सैंट्रल विस्टा पर हाको का फैसला सुरक्षित, निर्माता कंपनी भी बनी पार्टी

सैंट्रल विस्टा के खिलाफ जनहित याचिका, परियोजना को रोकने का एक बहाना : केंद्र

नयी दिल्ली, 19 मई केंद्र ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में महामारी के मद्देनजर सेंट्रल विस्टा परियोजना को रोके जाने को लेकर दायर एक जनहित याचिका का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि यह याचिका काम को रुकवाने के लिए एक “बहाना” है।
दूसरी तरफ याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि उनकी रूचि सिर्फ परियोजना स्थल पर काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा और नागरिकों के जीवन की रक्षा में है तथा उन्होंने परियोजना की तुलना द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान एक जर्मन यातना शिविर “आशवित्ज” से की।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष करीब तीन घंटे तक चली सुनवाई के दौरान याचिका को खारिज करने और परियोजना का काम चालू रखे जाने के पक्ष में पुरजोर दलीलें दी गईं। पीठ ने मामले पर फैसला सुरक्षित रखा है।
इस परियोजना का ठेका प्राप्त करने वाली शापूरजी पालोनजी एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ने भी जनहित याचिका में वास्तविकता की कमी होने का जिक्र करते हुए इसका विरोध किया और कहा कि वह अपने कर्मियों का ध्यान रख रही है।
याचिकाकर्ताओं के दावों का विरोध करते हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह याचिका असल में जनहित याचिका की आड़ में एक “बहाना” है परियोजना को रोकने का जिसे वो हमेशा से रोकना चाहते थे।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य व सुरक्षा के लिये सिर्फ संदेश दे रहे हैं और अगर सरकार इसे नहीं देख सकती तो नागरिकों के जीवन के प्रति चिंता का यह “अफसोसनाक प्रदर्शन” है।
चालू परियोजना को सेंट्रल विस्टा के बजाय “मौत का केंद्रीय किला” कहते हुए लूथरा ने इसकी तुलना “आशवित्ज” से करते हुए दलील दी कि निर्माणस्थल पर चिकित्सा सुविधाएं, जांच केंद्र आदि के उपलब्ध होने के बारे में केंद्र ने जो बातें कहीं थीं वो सब गलत हैं।
उन्होंने कहा कि उस जगह सिर्फ खाली तंबू लगा दिये गए हैं और वहां कोई बिस्तर या दूसरी सुविधा नहीं है जहां मजदूर ठहर व सो सकें।

अदालत अनुवादक अन्य मल्होत्रा और इतिहासकार व वृतचित्र फिल्मकार सोहेल हाशमी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने दलील दी थी कि यह परियोजना आवश्यक गतिविधि नहीं है और इसलिये महामारी के दौरान अभी इसे टाला जा सकता है।

परियोजना में एक नया संसद भवन, एक नए आवासीय परिसर के निर्माण की परिकल्पना की गई है,जिसमें प्रधानमंत्री और उप-राष्ट्रपति के आवास के साथ-साथ कई नए कार्यालय भवन और मंत्रालयों के कार्यालयों के लिए केंद्रीय सचिवालय का निर्माण होना है।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट:दिसंबर 2022 तक तैयार हो जाएगा प्रधानमंत्री का नया आशियाना; लॉकडाउन में भी कंस्ट्रक्शन जारी

प्रधानमंत्री का नया आवास दिसंबर 2022 तक बनकर तैयार हो जाएगा। इसे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया जा रहा है। देश इस वक्त महामारी से जूझ रहा है। देश के ज्यादातर राज्यों में लॉकडाउन है, लेकिन सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में कंस्ट्रक्शन जारी है। प्रोजेक्ट को पर्यावरण संबंधी तमाम मंजूरियां मिल चुकी हैं और ‘आवश्यक सेवा’ अधिनियम में रखा गया है। लिहाजा, यहां निर्माण कार्य नहीं रोका गया है।

सरकार की हरी झंडी

विपक्ष के ऐतराज के बावजूद सरकार ने इसी हरी झंडी दी थी। प्रोजेक्ट की टाइम लाइन का सख्ती से पालन करने के आदेश हैं। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में जो बिल्डिंग्स अगले साल तक बनकर तैयार होंगी,उनमें प्रधानमंत्री आवास शामिल है। फिलहाल,प्रधानमंत्री 7,लोक कल्याण मार्ग पर रहते हैं। यूपीए सरकार के दौर तक इसे 7,रेसकोर्स रोड कहा जाता था।

उप राष्ट्रपति और SPG का हेडक्वॉर्टर भी

अगले साल दिसंबर तक जो नई बिल्डिंग्स तैयार होंगी उनमें प्रधानमंत्री आवास के अलावा उनकी सुरक्षा में तैनात स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप का हेडक्वॉर्टर भी शामिल है। ब्यूरोक्रेट्स के लिए एक एग्जीक्यूटिव एनक्लेव भी इसी दौरान बनकर तैयार हो जाएगा।

इस प्रोजेक्ट में उप राष्ट्रपति का आवास भी शामिल है। ये अगले साल मई तक तैयार हो जाएगा। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर कुल मिलाकर 13 हजार 450 करोड़ रुपए खर्च होंगे। प्लान के मुताबिक, प्रोजेक्ट में 46 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।

विपक्ष का विरोध

विपक्षी दल नए संसद भवन, सरकारी ऑफिस और प्रधानमंत्री आवास बनाए जाने का विरोध करते रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस प्रोजेक्ट का यह कहते हुए विरोध किया कि महामारी के दौरान इसको रोक दिया जाना चाहिए। कुछ लोगों का कहना है कि इस दौरान हॉस्पिटल्स की परेशानी है। ऑक्सीजन, वैक्सीन और दवाओं की किल्लत है।

प्लान के मुताबिक, 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले दिल्ली में सरकारी इमारतें और कुछ आवास बनाए जाने हैं। इसके लिए राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का चार किलोमीटर का क्षेत्र चुना गया था। पिछले दिनों राहुल गांधी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को गैरजरूरी बताया था। सरकार ने यह कहते बचाव किया कि पुरानी इमारतें जर्जर हो चुकी हैं। इस प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई थी, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह प्रोजेक्ट एनवॉयर्नमेंटल या लैंड-यूज रिफॉर्म्स के खिलाफ नहीं है।

क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट?

राष्ट्रपति भवन, मौजूदा संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रीय अभिलेखागार की इमारत को वैसा ही रखा जाएगा। सेंट्रल विस्टा के मास्टर प्लान के मुताबिक पुराने गोलाकार संसद भवन के सामने गांधीजी की प्रतिमा के पीछे नया तिकोना संसद भवन बनेगा। यह 13 एकड़ जमीन पर बनेगा। इस जमीन पर अभी पार्क, अस्थायी निर्माण और पार्किंग है। नए संसद भवन में दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के लिए एक-एक इमारत होगी, लेकिन सेंट्रल हॉल नहीं बनेगा।

15 एकड़ में बनेगा नया PM आवास

मंत्रालयों का साझा केंद्रीय सचिवालय बनाने के लिए शास्त्री भवन, उद्योग भवन, निर्माण भवन, कृषि भवन सहित कई अन्य इमारतें भी गिराई जाएंगी। सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास प्रोजेक्ट में सीपीडब्ल्यूडी (केंद्रीय लोकनिर्माण विभाग) के हालिया प्रस्ताव के मुताबिक प्रधानमंत्री के नए आवासीय कॉम्प्लेक्स में चार मंजिला 10 इमारतें होंगी। प्रधानमंत्री के नए आवास को 15 एकड़ भूमि पर बनाया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *