CPWD का शपथपत्र:संसद भवन न सुरक्षित,न सुविधापूर्ण,सब कुछ जुगाड से

सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं संसद भवन, मंत्रियों के ऑफिस किराये पर खर्च होता है 1000 करोड़
CPWD हलफनामे में कहा गया है कि 51 से ज्यादा केंद्रीय मंत्री अलग-अलग दफ्तरों में बैठते हैं. इसके एवज में किराए के रूप में ही सरकार को हजार करोड़ रुपए सालाना अदा करना होता है. हलफनामे में CPWD ने कहा कि एक एकीकृत बिल्डिंग से कॉर्डिनेशन, अंतरविभागीय संचार की सुविधा बढ़ेगी और एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर में जाने का खर्चा भी बचेगा.

संजय शर्मा
नई दिल्ली,24मई ।सुप्रीम कोर्ट में CPWD का हलफनामापुरानी हो गई संसद की मौजूदा इमारतअग्निशमन और AC का इंतजाम भी नहीं
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग यानी CPWD ने कहा है कि संसद की मौजूदा इमारत सुरक्षा मानकों पर खरी नहीं है. CPWD ने कहा है कि लंबा वक्त बीत जाने की वजह से इमारत की मजबूती पर असर पड़ा है. CPWD के मुताबिक ये इमारत अग्नि सुरक्षा के मानकों पर सटीक नहीं उतरती है क्योंकि मौजूदा सुरक्षा उपाय नहीं हैं.

सुप्रीम कोर्ट में CPWD ने दी जानकारी

नए संसद भवन और सचिवालय के प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा के निर्माण पर उठाई गई आपत्तियों पर सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब देते हुए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग यानी CPWD ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि संसद की मौजूदा इमारत सुरक्षा मानकों पर खरी नहीं है.

जुगाड़ से लगाई गई हैं बिजली-पानी की सुविधाएं

CPWD के जवाबी हलफनामे के मुताबिक करीब सौ साल पहले बनी ये इमारत भूकंप रोधी भी नहीं है. इसके अलावा इस इमारत में एयरकंडिशनिंग, बिजली, संचार, पानी और गैस सप्लाई की पाइप लाइनों के लिए भी मौलिक रूप से इंतजाम ना होने से ये सारी सुविधाएं जुगाड़ से लगाई गई हैं.

मंत्रियों के दफ्तर के लिए सालाना देना होता है 1000 करोड़
किराया

हलफनामे में कहा गया है कि 51 से ज्यादा केंद्रीय मंत्री अलग-अलग दफ्तरों में बैठते हैं. इसके एवज में किराए के रूप में ही सरकार को हजार करोड़ रुपए सालाना अदा करना होता है. हलफनामे में CPWD ने कहा कि एक एकीकृत बिल्डिंग से कॉर्डिनेशन, अंतरविभागीय संचार की सुविधा बढ़ेगी और एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर में जाने का खर्चा भी बचेगा.
लिहाजा एक एकीकृत, सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल इमारत वाले सचिवालय और संसद परिसर की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इस महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी मिलना जरूरी है. CPWD ने कहा है कि इस इमारत के पास फिर से ग्रीन एरिया को विकसित किया जाएगा.

बता दें कि सेंट्रल विस्टा में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक की इमारतें, जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की इमारतें हैं. केंद्र सरकार एक नया संसद भवन, एक नया आवासीय परिसर बनाकर उसका पुनर्विकास करना चाह रही है जिसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के अलावा मंत्रियों के दफ्तर भी होंगे।

केंद्र सरकार ने कहा कि लगभग 100 साल पुराना संसद भवन अपनी उम्र के संकेत दे रहा है.

केंद्र सरकार की 20,000 करोड़ रुपये लागत की प्रस्तावित सेंट्रल विस्टा (Central Vista) परियोजना मामले में केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दाखिल कर परियोजना की जरूरत की दुहाई देते हुए इसका बचाव किया. केंद्र सरकार ने कहा कि लगभग 100 साल पुराना संसद भवन अपनी उम्र के संकेत दे रहा है. ये इमारत कई सुरक्षा मुद्दों का सामना कर रही है जिसमें गंभीर आग और भूकंप जैसी मानव निर्मित और प्राकृतिक सुरक्षा भी शामिल है.

केंद्र ने कहा कि इन चुनौतियों को देखते हुए संसद के एक नए आधुनिक भवन के निर्माण की आवश्यकता है. केंद्र ने कहा कि वर्तमान संसद भवन का निर्माण 1921 में शुरू हुआ था और 1937 में पूरा हुआ. यह लगभग 100 साल पुरानी है और एक हेरिटेज इमारतों में ग्रेड-आई दर्जे की बिल्डिंग है. पिछले कई वर्षों में संसदीय गतिविधियों में कई गुना वृद्धि हुई है. इसलिए, यह संकट और अधिक उपयोगिता के संकेत दे रहा है.

केंद्र ने कहा कि संसद भवन की इमारत जगह की कमी के साथ-साथ सुविधाओं और तकनीकी मामलों में वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है. अदालत को केंद्र सरकार ने बताया कि अभी 51 से ज्यादा मंत्रालय अलग-अलग जगह हैं. कई के विभाग किराए के मकानों में चल रहे हैं. हजार करोड़ रुपये सालाना तो उनका किराया ही जाता है. ऐसे में एक ही जगह सारे मंत्रालय, सचिवालय हो जाएं तो बहुत बढ़िया होगा. इसे देखते हुए सरकार संसद भवन की नई इमारत बनाना चाहती है. सरकार ने यह भी तर्क दिया कि पुरानी इमारत 100 साल पुरानी हो चुकी है, ऐसे में कई खतरे भी हमेशा बने रहते हैं.

बता दें कि सेंट्रल विस्टा में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक की इमारतें, जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की इमारतें हैं. केंद्र सरकार एक नया संसद भवन, एक नया आवासीय परिसर बनाकर उसका फिर से विकास करना चाह रही है, जिसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के अलावा कई नए कार्यालय भवन होंगे. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग यानी CPWD पहले भी हलफनामा देकर कह चुका है कि संसद की मौजूदा इमारत सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतरती है.

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