संघर्ष विराम: क्या है भारत के लिए अच्छा, क्या नहीं, किस की क्या है राय?

इसके बाद से ही लगातार चर्चा है कि अचानक से ये ‘सीजफायर’ क्यों? भारतीय विदेश मंत्रालय ने किसी भी प्रकार के मध्यस्थता का जिक्र नहीं किया और कहा कि दोनों मुल्क़ों के DG (मिलिट्री ऑपरेशन्स) ने आपस में बातचीत करके हमलों को रोकने का फ़ैसला लिया है। हालाँकि, इसके बावजूद भी पकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन जारी रखा और विदेश सचिव विक्रम मिसरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसकी निंदा करनी पड़ी और कहना पड़ा कि पाकिस्तान को जिम्मेदारीपूर्वक समझौता के पालन करना चाहिए।
हालाँकि, अब सामने आ रहा है कि आख़िर पाकिस्तान क्यों भागता-भागता अमेरिका के पास गया और उसने सीजफायर के लिए पैरवी करवाई। सीजफायर के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ ने भी डोनाल्ड ट्रम्प को धन्यवाद दिया, लेकिन भारत ने कहीं ट्रम्प का नाम नहीं लिया। कारण ये है कि भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस को तबाह कर दिया – नूरखान, रफ़ीकी, मुरीद, सुक्कुर, सियालकोट, पसरूर, चूनियाँ, सरगोधा, सकरदु, भोलारी और जैकोबाबाद।
Shiv Aroor (@ShivAroor) posted at 8:01 pm on Sat, May 10, 2025:
Let’s be under no illusions why today’s ceasefire happened. My quick 90-second view: https://t.co/7GNAjEv6ST
(https://x.com/ShivAroor/status/1921211570207568084?t=GN1uiMda5h1a06KchCnRPw&s=03)
इनमें से नूरखान एयरबेस सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ से कुछ ही दूरी पर पाकिस्तान का परमाणु भंडार रखा हुआ है। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपने लेख में बताया है कि पाकिस्तान को अपने परमाणु भंडार को नष्ट किए जाने का भय था। यही कारण है कि जिस अमेरिकी के राष्ट्रपति JD वेंस ने कहा था कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष से हमारा कोई लेना-देना नहीं है, उसी अमेरिका के राष्ट्रपति ने ट्वीट करके सीजफायर की घोषणा की। अमेरिका के नए स्टेट सेक्रेटरी और NSA मार्को रुबियो का भी इसमें हाथ रहा।
NYT ने अपने लेख में बताया है , “सबसे बड़ी चिंता की वजह तब सामने आई जब पाकिस्तान के रावलपिंडी स्थित नूर खान एयरबेस पर धमाके हुए। रावलपिंडी को इस्लामाबाद के पास स्थित एक प्रमुख सैन्य छावनी माना जाता है। यह एयरबेस पाकिस्तान की सेना का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ से सैन्य परिवहन गतिविधियों का संचालन होता है और यहीं से हवा में ईंधन भरने की व्यवस्था होती है, जिससे पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को लंबे समय तक उड़ान में बनाए रखा जा सकता है।”
इसके बाद ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने लिखा है कि यह एयरबेस पाकिस्तान के स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिवीजन’ के मुख्यालय से भी ज्यादा दूर नहीं है। आपको बता दें कि ये वही है विभाग जो देश के परमाणु हथियारों की निगरानी और सुरक्षा करता है। माना जाता है कि पाकिस्तान के पास इस समय लगभग 170 या उससे अधिक परमाणु हथियार हैं, जिन्हें देशभर में अलग-अलग स्थानों पर रखा गया है। एक पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान को अपना न्यूक्लियर कमांड सेंटर के खात्मे का डर था।
उक्त पूर्व अधिकारी के अनुसार, नूरखान एयरबेस पर भारत के हमले को इस रूप में लिया जाना चाहिए कि उसने ये दिखा दिया कि वो पाकिस्तान के परमाणु भंडार को भी नष्ट कर सकता है। यही कारण है कि अमेरिका ने इस संघर्ष में हस्तक्षेप किया। ये भी समझिए कि इस पूरे संघर्ष में पहले और अंतिम बड़ी स्ट्राइक भारत ने की। 9 आतंकी ठिकानों को तबाह करके ये शुरू हुआ था, 11 एयरबेस को तबाह करके ये ख़त्म हुआ। पाकिस्तान के इतना भीतर घुसकर भारत ने कभी स्ट्राइक नहीं किया था, ये पहली बार ऐसा हुआ।
मात्र 90 मिनट में भारत ने जैसे पाकिस्तान के 11 एयरबेस ध्वस्त किये, उससे न केवल पाकिस्तान घबरा गया बल्कि अमेरिका की चिंताएँ भी बढ़ गई थीं। भारत ने अपने लंबे रेंज की मिसाइलों एवं ड्रोन्स का इस्तेमाल कर बता दिया कि पाकिस्तान के पूरे के पूरे मिलिट्री फ्रंटलाइन को वो अपनी पूर्ण सैन्य क्षमता का इस्तेमाल किए बिना तबाह करने की क्षमता रखता है। तभी पाकिस्तान भागकर अमेरिका के पास मिन्नतें करते भागा।
कांग्रेस नेता चिदंबरम ने की PM मोदी की युद्ध नीति की तारीफ, बोले- भारत का जवाब बुद्धिमतापूर्ण और संतुलित
पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले ने भारत को एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने के लिए मजबूर किया. कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने अपने कॉलम में इस कार्रवाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समझदारी भरा कदम बताया.
