हिजाब तो है बहाना, कहीं और है निशाना

उत्तर प्रदेश चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक साधने के लिए कर्नाटक हिजाब विवाद को दी जा रही हवा? पढ़िए अंदर की बात

उत्तर प्रदेश चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक साधने के लिए कर्नाटक हिजाब विवाद को दी जा रही हवा? पढ़िए अंदर की बात

Hijab Controversy Impact on UP Chunav 2022: सोशल मीडिया पर एक मुस्लिम छात्रा का वीडियो वायरल होने के बाद इस विवाद की आंच यूपी समेत देश के अन्य राज्यों और विदेशों तक पहुंच गई है. ट्विटर पर यह विवाद टॉप ट्रेंडिग में है. वहीं, गूगल सर्च में कर्नाटक का हिजाब विवाद उत्तर प्रदेश में भी जमकर सर्च किया जा रहा है. गूगल सर्च में तेलंगाना और तमिलनाडु के बाद उत्तर प्रदेश तीसरे नंबर पर है.

नई दिल्ली 12 फरवरी: कर्नाटक हिजाब विवाद की चिंगारी उत्तर प्रदेश तक पहुंच गई है. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में चुनाव से ठीक पहले हिजाब विवाद राजनीतिक व सामाजिक मुद्दा बन रहा है. इस विवाद की टाइमिंग सियासी नजरिए से बेहद अहम मानी जा रही है. दरअसल, कल यानी 10 फरवरी को यूपी में पहले चरण की वोटिंग होनी है. उससे ठीक पहले हिजाब विवाद तूल पकड़ता जा रहा है. चुनावी माहौल में इस विवाद को खूब हवा भी दी जा रही है. ऐसे में इसका सियासी कनेक्शन काफी अहम माना जा रहा है. वहीं, इस विवाद के पीछे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) समर्थित कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ बताया जा रहा है.

सोशल मीडिया पर एक मुस्लिम छात्रा का वीडियो वायरल होने के बाद इस विवाद की आंच यूपी समेत देश के अन्य राज्यों और विदेशों में भी पहुंच गई है. ट्विटर व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह विवाद टॉप ट्रेंडिग में है. वहीं, गूगल सर्च की बात करें, तो कर्नाटक का हिजाब विवाद उत्तर प्रदेश में भी जमकर सर्च किया जा रहा है. गूगल सर्च में तेलंगाना और तमिलनाडु के बाद उत्तर प्रदेश तीसरे नंबर पर है.

हिजाब विवाद के जरिए UP में ध्रुवीकरण की कोशिश?

उत्तर प्रदेश चुनाव में हिजाब विवाद की एंट्री, कई सियासी मायनों की ओर इशारा कर रही है. विवाद का उत्तर प्रदेश कनेक्शन वीडियो की टाइमिंग को लेकर भी देखा जा रहा है. दरअसल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 11 जिलों की 58 विस सीटों पर 10 फरवरी को मतदान था . 60 सीटों पर कल मतदान है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों का वोट बेहद अहम है, क्योंकि यहां 27 % मुस्लिम मतदाता हैं, जो किसी भी पार्टी का गणित बना और बिगाड़ सकते हैं. मुस्लिमों के बाद यहां सबसे ज्यादा दलित 25 प्रतिशत, जाट 17 प्रतिशत, राजपूत 8 प्रतिशत और 7 प्रतिशत यादव मतदाता हैं. चुनाव में मुस्लिम फैक्टर को देखते हुए विवाद की टाइमिंग बेहद अहम मानी जा रही है. वहीं, कुछ लोग इसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ध्रुवीकरण से जोड़ने की कोशिश के रूप में भी देख रहे हैं.

अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भी दी प्रतिक्रिया

यह मामला इतना गरमा चुका है कि भारत के अलावा अंतरराष्ट्रीय हस्तियां भी इसमें कूद पड़ी हैं. नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई के साथ ही यूएई की प्रिंसेस ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. पाकिस्तान सहित अन्य कई देशों से भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का भी रिएक्शन सामने आया है. ओवैसी, मंगलवार से ही उत्तर प्रदेश की कई विधानसभाओं में चुनाव-प्रचार के दौरान इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार को घेरते दिखे. इसके साथ ही घटना का हवाला देकर वोट मांगते नजर आए.

 

विवाद में कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ?

