26/11: हिंदुओं को बदनाम करने को आईएसआई-कांग्रेस में था गजब तालमेल

26/11 RSS की साजिश, किताब भले अजीज बर्नी की हो,इसकी पटकथा सोनिया गांधी की मनमोहन सरकार ने लिखी थी!
हालांकि साल 2008 में 26 नवंबर को मुंबई में जो आतंकी हमला हुआ था उसकी कलई तो पहले ही खुल चुकी थी लेकिन पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने बाद में उस पर मुहर लगाई । इस तरह नवाज शरीफ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को बदनाम करने को कांग्रेस की साजिश बेनकाब कर दी। इसके साथ ही कांग्रेस की दोगली नीति की भी पोल खुल गई। शरीफ के कबूलनामें के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला किया । कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता और मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि अब जब यह साबित हो गया है कि मुंबई हमले की करतूत पाकिस्तान की थी तो फिर 56 इंच के सीना वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप क्यों हैं? उन्हें पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहिए। सरकार निश्चित रूप से पाकिस्तान को जवाब देगी। लेकिन सवाल है कि कांग्रेस ने अपने लाडले नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई की ? उन्हें पार्टी से क्यों नहीं निकाला गया ? क्योंकि दिग्विजय सिंह वह हैं जिन्होंने मुंबई हमले में पाकिस्तान को पाक साफ बता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर इस घटना की साजिश रचने का आरोप लगाया था।

मुख्य बिंदु

* कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मुंबई हमले में आरएसएस की साजिश का लगाया था आरोप
* अजीज बर्नी नाम के पत्रकार ने तो आरएसएस की साजिश-26/11? नाम से किताब तक लिखी थी

मालूम हो कि जब मुंबई पर पाकिस्तान से भेजे गए आतंकवादियों ने हमला कर 166 लोगों की जान ले ली थी उस समय केंद्र से लेकर प्रदेश तक में कांग्रेस सरकार थी। कांग्रेस ने हमले को ले पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी थी। उस समय दिग्विजय सिंह ने RSS पर साजिश करने का आरोप लगाया था। भाजपा और आरएसएस के माध्यम से हिंदुओं को बदनाम करने के लिए बजाब्ते किताब का सहारा लिया गया । एक मुसलिम पत्रकार अजीज बर्नी से साजिशन किताब लिखवाई गई थी। किताब का नाम था ’26/11 आरएसएस की साजिश’ खास बात ये कि इस किताब का विमोचन दिग्विजय सिंह ने किया था। किसी के मन में कोई संशय नहीं है कि कांग्रेस में अगर उनकी धाक इतनी है तो किसकी बदौलत? निश्चित रूप से वे सोनिया के इतने नजदीकी रहे कि उन्हें राहुल गांधी का पहला राजनीतिक गुरु बनाया था।

यही वह दिग्विजय सिंह हैं जो देश में हुई आतंकी घटनाओं को आरएसएस की साजिश बताया था। उस किताब के विमोचन के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था कि मुंबई हमले से दो घंटे पहले मुंबई के जांबाज पुलिस अधिकार हेमंत करकरे ने उन्हें फोन कर बताया था कि मालेगांव धमाके की जांच के कारण उनकी जान को खतरा है,क्योंकि जांच के दौरान इस मामले में कुछ ऐसे हिंदू संगठनों के नाम आए हैं जिनके तार आरएसएस से जुड़े हैं। हेमंत करकरे वही अधिकारी थे जो मुबंई हमले में साथियों के साथ मारे गए थे।

दिग्विजय सिंह यहीं नहीं रुके, उन्होंने सरेआम मुंबई हमले के लिए पाकिस्तान को पाक साफ बताया और सत्ताधारी कांग्रेस ने कुछ नहीं किया। पाकिस्तान के खिलाफ कांग्रेस सरकार कुछ करे यह तो सोचा भी नहीं जा सकता है,कम से कम कांग्रेस को अपनी पार्टी के नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ तो कार्रवाई करनी चाहिए थी।

26/11 आरएसएस की साजिश? के लेखक अजीज बर्नी ने तो एक साल बाद ही अपनी किताब के शीर्षक के लिए माफी मांग ली । माफी मांगते उन्होंने जो कहा वह भी गौर करने लायक है। उन्होंने कहा कि एक भारतीय नागरिक होने के नाते विदेश नीति में मैं हमेशा सरकार के फैसले का पक्षधर हूं। उस समय UPA सरकार ने जो कहा वही मैंने लिखा। उनके इस बयान से स्पष्ट है कि वह किताब भले अजीज बर्नी की हो, लेकिन इसकी पटकथा सोनिया गांधी की मनमोहन सरकार ने लिखी थी!

