परिसीमन:जम्मू कश्मीर में बढ़ेंगी सात सीटें,पहली बार अनुजा सुरक्षित सीटें भी

जम्मू-कश्मीर में 7 सीटें बढ़ेंगी:आयोग ने कहा- अगले साल मार्च तक पूरा होगा परिसीमन, पहली बार SC के लिए भी सीटें रिजर्व होंगी
श्रीनगर 09 जुलाई।जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए परिसीमन आयोग ने शुक्रवार को कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया अगले साल मार्च तक पूरी कर ली जाएगी। मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 90 सीटें होंगी। उन्होंने कहा कि हमें अनुसूचित जाति के लिए भी सीटें रिजर्व करनी हैं। ऐसा पहली बार होगा। आयोग ने राजनीतिक दलों और जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों से भी बातचीत की है।

खामियों के चलते लोग परेशान : चुनाव आयोग

चंद्रा ने बताया कि 1995 में यहां 12 जिले थे, जिनकी संख्या अब 20 हो गई है। तहसीलें 58 से बढ़कर 270 हो गई हैं। 12 जिलों में विधानसभाओं का दायरा जिलों के दायरों से भी बाहर हो गया है। विधानसभाओं में जिलें और तहसीलें एक-दूसरे में मिल रही हैं। ये सारे फैक्ट बताते हैं कि ऐसी खामियों की वजह से लोगों को परेशानी हुई।

1995 के बाद कभी परिसीमन नहीं हुआ

सुनील चंद्रा ने कहा- जम्मू और कश्मीर का परिसीमन का पुराना इतिहास रहा है। 1951 में यहां 100 सीटें थीं। इनमें से 25 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में थीं। पहला फुल फ्लैश्ड डीलिमिटेशन कमीशन 1981 में बनाया गया, जिसने 14 साल बाद 1995 में अपनी रिकमंडेशन भेजीं। ये 1981 की जनगणना के आधार पर थी। इसके बाद कोई भी परिसीमन नहीं हुआ।

2020 में परिसीमन आयोग को 2011 की जनगणना के आधार पर डीलिमिटेशन प्रोसेस पूरी करने के लिए निर्देश दिए गए। इस परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में 7 और सीटें बढ़ जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि परिसीमन कोई गणितीय प्रक्रिया नहीं है, जिसे मेज पर बैठकर पूरा किया जा सके। इसके जरिए समाज की राजनीतिक उम्मीदों और भौगोलिक परिस्थितियों को दिखाया जाना चाहिए।

PDP परिसीमन के खिलाफ

6 जुलाई को जम्मू पहुंचने के बाद आयोग के सदस्यों ने अनंतनाग जिले के पहलगाम का दौरा किया था। वहां उन्होंने दक्षिण कश्मीर क्षेत्र के राजनेताओं से बातचीत की। इसमें राजनेताओं ने अपने-अपने दलों के विचारों को दोहराया। इसके बाद आयोग के सदस्यों ने श्रीनगर में चुनाव अधिकारियों के साथ बैठक की।

PDP और ANC ने आयोग से चर्चा नहीं करने का फैसला लिया है। दोनों ही पार्टियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिया जाए। नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, माकपा, अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस इसके लिए तैयार हैं। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और माकपा ने मांग की है कि 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर परिसीमन होना चाहिए।

जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का मौजूदा स्ट्रक्चर

जम्मू-कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट (JKRA) के तहत नई विधानसभा में 83 की जगह 90 सीटें होंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि सीट बढ़ाने के लिए सिर्फ आबादी ही पैरामीटर नहीं है। इसके लिए भूभाग, आबादी, क्षेत्र की प्रकृति और पहुंच को आधार बनाया जाएगा।
अनुच्छेद 370 निरस्त होने से पहले राज्य में कुल 87 सीटें थी। इनमें जम्मू में 37, कश्मीर में 46 और लद्दाख में 4 सीटें आती थीं। ऐसे में यदि 7 सीटें जम्मू के खाते में जाती हैं तो 90 सदस्यीय विधानसभा में जम्मू में 44 और कश्मीर में 46 सीटें हो सकती हैं।

जम्मू-कश्मीर के परिसीमन में क्या खास है?

5 अगस्त 2019 तक जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस हासिल था। वहां केंद्र के अधिकार सीमित थे। जम्मू-कश्मीर में इससे पहले 1963, 1973 और 1995 में परिसीमन हुआ था। राज्य में 1991 में जनगणना नहीं हुई थी। इस वजह से 1996 के चुनावों के लिए 1981 की जनगणना को आधार बनाकर सीटों का निर्धारण हुआ था। जम्मू-कश्मीर में परिसीमन हो रहा है, जबकि पूरे देश में 2031 के बाद ही ऐसा हो सकता है।
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन में जम्मू-कश्मीर रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट (JKRA) के प्रावधानों का भी ध्यान रखना होगा। इसे अगस्त 2019 में संसद ने पारित किया था। इसमें अनुसूचित जनजाति के लिए सीटें बढ़ाने की बात भी कही गई है। JKRA में साफ तौर पर कहा गया है कि केंद्रशासित प्रदेश में परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर होगा।

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