वहीं, कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने इस विवाद के पीछे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) समर्थित कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ बताया है. उन्होंने पीएफआई पर बैन लगाने की मांग उठाई है. दरअसल, एसडीपीआई पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का ही एक मुस्लिम संगठन है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस पूरे विवाद के पीछे गजवा-ए-हिंद नामक संगठन का हाथ होने की बात कही. इसके साथ ही इसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश करार दिया है. PFI के बारे में कहा जाता है कि ये एक कट्टर इस्लामिक संगठन है. इसको लेकर कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं. इस संगठन के ISIS और सिमी के साथ संपर्कों होने का दावा भी किया जा चुका है. उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में पहले भी इसे बैन करने की मांग उठ चुकी है.

क्या है वायरल वीडियो में?

दरअसल, मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ. यह वीडियो कर्नाटक के मांड्या ज़िले के एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज का है. जिसमें हिजाब पहने एक छात्रा अपनी स्कूटी पार्क कर क्लास की ओर बढ़ती है. तभी एक भीड़ उसके पीछे लग जाती है. भीड़ में कुछ युवा भगवा गमछा ओढ़े ‘जय श्री राम’ का नारे लगाते हुए छात्रा की ओर बढ़ते हैं. इसके जवाब में छात्रा भी भीड़ की ओर पलटकर दोनों हाथ उठाकर अल्लाहु अकबर का नारा लगाने लगती है. वहीं, इस वीडियो के वायरल होते ही यूपी चुनाव में इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देते हुए राजनैतिक दलों के नेताओं ने अपनी-अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकनी शुरू कर दी हैं. इस विवाद की आड़ में नेता वोट मांग रहे हैं. वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने लड़की को 500000 रुपये देने का ऐलान किया है. संस्था के मुताबिक, यह इनाम लड़की को जय श्रीराम का नारा लगा रहे लोगों के सामने डटकर खड़े रहने और ईमान पर कायम रहने के लिए दिया गया है.

वीडियो को लेकर उठ रहे सवाल

इसी बीच सोशल मीडिया पर वायरल हुए मुस्लिम छात्रा के वीडियो को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. वीडियो को सुनियोजित बताया जा रहा है. यह कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं है. बल्कि  इसे चार कैमरे शूट कर रहे हैं. वीडियो में लड़की को कैप्चर करने की पूरी कोशिश की गई है. एक खास बात यह है कि लड़की की कॉलेज में एंट्री से लेकर नारेबाजी तक हर मौके को इस वीडियो में कैद किया गया है. मुस्लिम लड़की को कैमरे लगातार फॉलो कर रहे है. वह जहां-जहां जाती है, कैमरामैन ने उसे कैप्चर किया है. मानो वह केवल उस लड़की को शूट करने के लिए पहले से तैयार रहा हो.

लड़की ने पहले लगाए अल्लाहु अकबर के नारे, जब उसने नारेबाजी की तब कोई था ही नहीं : शिक्षा मंत्री

आठ फरवरी को मांड्या में एक कॉलेज के बाहर भगवाधारी लड़कों की भीड़ के सामने अल्लाहु अकबर के नारे लगाती  लड़की के वीडियो पर कर्नाटक के शिक्षा मंत्री का कहना है कि यह पूरा सच नहीं है। लड़की ने जब अल्लाहु अकबर के नारे लगाए तब वहां कोई मौजूद ही नहीं था। उसे उकसाकर इसी के लिए भेजा गया था।

कर्नाटक में हिजाब विवाद  और गहराता जा रहा है। मामला जयश्री राम बनाम अल्लाहु अकबर तक पहुंच गया है। इस बीच कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने कहा है कि मांड्या के कॉलेज में  जब लड़की ने अल्लाहु अकबर के नारे लगाए, तब उसके आसपास कोई छात्र या छात्रा नहीं थी। इसके बाद भी उसने परिसर के बाहर अल्लाहु अकबर  नारेबाजी शुरू कर दी।

शिक्षण संस्थान में अल्लाहु अबकर या जय श्री राम का प्रचार नहीं कर सकते

उन्होंने आशंका जताई कि उस लड़की मुस्कान को इसके लिए उकसाया गया होगा।मांड्या के इस कॉलेज में जो हुआ वह उकसावे की कार्रवाई लगती हैै।

