैं।

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