नवें साल मोदी का ध्यान गया शोध पर, चीन से मीलों पीछे हैं हम

India Lags Behind China On Research And Development Front See Data

रिसर्च के मामले में चीन के सामने कितने फिसड्डी साबित हो रहे हम, ये आंकड़े देख लीजिए

रिसर्च के मामले में चीन के मुकाबले भारत काफी पीछे है। पिछले साल चीन ने जहां 4 लाख पेटेंट फाइल किए थे, वहीं भारत सिर्फ 60 हजार पेटेंट फाइल किए थे। चीन जहां रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट पर अपनी जीडीपी का 2.5 प्रतिशत खर्च करता है, वहीं भारत के लिए ये आंकड़ा 0.7 प्रतिशत है।

हाइलाइट्स
रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए सरकार बनाने जा रही नैशनल रिसर्च फाउंडेशन
रिसर्च के मामले में चीन के मुकाबले काफी पीछे है भारत
रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट पर चीन अपनी जीडीपी का 2.5% और भारत 0.7% करता है खर्च

नई दिल्ली 04 जून : कोई देश भविष्य के लिए कितना तैयार है, वर्ल्ड ऑर्डर में उसका कितना दबदबा है या आगे रहने वाला है, इसका अंदाजा बहुत हद तक इससे लगाया जा सकता है कि वहां रिसर्च का क्या हाल है। क्वॉलिटी रिसर्च के लिए कोई देश कितना पैसा खर्च कर रहा है? लेकिन भारत में रिसर्च की स्थिति कुछ ठीक नहीं है। चीन के सामने हम फिसड्डी साबित हो रहे हैं। आंकड़ें भी इसकी गवाही देते हैं। रिसर्च के क्षेत्र में भारत को दुनिया के शीर्ष देशों की कतार में खड़ा करने के लिए केंद्र सरकार अब ‘नैशनल रिसर्च फाउंडेशन’ (NRF) बनाने जा रही है जिसके पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे। ‘देर आयद दुरुस्त आयद’ लेकिन इससे रिसर्च के सेन्ट्रलाइज होने को लेकर चिंताएं भी जताई जा रही हैं।

अब आंकड़ों के आधार पर एक नजर रिसर्च को लेकर भारत और चीन की गंभीरता पर डालते हैं। रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट (R&D) पर भारत में प्राइवेट और पब्लिक फंडिंग मिलाकर जितना खर्च होता है, वो जीडीपी का महज 0.7 प्रतिशत है। दूसरी तरफ चीन R&D पर अपनी जीडीपी का 2.5 प्रतिशत खर्च करता है। खास बात ये है कि चीन की जीडीपी हमारी तुलना में 5 से 6 गुना बड़ी है।

रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट पर अमेरिका जहां हर साल 640 अरब डॉलर खर्च करता है, वहीं चीन भी 580 अरब डॉलर खर्च करता है। अगर भारत की बात करें तो वह हर साल रिसर्च पर सिर्फ 15 अरब डॉलर खर्च करता है। 2022 में भारत ने पेटेंट के लिए 60 हजार से ज्यादा आवेदन किए थे। दूसरी तरफ उसी अविधि में चीन ने 40 लाख पेटेंट फाइल किए थे। इनमें से 25 प्रतिशत यानी 1 लाख तो ‘हाई वैल्यू पेटेंट’ थे।

 

साइंस ऐंड टेक्नॉलजी मिनिस्ट्री में सीनियर अडवाइजर अखिलेश गुप्ता ने हमारे सहयोगी TOI को बताया कि फिलहाल रिसर्च के लिए जो फंडिंग है, उसका करीब 65 प्रतिशत आईआईटी और IISER को जाता है। सिर्फ 11 प्रतिशत ही स्टेट यूनिवर्सिटीज को जाता है जिनकी तादाद करीब 400 है। उन्होंने कहा, ‘एक बार एनआरएफ बिल कानून बन जाए तो ये असमानता खत्म हो जाएगी। एनआरएफ लाने का दूसरा बड़ा कारण ये है कि इसे न सिर्फ सरकार से बल्कि प्राइवेट सेक्टर, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और दानदाता संगठनों से भी फंडिंग मिलेगी।’

संसद के मॉनसून सत्र में सरकार नैशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) बिल 2023 लाने वाली है। इससे देश में रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट का पूरा चेहरा बदल सकता है। इस बिल से रिसर्च के लिए प्राइवेट फंडिंग का रास्ता भी साफ होगा। केंद्र सरकार का कहना है कि एनआरएफ के तहत जो भी फंडिंग होगी, उसका 70 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा प्राइवेट सेक्टर से आएगा।

साइंस ऐंड टेक्नॉलजी मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने बताया कि संस्थाओं, अकैडमिक और प्राइवेट सेक्टर में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए एनआरएफ एक थिंक-टैंक होगा। उन्होंने बताया कि दुनियाभर के टॉप साइंस रिसर्च इंस्टिट्यूट के स्टडी के बाद एनआरएफ को बेस्ट मॉडल के तौर पर डिजाइन किया गया है।

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