कोई भी छात्र या छात्रा इस लड़की का घेराव नहीं करना चाहते थे। जब उसने नारेबाजी की तो उसके आसपास कोई था भी नहीं। शिक्षण संस्थान के परिसर में हम जय श्री राम या अल्लाहु अकबर का प्रचार नहीं कर सकते।

The students didn’t want to gherao the girl who was coming outside the college in Mandya. No other student was around her when she shouted “Allah-hu-Akbar”. Was she provoked? Can’t encourage “Allah hu Akbar’ or ‘Jai Shri Ram’ on campus: K’taka Primary & Secondary Education Min pic.twitter.com/X92sQTyJ9q

— ANI (@ANI)

लोगों ने वीडियो डालकर कहा- पहले लड़की ने नारे लगाए
मंत्री के इस बयान के समर्थन में बहुत सारे लोगों ने इस वीडियो को पूरा देखने को कहा है। सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो हैं, जिसमें मुस्लिम छात्राएं एक हिंदू छात्र के सामने चिल्ला रही हैं। कुछ लोगों ने कहा कि मीडिया को पूरा मामला सामने लाना चाहिए, लेकिन वह सिर्फ मुस्लिम लड़की का वही पार्ट दिखा रही है, जिसमें उसके सामने बहुत सारे लड़के हैं। वह वीडियो भी दिखाना चाहिए, जिसमें उस लड़की ने अकेले ही कॉलेज परिसर में नारेबाजी शुरू कर दी। कुछ यूजर्स का कहना है कि इस मामले का अंत यह है कि हिजाब शिक्षा से अधिक जरूरी है। ये शरिया के हिसाब से ही चलेंगे।

The Liberal Media has skipped this incident where muslim girls in Burqa & Hijab Aggressively charged towards Alone Hindu Boy with Saffron scarf.

They are Busy peddling a narrative that Hindu Boys are chanting Jai Shri Ram & going after muslim girls.pic.twitter.com/mG8ZBasvLZ

— Raj Hacker 🇮🇳 (@Raj__Hacker)

 

लोग कह रहे, लड़की को विवाद बढ़ाने भेजा गया

इस लड़की मुस्‍कान के वीडियो में वह भगवाधारी लड़कों के सामने अल्लाहु अकबर के नारे लगा रही है। उसने एक चैनल को बताया कि मैं कॉलेज असाइनमेंट को आई थी। वे मुझे अंदर नहीं जाने दे रहे, क्‍योंकि मैंने बुर्का पहना था।  मैंने अंदर जाने की कोशिश की तो उन्होंने जय श्री राम के नारे लगाने शुरू कर दिए। जो लोग नारे लगा रहे थे उनमें से कई कॉलेज के थे तो कई बाहर से भी थे। मुस्कान के मुताबिक लड़कों के नारे पर मैंने भी अल्लाह हु अकबर के नारे लगाए। उन्होंने अपने प्रिंसिपल और कॉलेज के शिक्षकों का आभार जताया, जिन्होंने उनकी मदद की। हालांकि, अब नए वीडियो आने के बाद लोग कह रहे हैं कि उस लड़की को यहां विवाद के लिए भेजा गया था।

क्या है पूरा विवाद?

कर्नाटक में हिजाब का विवाद दिसंबर 2021 में उडुपी के सरकारी कॉलेज में शुरू हुआ था. यहां कि कुछ छात्राओं ने आरोप लगाया है कि उनको हिजाब पहनने के चलते कैंपस और क्लास में प्रवेश नहीं करने दिया गया. छात्राओं ने विरोध किया और कहा कि कॉलेज उन्‍हें हिजाब पहनने से नहीं रोक सकता क्‍योंकि ये उनकी धार्मिक स्‍वतंत्रता है. हिजाब को लेकर मचे बवाल ने धीरे-धीरे साम्प्रदायिक रंग लेना शुरू कर दिया. हिजाब पहनने का विरोध करने के लिए हिंदू छात्र भगवा शॉल ओढ़कर स्कूल-कॉलेज में आने लगे थे. राज्य के कई शहरों में तनाव बढ़ता देखकर कर्नाटक सरकार ने अगले तीन दिन के लिए स्कूल-कॉलेज बंद कर दिये हैं. बता दें कि 31 जनवरी को मुस्लिम छात्राओं ने कर्नाटक हाई कोर्ट में एक रिट पिटीशन दायर की, जिस पर सुनवाई चल रही है.

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