देहरादून रेलवे स्टेशन सुरक्षा मानकों पर फेल

खतरे को बुलावा देता देहरादून रेलवे स्टेशन,लग सकती है सेंध;कार्मिकों का व्यवहार और कैमरे देख ऑडिट टीम हैरान
देहरादून रेलवे स्टेशन पर आइबी,जीआरपी,आरपीएफ, रेलवे पुलिस टीमों ने सुरक्षा आडिट किया तो स्टेशन का हाल देख टीम भी हैरान हो गई। सबसे बड़ी कमी स्टेशन में लगे कैमरे हैं। चारों तरफ की दीवारें टूटी हैं जहां से स्थानीय जन और रेलवे कर्मचारी अपने वाहन प्लेटफार्म पर लेकर आ जाते हैं ।
देहरादून03फरवरी। राजधानी का रेलवे स्टेशन सुरक्षा के लिहाज से असुरक्षित है, जिसके चलते यहां पर किसी भी समय सेंध लग सकती है। देहरादून रेलवे स्टेशन का सुरक्षा आडिट को पहुंची सुरक्षा एजेंसी टीमों ने यहां तमाम तरह की कमियां पाई हैं।
सुरक्षा मानकों की स्थिति यह है कि पूरे रेलवे स्टेशन पर कुल 15 सीसीटीवी कैमरे ही हैं,जो सुरक्षा मानकों से किसी काम के नहीं हैं। कंट्रोल रूम में एक भी कर्मचारी नहीं रहता। कैमरों पर निगरानी को बने कमरे में ताला लटकता रहता है। स्टेशन की दीवारें भी हर दिशा में टूटी हुई हैं। इनमें से कुछ दीवारें तो रेलवे के कर्मचारियों ने ही अपने वाहनों को अंदर लाने के लिए सही नहीं होने दीं।
सुरक्षा में मिली कई तरह की कमियां…
वर्ष 2019 के बाद कल रेलवे स्टेशन पर आइबी,जीआरपी, आरपीएफ,रेलवे,पुलिस अधिकारियों की टीमों ने सुरक्षा आडिट किया। इस दौरान उन्होंने टिकट काउंटर हाल,बाहर की दीवारों,प्रवेश द्वार,पार्सल आफिस,क्लाक रूम, प्लेटफार्म आदि का निरीक्षण किया। इसमें सुरक्षा में कई तरह की कमियां मिली।

सबसे बड़ी कमी स्टेशन में लगे कैमरे हैं। इसके अलावा चारों तरफ की दीवारें टूटी हुई हैं,जहां से स्थानीय जन और रेलवे कर्मचारी अपने वाहन प्लेटफार्म पर ले आते हैं। यह नियमों के विपरीत है। अधिकारियों ने सभी कमियों को सुरक्षा में खतरा बताते हुए रिपोर्ट तैयार की है,जो रेलवे मंत्रालय जाएगी।

जीआरपी अधिकारियों ने बताया कि स्टेशन की पूर्वी और पश्चिमी दिशा की दीवारें टूटी हुई हैं। इससे असामाजिक तत्व स्टेशन परिसर में घुस आते हैं। इसी से यहां चोरी,लूट जैसी घटनाएं होती हैं। इसका घाटा यात्रियों को होता है।

निरीक्षण में जीआरपी के क्षेत्राधिकारी स्वप्निल मुयाल, जीआरपी निरीक्षक टीएस राणा,स्टेशन अधीक्षक रविंदर कुमार, सीएमआइ एसके अग्रवाल,रेलवे सुरक्षा बल के क्षेत्राधिकारी वीके मिश्रा,एसएलओ स्मिता परमार, क्षेत्राधिकारी नगर नीरज सेमवाल आदि मौजूद रहे।

स्टेशन के होम सिग्नल तक दीवार बनाने का सुझाव
सुरक्षा एजेंसी टीमों ने रेलवे बोर्ड को पूर्वी दिशा में होम सिग्नल तक 400 मीटर लंबी और आठ से 10 फीट ऊंची दीवार बनाने और दीवारों पर फेंसिंग तीन फीट ऊंची करने को कहा है। इसके अलावा सुरक्षा आडिट कमेटी टीम ने मसूरी बस स्टैंड के पास पार्किंग की क्षतिग्रस्त दीवारों को  आठ फीट ऊंची करने के साथ ही तीन फीट ऊंची फेंसिंग करने का सुझाव दिया है।

स्टेशन पर लगे कैमरों में नजर नहीं आते चेहरे
सुरक्षा की दृष्टि से रेलवे स्टेशन पर आइटीजेड कैमरे लगाए जाने थे,जबकि इनकी जगह बुलेट कैमरे लगा दिए गए। इनके दो मेगा पिक्सल कैमरों से प्लेटफार्म पर विचरते लोगों के चेहरे तक साफ नजर नहीं आते। इसके साथ ही कैमरे गलत दिशा में लगे हैं। कमेटी ने इनकी दिशा बदलने को कहा है।

स्टेशन पर अग्निशमन यंत्रों और दुकानों के सत्यापन की जांच
स्टेशन पर पुलिस,जीआरपी और आइबी की टीम ने स्टेशन प्लेटफार्म पर दुकानों के सत्यापन की भी जांच की जो सही पाई गई। इसके साथ ही प्रत्येक दुकान में अग्निशमन यंत्र और गैस सिलिंडर चेक किये गये। ये सब ठीक निकले।

टिकट काउंटर पर रात्रि में नहीं होता पुलिसकर्मी
टिकट हाल में दिन या रात कोई भी सुरक्षाकर्मी नहीं रहता है। संध्या के समय असामाजिक तत्व हाल के आसपास बैठे रहते हैं। यह शिकायत रेलवे की महिला कर्मचारियों ने की है। उन्होंने कहा कि कैश अगले दिन जाता है। रात्रि में यहां पर असामाजिक तत्व भटकते रहते हैं। इसकी शिकायत जीआरपी और आरपीएफ से कई बार की गई,लेकिन अब तक कोई सुरक्षाकर्मी नियुक्त नहीं किया गया है।

आडिट के दौरान ही प्लेटफार्म से कूदकर ट्रेन पर चढ़ते रहे यात्री
सुरक्षा आडिट कमेटी के सामने ही यात्री प्लेटफार्म से कूदकर ट्रेन में चढ़ते नजर आए। यात्रियों की सुरक्षा को यह भी सबसे बड़ी कमी दून स्टेशन पर मिली है।

प्रवेश द्वार और पार्सल आफिस में स्कैनर नहीं
इतने बड़े स्टेशन के प्रवेश द्वार पर सामान की जांच को स्कैनर मशीन नहीं है। एक मेटल डिटेक्टर लगा है। इसको जब आइबी के अधिकारी ने चलाने को कहा तो वह नहीं चला। रेलवे कर्मचारियों ने बताया कि यह अभी कुछ दिनों से खराब है। वहीं,पार्सल आफिस,क्लाक रूम में भी सामान आता रहता है,लेकिन उसकी जांच को भी स्कैनर नहीं है। सुरक्षा के मानक पूरा करने को यात्रियों से सिर्फ आधार नंबर लिया जाता है।

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