कांग्रेस हमेशा ही देश के पहले अपने वोट बैंक को तरजीह देती आ रही है। कांग्रेस सरकारें भी देश हित के बजाय पार्टी हित में काम करती रही है। अगर ऐसा न होता तो कांग्रेस सरकार ने यह कैसे मान लेती कि मुंबई हमले में पाकिस्तान का हाथ नहीं था। इसका मतलब यह कि कांग्रेस सरकार ने इस मामले की जांच तक कराना मुनासिब नहीं समझी! पार्टी का एक नेता ने जो कह दिया वही उसका फरमान हो गया। बाद में जब पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस बात पर मुहर लगा दी कि मुंबई पर हमला पाकिस्तान की ओर से आतंकवादियों ने किया था, सबसे ज्यादा शर्म कांग्रेस को ही आनी चाहिए। लेकिन कांग्रेस के ही प्रमुख प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान को सबक सिखाने की चुनौती दी। इसमें कोई दो राय नहीं कि भाजपा सरकार को इस मामले अवश्य ही कार्रवाई करनी चाहिए और मोदी सरकार ने पाकिस्तान को आतंकी देश साबित कर उसे अलग-थलग करने में कसर नहीं छोड़ी। लेकिन कांग्रेस को सरकार को चुनौती देने या सवाल पूछने से पहले देश की जनता को यह जवाब देना चाहिए था कि आखिर तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ क्यों नहीं कोई कदम उठाया? आखिर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने क्यों इस मामले में आरएसएस और भाजपा की छवि धूमिल करने का प्रयास किया?

टीवी पर अभी कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का बयान देख रहा था, जिसमें वे नरेंद्र मोदी को चुनौती दे रहे थे कि अब तो साबित हो गया कि मुबंई पर आंतकी हमला पाकिस्तान ने कराया था, इसलिए 56 इंच का सीना रखने वाले प्रधानमंत्री को पाकिस्तान को इसका मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए। मोदी को तो जवाब देना ही चाहिए। लेकिन, सवाल यह है कि तब कांग्रेस ने क्या किया था? तब जवाब कांग्रेस को देना चाहिए था, सरकार उसकी थी। लेकिन तब वह पाकिस्तान को क्लीन चिट दे रहे थे। वोट बैंक की राजनीति को देशवासियों की आंखों में धूंल झोंक रही थी। तब दिग्विजय सिंह राजनीतिक फायदे के लिए पाक की इस नापाक हरकत को RSS की साजिश बता रहे थे। तब कांग्रेस ने उर्दू के एक बिकाउं पत्रकार अजीज बर्नी से एक किताब लिखवाई जिसका शीर्षक था, आऱएसएस की साजिश 26/11? इस किताब का विमोचन सोनिया-राहुल के करीबी कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने किया था। किताब से मुसलमानों के मन में हिंदुओं के प्रति नफरत फैलाने की कोशिश की गई। इसके प्रचार प्रसार पर कांग्रेस ने खूब पैसे खर्च किए। नवाज शरीफ के कबूलनामें के बाद कांग्रेस के झूठ का पर्दाफाश हो गया तो कांग्रेस को इसके लिए माफी मांग दिग्विजय सिंह को पार्टी से निकाल देना चाहिए था लेकिन नहीं निकाला क्योंकि उन्हें अपनी हरकतों के लिए सोनिया का समर्थन था।

26/11 आतंकी हमले पर सबसे बड़ा खुलासा: ‘हिंदू आतंकवाद’ की साजिश बेनकाब

ISI और पाकिस्तान मुंबई हमले को हिंदू आतंकवाद का रूप देने की फिराक में था. 26/11 के मुंबई हमले को लेकर मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया ने बेहद चौंकाने वाले खुलासे किए. मारिया ने ये खुलासा अपनी आत्मकथा में की.

देश की आर्थिक राजधानी को दहलाने वाले 26/11 आतंकी हमले को लेकर बहुत बड़ा खुलासा हुआ . जी हां, मुंबई पर हुए अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले को लेकर सबसे बड़ा खुलासा हुआ हैं. और ये खुलासा मुंबई पुलिस के कमिश्नर रह चुके राकेश मारिया ने किया है.

ISI की ‘हिंदू आतंकवाद’ की साजिश?