पी चिदंबरम ने भारत-पाक युद्धविराम समझौते पर प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की
कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित अपने कॉलम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के पाकिस्तान को दिया जवाब “बुद्धिमत्तापूर्ण और संतुलित” बताया है. उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमले के बाद देश में बदले की आवाजें तेज थीं, लेकिन सरकार ने सीमित सैन्य कार्रवाई का रास्ता चुन एक बड़ा युद्ध टाल दिया.
उन्होंने कहा कि भारत की सैन्य कार्रवाई सीमित और सुनियोजित थी, जिसका उद्देश्य आतंकी संगठनों के बुनियादी ढांचे नष्ट करना था. चिदंबरम ने अपने कॉलम में इस कार्रवाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समझदार कदम बताया, क्योंकि इससे भारत ने पूर्ण युद्ध की स्थिति टालते हुए वैश्विक स्थिरता को प्राथमिकता दी.
दुनिया सहन नहीं कर सकती युद्ध
चिदंबरम ने कहा कि मोदी के 2022 में व्लादिमीर पुतिन से कहे गए शब्द-“यह युद्ध का युग नहीं है” आज भी दुनिया को याद हैं. यही वजह है कि कई देशों ने भारत को निजी तौर पर युद्ध न करने की सलाह दी.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं और पूर्ण युद्ध न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक अस्थिरता पैदा करता. उन्होंने रूस-यूक्रेन और इज़राइल-गाजा संघर्षों का उदाहरण दे कहा कि अब दुनिया युद्ध सहन नहीं कर सकती.
एक्शन की तारीफ
चिदंबरम ने सरकार की 7 मई की सैन्य कार्रवाई को “वैध और लक्ष्य केंद्रित” बताया, जिसमें पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के नौ ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए गए. उन्होंने सराहा कि भारत ने नागरिक इलाकों या पाकिस्तानी सेना पर सीधा हमला नहीं किया. ‘पाकिस्तान ने विमान मार गिराने के व्यर्थ दावे किए लेकिन एक साक्षात्कार में, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री हकलाते दिखे और इसके समर्थन में कोई सबूत नहीं दे पाए.’
हालांकि, उन्होंने सावधान किया कि यह मान लेना जल्दबाज़ी होगी कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और द रेज़िस्टेंस फ्रंट जैसे आतंकी समूह पूरी तरह समाप्त हो गए हैं. उनके मुताबिक, इन संगठनों के पास नया नेतृत्व उभरने की क्षमता है और ISI का समर्थन अभी भी बना हुआ है.
सरकार का स्मार्ट मूव
उन्होंने सरकार की पारदर्शिता की प्रशंसा करते हुए कहा कि मीडिया ब्रीफिंग में महिला सैन्य अधिकारियों को सामने लाना एक “स्मार्ट मूव” था. हालांकि, उन्होंने प्रधानमंत्री को लेकर सवाल भी उठाए है कहा कि न तो वे पीड़ित परिवारों से मिले, न ही ऑल पार्टी मीटिंग में आए. उन्होंने इसे मणिपुर जैसी चुप्पी से जोड़ा.
