कोरोना और पंचगव्य पर चर्चा

हरिद्वार। 22 अप्रैल (सूचना)। भारतीय गोवंश की सेवा में समर्पित गोसेवा संस्थान वेदलक्षणा गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा और उत्तराखंड गोसेवा आयोग द्वारा श्री वेदलक्षणा गोकृपा नगर भूपतवाला में चल रहे श्री वेदलक्षणा गोगंगा कृपा कल्याण महोत्सव के अन्तर्गत गुरूवार को गोज्ञान संत संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी का मुख्य विषय वेदलक्षणा गोमाताओ द्वारा प्रदत पंचगव्यामृत की मानव सहित सृष्टि जीवन में महिमा तथा उसके उपासना, औषधि और आहार में प्रयोग की अनिवार्यता थी।
संगोष्ठी का संचालन करते हुए मलूकपीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी राजेंद्र दास जी ने संस्थान के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि गौसेवा का महान, पुनीत और पुण्य कार्य करना अपने आप में परम पूजनीय है।
स्वामी श्री कृष्णानंद जी महाराज ने कहा कि जब भी गौमाता पर संकट आती है संतजन उनकी सेवा और रक्षा करने को स्वयं खड़े हो जाते हैं। कोरोना महामारी के नाश में गौपंचगव्य का सेवन बहुत उपयोगी है।
महामंडलेश्वर स्वामी डाॅ0 उमाकांतानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि गाय केवल पशु नहीं साक्षात दैवी रूप में हमारे सामने है। गौ औषधियों के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए।
भारतीय जीव जंतु बोर्ड के सदस्य राजीव गुप्ता ने पंचगव्य से प्राप्त औषधियों को कोरोना वायरस से लड़ने में समर्थ बताया। कहा कि वेदलक्षणा गौमाता की औषधियां मानवकल्याण के लिए समर्पित हैं। इसलिए सुरक्षित जीवन के लिए गौ से प्राप्त औषधियों का सेवन करना होगा।
स्ंागोष्ठी में अपने संबोधन में महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि गौ पंचगव्यामृत घर घर पहुंचना चाहिए, सरकारों को इसके लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसार की सबसे पहली वैक्सीन हमें पंचगव्य गौमूत्र के रूप में मिली है। इसके वैज्ञानिक आधार को हमें रखना होगा। स्वामी श्री विवेकानंद जी ने उत्तराखंड में पथमेड़ा गौ माता का मंदिर बनाने की बात रखी। संगोष्ठी की अध्यक्षता तुलसी पीठाधीश्वर श्री स्वामी अर्जुन पुरी जी महाराज ने की।

इस दौरान रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामभद्राचार्य जी महाराज, गीता मनीषी महामंडलेश्वर श्री ज्ञानानंद जी, ऋषिकेश परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष श्री स्वामी चिदानंद मुनि जी, स्वामी प्रखर दास जी, निर्मल अखाड़े के स्वामी ज्ञानदेव जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी वीरेन्द्रानंद महाराज, उत्तराखंड गौसेवा आयोग के उपाध्यक्ष राजेंद्र अनुत्वाल और श्री वेदलक्षणा गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के संरक्षक एवं संस्थापक गोऋषि स्वामी श्री दत्तशरणानंद जी महाराज आदि मौजूद रहे।
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