पूर्व आईपीएस ऑफिसर और मुंबई हमले के दौरान मुंबई पुलिस के कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी आत्मकथा में मुंबई हमले को लेकर बेहद चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.
मुंबई यानी देश की आर्थिक राजधानी, मुंबई यानी मायानगरी, मुंबई यानी जो पूरी रात जगती हैं. मुंबई जिसकी रफ्तार कभी नहीं थमती हैं. अचानक सबकुछ थम गया जब 26 नवंबर 2008 को मुंबई में ताज, CST सहित कई जगहों पर हमला किया गया. इस हमले में सैंकड़ों लोगों की जान गंवानी पड़ी. सुरक्षा बलों की कार्रवाई में तमाम आतंकियों को मार गिराया गया था. जिंदा केवल अजमल कसाब बचा था. जिसे करीब 4 साल बाद 2012 में फांसी दे गई थी.

हिंदू आतंकवाद की थ्योरी सामने लाने का षड्यंत्र

इसी अजमल कसाब और मुंबई हमले को लेकर तत्कालीन पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. अपनी आत्मकथा Let Me Say It Now में उन्होंने लिखा हैं कि “पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 26/11 हमले के जरिए हिंदू आतंकवाद की थ्योरी को सामने रखना चाहती थी. ISI मुंबई हमले के सभी आतंकवादियों को हिंदू साबित करना चाहती थी. हिंदू साबित करने के लिए उनके साथ फर्जी आई कार्ड भेजे गए थे. कसाब के पास भी एक ऐसा ही आईकार्ड मिला था, जिसपर समीर चौधरी लिखा हुआ था.”
अजमल कसाब यानी बेहद खतरनाक आतंकी, जिसने मुंबई में कई मासूमों की हत्या के बारे में मारिया अपनी किताब में लिखते हैं कि “हिंदू दिखने के लिए कसाब ने अपने दायें हाथ की कलाई में कलावा (मौली) भी बांध रखा था. पुलिस की ओर से जारी कसाब की फोटो में कलावा देखा जा सकता है.

मारिया अपनी आत्मकथा Let Me Say It Now में लिखते हैं कि “मुंबई पुलिस आतंकी कसाब की फोटो जारी नहीं करना चाहती थी. पुलिस ने पूरी कोशिश की थी कि आतंकी की डिटेल मीडिया में लीक नहीं हो. लेकिन वो ऐसा करने में सफल नहीं रहे.”