पाकिस्तान की स्थिति पर भी चिदंबरम ने चिंता जताई और कहा कि क्या फैसला लेने का अधिकार वहां की निर्वाचित सरकार के पास है या सेना और ISI के पास? उन्होंने लिखा कि भारत ने गेंद अब पाकिस्तान के पाले में डाल दी है. अब फैसला पाकिस्तान को करना है कि वह युद्ध चाहता है या अस्थिर शांति. चिदंबरम का मानना है कि आने वाले दिन चुनौतीपूर्ण होंगे और सीमा पर तनाव, रुक-रुक कर गोलीबारी और अस्थिरता बनी रह सकती है.
Shashi Tharoor India Pakistan ceasefire 1971 war comparison Operation Sindoor
1971 और 2025 में अंतर है… शशि थरूर ने बताया भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर क्यों जरूरी
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर कहा कि देश में शांति बहुत जरूरी है. ऐसे हालात में सीजफायर भी जरूरी था. थरूर ने 1971 के युद्ध से मौजूदा स्थिति की तुलना करते हुए कहा कि वे हालात और आज के हालात अलग हैं. उस युद्ध के कारण अलग थे, लेकिन आज ऐसा नहीं है.
भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले कई दिनों से तनाव देखने को मिल रहा है. दोनों देशों के बीच जंग के हालात बने हुए थे, हालांकि 10 मई शाम 5 बजे सीजफायर का ऐलान हो गया. इसके बाद भी कई इलाकों में पाकिस्तान की गोलीबारी जारी रही. भारतीय सेना ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया. सीजफायर के बाद से ही देश भर से अलग-अलग तरह के बयान सामने आ रहे हैं. कोई सीजफायर को सही तो कोई गलत बता रहा है. इस बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर का एक बयान चर्चा का विषय का बना हुआ है.
सीजफायर के ऐलान के बाद से ही इंदिरा गांधी को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की बातें और दावे किए जा रहे हैं. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सीजफायर को लेकर कहा कि शांति जरूरी है. उन्होंने कहा कि मैं सीजफायर से बहुत खुश हूं. भारत कभी भी लंबे समय तक युद्ध नहीं चाहता था, लेकिन भारत आतंकवादियों को सबक सिखाना चाहता था. मेरा मानना है कि सबक सिखाया जा चुका है. पाकिस्तान की तरफ से हुए सीजफायर पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक्स पर लिखा कि उसकी फितरत है मुकर जाने की, उसके वादे पे यकीं कैसे करूं?’
#WATCH | Delhi | “1971 was a great achievement, Indira Gandhi rewrote the map of the subcontinent, but the circumstances were different. Bangladesh was fighting a moral cause, and liberating Bangladesh was a clear objective. Just keeping on firing shells at Pakistan is not a pic.twitter.com/Tr3jWas9Ez
— ANI (@ANI) May 11, 2025
1971 और 2025 की परिस्थितियां अलग-अलग- थरूर
शशि थरूर ने कहा कि हम उस स्थिति में पहुंच गए थे, जहां तनाव बेवजह नियंत्रण से बाहर हो रहा था. हमारे लिए शांति जरूरी है. सच तो यह है कि 1971 की परिस्थितियां 2025 की परिस्थितियां नहीं हैं. आज मतभेद हैं. यह ऐसा युद्ध नहीं था जिसे हम जारी रखना चाहते थे. हम बस आतंकवादियों को सबक सिखाना चाहते थे और वह सबक सिखाया जा चुका है. मुझे यकीन है कि सरकार पहलगाम हमलों में शामिल आतंकियों को कड़ी से कड़ी सजा देगी और जल्द ही उनकी पहचान की जाएगी.
#WATCH | Delhi | On the understanding reached between Indian and Pakistan, Congress MP Shashi Tharoor says, “We had reached a stage where the escalation was needlessly getting out of control. Peace is necessary for us. The truth is that the circumstances of 1971 are not the pic.twitter.com/dowttNX1wj
— ANI (@ANI) May 11, 2025
1971 की जंग के पीछे का कारण अलग था- कांग्रेस नेता
शशि थरूर ने कहा कि देश के मौजूदा हालातों की तुलना साल 1971 से की जा रही है. वो भी एक एक महान उपलब्धि थी, इंदिरा गांधी ने उस समय एक नया नक्शा फिर से लिखा, लेकिन वे परिस्थितियां अलग थीं. बांग्लादेश एक नैतिक कारण से लड़ रहा था और बांग्लादेश को आजाद कराने के पीछे का एक अलग उद्देश्य था. पाकिस्तान पर सिर्फ गोले दागते रहना उद्देश्य नहीं है. उस समय जो भी फैसले लिए गए वो उन हालातों को देखकर लिए गए थे. आज जो देश के हालात हैं उसमें शांति बहुत जरूरी है।
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