समाचारों में कौन सबसे विश्वसनीय?आखिरी सांस ले रहा है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया?

खबरों का सबसे विश्वसनीय स्रोत है ये मीडिया माध्यम, सर्वे में हुआ खुलासा
मीडिया कंसल्टिंग फर्म ‘ऑरमैक्स मीडिया’ (Ormax Media) ने ‘फैक्ट या फेक?’ नाम से आज अपनी रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट न्यूज कंज्यूमर्स के सर्वे पर आधारित है
मीडिया कंसल्टिंग फर्म ‘ऑरमैक्स मीडिया’ (Ormax Media) ने ‘फैक्ट या फेक?’ नाम से आज अपनी रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट न्यूज कंज्यूमर्स के सर्वे पर आधारित है और विभिन्न न्यूज मीडिया की विश्वसनीयता के साथ-साथ ‘फेक न्यूज’ की समग्र धारणा को मापता है। यह सर्वे देश के केंद्र शासित प्रदेशों और 17 राज्यों के 2,400 शहरी समाचार उपभोक्ताओं (Urban news consumers ) (15 वर्ष से ऊपर) के बीच आयोजित किया गया था।

इस रिपोर्ट में ये निष्कर्ष निकला है कि शहरी भारत में समाचार विश्वसनीयता सूचकांक (News Credibility Index) केवल 39% है। अर्थात, 61% समाचार उपभोक्ता फेक न्यूज को देखते हैं, जोकि चिंताजनक है।

62% पर मीडिया विश्वसनीयता सूचकांक (Media Credibility Index) के साथ प्रिंट मीडिया सबसे ऊपर है। इसके बाद रेडियो नंबर आता है और फिर टेलीविजन का। डिजिटल मीडिया की तुलना में पारंपरिक मीडिया (Traditional media) की अधिक विश्वसनीयता है। वहीं सोशल मीडिया की बात की जाए तो खबरों के लिए सबसे विश्वसनीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ट्विटर है, जिसकी विश्वसनीयता सूचकांक 53% है।

रिपोर्ट और इसके निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए ऑरमैक्स मीडिया के फाउंडर व सीईओ शैलेश कपूर ने कहा कि फेक न्यूज से संबंधित चिंताएं विश्व स्तर के साथ-साथ भारत में भी चर्चा का विषय रही है। गुजरते वक्त के साथ फेक न्यूज की समस्या बहुत ही बड़ी होती जा रही है। भारत में यह सर्वे इस बढ़ती चिंता को मापने के लिए आयोजित किया गया था।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वाकई अब आखिरी सांसें ले रहा है!

मीडिया (इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, वेब) को लेकर मैंने कई ब्लॉग लिखे हैं। 5 साल पहले लिखे एक ब्लॉग मैं मैंने जिक्र किया था कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपनी आखिरी सांसें ले रहा है। सारा मॉस मोबाइल ( वेब ) पर शिफ्ट हो चुका है।

लेकिन डिजिटली होने के बाद सबसे ज्यादा नुकसान फील्ड में काम करने वाले पत्रकारों को हुआ है। उनकी जरूरत ना के बराबर रह गयी है।

जिन रिपोर्टर्स – स्टिंगर्स को न्यूज़ चैनल्स की रीढ़ की हड्डी माना जाता था वो अब चैनलों को गले की हड्डी नजर आने लगे। आप को बता दूं बड़े बड़े चैनल आज अपने रिपोर्टर- स्टिंगर से फ्री बराबर काम करवा रहे है । एंकर को चैनल का फेस बना दिया गया है।

आप देखते होंगे कि आजकल फील्ड में भी एंकर ही रिपोर्टिंग कर रहे होते है , लेकिन ज्यादातर को ग्राउंड की , धाराओं की , संवेदनाओं तक कि समझ नही होती । वो चैनल द्वारा पकड़ाया गया एजेंडा लेकर पहुँचते है और उसी चश्मे से रिपोर्टिंग करते है।

रेप की घटनाएं हो , या बड़े मर्डर केस , बाढ़ या अन्य आपदा हो , कर्फ्यू या दंगे , कोई राजनीतिक घोटाला हो या अन्य कोई बड़ा इवेंट , उसकी शुरुआत तो स्टिंगर – रिपोर्टर करता है लेकिन कुछ घण्टो बाद उस खबर , उस कांड का हाईजैक एंकर द्वारा कर लिया जाता है ।

जो स्टिंगर्स रिस्क लेकर , अपनी बुद्धि लगाकर , अपनी काबलियत द्वारा मामले को उठाता है या उजागर करता है , उसको ऐसे निकाल फिये जाता है जैसे दूध से मक्खी ।

अब उसका काम रह जाता है कि के फलाना एंकर आ रहा है या आ रही है, चाय पानी का इंतज़ाम रखना,जो भी अपडेट हो वो उन्हें देते रहना,ठहरने की व्यवस्था देख लेना ।

ऐसे में लोकल का रिस्क , माफियाओं की दुश्मनी लेना वाला रिपोर्टर ठगा महसूस करता है , वो खड़ा होकर तमाशा देखने के अलावा कुछ करने लायक नही रह जाता , परिचित लोग पूछते है कि तुम कहे रिपोर्टिंग नही कर रहे तो उसके पास देने के लिए जवाब नही रह जाता ।

मुम्बई से लेकर हाथरस तक आपने यही देखा होगा , एंकरों की फौज सड़को पर उतार दी जाती है । और फ्री बराबर काम कर रहे रिपोर्टर – स्टिंगर्स को मौका तक नही मिलता । ना टीवी पर आने का ना अपनी काबलियत दिखाने का ।

क्योंकि एक रिपोर्टर को अगर मौका नही मिलेगा तो वो आगे कैसे बढ पायेगा , सुधीर चौधरी हो या रविश कुमार ये लोग रिपोर्टिंग से एंकरिंग में आये है । इनकी मेहनत का प्रमोशन हुआ है । लेकिन अभी किताबी ज्ञान के साथ एंकर ही रिपोर्टिंग कर रहे है ।

ये बहुत खतरनाक प्रचलन है , जैसे राजा के खाने से पहले नोकर या अन्य प्राणी को खाना ( कोर ) खिलाकर चेक़ कराया जाता था कि जहर तो नही है ।
जैसे पुरानी फिल्मों में विलेन खतरा जांचने के लिए अपने एक एक गुर्गे को आगे भेजता था ।

उसी तरह का इस्तेमाल एक स्ट्रिंगर – रिपोर्टर का रह गया है । शरुआती रिस्क आपका , बाकी मलाई ( फेम ) हमारी।

विकास सिंह डागर,ठगा गया “पत्रकार”

7 साल का अनुभव , सुदर्शन न्यूज़ (स्टिंगर) , इंडिया न्यूज (स्टिंगर) , नेशनल वॉइस ( रिपोर्टर ) , न्यूज़ 1 इंडिया ( सीनियर रिपोर्टर ) , हिंदी खबर ( एसोसिएट एडिटर)

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