कसाब को मारने की दाऊद ने ली थी सुपारी

देश के नंबर वन दुश्मन दाऊद इब्राहिम के बारे में भी इस किताब में सनसनीखेज खुलासा किया गया है. राकेश मारिया ने किताब में लिखा है कि अजमल कसाब मुंबई हमले का सबसे सबसे बड़ा और एकमात्र जीवित सबूत था. इसीलिए दाऊद इब्राहिम के गैंग को कसाब को मारने की सुपारी मिली थी. दुश्मन को जिंदा रखना मेरी पहली प्राथमिकता थी. इस आतंकी के खिलाफ लोगों का आक्रोश और गुस्सा चरम पर था. मुंबई पुलिस के कई अधिकारी भी आक्रोशित थे.
इस मामले में रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता है. उन्होंने इस दौरान कांग्रेस पार्टी और उनके नेता पी. चिदंबरम पर तीखा प्रहार भी किया.
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा कसाब को किसी भी सूरत में उसे रास्ते से हटाने की फिराक में थी. इसीलिए कसाब को वो मारना चाहता था. हालांकि मुंबई पुलिस हर कीमत कसाब को बचाकर उसे सजा दिलवाना चाहते थे और ऐसा ही हुआ.
मारिया ने साफ लिखा है कि इस हमले में आईएसआई, लश्कर ए तैयबा और दाऊद इब्राहिम गैंग शामिल था. हालांकि मारिया ने कहीं किताब में कांग्रेस का नाम नहीं लिया है. लेकिन उन्होंने आईएसआई की जिस साजिश का खुलासा किया है, वह कांग्रेस के मंसूबों से मिलती है. क्या ये महज इत्तफाक है. क्या पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई, लश्कर ए तैयबा और कांग्रेस के नेताओं के बीच 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए हमले को लेकर कोई गठजोड़ था. वजह ये कि आईएसआई और लश्कर ए तैयबा इस हमले को हिंदू आतंकवादी घटना के रूप में दुनिया के सामने पेश करना चाहते थे।
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने बतौर पुलिस अफसर अपने अनुभवों और घटनाओं को एक किताब में सहेजा है. लेट मी से इट नाऊ शीर्षक वाली इस किताब के सामने आते ही तमाम कंकाल ताबूत से निकल आए हैं. मारिया ने साफ लिखा है कि इस हमले में आईएसआई, लश्कर ए तैयबा और दाऊद इब्राहिम गैंग शामिल था. हालांकि मारिया ने कहीं किताब में कांग्रेस का नाम नहीं लिया है. लेकिन उन्होंने आईएसआई की जिस साजिश का खुलासा किया है, वह कांग्रेस के मंसूबों से मिलती है. क्या ये महज इत्तफाक है. मारिया ने लिखा है कि लश्कर का प्लान ये था कि इस हमले को जितना हो सके उतना जनहानि वाला बनाया जाए. सभी आतंकवादियों को आत्मघाती मिशन पर भेजा गया था. यानी सबको लड़ते हुए अपनी जान दे देनी थी. यदि लश्कर का ये प्लान सफल हो जाता, तो मारिया लिखते हैं कि सारे टीवी चैनलों और अखबारों में एक ही हेडलाइन होती- हिंदू आतंकवाद. अखबार चिल्ला रहे होते कि कैसे हिंदू आतंकवादियों ने मुंबई पर अब तक का सबसे खतरनाक हमला किया. कसाब के पास बेंगलुरू की एक फर्जी आईडी थी. जिसमें उसका नाम समीर चौधरी दर्ज था. बाकी आतंकवादियों के पास भी हैदराबाद के अरुणोदय कालेज के पहचान पत्र थे.
इन सभी में हिंदू नाम थे. मारिया लिखते हैं कि अगर कसाब जिंदा न पकड़ा गया होता, तो बेंगलुरू में उसके फर्जी पते पर पड़ोसियों से इंटरव्यू के लिए टीवी चैनलों की लाइन लग जाती. लेकिन साजिश धरी रह गई. जिसके पास समीर चौधरी का आईडी कार्ड था, वह असल में पाकिस्तान का अजमल कसाब निकला. कसाब के जिंदा पकड़े जाने से आईएसआई बौखला गई. कसाब को मारने की जिम्मेदारी दाऊद गिरोह को दी गई. मारिया लिखते हैं कि हमारी प्राथमिकता कसाब को जिंदा रखना थी. लेकिन मारिया की कलम से निकली बात दूर तलक जाएगी. बात क्या सिर्फ आईएसआई की साजिश पर खत्म हो जाती है. नहीं. बात यहां से शुरू होती है. आईएसआई के प्लान को आगे बढ़ाते हुए हमले के चंद दिन बाद ही एक किताब सामने आती है, जिसमें मुंबई पर हमले को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की साजिश बताने का झूठ का पुलिंदा पेश किया जाता है. इस किताब के विमोचन के लिए कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह पहुंचते हैं. क्या ये स्वेच्छा थी या फिर आईएसआई का आदेश. बात फिर और आगे निकलती है. पी. चिदंबरम गृह मंत्री रहते हुए हिंदू आतंकवाद का फर्जी शिगूफा खड़ा करने की कोशिश करते हैं. साध्वी प्रज्ञा को गिरफ्तार किया जाता है. कर्नल पुरोहित को झूठा फंसाया जाता है. मारिया की किताब पर गौर करेंगे, तो आरोप और ज्यादा गंभीर नजर आएंगे.
मारिया लिखते हैं कि हमने कसाब की पहचान को छिपाने की पूरी कोशिश की. लेकिन कसाब की पहचान को केंद्रीय एजेंसियों ने लीक कर दिया. आपको याद रखना होगा कि उस समय केंद्रीय एजेंसियां कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के अधीन थी. कसाब की पहचान को उजागर करके असल में दाऊद के गुर्गों के लिए रास्ता आसान किया गया था. आईएसआई और कांग्रेस का एजेंडा एक जैसा नजर आता है. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व आज भी भगवा आतंकवाद और हिंदू आतंकवाद जैसे शब्दों से परहेज नहीं करता. और अब तो ये गठजोड़ इस कदर सामने आ चुका है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयानों को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान संयुक्त राष्ट्र में अपने हक की दलील के तौर पर पेश करते हैं. मुंबई हमला हो या फिर मालेगांव ब्लास्ट. या फिर समझौता एक्सप्रेस हमला. सब जगह एजेंसियां अलग अलग हैं. मसलन मुंबई हमले के समय आईएसआई इसे हिंदू आतंकवाद साबित करना चाहती थी. और मालेगाव ब्लास्ट से लेकर समझौता एक्सप्रेस हमले तक पी. चिदंबरम ने हिंदू आतंकवाद का फर्जी कथ्य तैयार किया.

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