फिर गैर गांधी अध्यक्ष? बेइज्जत कर हटाये गये थे आखिरी गैर गांधी कांग्रेस अध्यक्ष केसरी

बाथरूम में बंद किया, धोती खोल दी…, बेइज्जत कर हटाए गए थे कांग्रेस के अंतिम गैर गांधी अध्यक्ष सीताराम केसरी

अभिषेक कुमार |

Sitaram Kesari insult : कांग्रेस के नए अध्यक्ष की तलाश हो रही है। माना जा रहा है कि इस बार गैर गांधी परिवार से किसी को अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इस रेस में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot and Congress President) का नाम सबसे आगे चल रहा है। ऐसे में 24 साल पहले की वह घटना जाननी चाहिए जब गैर गांधी परिवार से बने कांग्रेस के अध्यक्ष सीताराम केसरी (Sitaram Kesari) को कैसे बेआबरू करके अध्यक्ष की कुर्सी से हटाया गया था।

कटिहार( पटना) 26 अगस्त: पिछले दो तीन दिनों से मीडिया में कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव की खबरें चर्चा में है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक 24 साल बाद कांग्रेस इस बार गैर गांधी परिवार के सदस्य को अध्यक्ष की कुर्सी सौंप सकती है। कांग्रेस के अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम आगे चलने की बात कही जा रही है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ मुलाकात के बाद अशोक गहलोत के बिना कुछ कहे मुस्कुराते हुए दिल्ली से जयपुर रवाना होने पर अटकलों का बाजार गरम है। माना जा रहा है कि 28 अगस्त को कांग्रेस के सीडब्ल्यूसी बैठक में पार्टी के नए अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि सीडब्ल्यूसी की वर्चुअल बैठक 28 अगस्त, 2022 को दोपहर 3.30 बजे, कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की तारीख को मंजूरी देने को आयोजित की जाएगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सीडब्ल्यूसी की बैठक की अध्यक्षता करेंगी।

गैर गांधी परिवार से सीताराम केसरी रहे कांग्रेस के अंतिम अध्यक्ष

बिहार के वरिष्ठ कांग्रेस नेता सीताराम केसरी 1996 से 1998 तक इस पार्टी के अध्यक्ष रहे। केसरी महज 13 साल की उम्र से ही स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने लगे थे। 1930 से 1942 के बीच सीताराम केसरी स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के चलते कई बार जेल गए। साल 1973 में बिहार कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने और 1980 में कांग्रेस के कोषाध्यक्ष बने। 1967 में सीताराम केसरी कटिहार लोकसभा सीट से सांसद बने। इसके बाद केसरी 1971 से 2000 तक पांच बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए। गांधीवादी विचार के समर्थक सीताराम केसरी इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री भी रहे। इतना लंबे राजनीतिक अनुभव वाले सीताराम केसरी को बेरुखी से पार्टी अध्यक्ष पद से हटाया गया था। कहा जाता है कि सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने को सीताराम केसरी के साथ बेहद खराब बर्ताव किया गया था।

सीताराम केसरी के खिलाफ पार्टी में ऐसे बनाया गया माहौल

12वें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को देशभर में 142 सीटें आई थीं। इस चुनाव में सोनिया गांधी ने 130 से ज्यादा रैलियां संबोधित की थी। कांग्रेस अपनी पारंपरिक सीट अमेठी में भी चुनाव हार गई थी। इसके अलावा अर्जुन सिंह, नारायण दत्त तिवारी जैसे नेता अपनी-अपनी सीटें हार गए थे। कांग्रेस के एक गुट ने इस हार ठिकरा सीताराम केसरी पर फोड़ दिया था जबकि  सीताराम केसरी ने पूरे चुनाव में एक भी रैली संबांधित नहीं की थी। आरोप लगे कि सीताराम केसरी के कमजोर नेतृत्व में पार्टी को सानिया गांधी का फायदा नहीं मिल पाया। माना जाता है कि यहीं से पार्टी के कुछ नेताओं ने सीताराम केसरी को कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाने की फाइल बनानी शुरू कर दी थी।

पार्टी में कहा जाने लगा कि दक्षिण भारत के ज्यादातर कांग्रेसी नेता सीताराम केसरी से नाराज हैं। उनके हवाले कहा जाने लगा कि सीताराम केसरी अंग्रेजी नहीं जानते इसलिए दक्षिण भारतीय नेता उनसे बातचीत नहीं कर पाते । इसके अलावा सीताराम केसरी पर यह भी आरोप लगते रहे कि वह ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार जैसे उच्च जाति के नेताओं को पार्टी में खास तवज्जो नहीं देते।  उच्च जाति के कई कांग्रेसी नेता सीताराम केसरी को अपना नेता ही नहीं मानते थे।  सीताराम केसरी पिछड़ी जाति से थे। बिहार में उनका परिवार तेली जाति से था। सीताराम केसरी पर यह भी आरोप लगे कि वह समाजवादी  लालू प्रसाद यादव, और मुलायम सिंह यादव जैसे ओबीसी नेताओं के अलावा कांशीराम के साथ गठबंधन चाहते थे। कांग्रेस का बड़ा तबका इसके खिलाफ था।
सीताराम केसरी सार्वजनिक मंचों से कहने लगे थे कि साधारण परिवार से आने वाला और कम पढ़ा लिखा नेता भी कांग्रेस के अंदर सर्वोच्च पद पर पहुंचा है। यह बात गांधी परिवार खासकर सोनिया गांधी को खटकने लगी। सोनिया समझ चुकी थीं कि अगर सीताराम केसरी इस तरह की बातें लगातार कहते रहेंगे तो पार्टी पर गांधी परिवार की पकड़ कमजोर होती चली जाएगी। उस वक्त कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शरद पवार, एके एंटेनी और प्रणब मुखर्जी जैसे नेता भी सीताराम केसरी को कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाना चाहते थे। उस वक्त मीडिया में यह भी खबरें आई कि मुंबई के बड़े कारोबारियों ने साफ शब्दों में कह दिया कि सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहे तो वे लोग चुनाव में पार्टी को सपोर्ट नहीं करेंगे। इन्हीं सब बातों के अलावा कुछ और मुद्दों को लेकर सीताराम केसरी को हटाने के लिए फाइल तैयार की जाने लगी।

14 मार्च 1998 को बुरी तरह बेइज्जत किए गए सीताराम केसरी

14 मार्च 1998 ही वह तारीख है जिस दिन कांग्रेस के नेताओं ने सीताराम केसरी को बेइज्जत किया और उन्हें पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाया। 5 मार्च 1998 को CWC (कांग्रेस कार्य समिति) की बैठक बुलाई गई। इसमें फैसला लिया गया कि सोनिया गांधी पार्टी के कार्यों में ज्यादा सक्रिय हों और संसदीय दल का नेता चुनने में हेल्प करें। उस वक्त संसदीय दल के नेता सीताराम केसरी ही थे। प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस पार्टी के कानून में बदलाव कर तय कराया था कि पार्टी का नेता संसदीय दल का नेता हो सकता है, चाहे वह लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य हो या नहीं।

पार्टी में अपने खिलाफ इस तरह की गतिविधियों को देखते हुए 9 मार्च 1998 को सीताराम केसरी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। कुछ ही मिनट बाद उनका मन बदल गया और कहा कि उन्होंने केवल मंशा जाहिर की है, इस्तीफा नहीं दिया है। सीताराम केसरी ने तय किया कि वह AICC की आम सभा में कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कुर्सी छोड़ेंगे। इसके बाद 14 मार्च 1998 को CWC से 13 नेता प्रणब मुखर्जी के घर पर जुटे और CWC की बैठक बुलाकर सीताराम केसरी को अपने इस्तीफे पर फैसला करने की मांग रख दी।
11 बजे CWC की बैठक हुई। इसमें प्रणब मुखर्जी ने अपने भाषण में सीताराम केसरी के पार्टी के लिए किए गए कार्यों के लिए धन्यवाद कहा और कहा कि सोनिया गांधी पार्टी में अध्यक्ष पद संभालें। इस बात पर सीताराम केसरी नाराज हो गए। महज 8 मिनट में ही केसरी बैठक स्थगित कर हॉल से सटे अपने दफ्तर चले गए। मनमोहन सिंह के साथ कुछ और नेता उन्हें मनाने पहुंचे लेकिन वह नहीं माने और दोबारा बैठक में नहीं आए। इसके बाद पार्टी के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में दोबारा बैठक शुरू की गई। यहां औपचारिक रूप से सोनिया गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। तत्काल सीताराम केसरी की नेमप्लेट उखाड़कर कूड़ेदान में फेंक दी गई। इतनी बेइज्जती के बाद सीताराम केसरी 24 अकबर रोड छोड़कर जा रहे थे तभी यूथ कांग्रेस के उदंड कार्यकर्ताओं ने उनकी धोती खोल दी।

साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के महासमंद की रैली में कहा, ‘देश को पता है। पीड़ित, शोषित समाज से आए हुए सीताराम केसरी को पार्टी के अध्यक्ष पद से कैसे हटाया गया। कैसे बाथरूम में बंद कर दिया गया था। कैसे दरवाजे से  उठा कर फुटपाथ पर फेंक दिया गया था। मैडम सोनिया जी को बैठा दिया गया था। यह इतिहास हिंदुस्तान भली-भांति जानता है। उनको मजबूरी में बनाया था, उसको भी वह दो साल झेल नहीं पाए।’ देश के प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी और वरिष्ठ नेता के साथ पार्टी के अंदर ही हुए इस तरह के व्यवहार से कांग्रेस के कई कार्यकर्ता बेहद नाराज थे।

बुरे वक्त से गुजर रही है कांग्रेस

पिछले दो लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। पार्टी जैसे-तैसे 50 तक अपनी सीटें पहुंचा पाई है। इसके अलावा पार्टी देशभर में केवल छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अपने बूते सरकार चला रही है। बिहार में महागठबंधन सरकार में छोटा घटक दल है। हाल के चुनावों में लगभग हरेक में कांग्रेस की हार हुई है। पार्टी जी23 नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं। गुलाम नबी आजाद जैसे पार्टी के कई कद्दावर नेता पार्टी से अलग हो चुके। ऐसे वक्त में माना जा रहा है कि गांधी परिवार 24 साल बाद किसी गैर गांधी परिवार के नेता को कांग्रेस की कमान सौंप सकती है। हालांकि जब तक फैसला हो नहीं जाता है तब तक कुछ कहा नहीं जा सकता है।

नोट: खबर में प्रयुक्त सारी जानकारी उस वक्त के अखबारों में प्रकाशित जानकारी के आधार पर है।

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